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 कुसुम - एक अनसुलझी पहेली हिंदी कहानी (भाग 2)


Read - कुसुम - एक अनसुलझी पहेली हिंदी कहानी (भाग 1)

कुसुम की शादी  Hindi kahani - 

कुसुम अपने कल्पना के सागर में डूबी हुयी आरजू के गोते लगा रही थी | कल्पना कर रही थी अपनी सपनो के राजकुमार से अपने होने वाले पति से तुलना कर रही थी | वो हमेशा से ही एक राजकुमार की भाति सुन्दर दयालु और चरित्र से अच्छा व्यक्ति उसका पति हो ऐसी कामना थी कुसुम की | वो खुद भी बहुत ही सुशील और कोमल ह्रदय की वालिका थी | कुसुम की कल्पना जरी रही और नीचे दूसरा कार्यक्रम चल रहा था | वो लोग आ चुके थे | वो लोग से मतलब कुसुम को देखने वाले | कुसुम का रिस्ता उसके दूर के मामा जी करवा रहे थे |

देखने आए लोगो में रोहित (होने वाला दूल्हा ) , रोहित की माँ , पिता जी , रोहित की बहाने छोटी एवं बड़ी , बुआ जी और फूफा जी | कुसुम बैठी सज ही रही थी तभी अंजली भागी भागी आई और बोली चल नीचे चलना है , अरे ये क्या तूने तो फाउंडेशन ज्यादा लगा लिया है , कितनी बुरी लग रही है , तू तो पहले से ही गोरी है क्यों पोत लिया इतना ज्यादा , ले ये ले ये बाली लिपस्टिक लगा  तेरी साड़ी से मैच करेगी | कुसुम ने मुँह टेढ़ा करते हुए कहा तब से कहा मर गई थी मैं अकेली तैयार हो रही थी और उसके हाथ से लिपस्टिक लेते हुए कहा | अंजली ने मुस्कराते हुए कहा - मेरी जान तू तो बहुत सुन्दर लग़ रही है मैं तो मजाक कर रही थी | तेरा ऐसा मजाक हमे अच्छा नहीं लगता समझी - कुसुम ने जोर देते हुए कहा |

अंजली - हाँ हाँ अब क्यों अच्छी लगेगी हमारी मजाक तुम्हे |

चलो जल्दी सब लोग तुम्हारा बेसब्री से इंतजार कर रहे है |

कुसुम - कौन कौन आया है आंख चुराते हुए पूछा ?

अंजली - हस्ते हुए हाँ हाँ तुझे जिसे देखना है वो भी आया है |||

और दोनों लोग हसते हुए खड़े होगये और नीचे जाने लगी |


अंजली साथ साथ चलते चलते बोली मैं भी चलू या नहीं ?

कुसुम - क्यों चलो |

अंजली - अगर लड़के ने मुझे पसंद कर लिया तो |

कुसुम - तो तू शादी कर लेना | 

अंजली -तब तेरा क्या होगा |

कुसुम - मैं उस गली के गुंडे से कर लुंगी | और दोनों हसने लगी |

तब तक भाभी जी आगयी और बोली तैयारी पूरी हो गई हो तो अब चलते है वो लोग आपका इंतजार कर रहे है |

भाभी ने कुसुम की साड़ी संभाली और कान में कुछ कह कर समझाया कुसुम ने भी हाँ में सर हिला दिया |


कुसुम , भाभी जी , और अंजली तीनो एक साथ सीढ़ियों से उतारते हुए नीचे बाली रसोई घर में गई और वहां से चाय और खाने का सामान उठाते हुए घर के अथिति रूम में पहुंची | जहां पहले से ही काफी लोग बैठे थे , एक नजर जो बहुत देर से बेसब्री से कुसुम का इंतजार कर रही थी | सब लोग एक तक कुसुम को देखने में लग़ गए | रोहित ने एक लम्बी साँस लेते हुए एक नजर भर कर देखते हुए इधर उधर देखने लगा | कुसुम ने चाय की प्लेट मेज पर रखते हए हाथ जोड़ कर सबसे नमस्कार किया | नमस्कार करते हुए सब लोग रोहित को निहारने लगे | रोहित शरमाता हुआ नीचे देखने लगा |

अब कुसुम को सामने वाली चेयर पर बैठने को कहा गया | कुसुम शर्माती हुयी रोहित के सामने बाली चेयर पर बैठ गई | अब पूछ ताछ और परिचय का सिलसिला चलता रहा | फाइनली सबको लड़की पसंद आगयी थी | तो दूर के मामा जो शादी का रिस्ता लेकर आए थे उन्होंने इस ख़ुशी के मोके पर सबका मुँह मीठा कराया | अब कुछ लोगो ने लड़की और लड़के को अकेले में बात करने को कहा | इसमें घर बालो को कोई एतराज नहीं था तो सबने कुसुम और रोहित को अकेला छोड़ दिया | थोड़ी देर तक दोनों नजरे झुकाये चुपचाप बैठे रहे | फिर रोहित ने ही पहल करना सही समझा |

रोहित - अपना होठ दावते हुए , क्या करती हो आप 

कुसुम ने नजरे उठाई और रोहित को निहारते हुए , जी कॉलेज जाती हूँ , बीएससी फाइनल ईयर है |

रोहित - अच्छा , आगे क्या विचार है ?

कुसुम - मैं तो आगे भी पढ़ना चाहती हूँ , बाकी घर वालो के मर्जी , द्वी दबी आवाज में कहा - और आप क्या करते हो ?

रोहित थोड़ा मुस्कराया और बोला मैं जॉब करता हूँ |

कुसुम - कहाँ ?

रोहित - एनसीआर में , प्राइवेट कम्प्नी में |

कुसुम - अच्छा है |

बस दोनों बात कर ही रहे थे के कुछ लोग अंदर आने लगे | अब जब सब कुछ ठीक लग़ रहा था बाकी सब लोग आगये और फिर .........


 खाना पीना किया गया और बो लोग बापस चले गए | निश्चित किया गया पंडित जी से पूछ के रिंग सेरेमनी का प्रोग्राम फिक्स करने को कहा गया ||||| 


इस सब की  खबर किसी ने गली के गुंडे भोलू को सुना दी | उसका तो मनो खून ही खौल गया उसकी आंखे लाल पेली होने लगी | उसने अपने एक बफादार को समझा कर भेजा और कहा के तू कुसुम से जाकर कहना के बो उस शादी के लिए न कह दे नहीं तो भोलू सब कुछ तबाह कर देगा | और परिणाम भयंकर होगा | बोलना भोलू कुसुम को चाहता है और उसे दुल्हन बनाना चाहता है | उसके लिए कुछ भी कर सकता है | ये बात जा कर जब कुसुम को सुनाने को मिली तो वो तो घबरा गई | बेचैन होने लगी उसने अपने मन में सपने सजाना शुरू ही किये थे के उनपर ग्रहण लगने वाला था | बो भागी भागी अंजली के पास पहुंची |\.............

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