google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Romantic hindi Story - A girl in the house in HIndi , Hinid kahani | Rochak kahani | Majedar kahaniya | Hindi kahaniya new

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Romantic Story -A girl in the house Majedar kahaniya

Rochak kahaniya


Hindi Kahani

खुशबू घर की सफाई कर रही थी | वो हाथ में पौछा लिए जमीन पर लगभग लेट लेट कर पौछा लगा रही थी |  उसका पोशाक इस तरह का था के खड़ा हुआ कोई उसे देखे तो उसके लगभग बहार झकते हुए बक्ष दर्शन हो जायेगे | कौन नहीं देखना चाहेगा उसका तन एक दम गदरीला और भरा हुआ था | बक्ष स्थल काफी उभरा हुआ था |कमर पतली और लचीली और जगहे मसल थी | दिखने में बेहद खूबसूरत और काफी आकर्षक थी खुसबू | नयन नक्श में कोई कमी नहीं थी परिपूर्ण सुंदरी लगती थी | भगवन ने शायद उसे फुरत से तो बनाया था लेकिन उसकी किस्मत नहीं | घर की आर्थिक स्थिति ख़राब थी इसलिए पढ़ना लिखना तो दूर सजने सबरने का भी मैका नहीं लगता था | दुसरो के दिए हुए कपड़ो से ही गुजरा चल रहा था | उसे कभी कभी अपनी माँ के साथ अमीरजादों के घर काम करवाने जाना पड़ता था | आज उसकी माँ नहीं आयी थी तो राज साहब के यहाँ अकेली काम करने आयी थी |

 अंदर बैड रूम में राज साहब और प्रिया जी थे उनके बीच प्रातः प्रेम प्रसंग चल रहा था | दोनों एक दूसरे की बहो में झूल रहे थे | अर्ध नग्नता की स्थिति में दोनों का चुंबनों का दौर चल रहा था | खुसबू घर की सफाई करते करते बैड रूम की और बढ़ी | दरबाजे को थोड़ा सा खोला ही था के उसने बो नजारा देखा | जब उसकी नजर सामने गयी थी तब प्रिया जी और राज के होठ आपस में लम्बे समय से एक दूसरे का हल चल पूछ रहे थे | उसके लिए प्रेम प्रसंग देखना नया नहीं था | कई बार पहले भी मैके लग चुके थे कई और घरो में | मगर ये बाला कुछ नया सा था उसके लिए | इस तरह से होठो मिलना उसने पहले नहीं देखा था |

 क्या देख रही हो ? तेज आवाज उसके कानो में गयी | डाटते हुए प्रिया जी ने कहा | 
खुसबू ने कहा - कुछ नहीं मेम मैं कमरा साफ करने आयी हूँ |
प्रिया - तो दरवाजा खटखटा के आना चाहिए था | 
खुशबू - सॉरी मेम पता नहीं था |
प्रिया - क्या पता नहीं था ?
खुशबू - यही की आप लोग है यहाँ |
राज ने दोनों को टोकते हुए कहा - चलो ठीक है आगे से ऐसे मत आना |
खुशबू ठीक है कहते हुए अपने काम में लग गयी |

देखो सभ्यता नाम की कोई चीज ही नहीं है | शर्म नाम की चीज ही नहीं है | अच्छा खासा मूड ख़राब कर दिया सुबह सुबह प्रिया गुस्से से तमतमाती हुयी बोली | 
राज ने कहा - गलती उसके नहीं है हमें दरवाजा बंद करना चाहिए था | 
प्रिया - अरे अपने ही घर में कौन कैद होना चाहेगा |
राज - कैद कौन कर रहा है | चलो अब तैयार हो जाओ और ऑफिस का टाइम हो रहा है |
प्रिया मुँह टेड़ा करते हुए बाथ रूम में चली गयी |
राज अधूरा अधूरा महसूस कर रहा था | उसके मन में छिनालपना जन्म ले चुका था | अब बो खुसबू को घूर के देख रहा था |
सोच रहा था कच्ची कली अब परिपक्व होती जा रही है और तरह तरह के दुर्विचार सोचने लगा |
 इधर खुसबू पर डांट का कोई असर नहीं हुआ | वो काम तो कर रही थी लेकिन अब उसका सर चकरा रहा था | बस उसके आँखों के सामने वो दृश्य आ रहा था | राज उसे घूरता रहा वो अपना काम ख़त्म करके दूसरे घर चली गयी |
 


    उसका मन फिर भी काम में कम सोचने में ज्यादा लगा पड़ा था | अब उसे गुप्ता जी के यहाँ भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला | मिस गुप्ता जी बेहद ही छोटे कपड़ो में हाथो में तौलिया लिए अपने बदन को साफ कर रही थी देखने से मालूम पड़ रहा था जैसे वो अभी अभी स्नान कर के निकली हो | और सामने बड़ा सा टेलीविज़न चल रहा था | उसमे में भी एक अधेड़ व्यक्ति एक लड़की के साथ प्रेम प्रसंग में लिप्त पाया | ऊपर से मिस गुप्ता जी भी उसे देख कर उत्तेजित हो रही थी | और उनकी आँखों से साफ प्रेम की प्यास टपकती नजर आरही थी | खुसबू का मन और भी मचलने लगा | मिस गुप्ता की नजर जब फर्श पर बैठी खुसबू पर पड़ी तो उन्होंने उसे अपने शरीर पर नारियल तेल की मसाज करने को बोला |  मसाज करते समय मिस गुप्ता जी ने उससे अपने तरीके से कुछ काम कराये जिससे खुसबू की जिज्ञासा की भूख और भी बढ़ने लगी | मिस गुप्ता जी ने जो करवाया उससे बो अनजान नहीं थी | बो बहुत कुछ समझ चुकी थी | 

  शाम को घर पहुंची दिन भर का घटनाक्रम उसके दिमाग में चल रहा था | खाया पिया और सोने चली गयी | दो छोटे छोटे कमरों का किराये का घर था | माँ बाप , भाई बहन को मिला के आठ लोगो का परिवार | बड़े बच्चे एक कमरे में ठुस जाते थे और माँ बाप और छोटे भाई बहन दूसरे में | वैसे ये कोई नया नहीं था लेकिन आज उसे नींद नहीं आरही थी | बहुत देर करवाते बदलते बदलते कुछ समय व्यतीत हो गया | थोड़ी बाद उसके कानो में आवाजे सुनाई दी | उसने अपने आस पास देखा भाई बहन तो सो रहे है | आवाजे लगातार आरही थी | बो बहार आयी तो पता लगा के आवाज तो बगल बाले कमरे से आरही है | उसने झाँक के देखा तो जाना ये आवाजे तो अश्लील है | वो लोग रति क्रिया में मग्न थे | जिज्ञासा बस उसने पूरा कार्यक्रम देखा | उसके बाद अपने स्थान पर आ कर लेट गयी | और अब बो भी अपने साथ इसी प्रकार की परिकल्पना करने लगी और मिस गुप्ता बाले काम याद आये तो करने लगी और कामोत्तेजना के समंदर में गोते लगाने लगी | स्थिति ये थी कि अब बो भी सब कुछ करना चाहती थी | देर रात जब उसे ठंडक महसूस हुयी तब जा के उसे नींद आयी |

   आज के समय में अश्लीलता अपने चरम पर पहुंच चुकी है | अपने आस पास हर जगह जहा देखो अश्लीलता , नग्नता  अपना सौंदर्य विखेरने में लगी पड़ी है | टेलीविज़न देखो तो चुम्बन सीन , अर्ध नग्नता , यह तक कि किसी किसी नाटक या फिल्म में तो बलात्कार जैसी घटनाये दिखा के बालको के मन में और भी जिज्ञासा भड़का देते है | न्यूज़ पेपर में देखो तो मनोरंजन पेज में भी यही सव देखने को मिलता है | मोबाइल फोन में , इंटरनेट पर आवश्यकता से अधिक सामिग्री मिल जाती है युबाओ को जिससे इनके दिमाग में और भी अश्लीलता की तारे बढ़ने लगती है | जिसकी बजह से आज के लोग और बच्चे उत्तेजना के शिकार होते जारहे है | और मानसिकता भी सिर्फ और सिर्फ वही तक सीमित होती जारही है |

 अगले दिन सुबह सुबह मिस्टर राज के यहाँ पहुंची राज मर्रा का काम करने लगी | सयोग बस आज प्रिया जी अपने दोस्त के यहाँ नाईट पार्टी करने गयी थी | मिस्टर राज से रहा न गया और उन्होंने रसोई में काम कर रही खुसबू को पीछे से पकड़ लिया | खुसबू समझ चुकी थी ये मिस्टर राज है | उसने विरोध नहीं किया वो खुद इस समंदर में गोते लगाना चाहती थी | मिस्टर राज उसके बक्ष स्थल को सहला रहे थे और उसके गर्दन पर चुंबनों की झड़ी लगा चुके थे | धीरे धीरे खुसबू ने इस प्रसंग में सारी क्रियाये प्रतिक्रियाएं की | आलम ये था के बंजर सूखे कौतूहल पर प्रेम रुपी सावन बरस चूका था | 
   इतने में प्रिया जी का आगमन हो गया | उन्होंने सारा नजारा देखा और उस नज़ारे की गवाह बनी | अपने पति और खुसबू पर इस कृत्य के लिए  भड़क रही थी | और खुसबू को छिनाल नाम से सम्बोधित कर रही थी | खुसबू का सर झुका हुआ था |
प्रिया - छिनाल तेरी हिम्मत कैसे हुयी ये करने की , तेरी उम्र क्या है , आग लग रही थी क्या |

    खुसबू ने नज़रे झुका के जवाव दिया - जब आपको शर्मा अंकल की बहो में देखा फिर कल शाहब के साथ देखा , फिर मिस गुप्ता जी ने मेरे से अपने गुप्तांगो की मसाज कराई , फिर जब मैंने अपने घर  पर अपने घर वालो का premprasang देखा |
बताओ मैं अपने आप को कहाँ तक सुरक्षित रख पाती - खुसबू ने प्रश्न किया ?
 अब सब शांत थे कोई किसी से आंखे नहीं मिला पा रहे थे |

अब मेरा सवाल आप लोगो से है | बताओ इसमें किसकी गलती है ? 
खुसबू की या अपने आस पास के बाताबरण की ? 
अगर आप कहानी पढ़ रहे है तो जवाव जरूर देना |


Note - this story not in support of vulgarity, its a massage for all the people who doesn't mind these happenings .
Thanks,  


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