वेब सीरीज कॉल सेंटर हिंदी कहानी भाग -9 | Call Center - Hindi kahani Part - 9
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नोट - इस हिंदी कहानी के पिछले भाग पढ़ने आवश्यक है , अन्यथा कहानी समझ नहीं आएगी |
अब तक अपने हिंदी कहानी मे पढ़ा की नैना और सुलेखा ने मिल कर माया को फ़साने का प्लान बना लिया था , और माया को बापस उसके पुराने काम पर लगाने का प्लान तय हो चुका था , लेकिन माया और सोमेश मिल कर कुछ खिचड़ी पकाने लगते है , जिसका अंदाजा नैना को बिलकुल भी नहीं था |
अब आगे |
Hindi Kahaniya :-
माया को मिस्टर डीके के पास जाने के लिए आखिर तयारी करनी ही पड़ी , और अब उसने अपना हैंड बैग गुस्से से झल्लाते हुए उठाया और तेज कदमो के साथ बियर बार से बहार आने लगी | माया और सोमेश ने ड्रिंक करना स्टार्ट ही किया था , अभी वोडका का असर ठीक से हुआ भी नहीं था कि माया का तो नशा ही उतर गया , जैसे ही माया गेट से बहार गयी , सोमेश ने भी अपना बियर का ग्लास खाली करते हुए , जल्दी से बाहर आ आ कर माया को आवाज लगाई |
ओ हेलो मेडम , माया , रुको |
माया ने पीछे देखा तो सोमेश उसे आवाज दे रहा था , माया ने अपने कदम रोक लिए ,
सोमेश माया के पास पंहुचा तो देखा माया की आँखों में आँसू और जलन दोनों दिख रहे थे |
सोमेश कुछ बोलता उससे पहले ही माया ने चीख कर बोला " साला अब फिर से वही काम करना होगा वो भी कल की आयी लड़की के इशारो पर " |
सोमेश कुछ नहीं बोला , थोड़ी देर दोनों शांत खड़े रहे , माया अपने आँसू पौंछती रही |
फिर सोमेश ने धीरे स्वर में कहा - माया , ऐसे कब रोटी रहोगी , कुछ करना पड़ेगा , नहीं तो एक दिन लात मर के भी निकल दिए जायेगे , वो भी वहां से , जहा का मार्किट ही हम दोनों ने स्थापित करवाया था |
माया ने एक लम्बी साँस लेते हुए सिर्फ हाँ में सर हिलाया और फिर कुछ देर बाद सोमेश ने गाड़ी निकाली और दोनों गाड़ी में बैठ कर वहां से निकल गए |
इधर आज कल सुलेखा ज्यादातर नैना के फ्लैट पर रूकती थी , सुलेखा ने दो ग्लास में वोडका डालते हुए नैना से खुस होकर कहा - नैना माया का तो खेल ख़त्म कर दिया तुमने , वो अब मिस्टर डीके को खुस करने में लग गई होगी , अब सोमेश का क्या करोगी ??
नैना ने ग्लास उठाते हुए पहले तो पूरा ग्लास एक ही साँस में ख़त्म किया और फिर मुँह बनाते हुए कहा - सुलेखा बेबी अभी तुम बच्ची हो , तुम माया को नहीं जानती हो ?
और न ही तुम मुझे जानती हो |
सुलेखा के चेहरे की हसी गायब सी हो गयी , फिर उसने आश्चर्य से पूछा - नैना मैं कुछ समझी नहीं |
नैना हसने लगी , फिर बोली देखती जाओ आगे क्या होता है |
सुलेखा - मुझे भी तो बताओ क्या करना चाहती हो ?
नैना - तुम्हे क्या लगता है , मेने माया को मिस्टर डीके को खुस करने के लिए ये प्लान बनाया है ? नहीं , मेने ये प्लान माया को मिस्टर डेविड के दिल से निकलने के लिए बनाया है |
सुलेखा - वो कैसे ?
नैना - वो ऐसे , तुम नहीं जानती , माया किसी भी कीमत पर मिस्टर डीके के पास एक हप्ते के लिए नहीं जाएगी , और बो एक हप्ते के लिए नहीं जाएगी तो फिर डीके अपनी डील बापस लेलेगा , और मिस्टर डेविड को करोडो का नुकसान हो जायेगा और मिस्टर डेविड को करोडो का नुकसान बिलकुल भी बर्दास्त नहीं होगा , फिर तो जो होगा बो देखा जायेगा |
सुलेखा - तालियां बजती हुए खड़ी हुयी और थ्री इडियट के अंदाज में अपना पजामा उतारते हुए , "तुसी ग्रेट हो " तोफा कुबूल करो , और सलामी ठोकने लगी ||
AAP PADH RHE HAI HINDI KAHANIYA
सुलेखा के इस अंदाज को देखते हुए नैना पहले तो बहुत जोर जोर से हसने लगी और फिर सुलेखा के कमर पर हाथ रखते हुए बोली , इसे संभल के रखो , बहुत काम आने वाला है और फिर से हसने लगी ??
और फिर सुलेखा ने आगे कुछ नहीं बोला और दोनों फिर से वोडका में व्यस्त हो गयी |
दोनों ने थोड़ी देर और एक दो पेग और लिए उसके बाद सुलेखा तो सोने के लिए बिस्तर पर चली गयी , और नैना ने फिर से एक बड़ा सा पेग ग्लास में डाला और गिलास में झाकते झाकते कुछ सोचने लगी और फिर से अपने अतीत में चली जाती है ||
पता है हिमेश , आज मेने तुम्हारे बारे में अपनी सबसे करीबी सहेली को बताया है |
हिमेश - रियली , किसे बताया है और क्या बताया है ?? जरा मुझे भी तो बताओ , हिमेश ने कॉलेज की फुलबारी में कोने बाली शीट पर बैठे नैना का हाथ पकड़ते हुए पूछा ?
हिमेश के हाथ के हाथ की छुअन महसूस करते ही नैना सहम सी गयी , उसके बदन में एक धीमा सा बिजली का करंट सा दौड़ने लगा , उसके पैर थर थर कापने लगे थे , उसके रोंगटे खड़े हो गए और सांसे अपने सामान्य गति से तेज होने लगी थी | जब नैना को बर्दास्त से बहार लगा तो उसने धीरे से अपना हाथ हिमेश के हाथो से छुड़ाते हुए कहा - अपनी माँ से |
हिमेश भी समझ चुका था की जरूर नैना असहज महसूस कर रही होगी , उसने भी स्थिति के साथ सामजस्य बिठाते हुए नैना को कंधो पर पकड़ते हुए उसे सहज महसूस कराया और अपनी बातो को जारी रखा |
हिमेश - अच्छा तो तुमने अपनी माँ को बता दिया अपने बारे में |
नैना ने सर हिलाते हुए हां कहा |
हिमेश ने अपना निचला होठ दांतो से दबाते हुए फिर से पूछा तो क्या क्या बताया माँ को ??
नैना ने तपाक से कहा - की हम अच्छे दोस्त है और एक दूसरे को पसंद करते है |
हिमेश - अच्छा तो माँ ने क्या कहा |
नैना - माँ ने कुछ नहीं , कहा की किसी बुलाओ दोपहर के खाने पर , तुमसे मिलना चाहती है माँ |
हिमेश खुस होते हुए तो - बताओ बताओ , कब बुला रही हो अपने घर ?
नैना - हिमेश की नाक पकड़ के झिझोड़ते हुए , बहुत जल्द आने बाले हमारे घर |
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अच्छा मैं अभी चलती हूँ , मुझे साइंस की क्लास लेनी है और फिर मुझे आज जल्दी घर निकलना है |
हिमेश - जल्दी क्यों ?
नैना ने अपनी आंखे झुकाते हुए - बस ऐसे ही , माँ की तबियत ख़राब है इसलिए |
अब हिमेश ने भी ज्यादा सवाल जवाव नहीं किया और दोनों अपने बैग्स लिए और चल दिए |
फिर क्लास करने के बाद जब नैना घर पहुंची तो देखा , माँ बेड पर लेटी है , उसके आँखों में आँसू थे , उनेक बाल भी बिखरे हुए थे , और उनके शरीर पर हल्के हल्के चोट के निशान थे , उनका हुलिया भी बिगाड़ा हुआ था , उन्हें देख कर कोई भी पता कर सकता था कि उनको किसी ने प्रताड़ित किया है |
नैना ने बिना कोई सवाल किये भरे हुए गले और नम आँखों के साथ अपनी माँ को सँभालने लगी , उसने माँ के आंसू पूछते कहा - माँ चुप हो जाओ , अब हम इस घर में ज्यादा दिन नहीं रहेंगे , जल्दी ही कही दूसरी जगह चलेंगे | उस समय माँ के पास बेटी को गले लगाने के सिवाय और कुछ शब्द नहीं थे , दोनों गले लग कर जी भर के रोती रही , उन्हें संभालने बाला कोई नहीं था , फिर खुद को संभालते हुए नैना ने अपने और माँ के आंसू पौछे , और घर का बिखरा पड़ा सामान सही से लगाने लगी | तभी उसे सामने वाले कमरे से कुछ मादक आवाजे सुनायी दी | उसने तुरंत कमरे की खिड़की के पास जा कर खिड़की की दरार से झांक कर देखा तो देखते ही उसने अपनी आंखे बंद करली और बापस अपनी माँ के पास आ कर फफक फफक कर रोने लगी , अब समझ चुकी थी की आज उसकी माँ की दुर्दशा का कारण क्या है | उसने अपने पिता को आज पहली बार किसी दूसरी महिला के साथ भोग करते हुए रेंज हाथो देखा था , उसके आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे |
अब माँ बेटी अपने ही घर के एक कोने में एक अजनवी की तरह बैठी थी , आखिर कर भी क्या सकती थी , आखिर इतना अच्छा खासा परिबार टूट चुका था , नैना सोच रही थी की पापा इतने गिर चुके है या उनकी कोई मजबूरी है जो अपनी पत्नी के रहते उसी के सामने किसी अन्य महिला के साथ बिस्तर साझा कर रहे है ???
जब नैना से रहा नहीं गया तब उसने जा कर समने वाले कमरे का दरवाजा खटखटाया , बहुत देर खटखटाने के बाद , उस कुल्टा मीरा ने दरवाजा खोला , बो लगभग अर्ध नग्न अवस्था में थी , केबल अपने बक्शो पर तौलिया लपेटे हुए थी | दरवाजा खोलते ही उसने जैसे अपने सामने नैना को रौद्र रूप में पाया तो पहले तो थोड़ा सहम सी गयी , फिर उसके बाद कड़े स्वर में बोली - बोलिये क्या चाहिए ??
नैना - आपको क्या चाहिए इस घर से जाने का ?
मीरा - इस घर से क्या मतलब ?
नैना - ये मेरे मम्मी और पापा का घर है तुम्हारे हस्बैंड का नहीं |
मीरा - जोर से हस्ते हुए , पहले नहीं था , अब मेरे हस्बैंड का ही है ये घर ||
नैना का गुस्सा और भी बढ़ चुका था , आपको शर्म आनी चाहिए , किसी और के पति को अपना पति बताते हुए ??
मीरा - बेटी , अब आपके पापा हमारे भी पति है !
नैना - क्या ??
मीरा - हाँ , कल ही हमने कोर्ट मरीज और फिर मंदिर में शादी की है |
अब क्या था , नैना के पीछे कड़ी उसकी माँ ने जब ये लफ्ज सुने तो उनके पैरोतले जमीन खिसक गयी थी , उन्हें चक्कर आया और बेहोश हो कर बो गिर चुकी थी , अब नैना सब छोड़ के अपनी माँ को सँभालने लगी | उसने पानी ला कर दिया और फिर अपने एक पड़ोसी की मदद से अपनी माँ को डॉक्टर के यहां ले कर गयी |
इतना सब होता रहा लेकिन बसंत ( नैना के पापा) कमरे से बहार तक नहीं निकले | रात भर नैना और उसकी माँ हॉस्पिटल में रहे लेकिन , बसंत और मीरा को अपनी सुहाग रात मानाने से फुर्सत नहीं मिली | फिर अगले दिन मैंने (नैना ) कोर्ट जाने का फैसला किया , वो इसलिए क्युकी , एक पत्नी के रहते दूसरी शादी कैसे कर सकते है | फिर मैंने सारी बाते हिमेश को बताई तो बो भी बहुत परेशां हुआ ये बात सुनकर |
माँ के जान पहिचान के बकील थे उनको सारी बाते बताई और फिर कोर्ट में केस कर दिया , केस की तारीखे चलती रही , इसी दरमियान हिमेश और मीरा का भी आमना सामना हो चुका था , मैं तो अपने एक परेशानी में ही व्यस्त थी , लेकिन उधर न जाने मीरा ने हिमेश को क्या दिया , क्या नहीं , अब हिमेश मीरा के चंगुल में फसने लगा था , इस बात की भनक नैना को लग्न शुरू हो चुकी थी |
एक दिन जब नैना और हिमेश हमेशा की तरह , उनकी पसंदीदा जगह पर बैठे थे तो , हिमेश का फोन बजा और उसने फ़ोन निकला तो उसकी स्क्रीन पर मीरा मेम करके डिस्प्ले शो कर रहा था , नैना को शक हुआ , कही मीरा हिमेश को तो नहीं टारगेट कर रही |
हालाँकि नैना के पूछने पर हिमेश ने कोई और कह के बात टाल दी | लेकिन ऐसा नहीं था |
और नैना ने एक दम से पूरा पेग ख़तम किया और , वही सोफे पर ही अपनी आंखे बंद करके मुँह पर तकिया रख के जोर चीखती हुए रोने लगी , तकिया होने की बजह से आवाज बाहर नहीं आयी ......
और फिर नैना बेइम्तहा रोती रही .......................
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धन्यबाद !
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