google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Horror Story Hindi : Hindi Horror stories

Horror Story Hindi : Hindi Horror stories

 

Horror Story Hindi : Hindi Horror stories



Hindi Horror stories : Khooni Stree - खूनी स्त्री 

रसूलपुर गांव की गलियों में सूरज डूबने से पहले ही सन्नाटा पसर जाता है , घरो के दरबाजो में अंदर से कुंडियां लग जाती है, गांव के लोग उगता हुआ सूरज तो देख सकते है लेकिन डूबता सूरज देखने का मतलब उनके लिए मौत को गले लगाने बाला होता है | 

राजेश को लग रहा था की आज उसने खुद मौत को गले लगा लिया है , सूरज ढलने बाला था और बो अभी भी अपनी पत्नी मेरी के साथ रसूलपुर की सूनसान सन्नाटे भरी सड़क पैदल चला आ रहा था | बो जल्दी जल्दी चलते हुए कुछ बड़बड़ाये जा रहा था , जिससे उसकी घबराहट और भी बढ़ती जा रही थी |

राजेश ने पीछे मुड़ कर देखा तो मीरा अभी भी उतनी फुर्ती से नहीं चल रही थी, 

राजेश ने कहा (गुस्से से ) - अरे मेरी जान की दुश्मन जल्दी से अपने कदम बढ़ा ले , लगता है आज तो यक्षिणी मेरा शिकार कर के ही रहेगी ,

 मीरा ने जल्दी जल्दी बढ़ाये और कहा - मैंने थोड़े न इतना राशन खरीदने के लिए कहा , मेरी कोनसी संतान बैठी है जो रो रही है , ये सब तो तुम्हारे कुनबे के लिए सर पर बोझा ढोके ले जा रही हूँ |

मीरा की तीखी जुबान सुन कर पहले से गुस्से में चल रहा राजेश उस पर अपना हाथ उठा दिया |

राजेश - एक तो तू बांज है , ऊपर घर वालो की सेवा नहीं करेगी तो फिर क्या करेगी ?


गांव की किसी भी स्त्री पर अत्याचार हो और यक्षिणी न आये ऐसा तो सम्भब ही नहीं था , यक्षिणी राजेश के रास्ते में आ कर खड़ी हो गयी ||

अपने सामने यक्षिणी को देख कर राजेश के होश ही उड़ गए , उसे अब अपने प्राणो की चिंता होने लगी ,

वो हाथ जोड़ कर यक्षिणी से अपने प्राणो की भीख मांगने लगा ,

यक्षिणी ने कहा (डरावनी आबाज में ) - अगर तेरी पत्नी माँ नहीं बन सकती तो इसमें उसका क्या दोष है , तू उसे प्रताड़ित करता है , तेरे परिबार बाले उससे गधो को तरह काम लेते है और दो साल बाद उसके साथ भी वही करोगे जो 10 साल पहले एक निर्दोष , निर्वल अबला के साथ तुम गांव बालो ने किया था , याद करो उसे तुमने कितनी दर्दनाक मौत दी थी , वो अपने ऊपर जुल्म न करने की भीख मांगती रही और तुम उस पर पत्थर बरसाते रहे ||


राजेश यक्षिणी के पैरो में गिर गया और अपने किये पर शर्मिंदा हो कर उससे माफ़ी मांग रहा था 

राजेश " मुझे माफ़ करदो , मैं पूरे गांव में चिल्ला चिल्ला कर कहूँगा की तुम्हारे साथ नाइंसाफी हुई है "

यक्षिणी ( जोर जोर से हसने लगी ) - तू मुझे इंसाफ दिलाएगा , हा हा हा , याद रखना , पूरा गांव इसका खामियाज़ा भुगतेगा |


यक्षिणी ने राजेश को उसकी गार्डन से पकड़ के आसमान में उछाल दिया , 

यक्षिणी जोर जोर से हस रही थी .... हा हा हा 

राजेश के मुँह से जोर की चींख निकल रही थी , उसकी चीख इतनी तेज थी की गांव के लोग घरो के अंदर उस चीख को सुन सकते थे | ये चीख लोगो के अंदर डर और भय को और भी बढ़ा दिया था ||

लोग समझ गए थे की आज फिर कोई  यक्षिणी का शिकार बन चुका है |


राजेश आसमान से उल्टा सर के बल जमीन पर आ कर गिरा उसकी गार्डन टूट जाने की बजह से मौत हो गयी |

मीरा रात भर वही अपनी पति की लाश के साथ बेहोश पड़ी रही ||

सुबह लोगो ने देखा तो पूरे गांव में सनसनी फ़ैल गयी , यक्षिणी का एक और शिकार देख कर लोग भयभीत हो रहे थे ||


सयोग बस एक दिन उस गांव से एक सिद्धपुरष गुजर रहे थे , उन्हें रास्तेभर की थकान से गाला सूख रहा था तो आज रात इसी गांव में गुजरने का सोचा |

उन्होंने गांव के अंदर जा कर देखा तो गांव में सन्नाटा पसरा हुआ था , सभी घरो के दरवाजे बंद थे , साधु आश्चर्य में पड़ गए ||

साधु - बिचित्र गांव है , अभी तो सूरज भी नहीं ढला और गांव के सभी लोग दरवाजा बंद करके सो रहे है , क्या एक रात ठहरने का कोई स्थान नहीं मिलेगा ||


फिर साधु ने एक घर का दरवाजा खटखटाया , 

अंदर से आबाज आयी (डरते हुए ) - जी क्कोन... कौन है दरवाजे पर 

साधु - मैं एक साधू हूँ, दरवाजा खोलो .. मुझे पीने का पानी चाहिए |

रजनी ने फिर से पूछा (कांपती हुई आबाज में ) - क्या आप बाकई में बाबा है ??

साधू - डरो नहीं बेटा , मैं एक सिद्धि प्राप्त साधक हूँ ..

रजनी दरबाजा खोला और साधू को पीने को पानी दिया ...

साधू - ये गांव अजीव नहीं है , इतना सन्नाटा और सभी लोग शाम होने से पहले ही घरो के अंदर बंद है |


रजनी ने साधू को अंदर आने को कहा फिर साधू को उसने यक्षिणी के बारे में बताया 

रजनी - बाबा सूरज ढलने के बाद यक्षिणी गांव की गलियों में घूमती है , घर से बाहर अगर कोई मर्द मिला तो उसे उठा के ले जाती है और दर्दनाक मौत देती है ||


साधू ने गांव को यक्षिणी के प्रकोप से मुक्त कराने का वादा किया और बरगद के पेड़ के नीचे बैठ कर मंत्र उच्चारण करने लगे ..

यक्षिणी अपना शिकार बनाने के लिए साधू तक पहुंच गयी , लेकिन साधू ने अपनी सिद्धि प्राप्त शक्तियों से यक्षिणी को अपने मंत्रजाल में बांध लिया था |

साधू - क्यों इस गांव के निर्दोष लोगो को अपना शिकार बनती हो |

यक्षिणी - हे सिद्धपुरुष तुम मेरी लड़ाई के बीच में न पड़ो तो गांव बालो के लिए अच्छा होगा |

साधू - हे यक्षिणी मैं तुम्हारी लड़ाई ख़तम करना चाहता हूँ 

यक्षिणी - मेरी लड़ाई कभी ख़त्म नहीं होगी , मैं इन्हे दण्डित करती ही रहूगी |

साधू - आखिर क्या बिगाड़ा है तुम्हरा गांव बालो ने 


साधू के आग्रह करने पर यक्षिणी ने अपने ऊपर हुए अत्याचार और गांव की कुरीति के बारे में बताया ...

यक्षिणी - मैं ही नहीं इस गांव में कोई भी स्त्री अगर किसी संतान को जन्म नहीं दे सकती तो इस गांव के लोग उसके साथ बर्बरता के साथ दानवो बाला व्यबहार करते है , उस स्त्री को ये अपने समाज और कुल के लिए अशुभ और अमंगलकारी मानकर उसे दण्डित करते है , गांव की परम्परा बता कर एक अबला नारी को बरगद से उल्टा लटका कर स्त्री के अंगो को अधजला कर गहरे सूखे पड़े कुए में मरने के लिए फेक देते है ||

ये कहाँ का दंडविधान है एक निर्दोष और निर्वल के साथ पाप करने बालों की यही सजा है |

यक्षिणी की कहानी सुनकर साधू को उस पर बहुत दया आयी |

साधू - तुम्हारे अतीत के बारे जान कर मुझे तुम्हारे लिए बुरा लग रहा है , तुम्हारे साथ गांव बालों ने बहुत बुरा किया ,लेकिन कब तक दंड देती रहोगी , अब तुम इन्हे माफ़ करदो , मैं तुम्हे मोक्ष प्राप्ति की विधि कराऊंगा |

यक्षिणी को साधू की बात समझ आ गयी , बो इस गांव को अपने साये से मुक्त करने के लिए तैयार तो हो गयी 

लेकिन एक शर्त पर 

साधू - कैसी शर्त 

यक्षिणी - गांव में किसी भी स्त्री के साथ उत्पीड़न और इस तरह की बर्बरता दुवारा न दुहरायी जाये, |

गांव के मुखिया ने आगे आ कर हाथ जोड़ कर यक्षिणी से अपने पाप कर्मो के लिए क्षमा मांगी और भविष्य में समाज की सभी स्त्रियों को उनके हिस्से का सम्मान देने का वादा किया |

यक्षिणी को मोक्ष प्राप्त कराने के लिए उस सूखे कुए से यक्षिणी के अबशेषो को निकाल कर विधि पूर्बक नदी में प्रबाहित किया गया ||

सुना है उसके बाद गांव में फिर ऐसी कोई भी बारदात सुनाने को नहीं मिली ... शायद यक्षिणी को मुक्ति मिल गयी थी || एक बुरी कुप्रथा के चलते गांव के सैकड़ो निर्दोषो को जान गवानी पड़ी , हर इंसान को जीने का अधिकार है , उसे उसके अधिकार से बंचित न करे ,साबधान रहे  अंधविश्वास को अपने  अंदर न पनपने दे ||



Hindi Horror stories : Yashini ka badala - यक्षिणी का बदला ...

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नंदिता अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर रही थी ,कॉलेज  में उसकी मुलाकात मुकेश से हुई , रोज की मुलाकातों से उनकी नजदीकियां बढ़ने लगी, दोनों में न जाने कब प्यार हो गया उन्हें पता ही नहीं चला |


नंदिता एक साधारण गरीब परिबार की लड़की थी , वही मुकेश अमीर और ऊँचे खानदान का इकलौता बारिश था | वो कुछ अय्यास किस्म का लड़का था ,फिर भी नंदिता उसके प्यार में अंधी हो चुकी थी |

अब वो अक्सर गांव के बाहर मिला करते थे | 


कॉलेज के अंतिम साल में जब नंदिता के मम्मी पापा ने उसे आगे की पढ़ाई और उसके करियर के बारे में पूछा तो उसने आगे की पढ़ाई न करने और अपनी शादी करने के बारे में कहा |


उसकी मम्मी और पापा ने उसे बहुत समझाया की मुकेश ऊँचे घराने का लड़का है वो तुम्हे नहीं अपनाएगा , लेकिन नंदिता को एक भी बात समझ नहीं आयी , फिर उसके पापा ने मुकेश के पापा से अपनी बेटी के रिश्ते की बात की , वो भी अपने बेटे की ज़िद के आगे कमजोर पद चुके थे , न चाहते हुए भी उन्हें अपने बेटे मुकेश की शादी के लिए नीची जाती की लड़की नंदिता से शादी के लिए हां कहना पड़ा ...


उनकी शादी हो जाती है , शादी के कुछ दिनों बाद ,मुकेश अपने दोस्तों के साथ पीने खाने में पड़ गया था , अब उसके हालत बिगड़ती चली गयी , अब वो नंदिता को परेशान करने लगा था |


वो कई दिनों तक अपने बिगड़ैल दोस्तों के साथ शराब और सबाब का मजा लेने के लिए बाजारू लड़कियों के साथ आउटिंग पर जाने लगा था | वो अपने प्यार को भूल चुका था , वो नंदिता को केबल अपने घर की नौकरानी मात्र समझने लगा था |


मुकेश के बढ़ते जुल्म और अपनी दूसरी लड़कियों के साथ संबंध की बात नंदिता ने सहन नहीं कर सकी तो उसने मुकेश को उसके कामो के लिए बिरोध करना शुरू कर दिया था .


एक दिन जहाँ अक्सर नंदिता और मुकेश दोनों मिला करते थे वही ले जा कर कुए में धक्का दे कर नंदिता की हत्या कर दी ||

नंदिता के घर पर जब ये बात पता चली तो उसके मम्मी पापा को बहुत दुःख हुआ |

अब मुकेश अपने दोस्तों के साथ फिर से अपनी बुरी आदतों में शामिल रहने लगा ..


नंदिता की आत्मा को शांति नहीं मिल रही थी इसलिए वो एक यक्षिणी बन गयी और उसने मुकेश और उसके जैसे प्यार में विश्वाश्घात करने बालो को सबक सीखने की ठान ली ||


वो मनचलो और लड़कियों को खिलौना समझने बाले मर्दों को अपने अलग अलग सुन्दर और मनमोहिनी रूप धारण कर अपने जाल में फसा कर अपने करीब ले आती उनके साथ प्यार करने का नाटक करती , और जब वो उसके साथ संबंध बनाने के लिए कहते तो उन्हें अपने तेज नुकीले नाखूनों से उन्हें मौत के घाट उतार देती ...


अब तक नंदिता बहुत सारे फेकू आशिको को उनके कुकर्मो की सजा दे चुकी थी , लेकिन उसका गुनेहगार अभी तक उसकी पहुंच से बाहर था |

अब उसने अपना अगला शिकार बनाने के लिए मुकेश और उसके दोस्तों का पीछा करना शुरू कर दिया |


एक दिन रात को मुकेश और उसके दोस्त एक लड़की के साथ आउटिंग करने के लिए गाड़ी में जा रहे है |

रात के अँधेरे में उनकी गाड़ी लगातार चलती ही चली जा रही है , गाड़ी मुकेश ही ड्राइव कर रहा था |

काफी आगे निकल जाने के बाद , मुकेश को उस सूनसान रास्ते पर एक सुन्दर लड़की पारदर्शी कपड़े पहने हुए खड़ी नजर आयी , उसने कार की स्पीड धीरे काम करना शुरू किया और अपनी कार उस लड़की के बिलकुल साइड में जा कर रोक दी , तो उसके दोस्त श्याम ने कहा " अरे मुकेश तूने इतनी सूनसान जगह पर गाड़ी क्यों रोक दी है , अगर तुझे हल्का होने जाना है तो जल्दी जा , और चल यहाँ से 


श्याम की बात सुन कर मुकेश ने हस्ते हुए उसे कहा " अरे पागल तुझे ये सुन्दर सी लड़की खड़ी नहीं दिख रही है क्या ? इतनी रात को अकेली खड़ी है , जरा इसकी भी तो प्रॉब्लम को समझो "

श्याम और बाकी दोस्तों ने देखा तो बाहर कोई भी नहीं था ,


उसके दोस्त सुमित ने कहा " लगता है इसे ज्यादा चढ़ गयी है , सूनसान जगहों पर भी इसे लड़की दिखने लगी है " और सब हस पड़ते है |

मुकेश फिर से गाड़ी की स्पीड बढ़ा देता है |


मुकेश सोचने लगता है " मेरी आंखे ऐसे कैसे धोखा खा सकती है " और गाड़ी चलता रहा |

करीब आधे घंटे लगातार गाड़ी चलने के बाद वो उस आउटिंग हाउस पहुंच गए , लेकिन ये क्या यहां तो कोई दिख नहीं रहा ,


उस लड़की ने कहा " तुम तो कह रहे थे की ये तुम्हरे दोस्त का है वो इंतजार कर रहा है "

तो श्याम ने कहा " तुम क्यों टेंशन ले रही हो हम , सब सेट कर लेंगे "

गाड़ी का हॉर्न बजाने पर वहां से एक गार्ड निकला ..

उन्होंने उस गार्ड से एक दिन ठहरने के लिए कहा तो उसने मना कर दिया , लेकिन उसे पैसो का लालच देने पर बो मान गया , लेकिन उसने कहा की ये बात किसी को भी पता नहीं चलनी चाहिए ||


उन्होंने अपनी कार उस आउटिंग हाउस के अंदर पार्क कर दी , और उतर कर उसके अंदर चले गए |

वो थके हुए थे इसलिए जल्दी से कमरों में सोने के लिए चले गए ..


मुकेश को अभ भी उस घटना के बारे में विश्वास नहीं हो रहा था , उसे लग रहा था की उसकी आंखे गलत नहीं हो सकती |


उसने कमरे की खिड़की पर जाकर बाहर की और झाँका तो उसे मैं गेट पर वो ही लड़की खड़ी दिखी ...

अब उसका भरोषा और भी पक्का हो गया , उसने कहा " देखा मैंने कहा था न मेरी आंखे धोखा नहीं खा सकती , लेकिन कोई मानने को तैयार ही नहीं था |


सुन्दर और अकेली लड़की को देख कर उसके मन में लालच आ गया था , अब बो उससे मिलने के लिए बिना किसी को बीच बताये मेन गेट की और चल दिया ||

वहां जा कर उसने देखा की वो लड़की अब वहां नहीं है , अब मुकेश उस लड़की को अबाज लगाते हुए , उसे खोजने लगा ||

वो सोच रहा था जरूर ही वो लड़की यही कही होगी , वो इधर उधर देखता हुआ आगे चला जा रहा था |

फिर अचानक उसकी नजर सामने खड़ी लड़की पर पड़ी , वो पीछे से बहुत ही कामुक और आकर्षक दिख रही थी , उसे देख कर तो मुकेश की अब लार ही टपकने लगी थी ,

मुकेश ने उसे आबाज देते हुए कहा  " अरे सुनो , तुम वही लड़की हो न जो वहां पर लिफ्ट लेने के लिए खड़ी थी |"

अब नंदिता ने पलट के देखा वो मुस्करा रही थी उसने कहा " हाँ .. लेकिन तुमने तो मुझे लिफ्ट ही नहीं दी "

मुकेश तो उसके चेहरे को देखता ही रह गया , इतनी सुन्दर लड़की को मैंने लिफ्ट क्यों नहीं ||

वो उसके पास जाते बोला " मेरे कमीने दोस्त नहीं माने "

और उसने नंदिता का हाथ पकड़ लिया , और उसकी आँखों में देखते हुए कहा " तुम बाकई में बहुत खूबसूरत हो , तुम्हे इतनी रात गए अकेले नहीं होना चाहिए "


" अ जी छोड़िये , मैं इक्कीसवी सदी की लड़की हूँ , मुझे कुछ नहीं हो सकता है " नंदिता ने लुभाबनी शक्ल बनाते हुए कहा 

मुकेश अब इधर उधर देखने लगा और बोला " ये तो सही कह रही हो "


अब नंदिता बिना कुछ कहे वहां से जाने लगी ... मुकेश ने कुछ सोचा और फिर उसका पीछा करने लगा |

नंदिता आगे आगे चलती जा रही थी और मुकेश उसके मटकते कूल्हे और सुन्दर जांघो को घूरते हुए पीछे पीछे चला आ रहा था ||

कुछ दूर चलने के बाद वो एक छोटे से घर के अंदर चली गयी , और मौका देख कर मुकेश भी उसके पीछे उसे घर में घुस गया ||


नंदिता ने उसे पूछा " तुम मेरे पीछे क्यों आए हो ?"

मुकेश ने कहा " तुम मुझे बहुत अच्छी लग रही हूँ , मन कर रहा था तुम्हे देखता ही रहू "

कहता हुआ मुकेश उसके बक्ष स्थूलो को घूरते हुए बिलकुल उसके पास आ कर खड़ा हो गया |

और दोनों गले लग गए ..... 


कुछ देर बाद जब दोनों अलग हुए तो नंदिता ने पूछा " अब तुमने मेरे साथ सब कुछ कर लिया , क्या तुम अब मुझे साथ ले चलोगे ?"

इस पर हस्ते हुए मुकेश ने कहा " मेडम इसमें साथ चलने बाली कोनसी बात है , जो भी हुआ बो हम दोनों की मर्जी से हुआ "

नंदिता हसने लगी और बोली " तुमने दिखा दी न अपनी औकात और करली न अपनी ख्वाहिश पूरी , अब देखो मैं अपनी ख्वाहिश पूरी करुँगी "

नंदिता जोर जोर से हंस रही थी .. नंदिता अपने असली रूप में आ चुकी थी , उसकी बड़ी बड़ी आंखे और बड़े बड़े दांत और बढे हुए नाखून देख कर मुकेश डर कर कांपने लगा 


नंदिता अब मुकेश को अपनी पुरानी कहानी बताते हुए उसे मार कर अपनी ख्वाहिश पूरी करने को कह रही थी ..

अब मुकेश उसे माफ़ करने की बिनती करते हुए बोला " नंदिता मुझे माफ़ करदो , मुझे से बहुत बड़ी गलती हो गयी थी , तुम तो मुझे प्यार करती थी , मुझे माफ़ करदो " कहते हुए वहां से भागने लगा |


नंदिता ने उसे जोर से धक्का दिया और उसे जमीन पर पटक कर उसकी छाती पर बैठ कर अपनी नुकीले नाखूनों से उसके शरीर पर बार करती रही , 

मुकेश जोर जोर से खुद को माफ़ कर देने के लिए नंदिता से हाथ जोड़ता रहा  ...


नंदिता ने उसे अपने प्यार भरे कुछ पल याद दिलाते हुए उस पर बार करती रही , और मुकेश की जान निकल गयी.... 

नंदिता उसकी छाती पर बैठ कर कुछ देर तक यू ही रोती रही ....









Hindi Horror stories : भूतिया पुलिस बाला  ||


आज सालो बाद  फिर से बिलासपुर पुलिस स्टेशन का ताला खुला था | पूरे गांव में सनसनी फ़ैल गयी लोग अफरा तफरी करने लगे , लोग एक एक करके पुलिस स्टेशन के बाहर इकठ्ठा होने लगे थे | कुछ लोग आपस में बाते कर रहे थे  "क्या सरकार सच में पागल हो गयी है , फिर से इस पुलिस बाले को यहाँ अकेला मरने के लिए यहां भेज दिया है |"

" अरे नहीं भाई ये कोई बहादुर इंस्पेक्टर दिखता है, देखो न कितना हत्ता कट्टा है ?" 

कुछ लोग इधर उधर से झांक कर देख रहे थे की आखिर कौन है जो जान का दुश्मन बन कर बिलासपुर गांव में लोगो की रक्षा करने आया है |


दरअसल बिलासपुर गांव में चोर और डाकुओ का बोलबाला था , वहां पर कोई भी पुलिस बाला ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाता था , या तो वो चोर डाकुओ के हाथो मारे जाते थे या फिर रात को काली शक्तियों का शिकार हो जाते थे | इन काली शक्तियों के पीछे कहा जाता है की बहुत पहले उस गांव की एक जवान और खूबसूरत लड़की का बलात्कार कर के हत्या कर दी गयी थी , फिर उस लकड़ी की आत्मा भटकने लगी और अपना बदला लेने के लिए उस गांव में आने बाले सभी पुलिस बालो की हत्या कर उनके खून से नहाती है |


इंस्पेक्टर बिजय ने थाने के बाहर भीड़ जमा देखी तो उसने कुछ लोगो को इशारा किया और  कहा " ए तुम अंदर आओ "

मैं ,मैं करके कुछ लोग तो पीछे हट गए और कुछ भागने लगे .. लेकिन फिर रमेश चाचा बिना डरे अंदर जाने लगे , और फिर उनके साथ कुछ दो चार लोग और पहुंच गए |

इंस्पेक्टर ने अपना डंडा टेबल पर रखते हुए कड़क अबाज में पूछा " तुम लोग पुलिस देख कर जमा क्यों हो गए हो , क्या पुलिस पहले नहीं देखी तुम लोगो ने "


रमेश चाचा ने पूरे थाने में अंदर इधर उधर देखते हुए कहा " नहीं साहब , देखी है पुलिस , लेकिन..."

"क्या लेकिन " इंस्पेक्टर ने पूछा 


रमेश चाचा ने बताया " साहब इस गांव में पुलिस नहीं आती इसलिए , आप पूरे पांच साल बाद दिखे हो इस पुलिस थाने में , वो भी अकेले ... शायद सरकार को आपकी चिंता नहीं "


इंस्पेक्टर ने कारण पूछा , तो रमेश चाचा ने बताया 

करीब पांच साल पहले भी इस पुलिस स्टेशन के नए इंचार्ज इंस्पेक्टर बहादुर सिंह आये थे , उन्होंने इस गांव में अपने कार्यकाल के १० दिन भी पूरे नहीं किये थे , आधे से ज्यादा गांव बाले तो उन्हें जान भी नहीं पाए थे , एक दिन सुबह सुबह लोगो ने देखा की उनके शरीर से उनका कलेजा निकला हुआ था और बो बरगद के पेड़ से उलटे लटके हुए मिले थे और पीछे दीवार पर उसी के खून से लिखा था

 "हर एक पुलिस बाले के साथ यही सुलूक किया जायेगा ", साहब ऐसी खौप नाक मौत देख कर कोई भी पुलिस बाला इस गांव में नहीं आता | 


फिर इंस्पेक्टर ने उनसे पूछा " क्या आपको पता है की  ये सब करता कौन है "

तो उसने  ने बताया " साहब आज तक तो पता नहीं चला की किसने उसकी हत्या की , उस लड़की की आत्मा ने या फिर गुंडों ने "

इंस्पेक्टर ने पूछा " लड़की , कोनसी लड़की , मैंने तो ऐसा कभी नहीं सुना "

गांव बाले हसने और बोले " साहब आप तो आये ही पहली बार है तो आपको कैसे पता "

रमेश ने बताया " साहब सुना है उस लड़की के साथ बहुत बुरा हुआ था , बलात्कार करके उसकी हत्या करदी थी " बिजय ने पूछा " किसी ने उस लड़की की लाश या फिर उसके घर बालो से कोई मिला है "

इस बात पर सब शांत रह गए |

रमेश ने कहा " नहीं साहब हमे नहीं पता "


गांव बाले पुलिस थाने से बाहर आकर आपस में फुसफुसाने लगे ,

मंगल ने रमेश चाचा से पूछा " चाचा कुछ अजीव सा नहीं लग रहा था  , और तो और उस इंस्पेक्टर का हुलिया भी कुछ ठीक नहीं लग रहा था , उसका चेहरा भी कितना डरावना था , ऐसा लग रहा था की उसके शरीर से बदबू भी आ रही थी "

रमेश ने कहा " हाँ उससे भी ज्यादा हैरानी बाली बात तो ये है की इंस्पेक्टर अकेला ही आया है |


फिर कुछ दिन बीत जाने के बाद , रात के अँधेरे में जग्गा और उसके साथी  मिलकर थाने में उस इंस्पेक्टर को मारने के लिए आते है |

जग्गा " सभी मिल कर थाने को चारो तरफ से घेर लो , मैं और महेश दोनों अंदर जा कर उसका काम तमाम कर देंगे "

"ठीक है सरदार तब तक हम बरगद पर रस्सी डाल कर तैयारी पूरी रखेंगे " सोमू ने कहा 


जग्गा के इशारा करते ही महेश और जग्गा दोनों दीवार कूद कर अंदर पहुंच गए ..

लेकिन अंदर तो कोई था ही नहीं , जग्गा ने महेश की और घूर कर देखा 

"नहीं सरदार खबर तो पक्की थी , लेकिन साला ये इंस्पेक्टर गया  कहाँ " महेश ने डरते हुए कहा 


अचानक से तेज हवाएं चलने लगी , खिड़कियां और दरवाजे अपने आप बंद हो गए , और उनके सर पर लटकती हुई लाइट हिल रही थी 


"सरदार वो देखो कुर्सी हिल रही है " महेश अपने सरदार जग्गू के पीछे छिपते हुए बोला

जग्गू ने डरती अबाज में कहा " अबे ये इंस्पेक्टर है या कोई भूत , अब तो हम भाग भी नहीं सकते दरवाजे लॉक हो गये है "


तभी कमरे की लाइट लगातार जलना बुझना शुरू हो गयी , ऐसा होता देख जग्गू और उसके साथी की डर की बजह से हालत ख़राब हो रही थी , 


" अरे कोई तो हमे बचाओ, हम अंदर फस गए है " जग्गू जोर जोर से चिल्लाने लगा |

तभी जोर जोर से हसने की डरावनी आबाजे सुनाई देने लगी ...

अबाजे इतनी तेज और डरावनी थी की महेश और जग्गू के प्राण ही निकल गए ...


अगली सुबह बरगद के पेड़ के नीचे बहुत भीड़ जमा थी , जग्गा और महेश दोनों उलटे लटक रहे थे |

और सामने दीवार पर खून से लिखा था " अगला नंबर तेरा "

 सभी लोग हैरानी से इंस्पेक्टर की और देख रहे थे , और इंस्पेक्टर बिजय शांत खड़ा सब कुछ देख रहा था |


रमेश चाचा इंस्पेक्टर के पास आये और बोले " साहब हमने पहले ही कहा था , आपके पास अभी भी वक्त है , आपको अगर अपनी जान प्यारी है तो आप बापस चले जाओ "

इंस्पेक्टर के चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान थी , उसने कहा " आप फिक्र न करे , सब ठीक हो जायेगा |


जग्गा के बाकी साथियो को जब पता चला तो उन्हें बड़ी हैरानी हुई , सबने मिल कर मीटिंग की |

कल्लू ने चिंतित होते हुए पूछा " उसके साथ कितने पुलिस बाले है "

सामू ने बताया " सरदार केबल अकेला है "

कल्लू " फिर कैसे अकेला इतनों को मार सकता है |"

सामु ने कहा " सरदार कही उस बुरी आत्मा ने ही तो नहीं कर दिया इनका कांड "

सरदार हसने लगा और बोला " ऐसी कोई लड़की थी ही नहीं , ये तो पुलिस बालो और गांव बालो को डराने के लिए हमारे द्वारा अफवाह फैलाई गयी थी , ताकि लोगो का ध्यान हम पर कभी न जाये "


अब हर रोज सुबह गांव बालो को एक दो डाकू और क्रिमनल्स उस बरगद के पेड़ पर उलटे लटके हुए मिलने लगे , एरिया के लगभग सभी नामी गुंडे और डाकू बरगद से लटकाये जा चुके थे |


अब ये खबरे अख़बार में छपने लगी थी , लोगो के मन में प्रश्न आने लगे थे , इन बारदातो को अंजाम दे कौन रहा है | अब बात प्रशासन तक पहुंच गयी थी, लोग इंस्पेक्टर बिजय का नाम भी उछाल रहे थे , जब पुलिस डिपार्टमेंट ने ये पता लगाया की इंस्पेक्टर बिजय कौन है |

तो पता चला की  इंस्पेक्टर बिजय की तो दस साल पहले एक्सीडेंटल मौत हो गयी थी |


अब गांव बाले समझ चुके थे की ये इंस्पेक्टर बिजय नहीं बल्कि एक भूत है , लेकिन एक सच्चा देश भक्त , उन्होंने बिलासपुर के क्राइम को जड़ से उखाड़ के रख दिया ||

 पुलिस प्रशसन ने इंस्पेक्टर बिजय की मारने के 10 सालों बाद , उन्हें और उनके उत्कृस्ट कामो के लिए सम्मानित किया ||




Hindi Horror stories : शापित यक्षिणी ---


विराट शहर से पहली बार अपने गांव में अपने पुस्तैनी घर और जायदाद में कुछ दिन बिताने के लिए आया था , जब विराट को गांव की पुरानी हवेली के बारे में पता चला तो उसने राजू को उसके राज के बारे में पूछा |

विराट के जिद करने पर राजू उसे हवेली के पास लेके गया , और उसकी कहानी बताई। 


राजकुमारी वैशाली आमोद और बिनोद के भाव से आज राजमहल से निकल कर नगर का भ्रमण करने निकली थी |

भ्रमण करते करते वो नगर के बाहर साधू की कुटिया तक जा पहुंची , वहां एक बरगद के पेड़ के नीचे युवा ऋषि ध्यान मग्न बैठे थे | राजकुमारी और उसकी सहेलियों को एक मजाक सूझा और वो मिल कर उस सिद्धपुरुष के साथ अश्लील हरकते करने लगी , जिससे उनकी की साधना भंग हो गयी , साधू को बहुत तेज क्रोध आया और उन्होंने अपने पास रखे कमंडल से पवित्र जल लिया और मंत्र पढ़ कर राजकुमारी को शाप दे दिया |

 " तुझे कम उम्र में ही ज्यादा उत्तेजना हो रही है , यही तेरे दुःख का कारण बनेगा , तेरा जिससे विवाह होगा वो तेरे साथ संबंध बनाने से पहले ही मृत्यु को प्राप्त हो जायेगा "


राजकुमारी वैशाली ने जैसे ही सिद्धपुरुष के मुँह से शाप सुना , वो उस सिद्धपुरुष के चरणों में गिर गयी और शाप बापस लेने की भीख मांगने लगी , बिनती करनी लगी ,

"हे सिद्ध पुरुष मैं नहीं जानती आप कौन हो , मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी , नादान समझ कर मुझ पर दया करो , ये शाप बापस लेलो "

बहुत देर तक रोने और विनती करते रहने से साधू को उस पर दया तो आ गयी | 

साधू ने कहा " हे कन्या अब ये शाप मैं बापस तो नहीं ले सकता , क्युकी मैंने सभी देवो को सक्षी मान कर शाप दिया है , बस इतना हो सकता है की अगर कोई पुरुष तुम्हारी कामोत्तेजना को संतुस्ट कर देगा तो तुम शाप मुक्त हो जाओगी , तब तक तुम्हे ये शापित होना ही पड़ेगा "


फिर राजकुमारी अपने महल में आ गयी , और कुछ बर्षो बाद उसकी एक राजकुमार से शादी कर दी गयी , लेकिन राजकुमारी को शाप होने की बजह से उसका पति उसके साथ संबन्ध बनाने से पहली ही अकारण मौत का शिकार हो गया | 



फिर विराट ने राजू से पूछा " तो क्या वो यक्षिणी अभी भी उस शख्स के इंतजार में है जो उसे तृप्त करके उस भयानक शाप से मुक्ति दिला सके |

राजू ने लम्बी साँस लेते हुए कहा " हाँ सुना तो ऐसा ही है , गांव का तो कोई भी इंसान इस हवेली के अंदर जाने की जर्रत नहीं करता |

विराट ने फिर से उत्सुकता से पूछा " राजू भाई किसी भी गांव बाले या किसी बाहर के बंदे ने उस यक्षिणी को संतुस्ट करने की कोशिश भी नहीं की क्या ?"

"हाँ शहरी बाबू बहुत ने की है लेकिन सबको अपनी जान देनी पड़ी है , अगर यक्षिणी संतुस्ट न हो तो गर्दन धड़ से अलग कर देती है "

राजू की बात सुन कर विराट की रूह कांप गयी ... और बे दोनों वहां से चले गए ||


विराट रात को अकेला अपने रूम में सोने चला गया , तो उसे एक सपना आया , एक बहुत ही सुन्दर राजकुमारी उसे गले लगा कर प्यार कर रही है , और विराट भी उसे प्यार करने लगा | विराट कुछ भी उसके बारे में जान पाता की उसकी आंख खुल गयी ...


विराट को उस, मनमोहक रूप बाली राजकुमारी से प्यार हो गया , और वो उसे पाना चाहता था || विराट को पूरी रात नींद नहीं आयी |

लेकिन विराट ने अपने इस स्वप्न के बारे में किसी को नहीं बताया , लेकिन विराट मन ही मन उदास था | भले ही उसे वो राजकुमारी सपने में मिली थी लेकिन उसकी सुंदरता और हुस्न का जादू विराट के दिल और दिमाग दोनों पर छा गया था | विराट उदास हो कर सोचने लगा था की ये एक सपना था अब वो राजकुमारी अब नहीं मिल पायेगी ||


खाना खा कर विराट आज फिर उस राजकुमारी बाले सपने की प्रतीक्षा में वही सब सोचते हुए सो गया |

मानो ऊपर बाले ने उसकी मुराद सुन ली हो , राजकुमारी आज फिर उसके सपने वही सुन्दर और मोहिनी स्वरूप में आयी और उसके साथ प्रेम संबंध बनाने लगी ..

जब विराट ने उसका नाम और पता पूछा तो उसने अपना नाम " वैशाली बताया " 

वैशाली नाम सुनते ही विराट की नींद खुद गयी उसके रोंगटे खड़े हो गए , वो उठा और उसने कमरे की लाइट जलाई , और फिर टेबल पर रखा पानी पिया , वो अपने कमरे की बालकिनी में आकर खड़ा हो गया और सपने के बारे में सोचने लगा | 


सोचते हुए बहुत डर लगने लगा था क्युकी वैशाली तो वो ही राजकुमारी है न जो हवेली में यक्षिणी बन कर रह रही है | वो इतनी सुन्दर और आकर्षक है , इतनी कामुक है , जो राजकुमारी मेरे सपने भर में आकर मुझे इतना सुख प्रदान कर सकती है तो वास्तब में कितना सुख देगी || विराट का प्यार भयभीत करदेने बाली कहानियों से कही ज्यादा था  | लेकिन विराट अभी मजबूर था वो कुछ नहीं कर सकता था |


काफी देर खड़े रहने के बाद विराट फिर से अपने बिस्तर पर आ जाता है , और सो जाता है |

जैसे ही आंख लगती है , उसे फिर से राजकुमारी वैशाली आ कर प्यार करने लगती है | धीरे धीरे राजकुमारी वैशाली विराट के मन में छाने लगी थी , अब विराट उसके बिना एक पल भी नहीं रहना चाहता था |

जब वैशाली आधा अधूरा प्यार छोड़ के जाने लगी तो विराट ने उसे जाने का कारण पूछा 

तो उसने बताया की प्यार की हद तक जाने के लिए तुम्हे मेरे महल में आना होगा ||

विराट ने जब उसके पहल का पता पूछा तो उसने गांव की पुरानी हवेली का रास्ता बताया 



अगले दिन जब विराट की आंख खुली तो उसे अपने आस पास वैशाली नजर नहीं आयी  , अब वो वैशाली के बिना एक पल भी नहीं रह सकता था ,  इसलिए उसने पुरानी हवेली के अंदर जाने का निश्चय किया |

और बिना किसी को कुछ बताये वैशाली से मिलने हवेली की ओर चल पड़ा  |


जब वो हवेली के नजदीक पहुंचा तो उसे वहां एक बहुत ही सुन्दर लड़की दिखी , उसका हुलिया बिलकुल सपने में दिखने बाली राजकुमारी जैसा ही था , वो हूबहू वैशाली जैसी दिख रही थी | उसने एक बार विराट की ओर पलट के देखा और बिना कुछ कहे हवेली के अंदर जाने लगी ... विराट भी उसके पीछे उसे अबाज देता हुआ हवेली में प्रवेश कर जाता है |


दरवाजे से जब विराट अंदर जा रहा था तो उसे वहां बहुत से हड्डियों के ढांचों के साथ साथ धड़ से उखड़े हुए सर भी पड़े दिखाई दिए | उसे अभी अपनी जान की परबाह से ज्यादा राजकुमारी के लिए चाहत थी , वो उसके जिस्म से आती खुशबू के ऐसा बंध चुका था की चाह कर भी बापस नहीं जा सकता था | चलते चलते अब वो एक बड़े से कमरे में जा पहुंचा ... वो कमरा बहुत ही सुन्दर तरीके से सजा हुआ था , ऐसा लग रहा हो जैसे आज ही सुगंधित फूलो से सजाया गया हो .. उसे आश्चर्य हो रहा था की सब पहले से कैसे किया गया है ...


यक्षिणी ने देर न करते हुए अपना घूघट उठाते हुए कहा " जल्दी करो , मुझसे इंतजार नहीं होता " 

और यक्षिणी ने विराट को गले लगा लिया | दोनों प्रेम प्रसंग में डूबने लगे ...

रति क्रिया सम्पन्न होने के बाद , विराट ने देखा की उसकी बाहो में वो खूबसूरत हसीन बदन बाली राजकुमारी नहीं बल्कि एक खोल्बसूरत सी लड़की है और उसके चेहरे पर संतोष के भाव है ... 

वो विराट को ख़ुशी ख़ुशी उसके चेहरे की ओर देख रही है , मानो वो उसे लाख लाख धन्यबाद कहना चाह रही हो ||

अब विराट ने उस लड़की से पूछा " क्या तुम अब शाप मुक्त हो चुकी हो "

हाँ में सर हिलाते हुए वैशाली ने विराट को गले से लगा कर कहा "धन्यबाद विराट तुमने मुझे 500 बरसो से मिले शाप से मुक्ति दिला दी है "

और फिर विराट से कहा " क्या तुम अब मुझसे शादी करोगे "

विराट के चेहरे पर मुस्कान थी ...






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