google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Ghar Ghar Ki Kahani : Love story Hindi : कुसुम - एक अनसुलझी पहेली - भाग - 18

Ghar Ghar Ki Kahani : Love story Hindi : कुसुम - एक अनसुलझी पहेली - भाग - 18

 

Ghar Ghar Ki Kahani : Love story Hindi : कुसुम - एक अनसुलझी पहेली - भाग - 18


नोट - कहानी समझने के लिए सभी भाग पढ़ना आवश्यक है |


अब तक आपने पढ़ा - अंजली बिना घर बताये कुसुम से मिलने अस्पताल आ जाती है और उसके लिए उसकी पसंद के पराठे और अचार लेके आती है , दोनों बैठ कर बातें करती है और फिर सुनीता भाभी के आ जाने पर मिल कर पराठे और अचार खाने लगती है | अब आगे |


पराठे खा लेने के बाद अंजली बोली "अच्छा कुसुम मैं चलती हूँ , नहीं तो लेट हो जाऊगी  " 

कुसुम ने भी मुस्कराते हुए अंजली को जाने की इजाजत देदी और साथ ही कहा , ध्यान से जाना 

अंजली भी मुस्करायी और धीरे से बोली "मौका देख कर लेडी डॉक्टर से अपना चेक अप करवा लेना "

कुसुम ने भी धीरे से सिर हिलाते हुए हां कहा 


अब अंजली जाने लगी , जैसे ही हॉस्पिटल से बाहर निकली तो उसे डर सताने लगा , उसे एक नहीं बल्कि दो दो डर सता रहे थे 

सोच रही थी कही फिर से भोलू न मिल जाये , अगर मिल गया तो बत्तमीज है मानेगा नहीं और कुसुम के बारे में सब कुछ पूछेगा , फिर किसी ने उसे मेरे साथ बात करते देख लिया तो मेरी तो खैर नहीं रहेगी , माँ लाठी डंडे से दौड़ा दौड़ा कर पीटेगी 

और बिरादरी में भी लोग पता नहीं क्या क्या सोचेंगे , इस डर के बारे में सोच ही रही थी की अगले ही पल उसे ख्याल आया की घर पर क्या बताएगी , कहाँ थी इतनी देर से , किसके पास थी , आज तो मार खाना पक्का ही लग रहा है | अब खानी पड़ी तो खा लेंगे मार एक ही तो सहेली है मेरी , उसकी खबर लिए बिना हमसे रहा नहीं जाता , और रहे भी कैसे , क्या नहीं किया उसने हमारे लिए , उसने भी तो कई बार हमारे लिए मार खायी है , और सबसे बड़ी बात भोलू जैसी गंभीर समस्या भी तो उसके गले हमारे चक्कर में पड़ी थी , भोलू हमे तो छेड़ता था , फिर कुसुम ने उसे हड़काया तब से उसके पीछे हो लिया |


अंजली बस में बैठ गयी और अपने गांव के स्टैंड पर उतरी तो उसने देखा भोलू अपने गैंग के कुछ खतरनाक मेंबर्स के साथ बैठा तम्बाकू रगड़ रहा था , अंजली तो पसीना पसीना हो गयी , अब क्या करे , अभी तक भोलू की नजर अंजली पर नहीं पड़ी थी , अंजली कुछ देर वही खड़ी खड़ी कुछ सोचती रही , और फिर उसने सोचा की वो रोड बाले रस्ते से नहीं पीछे बाले खेत के रस्ते से जाएगी , ऐसा ही किया , खड़ी फसल के अंदर अंदर अंजली जा रही थी , किसी को कुछ नहीं दिखा ऐसा अंजली ने सोचा लेकिन देखने बालों ने तो देख ही लिया था , गांव के कुछ मंद बुध्दि लोगो ने अंजली को खेत से जब निकलते देखा तो उनकी शक की सुईयां खड़ी हो चुकी थी , 

अंजली को देख एक बूढी अम्मा जी जोर से चिल्ल्ते हुए बोली "अरे छोरी कहाँ से आ रही है , अंदर खेत में झोला लेकर किसके साथ थी "


अंजली सपकपा गयी और बोली "किसी के साथ नहीं अकेली हूँ "

पास में खड़ी दूसरी औरत बोली "क्यों झूठ बोल रही छोरी अंदर क्या घास चील रही थी अकेली अकेली "

अंजली ने कहा "कैसी बातें कर रही हो आप ऐसा बैसा कुछ नहीं है , हमे कुछ प्रॉब्लम थी इसलिए अंदर चली गयी थी "

कहते हुए अंजली घर की जाने लगी , अंजली चल तो रही थी लेकिन उसका पूरा बदन पसीना पसीना हो चुका था , जो भी उसे देख रहा था सब के सब उसे शक बाली नजरो से देख रहे थे , क्युकी उसका हुलिया ही कुछ ऐसा हो गया था , फसल बाले खेत आने के कारण उसके कपड़ो पर पत्तो के निशान और चिपकने वाली खास लग गयी थी , ऊपर से उस पर जो पसीना आ रहा था बो उसे शक के घेरे में डाल रहा था |


किसी तरह से सबकी नजरो के तीर झेलती हुए छुपती छुपाती हुए अपने घर पहुंची तो उसकी माँ घर पर नहीं थी , ऊपर बाले कमरे में उसकी चाची थी जो की उसे ही घूर रही थी , जैसे की न जाने अंजली ने कोनसा गुनाह कर दिया हो , अंजली नजरअंदाज करते हुए अपने कमरे में प्रवेश किया और जल्दी से बाथरूम पहुंच कर कपडे और अपना हुलिया ठीक किया |

कुछ देर बाद अंजली की माँ घर आयी , तो उन्होंने आते ही अंजली को तलाशा 

उन्होंने आवाज लगाई , अंजली 

कमरे के अंदर से ही आवाज देते हुए अंजली ने पूछा "क्या हुआ"

 कहा थी तू कबसे तलाश रहे थे तुझे उसकी माँ ने पूछा 

माँ कही नहीं , बो कॉलेज का काम था तो एक सहेली के यहां नोट्स बनाने गए थे अंजली ने झूठ बोला

माँ फिर से बोली "कोनसी सहेली के पास गयी थी "

अंजली झेपते हुए बोली "बो हैं न पास बाले गांव की नंदिनी उसके पास गए थे "

वो क्या है न कुसुम तो है नहीं तो हमें उसके पास ही जाना पड़ा 

अब माँ शांत हो गयी , बता के तो जाना चाहिए था न 

माँ जब हमे याद आया तो कोई घर था ही नहीं , हम चले गए थे  अंजली ने कहा 

अब अंजली को माहौल शांत सा लगा , और उसके अंदर से डर कम हो गया था , और उसने अब राहत की साँस ली , सुकर है भगवान बच गए , सोचते हुए मन ही मन अंजली भगवान् का शुक्रिया अदा करने लगी |


फिर सोचने लगी अभी तो हम झूठ बोल कर बच गए लेकिन आगे न जाने क्या होगा , बो चाची और दादी जिन्होंने मुझे आते देखा था उन्होंने अगर माँ को कुछ भी बताया तो क्या करेंगे और क्या कहेगे , ये सोच कर तो अंजली पानी पानी हुए जा रही थी , बेचारी करती भी तो क्या अगर झूठ न बोलती तो , उसके लिए तो बो बाली कहाबत सही होने जा रही थी , एक तरफ कुआ तो दूसरी तरफ खाई , दो और से मुसीबत आई  , अब अंजली अपने कमरे में जा कर अपनी आंखे बंद करके लेट गयी , और आराम करने लगी | 


इधर अंजली के जाने के बाद , कुसुम फिर से टेंशन में अकेला महसूस करने लगी थी , उसे डर सता रहा था की कही अंजली की बात सही न हो जाये , उसके लास्ट पीरियड्स को आये पूरे 36 दिन हो चुके थे , और अब कोई आने के आसार दिखाई नहीं दे रहे थे , ये सोच सोच कर ठीक होती दिख रही कुसुम फिर से बीमार सी होती चली जा रही थी | असमंजस में बैठी कुसुम परेशान हो रही थी , उसने अपना फोन उठाया और आज फिर से रोहित को कॉल लगाया , आज कई दिनों बाद रोहित ने कॉल पिक तो कर लिया |

हेलो , कैसे हो कुसुम ने धीरे से पूछा 

हाय , मैं ठीक हूँ , तुम कैसी हो रोहित ने भी पूछा 

मैं कैसी हूँ , इस बात से आपको क्या फर्क पड़ता है , आपने तो अपना काम कर लेने के बाद से हमारी सुध ही नहीं ली कुसुम ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा 

रोहित ने पहले तो चुप्पी साध रखी फिर बोला यार मैं कैसे बताऊ , लेकिन बताउगा जरूर , अभी पापा जी की तबियत बहुत ख़राब है वो हॉस्पिटल में एडमिट है 

कुसुम और भी परेशान होते हुए कहा क्या हुआ पापा जी को , सब ठीक तो है न 

रोहित बोला नहीं हार्ट अटैक आया है उन्हें 

कुसुम बोली हाय राम और अपने हमे बताया तक नहीं 

रोहित ने फिर कहा मैं खुद परेशान हूँ तुम्हे भी परेशान नहीं करना चाहता था इसलिए नहीं बताया 

कुसुम बोली - ऐसा क्यों सोचते हो , आखिर हमे भी तो चिंता होती है आपकी 

रोहित बोला पता है हमे , पूरा भरोषा है हमे

फिर कुछ और बातें कर लेने के बाद कुसुम ने कहा हम आपसे एक बात बोलना चाहते थे 

रोहित बोला , बताओ बताओ क्या बात है 

कुसुम पहले तो कुछ सकुचाई बताने में फिर बोली - जब हम मिले थे , उसके बाद से हमे पीरियड्स नहीं आ रहा है |

ये सुनते ही रोहित के पसीने छूट गए , एक और ब्लंडर अपना माथा पीटते हुए रोहित बोला - तो यार पहले क्यों नहीं बताया 

कुसुम डरी डरी आवाज में बोली - पहले आप सुनते कहा थे , आपने तो आज पूरे १० दिन बाद फोन रिसीव किया है , कैसे बताते 

रोहित बोला , मैसेज किया होता एक 

कुसुम ने फिर बच्ची जैसी आवाज में सॉरी बोला , और फिर कहा हम अभी हॉस्पिटल में एडमिट है 

ये सुनते ही रोहित की आंखे बड़ी बड़ी हो गयी , और बोला , हॉस्पिटल , कैसे क्या हुआ तुम्हे 

कुसुम पता नहीं बेहोश होकर गिर गए थे  , कल से ही है यहां 

रोहित बोला , ऐसा करो किसी नर्स से मिल के पता करो , चेक करवाओ फिर बताना हमे

और हाँ ध्यान रखो अपना ,

कुसुम ने भी उसे अपना और पापा का ध्यान रखने को कहा , और साथ ही कहा हम बात करते है किसी नर्स से |

ठीक है कहते हुए रोहित ने फोन काट दिया , अब रोहित अपना सिर पीटने लगा , रोने लगा , कहने लगा , एक के चक्कर में तो पापा हॉस्पिटल में आ गए , और अगर ये भी प्रेग्नेंट हुयी तो पापा तो कही इस दुनिया को अलविदा न कह दे , फिर मैं इस बोझ को ले कर कैसे जी पाएगा , हे भगवान मुझे या तो इस परेशानी से बचा लो या फिर मुझे ही उठा लो | इस मासूम सी कोमल सी कुसुम को कैसे बताऊ की मैं ऑलरेडी इसी चक्कर में फसा पड़ा हूँ , वो तो मर ही जाएगी |


इधर कुसुम की रोहित से बात होजाने के बाद आपने अंदर कुछ हल्का हल्का सा महसूस करने लगी थी , फिर उसने मौका देख कर एक नर्स को पास बुलाया और उसे अपना पूरा हाल बताया और साथ ही बात को गोपनीय रखने को कहा , 

नर्स ने भी मामला समझते हुए उसे दिलासा दिलाई और कहा टेंशन न लो किसी को नहीं बताऊगी , रुको तुम्हारा टेस्ट करवाती हूँ | भाभी जी जब घर गयी हुयी थी नहाने के लिए उसी टाइम कुसुम का चेक अप किया गया , और फिर टेस्ट की रिपोर्ट को देख कर एक बार फिर से कुसुम लगभग बेहोश हो गयी थी | उसके पेट में नन्ही सी जान का आगमन हो चुका था .......


कहानी से जुड़े रहिये ...


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