हिंदी कहनी
कुसुम एक अनसुलझी पहेली (भाग - 24)|
Hindi Kahani Kusum ek ansuljhi Paheli
नोट - कहानी के सभी भाग पढ़ना आवश्यक है |
अब तक आपने पढ़ा , कुसुम अपनी प्रेगनेंसी को लेकर परेशान है , वो अपनी बात अपनी भाभी सुनीता को बताना चाहती है , लेकिन मन में दुविधा होने के कारण बता नहीं पा रही है |
अब आगे -
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सुनीता को उसका हस्बैंड संदीप बुला लेता है , सुनीता को संदीप आपने कमरे में ले जाता है , और सुनीता को बताता है की रोहित के पापा की तबियत कुछ ठीक नहीं है , भगवान न करे ,कब क्या हो जाये , इसलिए कुसुम की शादी की तैयारी हमे जल्दी ही शुरू कर देनी चाहिए ,
सुनीता ने भी इसी बात पर जोर दिया की हाँ बात ठीक है , और ऊपर से लड़की जवान भी हो चुकी है न जाने कब कदम बहक जाये , और वैसे भी मुहल्ले में तो तूफान आया हुआ ही है |
संदीप ने भी कहा "हाँ , लेकिन इतनी जल्दी पैसे की व्यवस्था कैसे करेंगे "
सुनीता ने कहा "कुछ सामान बेच दो , कुछ पैसा किसी से उधर लेलो , वैसे भी ये तो करना ही पड़ेगा , नहीं तो हम कैसे कर पाएंगे "
संदीप ने कहा "हाँ ठीक है , आज ही मैं साहूकार के पास जाउगा , बात करुगा , कितना और कब तक पैसा दे देगा "
सुनीता ने कहा "ठीक है चले जाना , लेकिन उससे पहले खाना तो खा लो "
संदीप ने कहा "लाओ जल्दी लगा दो खाना , मैं खा लेता हूँ "
सुनीता ने कुसुम को आवाज लगाई , जल्दी नीचे आ जाओ , भैया को खाना देदो मैं किचिन में हूँ
आवाज सुन कर कुसुम नीचे आ गयी और भाभी के साथ भाई के लिए खाना लगाने लगी |
भाभी रोटियां बना रही थी , कुसुम खाना देने के लिए खड़ी थी ,
भाभी ने कहा "पहले पानी दे आओ "
कुसुम ने कहा "हम देके आते है "
कुसुम ने गिलास में पानी लिया और भाई के रूम में गयी ,
संदीप ने कुसुम से उसकी तबियत के बारे में पूछा "अब कैसी है तबियत "
कुसुम ने कहा "अब तो ठीक हूँ भइया "
संदीप ने कहा "लेकिन कमजोरी तो साफ नजर आ रही है चेहरे पर , देखो कैसे पीला पड रहा है "
संदीप ने सुनीता को आवाज लगाई , सुनीता खाने की थाली के साथ वहां आ गयी |
खाना देते हुए कहा "क्या हुआ "
संदीप ने कहा "यार देखिओ कुसुम का चेहरा कितना पीला पड गया है , इसे कुछ खाने पीने को दो "
सुनीता ने कहा "क्या बताऊ कितना तो बोलती हूँ खाने को , खाती ही नहीं है , न जाने किस बात की चिंता लिए बैठी रहती है खिड़की के पास "
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संदीप ने कुसुम से पूछा "क्या बात है बेटा , ऐसे क्यों कर रही हो ?"
कुसुम ने नीचे निगाह करते हुए कहा "भइया ऐसी कोई बात नहीं है , भूख नहीं लगती न इसलिए "
संदीप ने फिर कहा "सुनीता ऐसा करना , आज फिर से इसे डॉक्टर के पास ले के जाना , और पूछना कुछ भूख के लिए दवा "
सुनीता ने कहा "ठीक है तुम खाना खाओ , मैं दोपहर के बाद इसे ले जाऊगी"
संदीप ने खाना खाते हुए कहा "कुसुम अब तू खा पी कर सही रह , और कुछ दिन की मेहमान है यहां की फिर तो तू वैसे भी बुलाने पर ही आया करेगी "
कुसुम भी सरमाते बोली "क्या भैया आप भी , मैं कही नहीं जाने बाली आप को छोड़ के "
संदीप ने हलकी सी मुस्कान के साथ कहा "सबको जाना पड़ता है एक दिन "
अब कुसुम चुप होठो ही होठो में थोड़ा सा मुस्करायी
संदीप ने कहा "सुनीता कुसुम को भी खाना खिला दो , फिर ले जाना डॉक्टर के पास "
ठीक है कहते हुए सुनीता आपने ओर कुसुम के लिए खाना ले कर आयी दोनो बैठ कर खाना खाने लगीं |
इधर शीतल और रोहित का नशा उतर चुका था, आंख खुली तो दोनों ने खुद को अर्ध नग्न पाया , शीतल ने जल्दी से उठ कर आपने कपड़े ढूंढे और पहनने के बाद वाशरूम चली गयी , रोहित भी कपडे पहन के शीतल के बापस आने का इंतजार करने लगा |
थोड़ी देर बाद शीतल बहार आयी , तब तक रोहित ने दो चाय और नास्ते के लिए आर्डर कर दिया था ,
बेटर उन्हें बुलाने आया , चलो साहब आपका आर्डर तैयार हो चुका है ,
शीतल ने कहा "नहीं मुझे नीचे नहीं जाना , यही पर अरेंज कर दो "
बेटर ओके मेम कह के वहां से चला जाता है |
थोड़ी देर बाद उनका नास्ता उनके रूम में ही भेज दिया गया था , अब दोनों शीतल और रोहित नास्ता करने लगे थे |
नास्ता करते करते शीतल ने रोहित से पूछा तो कैसा लगा , रात को मुझे अपनी बहो में सुलाते हुए |
रोहित ने कहा "शीतल ऐसा कुछ भी नहीं है , जो भी हुआ सब नशे में हुआ था , "
शीतल ने नाक सुकोडते हुए कहा "इसका मतलब तुम मुझे इस्तेमाल करने आये थे "
रोहित ने थोड़ा जोर देते हुए कहा "मेरा कहने का वो मतलब नहीं है , मेने तुम्हारे बहो में लेकर सोने बाली बात का जवाव दिया है "
शीतल ने फिर से पूछा "रोहित तुम ये सब बिना फीलिंग्स के किसी के भी साथ कर लेते हो क्या सिर्फ नशे में अपनी ठरक मिटाने को "
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अब रोहित शीतल की बात का जवाव नहीं दे पा रहा था , रोहित ने थोड़ी देर चुप रहने के बाद कहा "शीतल मैं जनता हूँ , बिना फीलिंग के ये सब करना सम्भब नहीं है लेकिन ये सब अब डिसकस करने का क्या मतलब है "
शीतल ने कहा "यही फर्क होता है एक लड़की की सोच और एक लड़के की सोच में , तुम तो सिर्फ हमे ऑब्जेक्ट समझ रहे हो , जबकि हम तुम्हे अपना सब कुछ "
एक बार फिर से रोहित के पास कोई जवाव नहीं था , शीतल ने कहा "खैर छोडो तुम नहीं समझ पाओगे , तुम आपने घर कब ले चल रहे हो सबसे मिलवाने "
रोहित ने चाय का अंतिम बड़ा सा घूट भरते हुए कहा "मुझे थोड़ा टाइम दो मैं करता हूँ बात "
शीतल ने कहा "देखो रोहित मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं , फिर मैं तो कही की नहीं रहूगी "
रोहित ने पूछा "क्यों टाइम क्यों नहीं है ऐसी क्या जल्दी है "
शीतल ने कहा "मेरे पेरेंट्स मेरे बढ़े हुए पेट के बारे में पूछेंगे , तो मेरे पास क्या जवाव होगा क्या तुम बता सकते हो "
रोहित ने कहा "उसकी क्या जरूरत है उसे अबॉरशन करा दो , सारा खर्चा मैं दे दूंगा "
शीतल ने गुस्सा होते हुए कहा "कितनी आसानी से बोल दिया तुमने , और उन एहसासो का क्या जो तुमने मेरे साथ जिए "
रोहित ने कहा "मैं उनकी कीमत देने के लिए तैयार हूँ "
शीतल का गुस्सा अब आसमान छूने लगा था , उसने कहा "तुम मुझे बाजारू समझ रहे हो क्या ?"
रोहित ने कहा "मैंने ऐसा नहीं कहा "
शीतल बोली "रोहित मुझसे ज्यादा बर्दास्त नहीं होता , मैं पुलिस कंप्लेंट कर दूंगी "
रोहित ने कहा "देखो उस सब की क्या जरूरत है , मामला हम यही ख़तम कर लेते है न "
शीतल ने कहा "डिअर अब मामला कोर्ट में ख़तम होगा "
शीतल ने अपना फोन निकला और किसी से बात करने में व्यस्त हो गयी ,,,,,,,,,,,,,
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