google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 कुसुम एक अनसुलझी पहेली - भाग - 23 | Hindi kahani - Rochak kahani

कुसुम एक अनसुलझी पहेली - भाग - 23 | Hindi kahani - Rochak kahani



कुसुम एक अनसुलझी पहेली (भाग - 23)


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अब तक आपने पढ़ा , रोहित शीतल से मिलने होटल पहुंच गया था , ड्रिंक करने के बाद दोनों काफी इंटिमेट हो जाते है , अब आगे |


एक साथ सो जाने के बाद लगभग दो घंटे बाद रोहित की आँख खुली तो उसने खुद को शीतल की कोमल नरम बाहो में जकड़ा पाया , थोड़ा और ध्यान आया तो देखा शीतल के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं है , रोहित ने खुद को संम्भाला और अपनी और देखा तो उसने खुद को भी निर्बस्त्र पाया , अब रोहित का नशा जा चुका था , उसने शीतल की हालत का जायज़ा लिया तो वो अभी भी बहुत नशे की हालत में थी , अब रोहित फिर से पश्चाताप करने लगा , ओह्ह सिट यार , ये क्या हो गया मुझसे ,

आलरेडी पहले से ही इसने मुझे परेशान किया हुआ था , आज ये फिर से ...............


रोहित अपना सर पकड़ के बैठ गया , थोड़ी देर बाद उसके फ़ोन की रिंग बजी , देखा तो  उसकी सिस्टर का कॉल था 

नीलम - हेलो , कहाँ है भाई , और क्या कर रहा है 


रोहित - यही हूँ , होटल में , यही रुकना पड़ रहा है 

नीलम ने कहा - तो कम से कम एक कॉल करके बता तो देता , यहां सब तेरा इंतजार कर रहे थे 


रोहित - हाँ , वो मैं भूल गया था 

नीलम ने फिर कहा - हाँ , हाँ ठीक है , लेकिन अब मैं बात है वो मत भूल जाना , वो बहुत तेज है , उससे बचके रहना और उसे समझा बुझा के बापस भेज के घर आजा |


रोहित ने कहा - यार , समझ नहीं आ रहा है , कैसे क्या करू 

नीलम ने कहा - तब नहीं सोचा था , जो पूछ रहा है , चल मैं रखती हूँ 

अब रोहित चुप चाप बैठा रहा , और फिर थोड़ी देर बाद लेट गया , और सो गया |


आज अंजली को कुसुम के पास कॉल करने का मौका मिल गया , उसके घर वाले घर पर नहीं थे 

उसने कुसुम को कॉल लगाया 


कुसुम ने नींद में अपने बजते हुए फोन को उठा के देखा तो स्क्रीन पर देखा तो अंजली का नाम आ रहा था |

कुसुम ने call receive किया 


हेलो कुसुम - अंजली ने कहा 

कुसुम - हाँ अंजली , तू आयी क्यों नहीं 

अंजली - यार तुझे तो पता है मेरी माँ ने मुझे घर में कैद कर लिया है , यार मैं क्या करू

कुसुम - यार उन्हें समझती नहीं है तू , ऐसा कुछ नहीं है , सब गलत अफवाह फैलाई गयी है 

अंजली - यार मेने सब कुछ करके देख लिया , नहीं समझ आ रहा उन सब को , पूरे मुहल्ले के दिमाग में गोबर भर गया है |

कुसुम - हाँ यार , हमारा तो घर से बाहर निकलना ही मुश्किल हो गया है , ऊपर से ये भोलू ने पता नहीं क्या कांड कर दिया है , सब हमे और भी नफरत भरी निगाहो से देखते है |


अंजली - हाँ मेने भी कुछ ऐसा ही सुना है , पता नहीं ये सब क्या हो रहा है ,

कुसुम - हम भी तंग आ चुके है , समझ नहीं आ रहा क्या करे 

अंजली - यार हमारा तो घर में बंद बंद मन नहीं लगता , तुम्हे तो पता है तुम्हारे सिवा हमारा कही जी नहीं लगता 

कुसुम - हम भी मजबूर है , तुम्हारे घर भी तो नहीं आ सकते , न जाने तुम्हारी माँ क्या न कहने लगे 

अंजली - नहीं बहन मत आना , अभी सब के दिमाग में तुम्हारे खिलाफ जहर भरा हुआ है \

कुसुम - इसीलिए तो हम घर से नहीं निकल पा रहे है 


अंजली - खैर ये सब छोड़ ये बता क्या हुआ फिर तेरा 

कुसुम - होगा क्या , अब तो हम खुदकुशी करेंगे 

अंजली - हाय राम ! पगला गयी हो क्या ? ऐसा क्यों बोल रही हो ?

कुसुम - हाँ नहीं तो क्या , इस बिरादरी में हम क्या मुँह दिखाएंगे , और हमारे भइया तो मर ही जायेगे , उससे अच्छा है की हम ही मर जाये 

अंजली ने कहा - तुम पागल न बनो , रोहित ने क्या कहा 

कुसुम - वो कुछ कहते ही कहा है , उनके घर भी तकलीफ कम नहीं हो रही , वो भी नहीं आ पा रहे है ,

अंजली - तो तुमने सुमन भाभी से बात नहीं की 

कुसुम - क्या बताये भाभी को की हमने शादी से पहले ही पेट कर लिया 

अंजली ने धीरज बढ़ाते हुए कहा - देखो अब जो होना था सो हो गया , अब बात तो करनी ही होगी न 

कुसुम - हाँ हम बात करना तो चाहते है , कोशिस भी की लेकिन हमसे कहा नहीं गया 


अंजली - देखो बहन तुम्हे हिम्मत करके कहना तो पड़ेगा , नही तो अनर्थ हो जायेगा 

कुसुम - हाँ आज हम , कह ही डालेंगे 

अंजली - हाँ , सब ठीक हो जायेगा 

कुसुम - तुम बताओ , तुम्हारा क्या चल रहा है 

अंजली - कुछ खास नहीं , विवेक का फोन आया था , हमने नहीं उठाया , फिर मैसेज किया की हमसे एक बार मिलना चाहता है 

कुसुम - तो मिल लो एक बार 

अंजली - नहीं यार , अब मन नहीं है , और ऊपर से माँ कही घर से निकलने भी नहीं देती है 

कुसुम - कॉलेज तो जाने देगी न 

अंजली - कॉलेज हम तुम्हारे बिना कैसे जाये 

कुसुम - चली जाओ , मिल लो उससे एक बार 

अंजली - चलो सोचेंगे 

कुसुम - हाँ फिर हमे भी बताना 

अंजली - तुम्हे नहीं बतायेगे तो किसे बतायेगे , अच्छा चलो अब कल बात करेंगे 

कॉल कट जाती है , कुसुम फिर से सोच में पड जाती है , क्या करे क्या न करे |


अगली सुबह जब कुसुम भाभी के साथ खाना बनाने में मदद कर रही थी तो उसे बार बार ऐसा फील हो रहा था जैसे उसे उलटी होने वाली है , उसे अब अलग अलग चीजों की गंध आने लगी थी , जब उससे बर्दास्त नहीं हुआ तो वो बाथरूम में जा कर उल्टियां करने लगी , ये सब देख कर उसकी भाभी को कुछ अजीब लगा , लेकिन फिर उन्होंने सोचा अभी तो बीमार रही है शायद उसी बजह से हुआ होगा कुछ |


सुनीता भी बाथरूम में जा कर कुसुम को पानी देने लगी और उसके पीठ पर हाथ से सहलाने लगी , और फिर कुसुम को अपने कमरे में जा कर आराम करने को कहा \

कुसुम ने अपनी भाभी से कहा - भाभी हम आपसे कुछ बात करना चाहते है 

सुनीता ने कहा - बोलो कुसुम क्या कहना चाहती हो 

कुसुम ने कहा - भाभी वो क्या है न , हमे ऐसा लग रहा है ,

 

तभी कुसुम के भैया ने आवाज लगाई , और अपने काम से बहार जाने के लिए कहा 

सुनीता ने कुसुम से कहा , रुको मैं अभी आई .....

 

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