हिंदी कहनी
कुसुम एक अनसुलझी पहेली (भाग - 25) | Hindi Kahani Kusum ek ansuljhi Paheli
अब तक अपने पढ़ा , शीतल और रोहित के बीच बहस हो रही थी , रोहित उसे समझा बुझा कर उससे अपना पीछा छुड़ाना चाह रहा था , लेकिन शीतल उस सब को अपने इमोशन से जोड़ के देख रही थी , और रोहित उसे अपनी झूल समझ कर भूल जाना चाहता था |
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अब आगे -
रोहित ने शीतल को एक बार फिर से समझते हुए कहा - देखो पुलिस में जाने से कोई सोलुशन नहीं मिलने वाला , जो भी हुआ है वो हम दोनों की मर्जी से हुआ था , न की जोरजबरजस्ती , इसलिए बात मान लो मामले को यही ख़तम करलो तो ठीक रहेगा |
शीतल ने कहा - देखो मुझे , तुम्हारी ये चाल समझ आ रही है , मुझे इंसाफ चाहिए , उसके लिए चाहे मुझे जहां जाना होगा , मैं जाऊगी |
रोहित को शीतल की बात सुन कर गुस्सा आ गया , तो उसने भी बोल दिया तुम्हे जो करना है करो |
मैं यहां से चला , और बाय बोल के रोहित वहां से चला गया |
शीतल बेड पर बैठी उसे जाते हुए देखती रही |
कुसुम आज सुबह से ही खामोस सहमी सी घर की छत पर बैठी हुयी थी , तभी उसे पीछे से अपनी पीठ पर किसी का हाथ महसूस हुआ , उसने मुड़ कर देखा तो उसे अपने चेहरे से दुपट्टा हटती हुए अंजली दिखी ,
उसने खड़े हो कर उसे गले से लगा लिया , दोनों ने काफी देर तक एक दूसरे को गले से लगा के रखा फिर अलग होते हुए एक दूसरे के हाल चाल पूछने लगी ,
"क्यों री तू फोन क्यों नहीं उठा रही थी " अंजली ने जोर देते हुए पूछा
कुसुम ने धीरे से कहा "फ़ोन नीचे रखा है , मुझे पता नहीं चला इसलिए , बरना हम तो तुमसे बात करने के लिए कब से बेताब थे "
अंजली ने ताना मारते हुए कहा "रहने दे , बेताब थी तो कॉल कर भी सकती थी ,"
कुसुम ने कहा "हमे लगा फोन तुम्हारे पास नहीं होगा "
अंजली ने कहा "दो दिन से फ़ोन मेरे पास ही है , तू कल से कॉल नहीं उठा रही थी तो मुझे लगा कही कुछ.."
कुसुम ने कहा "क्या करे , कुछ हो ही तो नहीं रहा , जी तो कर रहा है यही से कूद के जान देदे "
अंजली ने कहा "पगला रही हो क्या , ऐसा करने की क्या जरुरत है "
कुसुम ने कहा "तो क्या करे , रोहित कुछ सुन नहीं रहा , अपने घर पे कुछ कहते नहीं बन रहा "
अंजली ने कहा "यार तुमसे नहीं बात की जा रही तो हम बोल दे भाभी को , बोलो "
कुसुम ने रोते हुए बोली "फिर हम भैया और भाभी का सामना कैसे करेंगे "
अंजली ने कहा "देखो कुसुम तुमने कोई पाप नहीं किया है ये तो संयोग बस हुआ है , और फिर दिक्कत क्या है जिस इंसान के साथ तुमने अपना आप को समर्पित किया है आखिर वो तुम्हारा होने वाला पति है "
कुसुम ने आंसू पौछते हुए कहा "होने वाला है न , हुआ तो नहीं न , और उसके घर वाले ये जान कर शादी करने से इंकार करने लगे तो फिर हमारा क्या होगा "
अंजली ने कहा "तुम फालतू में इतना दिमाग लगा रही हो , ऐसा वैसा कुछ नहीं होने वाला "
कुसुम तेज तेज रोने लगी , अंजली उसे चुप कराने में लगी हुयी थी , तभी सुनीता भाभी आ गयी , और उन्होंने कुसुम को रोता हुआ पाया , तो कुसुम के रोने का कारण पूछने लगी |
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सुनीता के पूछने पर अंजली और कुसुम दोनों निःशव्द खड़ी थी ,अंजली लगातार कुसुम की और देखे जा रही थी , वो सोच रही थी की कुसुम को अब तो सब कुछ बता देना चाहिए |
लेकिन कुसुम लगातार आंसू बहाये जा रही थी
सुनीता ने जोर दे कर पूछा "कुसुम आखिर ऐसा क्या हुआ जो तुम लगातार रोये जा रही हो , कुछ तो बताओ क्या हुआ , मुझसे या तुम्हारे भैया से कोई दिक्कत है या फिर किसी ने कुछ कहा है तुमसे बताओ , हम है न तुम्हारा ख्याल रखने के लिए "
कुसुम के कुछ न बोलने पर सुनीता ने अब अंजली से पूछा "अंजली तुम बताओ , तुम्हारे आने के बाद से ही कुसुम ने रोना शुरू किया है न "
अंजली ने सोचा बता दू सब कुछ , लेकिन उसने कुसुम की और देखा और फिर बोली "पता नहीं भाभी जी , क्यों रोये जा रही है , मैं भी तब से पूछ रही हूँ , कुछ बोल ही नहीं रही है "
शायद मुहल्ले में बदनामी के कारण रो रही है ,
सुनीता ने कुसुम को गले लगाया और आंसू पूछते हुए कहा "कुसुम तुम परेशान न हो , हमे तुम पर भरोसाः है , मुहल्ले बालो से क्या करना , ये तो दुनिया है कुछ भी बोलेगी , तुम इन सब बातो पर ध्यान न दो , और अपनी पढ़ायी और सेहत पर ध्यान दो "
सुनीता कुसुम को गले लगाए हुए थी , कुसुम के अभी भी आँखों से आंसू रुक नहीं रहे थे |
सुनीता ने कुसुम को नीचे कमरे में चलने को कहा , और फिर तीनो नीचे के कमरे में जाने लगे ,
नीचे जा कर सुनीता चाय बनाने के लिए किचिन में चली गयी तो अंजली ने कुसुम को पकड़ के झकझोरते हुए कहा "अभी सब कुछ बता क्यों नहीं दिया , मौका था , "
कुसुम ने फिर से रोने जैसा मुँह बना के कहा "हमसे नहीं हो पा रहा है "
अंजली ने कहा "बेटा कुसुम करना तो पड़ेगा , नहीं तो देर होती जा रही है , और जितनी देर हो जाएगी , प्रॉब्लम उतनी ही बड़ी होती जाएगी "
कुसुम अपने आंसू पौछने लगी , तभी अंजली ने कहा "चलो ऐसा करो मैं बोल देती हूँ भाभी को "
कुसुम ने कुछ नहीं कहा और चुप बैठी रही .......
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सुनीता चाय ले कर आयी फिर तीनो बैठ कर चाय पी रहे थे ,
अंजली ने सुनीता से कहा "भाभी जी एक बात कहे "
सुनीता ने कहा "हाँ कहो ,"
अंजली ने कहा "पहले प्रॉमिस करो की आप न तो गुस्सा करेगी और न ही किसी से कुछ कहोगी "
सुनीता ने उन दोनों के चेहरे की और देखते हुए पूछा "हाँ , सब कुछ ठीक तो है न , ऐसा क्या कहने बाली हो "
अंजली ने कहा "हाँ भाभी जी ठीक तो सब है , लेकिन पहले आप प्रॉमिस करो "
सुनीता ने बात को ज्यादा गंभीर न लेते हुए हामी भर दी |
अंजली ने कुसुम की और देखते हुए कहा "भाभी जी कुसुम को पीरियड्स नहीं आ रहा है "
सुनीता हसने लगी और बोली तो पगली इसी लिए रो रही थी , ये क्या कोई बड़ी बात है , अक्सर ये सब तो होता रहता है , कभी लेट तो कभी जल्दी |
अंजली ने कहा "नहीं भाभी जी दो महीने से "
ये सुन कर सुनीता के चेहरे की हवाइयां उड़ गयी , उन्होंने चाय का कप नीचे रखते हुए पूछा "दो महीने से , मतलब "
अब अंजली ओर सुनीता दोनों कुसुम की और देख रही थी |
सुनीता ने फिर से पूछा "ये सब कैसे हुआ , "
अंजली ने कहा "जब से कुसुम रोहित से मिलने गयी थी तबसे "
सुनते ही सुनीता स्तब्ध रह गयी और चुपचाप बैठी रही ,
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