Love Story Hindi : Hindi Love Story : romantic story of love - Arrange Marriage Part - 47
शाम के ४ बजने बाले थे , नीलू ने टाइम देखा फिर बोली - बहुत टाइम हो गया , अब मुझे जाना होगा , नहीं तो लेट हो जाऊगी |
कार्तिक ने कहा "वैसे अभी जाने का मन तो नहीं है , लेकिन अब जाना पड़ेगा , ठीक है , चलते चलते एक सेव पूरी खाये ??"
नीलू खिलखिला के हस्ते हुए बोली "तो आपको भी सवेपूरी पसंद है ??"
कार्तिक ने नीलू की और देखते हुए कहा "आपको भी ??"
नीलू ने सर हिलाया और दोनों मुस्कराने लगे |
नीलू ने कहा "चलो कुछ तो कॉमन है हमारे बीच "
कार्तिक मुस्कराया और बोला "अगर खोजने निकलोगी तो पता नहीं कितनी चीजे कॉमन निकलेगी "
नीलू ने कहा "हाँ वो तो है , हाँ न "
"भइया एक सवेपूरी बना दो , और सुनो जरा स्पाइसी बनाना " नीलू ने अपने बैग से पैसे निकलते हुए कहा
कार्तीक ने कहा "एक क्यों दो , बनाना भाई , मैं भी खाऊंगा "
नीलू ने कहा "अरे इसी में खा लेंगे न , बहुत देते है एक प्लेट में , और वैसे भी झूठा खाने से प्यार हो जाता है "
कार्तिक हसने लगा और बोला "अच्छा जी ऐसी बात है "
नीलू ने हस्ते हुए सेवपुरी ली और साइड में लगी टेबल पर रखते हुए कहा "जल्दी आओ मेरे से अब रहा नहीं जा रहा है "
कार्तिक ने कहा ठीक है तुम खाओ मैं आ रहा हूँ ||
"नीलू ने एक बाईट लेते हुए हम्म यमम है जल्दी आओ "
कार्तिक और नीलू दोनों मिल कर सेवपुरी खाने में व्यस्त हो गए ||
खा लेने के बाद , नीलू ने कहा - अब हमे चलना चाहिए ,
कार्तिक ने कहा - हम्म
नीलू - अब कब मिलोगे ,
कार्तिक - आज शाम को ही ,
नीलू - असमंजस से पूछती है "कैसे "
कार्तिक - अरे वीडियो कॉल पर
नीलू ने बनाबटी हसी बाला चेहरा बनाते हुए चुप हो गई |
कार्तिक ने कहा - क्या हुआ ऐसे क्यों कर रही हो |
नीलू ने कहा "कुछ नहीं बस ऐसे ही हूँ मैं , जल्दी से अटैच हो जाती हूँ किसी से भी "
कार्तिक ने कहा "अच्छा चलो , मैं तुम्हे तुम्हारे स्टैंड तक छोड़ देता हूँ "
नीलू ने कहा "हम्म ठीक है चलो "
कार्तिक "तुम यही रुको , मैं बाइक लेके आता हूँ "
नीलू वही रुक कर कार्तिक के आने का इंतजार करने लगी |
थोड़ी देर में कार्तिक बाइक ले कर आया और उसने बाइक पर नीलू को बैठने को कहा
नीलू बाइक पर बैठ जाती है , बाइक पर बैठते ही उसे एक अजीव सा अहसास होने लगता है , हालाँकि आज से पहले भी वो बाइक पर बैठा करती थी लेकिन ये बाली फीलिंग कभी नहीं आयी |
ऐसा शायद इसलिए हो रहा था क्युकी वो कार्तिक की बाइक पर पहली बार बैठी थी |
कार्तिक ने थोड़ा आगे चल कर बाइक रोक दी और उसने अपनी पॉकेट में हाथ डाला और उसने मेल्ट हो चुकी चॉकलेट निकली और नीलू की और बढ़ते हुए कहा - ये चॉकलेट्स मैं तुम्हारे लिए लाया था ||
नीलू ने खुश होकर कहा - तो अब याद आया है |
कार्तिक ने कहा - मैं भूल गया था , अब याद आया है |
नीलू ने कहा - थैंक यू और चॉकलेट्स ले कर अपने बैग में रख लिया |
फिर नीलू ने कहा - थैंक्य यू अगेन ,
कार्तिक ने पूछा - अगेन थैंक यू ??
नीलू ने कहा - चॉकलेट्स के लिए , नहीं तो प्रिया मुझे बार बार यही पूछती रहती की उन्होंने तुम्हे क्या दिया , तो मैं क्या बताती |
अब कार्तिक के फेस पर स्माइल थी , उसने कहा - तुम्हारा स्टैंड आ चुका है |
नीलू बाइक से उतरी और बाय बोल के जाने लगी ||
कार्तिक उसे जाते हुए देखता ही रहा , जब तक उसे नीलू दिखती रही ||
अब नीलू मेट्रो स्टेशन में अंदर चली गयी तब जा कर कार्तिक ने बाइक स्टार्ट की और निकल गया अपने घर ||
नीलू अब मेट्रो में बैठ के अपने बारे में ही सोच रही थी की देखने में इतना बुरा भी नहीं है , गुड लुकिंग है , हैंडसम भी है , कमाता है ही , और मेरे टाइप का ही लग रहा था , अब यही देख लो साउथ इंडियन खाना नहीं खाता था फिर भी उसने मेरे पहले ही दिन एडजेस्ट किया ही | चाहता तो कुछ और भी आर्डर कर सकता था लेकिन उसने मुझे अच्छा फील कराने के लिए मेरी पसंद का ही खाना खाया |
और प्रिया ने मुझे उसके बारे में जैसा बताया था बैसा ही तो है , लम्बा भी है ||
बैसे कुछ बुराई भी नहीं है , ये सोचते सोचते नीलू मुस्करा रही थी |
उसके सामने बैठे हुए यात्री उसे देख कर सोच रहे थे न जाने क्यों ये लड़की अपने आप में ही खुश हुए जा रही है | लगता है कुछ मिलने वाला या फिर मिल गया है जिसकी बजह से ये खुस हो रही है | लेकिन नीलू उन सब की परबाह किया बिना अपने आप में मग्न थी |
इधर कार्तिक भी इसी कंडीशन में था , वो भी बाइक की स्पीड बहुत ही कम किये चला जा रहा था बो बाइक जरूर चला रहा था लेकिन उसके मन में सिर्फ नीलू ही चल रही थी , वो सोच रहा था की लड़की तो जैसा मेने सोचा भी नहीं था वैसी ही है , कुछ खराबी भी नहीं है उसके लुक में , लम्बे काले घने बाल , गोरी त्वचा , मोटी मोटी बड़ी बड़ी आंखे , सुन्दर नयन नक्श तो है , और साथ में अंडरस्टैंडिंग भी थी ठीक ही है उसकी मेरी बहुत सी बाते इशारे मात्र में समझ रही थी , और हम पहली बार ही तो मिले थे , कोनसा रोज मिले थे , रोज नहीं तो वीकली ही मिलेंगे तो सब कुछ ठीक समझ आ ही जायेगा | फ़िलहाल तो मेरे तरफ से हाँ ही होनी चाहिए , देखते है दादी माँ को क्या लगता है ,अब कार्तिक का घर आ चुका था , चुपचाप जा कर अपने कमरे में अपने कपडे पहन के देखने लगा ||
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