Hindi Kahaniyan Reading | Hindi kahani - Kusum Part 40

Hindi Kahaniyan Reading | Hindi kahani - Kusum Part 40


जब कुसुम ने पीछे मुड़ कर देखा तो ,कुसुम के चहरे पर पसीने की बुँदे साफ साफ देखी जा सकती थी , उसकी सांसे और धड़कन भी तेज हो गयी थी | कुसुम ने सूखे गले को तर करने के लिए अपने बेग से बोतल निकली चाही लेकिन वो डर से ऐसा  नहीं कर सकी |

फिर उसने डरी और सहमी अबाज में कहा "भोलू तुम , तुम कब आये....  जेल से "

भोलू ने मसाला मुँह में डाला हुआ था इसलिए उसने अपना मुँह ऊपर करते हुए कहा "कल ही आये है , तुमरे खातिर जेल भी काट लिए है "

हालाँकि इस टाइम भोलू अकेला था , उसके साथी या फिर कोई दूसरा मवाली साथ में नहीं था |

कुसुम ने अपना मुँह फेर कर दूसरी ओर खड़े होते हुए कहा "हमने थोड़े कहा था जेल जाने को "

भोलू ने कहा "जरा हमारी आँखों में आंखे डाल कर कहो की हम तुम्हारे खातिर नहीं बल्कि उस लड़की के खातिर जेल गए जो तुम्हारे साथ आया करती थी "


कुसुम ने गुस्साते हुए कहा "बो लड़की नहीं उसका नाम अंजली है "

भोलू ने अपनी ऊगली से अपने दाँत कुरेदते हुए कहा "हाँ हाँ जो भी है , हम नहीं जानते "

कुसुम ने कहा "अब तो तुमने जेल भी काटली तो फिर क्यों आये हो फिर से हमारे पीछे , अरे पीछा छोडो हमारा "

"अरे ऐसे कैसे छोड़ देंगे पीछा तुम्हारा " भोलू ने कहा 

कुसुम बोली "कैसे छोड़ोगे मेरा पीछा , क्या चाहते हो मुझसे "

"और कुछ नहीं बस शादी करलो" भोलू ने अपनी छाती चौड़ी करते हुए कहा 

कुसुम को कुछ आश्चर्य नहीं हुआ क्युकी वो भोलू के मुँह से कई बार सुन चुकी थी , इसलिए उसने कुछ ख़ास रिएक्शन न करते हुए कहा "भूल जाओ , ऐसा तो सपनो में भी नहीं हो सकता है भोलू , मैं तुम्हारे टाइप की नहीं हूँ , मैं एक भले घर की लड़की हूँ और भले इंसान के साथ शादी करने जा रही हूँ  "

भोलू ने अपनी गर्दन चटकाते हुए कहा "अब जो भी हो , हमने सोच लिया है तो करेंगे " 

कुसुम ने सोचा की इस जड़ बुद्धि के साथ दिमाग खपाने से बढ़िया है की इसे प्यार से समझाया जाये की शादी जैसा पवित्र बंधन सिर्फ बात कह भर देने से नहीं होता , बल्कि इसे निभाना भी होता है |

इससे परिवार , बिरादरी और समाज के लोग भी जुड़े होते है उनकी मान मर्यदा और प्रतिष्ठा का भी ख्याल रखना होता है |


कुसुम ने इशारा करते हुए कहा "भोलू बो देखो बस आ रही है , हमे जाना है , प्लीज हमे जाने दो "

भोलू ने मासूम बनते हुए कहा "हमने कब तुम्हे रोका है , खूब पढ़ाई लिखाई करो , अफसर बनो , लेकिन हमे मत भूल जाना , आखिर हम ही तुम्हारे भतार बनेगे"


कुसुम ने भोलू को इग्नोर करना ही सही समझा और बिना कुछ कहे बो बस को स्टैंड पर ने तक चुप रही , थोड़ी देर में बस आयी तो कुसुम जल्दी से बस में चली गयी ... भोलू वही बहुत देर तक खड़ा कुछ सोचता रहा , बस चली गयी ....


बस में शीट पर बैठ जाने के बाद कुसुम ने अपना फ़ोन निकला और रोहित को कॉल लगा दिया \

आज रोहित ने फर्स्ट रिंग में ही कॉल रिसीव कर लिया था |

रोहित - हेलो , 

कुसुम - हेलो , मैं रास्ते में हूँ , जल्दी ही पहुंच जाऊगी

रोहित ने कहा "अरे तो निकलने से पहले एक बार कॉल तो करना चाहिए था न , अभी मैं पापा के किसी काम से बाहर आया हुआ हूँ "

कुसुम ने कहा "रोहित जी मुझे नहीं पता आप कहाँ हो , लेकिन आज हमरा मिलना बहुत जरूरी है , हमारे लिए भी और तुम्हारे लिए भी "


रोहित ने कहा "कुसुम यार ऐसा नहीं है की हम तुमसे नहीं मिलना चाहते लेकिन अभी तो बहुत दूर आ गया हूँ "

कुसुम ने कहा "रोहित जी देखिये हम घर से निकल गए है , और आपको पता ही है किस हालत में है हम , तुम्हे आना ही पड़ेगा "


रोहित ने कहा "ठीक है यार , तुम वहां पहुंच कर थोड़ा इंतजार करना मैं आजाऊंगा"

कुसुम ने कहा "ठीक है लेकन जल्दी ही आना "

और कुसुम कॉल डिसकनेक्ट कर देती है .. और बस में बैठी सफर का आनंद लेती है , और भोलू की बचकानी जिद के बारे में सोच कर कभी मुस्कराती तो कभी चिंतित भी हो जाती , कैसा बेब्कुफ़ इंसान है |


सोचते सोचते ही कब रास्ता निकल गया , पता ही नहीं चला , उसका कॉलेज का स्टैंड आ गया था , उसे उतरना पड़ा |

कुसुम बस से उतर कर पास ही के एक चाय की दुकान के पीछे जा कर खड़ी हो गयी ... बहुत देर तक खड़े रहने के बाद भी उसका टाइम पास नहीं हो रहा था तो उसने सोचा चलो अंजली को फिर से कॉल लगाया जाये |

इस बार अंजली का कॉल लग रहा था ,,, 


अंजली ने कॉल रिसीव किया - हेलो , हाँ कुसू 

कुसुम ने कहा "अरे यार तुम अपना फ़ोन बंद क्यों रखती हो , सुबह से कितने बार कॉल किया था तुम्हे "

अंजली ने पूछा "अरे पता नहीं कैसे हो गया था बंद , बताओ क्या हुआ "

कुसुम ने कहा "यार हम ने रोहित को बुलाया है मिलने के लिए अपने कॉलेज के पास इसलिए सोचा था की तुम भी चलती कॉलेज "

अंजली - तो घर आ के भी तो बता सकती थी, चलती मैं भी  |

कुसुम ने कहा "यार हम घर नहीं आये , कही चाची तुम्हे जाने देती या नहीं इसलिए "

अंजली - खैर छोड़ , अभी कहाँ है 

कुसुम - अभी तो अपने कॉलेज बाले स्टैंड पर खड़ी वेट कर रही हूँ , रोहित यही आएगा |

अंजली ने उदास होते हुए कहा "चल ठीक है , बताना आ के "

कुसुम ने कहा "ठीक है यार देखते है .."


कुसुम ने कॉल कट ही कर पाया था की उसे उसका कॉलेज फ्रेंड विवेक दिखा जो अंजली को बहुत पसंद करता था उसने अंजली को प्रोपोज़ भी किया था और अंजली ने उसे हाँ भी कह दिया था , और दोनों कॉलेज ट्रिप के दौरान बहुत नजदीक भी आ गए थे , लेकिन क्या हुआ , पता नहीं चला |


अचानक दोनों की नजरे मिल गयी ... उसे देख कर विवेक उसके पास आने लगा ...

विवेक उसके पास आता उससे पहले ही कुसुम का कॉल आ रहा था , रोहित उसे कॉल कर रहा था 


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