google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Romantic stories in hindi - Aradhana a girl from middle class family - आराधना ए गर्ल फ्रॉम मिडिल क्लास फॅमिली Part 2

Romantic stories in hindi - Aradhana a girl from middle class family - आराधना ए गर्ल फ्रॉम मिडिल क्लास फॅमिली Part 2

Love Story Hindi : आराधना - ए गर्ल फ्रॉम मिडिल क्लास - Part 2

Love Story Hindi

Love Story Hindi

   राकेश सरिता और आराधना को लेके स्टेशन पंहुचा | रेल गाड़ी हमेशा की तरह समय पर न आ के देरी से आ रही थी | इसलिए सब को आपस में गप्पे लड़ने का भरपूर समय मिल गया था |
 राकेश - देखो तुम लोग जिद करके जा तो रहे हो लेकिन तुम्हारी कोई शिकायत नहीं मिलनी चाहिए | पिछली बार आराधना तुमने अपने मामा के मोहल्ले के एक लड़के का सर फोड़ दिया था |
आराधना ने धीरे से बोला वो तो अब भी मौका मिला तो दुवारा हो सकता है | और सब लोग हसने लगे | और हसी मजाक चलता रहा | और समय कट गया | सुबह के ११ बज चुके थे और गाड़ी के आने की सुचना भी माइक से दी जा रही थी | सभी यात्री अपना अपना सामान उठाने लग गए और ट्रैन के रुकने का इंतजार करने लगे | ट्रैन रुकी और सभी अपना अपना स्थान , शीट , तलाशने लगे | 
 आराधना और सरिता को भी उनकी शीट मिल चुकी थी | राकेश ने उनका सामान शीट के पास रखते हुए कहा - आराम से जाना वहां तुम्हारे मामा आजाएगे | पहुंच के फोन कर देना | राकेश स्टेशन ट्रैन से उतर जाता है |
  सरिता और आराधना बैठी आपस में बाते कर रही थी | अचानक आराधना ने मासूस किया कि सामने वाली शीट पे बैठा एक युवक उन्हें देख रहा है | 
 आराधना सरिता को आँखों से उस युवक की ओर इसरा करती हुयी उसके कंधे से चुन्नी ठीक करते हुए कहा - चुन्नी सही से ओढ़ ले वो बार बार देख रहा है | 
 सरिता की वैसे तो उम्र ज्यादा नहीं थी , अभी पिछले महीने ही वो १७ साल की हुई थी | लेकिन कद काठी से ठीक थी , शरीर गदरीला ओर माशल हो चुका था |  सरिता थोड़ी सी सामली जरूर थी मगर उसके चेहरे पे एक अलग ही रौनक ओर निखार  दिखता था | देख के लगता था उसके बक्ष पूर्ण रूप से बिकसित हो चुके थे जो कि उसकी सुंदरता को और भी बढ़ाते थे | जो भी उसे देखता था तो देखता रह जाता था |  
 ओर वैसे भी आज तो गुलावी रंग के कुरता और सलवार में उसका वदन और भी निखर रहा था | इसी कारण वो युवक उसे लगातार देख रहा था | और वैसे वो अकेला सरिता को ही नहीं देख रहा था | आराधना भी कुछ कम थी उस मामले में |
 आराधना भी नीले रंग के हाफ टी शर्ट और जींस में गजब दिख रही थी | हाँ वो बात अलग उसका लुक पूर्णतः लड़को की तरह दिख रहा था | 
  कुछ समय बाद उस युवक ने पहल करते हुए उनसे बात करने की कोशिश की | उसने अपना चश्मा उतारते हुए |

एक्सक्यूज़ मी बोला |
 आराधना - यस , उसके तरफ देखते हुए बोला |
उस युवक ने कहा - भाई साहब अगर आप बुरा न मने तो , मेरी एक हेल्प करोगे |
आराधना - (नाक चढ़ते हुए ) , हेलो , मैं भाई नहीं , बहन हूँ | 
ये सुन के सरिता को हसी आ जाती है | 
सरिता को हसता देख वो लड़का भी हल्की से मुस्कान के साथ बोला  - ओह्ह सॉरी , मुझे लगा के ......
आराधना - अब पता चल गया न |
लड़का - मुस्कराते हुए , जी बिलकुल | 
लड़के का पहला प्रयास सफल रहा | और मुस्करा रहा था |
लड़का फिर से बोला - मुझे मोबाइल चार्जर चाहिए था , अगर आपके पास हो तो |
आराधना - जान न पहचान , क्यों दे आपको चार्जर |
लड़का - हाथ आगे बढ़ता हुआ , प्रदीप |
आराधना - देखती रही , बिना किसी प्रितिक्रिया दिए |
लड़के न अपना हाथ बापस कर लिया |
आराधना और सरिता आपस में ताली मार हसने लगी |
लड़के को थोड़ा असहज महसूस हुआ | और उसने अपना काला सा चश्मा कुछ बुदबुदाहट के साथ पहन लिया |
फिर आराधना के कहने पर सरिता ने अपने हैंड बैग से मोबाइल चार्जर निकलते हुए उस लड़के की और बढ़ते हुए कहा - लीजिये प्रदीप जी |
प्रदीप मुस्कराते हुए - थैंक्स , मुझे बहुत जरुरत थी |
सरिता - मुस्कराते हुए , कोई नहीं , आप कीजिये |
प्रदीप -  वैसे क्या नाम है |
सरिता - किसका चार्जर का या ....
प्रदीप - हस्ता हुआ , वैरी फनी , ऑफकोर्स , आपका |
सरिता - लोग मुझे सरिता कहते है , इतराते हुए बोली |
प्रदीप की नजर अब आराधना की ओर थी | 
सरिता ने फिर हस्ते हुए कहा और इन भाई साहब को सब आराधना कहते है |
सब लोग हँसाने लग गए | और अब आराधना का  भी मूड ठीक हो गया था |
क्या करते हो आप लोग मोबाइल चार्ज पे लगते हुए प्रदीप ने पूछा ?
सरिता - पढ़ते है | और आप ?
प्रदीप - मैं भी | कहाँ जा रहे हो आप लोग ?
सरिता - छुट्टिया चल रही थी तो सोचा मामा के यह मस्ती कर के आते है ( मजाकिया अंदाज में)
प्रदीप - ओह , अच्छा है |
सरिता - आप भी तो बताओ अपने बारे में | 
प्रदीप- मुस्कराते हुए , मैं कुछ कम से बाहर गया था | बापस बरेली घर जा रहा हूँ |
सरिता - वही तो हम जा रहे है |
प्रदीप - अच्छा जी, बरेली में कहा ?
और दोनों में बाते छिड़ गयी | इंफॉर्मेशंस ट्रांसफर होने लगी | क्यों की आराधना की आँख लग गयी थी तो सरिता को पूरा मौका मिल चुका था बातें करने का | प्रदीप भी यही चाहता था | वैसा ही हुआ |
 प्रदीप एक रशिक प्रवृत्ति का लड़का है | वो लड़कियों में बहुत दिलचस्पी रखता है | उसके स्कूल टाइम से ही बहुत प्रेम प्रसंग रहे है | वो भोली भली लड़कियों को कैसे लुभाया और फसाया जाता है अच्छी तरह से जनता है , और उससे भी अच्छी तरह से थोड़ी विगडैल और चालू लड़कियों को कैसे नियंत्रित किया जाये बाले हाथ भी थे उसके पास | अब वो सरिता को अपना नया शिकार बनाने की फ़िराक में था | लेकिन भूल रहा था कि सरिता के साथ आराधना नाम कि बहन कम भाई ज्यादा है |
 प्रदीप के पास उसकी भोली शक्ल एक हथियार की तरह काम करती थी |
   सरिता और प्रदीप में काफी इंफॉर्मेशंस  आदान प्रदान हो चुकी थी साथ ही साथ आपस में कुछ नजदीकियां भी बढ़ गयी थी | और बाते जारी थी | आराधना की इसी बीच आंख खुल जाती है | तो उसने जो देखा उसे देख कर उसे गुस्सा आया | सरिता अपनी शीट छोड़ उस लड़के के पास बैठी उसके फोन में कुछ देख रही थी | और दोनों लोग मंद मंद मुस्का रहे थे | 

  आराधना- थोड़ी तेज आवाज में , सरिता , मै इधर बैठी हूँ |
सुनते ही सरिता वहां से उठ के अनमनी सी अपनी शीट पर बैठ गयी | और कहने लगी कॉमेडी देख रहे थे |
आराधना - गुस्से से बोली हाँ देख रही हूँ तेरी कॉमेडी |
 सरिता शांत रही कुछ न बोली और आंखे बंद करके लेट गयी |
प्रदीप - आप हमेशा  ही इतना गुस्सा रहते हो ?
आराधना - हेलो , मै कुछ भी करू, तुमसे मतलब |
प्रदीप - सॉरी बोलता हुआ शांत हो गया और सरिता की और देखने लगा | लेकिन सरिता आंखे बंद किये थी | शायद सोना चाहती थी | 
 ट्रैन चलती रही , रूकती रही , फिर चलती रही ,........... और यूँ ही सफर तय हो गया |

अब स्टेशन आने वाला था जहाँ उन्हें उतरना था | सामान वगैरह उठा के तयारी करने लगे उतरने बाले |
गाड़ी रूकती है तो सरिता आराधना और प्रदीप भी उसी स्टेशन पर उतर गए | 
आराधना - सरिता मामा को फोन कर|
सरिता ने फोन किया तो पता चला कि मामा कि ऑफिस में इमरजेंसी होने कि वजह से रिसीव करने नहीं अपायेगे |
आराधना - कोई नहीं चलो ऑटो कर लेते है | 
प्रदीप भी वही खड़ा था | वोला - बुरा न मानो तो मै भी उधर ही जा रहा हूँ , छोड़ देता हूँ आपको भी |
सरिता के कहने पर आराधना तैयार हो गयी | और तीनो लोग ऑटो में बैठ कर चले जाते है |
 रस्ते में प्रदीप और सरिता का मामला और गरमा जाता है | और फिर मिलने और कॉल करने जैसे वादे हो जाते है | फिर वे लोग अपने अपने रस्ते चले जाते है |
 कुछ दूर जाने पर मामा कर घर पहुंच जाते है |
मामा के घर में मामा के दो बच्चे शालिनी और विट्टू मिलते है | बहुत खुस होते है सारे लोग क्यों के चारो लोग हम उम्र थे तो मस्ती और मजा आने वाला था |...........



कहानी जारी रहेगी ..........









 



















 


 




 
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