google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Hindi Kahani - Romantic stories in hindi - Aradhana a girl from middle class family - आराधना ए गर्ल फ्रॉम मिडिल क्लास फॅमिली - चेप्टर १| Hindi Kahani

Hindi Kahani - Romantic stories in hindi - Aradhana a girl from middle class family - आराधना ए गर्ल फ्रॉम मिडिल क्लास फॅमिली - चेप्टर १| Hindi Kahani



Hindi kahani  आराधना ए गर्ल फ्रॉम मिडिल क्लास फॅमिली  ( चेप्टर १ )


Introduction of the lead character  

Desi kahani , romantic stories in hindi


Hindi Kahani of Aradhana
 आराधना एक मेधावी , महत्वाकांक्षी , चुलबुली , स्वाभिमानी , एक निडर और कुछ अलग ही तरह की लड़की है | जिसे लड़को की तरह रहना पसंद है | पोशाक से लेकर बालो की कटाई तक लड़को से मेल खाती है | कान में बालियाँ में पहनना पसंद है लेकिन नाक में नहीं पहनती है |
 किसी खास मौके जैसे दीवाली , शादी पार्टी में सजना सबरना भी उसकी शौक में सुमार है | कभी कभी उसे अगर दूर से देखा जाय तो उसे लड़की बता पाना बहुत मुश्किल होगा | 
  
आराधना का मानना था कि बो मस्ती करने के लिए ही बनी है | और मस्ती ही उसकी दुनिया है |
उसकी इस दुनिया में उसके कुछ चुनिंदा दोस्त उसका परिबार और कुछ हम उम्र रिस्तेदार शामिल है |
उसके परिबार में माता पिता और उसके आलावा उसकी दो छोटी बहने और एक छोटा भाई शामिल थे |
 उसके पापा एक लिमिटेड कंपनी में कार्यरत है | माँ घर का काम संभालती है | उसका एक सामान्य बर्गीय परिबार है |

Seen start.
  १२ वी पास करने के बाद आराधना की छुट्टिया पड़ गयी थी | छुट्टिया मानाने के लिए उसका मन मामा के यहां जाने का हुआ | तो उसने अपनी माँ (पुष्पा) से बात की | माँ ने बोला पापा से पूछ के बताऊगी |
अव वो कमरे में शाम तक का इंतजार कर रही थी | 
सरिता (आराधना से छोटी बहन ) - और हीरो आज शांत कैसा बैठा है ? उसे छेड़ते हुए पूछा ?
आराधना - कुछ नहीं यार ऐसे ही |
सरिता - ऐसे ही कैसे ही , क्या हुआ मुझे बता | और तेरा और समीर का क्या हुआ ? आज कल बात नहीं हो रही तुम्हारी |
आराधना - हम्म्म |
सरिता - क्या ? बोलेगी कुछ |
आराधना - कुछ नहीं हुआ | तू अपना काम कर "गुस्से से बोला" |
सरिता शांत रह गयी | और गाना गुनगुनाने लगी , "हम तुम्हे इतना प्यार करेंगे की लोग हमें याद करेंगे "|
आराधना - चुप हो जाएगी या दांत तोडू तेरे |
सरिता - तोड़ दे , तेरा ही काम बढ़ेगा , फिर तुझे ही खिलाना पड़ेगा खाना | और तो और शादी भी ना कोई करेगा |
आराधना - उससे मुझे क्या ? घूमना ऐसे ही फिर | चल नहीं तोड़ती तेरे दांत |
सरिता - तो बताओ ना क्या हुआ समीर से |
आराधना - यार रहने दे | बद्तमीज है वो |
सरिता - क्यों ?
आराधना - तेरे हर क्यों का जवाब नहीं है मेरे पास |
सरिता - कुछ बात है (शरारत भरी नजरो से देखते हुए बोला ) , मत बताओ |
आराधना - तू ना समझेगी , रहने दे | अच्छा सुन |
सरिता - बोल हीरो |
आराधना - मामा के यहां चलेगी ?
सरिता - पापा से पूछ लिया ?
आराधना - माँ से बात की है | शाम को बतायेगीं |
सरिता - चलते है मस्ती करेंगे बहुत सारी |
आराधना - हसती हुयी ,, हाँ ना बहुत मजा आया था पिछले साल |
सरिता - इस बार मत सर फोड़ना किसी का |
और दोनों हसती हुयी छत पे पहुंच जाती है | 


 शाम को राकेश जब घर आता है | खाने के बाद पुष्पा और राकेश बाते कर रहे होते है |
राकेश - क्या हुआ शांत कैसी बैठी हो ?
पुष्पा - कुछ नहीं ऐसे ही |
राकेश - ऐसे ही कैसे ही | कभी कभार तो पास आजाया करो (प्यार भरी निगाहो से देखते हुए राकेश ने कहा)|
पुष्पा - रहने ही दो तो अच्छा है तुम्हारे बस का कुछ नहीं है ( मुँह टेढ़ा करते हुए बोली )
राकेश - क्यों ऐसा क्या हो गया अब ? ( और पास आते हुए बोला )|
पुष्पा - शीशे में देखा है बाल सफ़ेद हो गए है तुम्हारे |
राकेश - बाल ही न हुए है सफ़ेद ( हस्ते हुए )
पुष्पा - मुस्कराते हुए राकेश की आँखों में देखने लगती है |
राकेश ने धीरे से आगे बढ़ते हुए पुष्पा को अपनी बाहों में भर लिया | और माथे को चूमते हए बोला आज कोई बहाना नहीं चलेगा | 
पुष्पा - अरे नही नहीं ऐसा कुछ नहीं होने वाला बच्चे यही है सब कहते हुए अपनी आंखे बंद करली|
राकेश - भाग्यवान बच्चे तो रोज रहते है , बच्चो का बहाना करते करते साले गुजार देती हो | 
पुष्पा - अरे अब ठीक नहीं | 
राकेश - सब ठीक है , कहता हुआ राकेश की पकड़ और मजबूत होती गयी | और पुष्पा के गाल पर चुम्बन करने लगा |
 पुष्पा का विरोध अब काम हो चुका था | और अब धीरे धीरे समर्पण करने लगी थी | पुष्पा राकेश के आगोश में आंखे बंद किये शुकुन महसूस कर रही थी | राकेश अपनी हरकते जारी रखे था | उसके हाथ पुरे वदन को स्पर्श कर रहे थे | राकेश के होठ पुष्पा के होठो से रस पान करने लगे थे | सांसे और धड़कने गति पकड़ चुकी थी | 
अब पुष्पा हरकत में आयी और राकेश के माथे पे चुम्बन करती हुए बोली - अब ज्यादा ठीक नहीं है मुझे पता है तुम्हारे पास प्रोटेक्शन के नाम पे कुछ है नहीं | और मै इस उम्र में तुम्हारे एक और बच्चे की माँ नहीं बनाना चाहती |
राकेश बोला - डिअर तुम्हारा हर बार का यही रोना रहता है | आओ न |
पुष्पा न बोलते हुए उठ कर बोली तुमसे जरुरी बात करनी है | 
राकेश - बोलो |
पुष्पा - आराधना की छुट्टिया चल रही है इसलिए वो मामा के यहां जाने की जिद कर रही है |
राकेश - (थोड़ा सा झल्लाता हुआ ) जिद कैसी जिद , उसकी जिद ने ही तो उसे विगाड़ रखा है | देखो जहाँ जाना है जाये , लेकिन अब उसे बोलो अपना बेश भूषा बदल ले | छोटी थी तब तक तो ठीक था अब बड़ी हो रही है | लड़को की तरह रहना , लड़ाई झगडे करना , अब ये सब शोभा नहीं देता |
पुष्पा - अब प्रवचन बंद करो , और खुद उसे प्यार से समझाओ | मेरी नहीं सुनती अब |
राकेश - क्यों नहीं सुनती | डांट के बोला करो | अगर नहीं करोगी ऐसा तो कल को परेशानी बढ़ने वाली है | पुष्पा - हाँ ठीक है | कहती हुयी कमरे से बहार चली जाती है |

आराधना - माँ माँ , बताओ न , मै चली जाऊ ( बच्चो की तरह करते हुए )
पुष्पा - हाँ चली जा , लेकिन ये अब अपना हुलिया बदलने को कहा है पापा ने |
आराधना - मस्ती करती हुए माँ को गले लगा के बोली , क्यों इस हुलिया में क्या तुम्हारी बेटी किसी से बेकार लगती है |
पुष्पा - अब मस्का मत लगा | और थोड़ा ध्यान दे समझी | ये  सब अब अच्छा नहीं लगता |
आराधना - अनसुना करती हुयी नाचती हुयी अपने कमरे में चली गयी |
पुष्पा सरिता से बोली - तू क्यों मुँह फुलाए बैठी है |
सरिता - मुझे भी जाना है |
पुष्पा - नाक चढ़ाते हुए , जिसे जिसे जाना है चले जाओ |
सरिता ये सुन के ख़ुशी से भर गयी और बो भी जाने के लिए तैयारी में जुट गयी |

अगले दिन सुबह राकेश ने मामा के यहाँ आराधना और सरिता के आने की सूचना देदी और उन्हें स्टेशन तक छोड़ने चला जाता है |






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