लालची ससुर (Lalachi sasur)
रामदास अपने घर में अपनी पत्नी और २३ साल की बेटी रूपमती के साथ बैठ के कुछ जरुरी बात कर रहा था | बात चल रही थी बिटिया के हाथ पीले करने की |
रज्जो (रामदास की पत्नी ) - देखो जी जमाना ख़राब है | अब जितनी जल्दी हो सके बेटी के हाथ पीले करदो | और बैसे भी अपनी रूपमती अब २३ साल की गयी है |
रामदास - हा सोच तो मै भी यही रहा हू | लेकिन दुबिधा ये है लड़के बाले मांग कर रहे है | उतना हमारे पास नहीं है देने को |
कितना मांग रहे है - रज्जो ने पूछा ?
३ लाख नगद और साथ मै सामान - उत्तर दिया
रज्जो - जी ये तो बहुत है कैसे करोगे ?
रामदास - तू परेसान ना हो , ऊपर बाले की कृपा से सब हो जायेगा |
जा खाना ले आ |
तब तक दरबाजे से आवाज आती है |
रामदास चचा है क्या ?
हाँ है आजाओ किबाड़ खुले है |
चार लोग अंदर आते है |
राम राम चचा पैर छूते हुए टीटू बोला |
रामदस - कैसे हो बेटा पूछते हुए चारपाई पे बैठने का इसारा करता है |
ठीक हू चचा |
अरे सुनती हो, कुछ चाय पानी लाओ नेता जी घर आये है रामदास ने अबाज लगाई |
टीटू - अरे नहीं चचा अभी अभी प्रधान जी के यहां से पी के आये है | इधर से गुजर रहा था तो सोचा आपका आशिर्बाद लेता चालू |
आशिर्बाद तो ईश्वर का है - रामदास बोला |
टीटू- और क्या चल रहा है चचा आज कल आपका ?
बिटिया कैसी है, शादी की बात की कही उसकी ?
हाँ की है एक जगह बात - रामदास ने उत्तर दिया |
तो बनी बात कुछ - टीटू ने पूछा ?
मांग ज्यादा कर रहे है | वैसे तो सब ठीक सा लग रहा है रामदास ने धीरे से बोला |
कितना - टीटू ने उत्साह से पूछा ?
३ लाख नगद और सब सामान - रामदास ने उदासी से उत्तर दिया |
आपको पसंद है ना लड़का और उसका खानदान - टीटू ने बिस्वास मे लेते हुए पूछा ?
हाँ में सर हिलाते हुए रामदास ने कहा |
टीटू- चचा चिंता ना करो जितना हो सके करो बाकी मै नेता जी से बात करके करवाता हू |
आखिर हमे भी तो थोड़ा सेवा का मौका मिलना चाहिए | आप लोग हमारे लिए इतना करते हो और आगे भी चुनाव आ रहा है | दो महीने बाद .. तो थोड़ी सी सेवा हमारे हिस्से भी आने दो |
रामदास ने कुछ नहीं कहा बस जरुरत भरी निगाहो सी टीटू के चेहरे की तरफ देखता रहा |
अच्छा चचा चलता हूँ | तुम तैयारी करो | शादी की तरीक आजाये तो बताना मै नगद भिजवा दूंगा |
भगवान भला करे आपका - रामदास हाथ जोड़ता हुआ उन्हें दरबाजे तक छोड़ के आता है |
रामदास के चेहरे पे ख़ुशी के भाव दिखाई देते है | रज्जो भी वही आजाती है और दोनों बातें करते हुए खुश होते है |
शादी की बात पक्की होजाती है | धीरे धीरे शादी के दिन नजदीक आते गए | और शादी के काम भी होते रहे | निमंत्रण भी बट गए |
रामदास की चिंता बढ़ने लगी | नेता जी के यहां से कोई हाल पूछने नहीं आया | रज्जो ने रामदास से बात की, कैसे करोगे , न हो तो आप ही चले जाओ नेता जी के यहां | नहीं तो फजीयत हो जाएगी |
हाँ सही कह रही हो | मुझे एक बार जाना चाहिए |
रामदास अगले दिन नेता जी के यहां जाता है |
नेता जी अपने वगीचे में चार मुस्टंडो के साथ टहल रहे थे | तभी एक आदमी आ के बताता है के कोई रामदास नाम का व्यक्ति गांव से आपसे मिलने आया है | आदेश मिला अंदर भेज दो |
रामदास अंदर आ के नेता जी के चरणों में गिर जाते है | और नतमस्तक होके प्रणाम करते है |
अच्छा ठीक है | उठो कैसे आना हुआ ?
नेता जी टीटू भैया आये थे और आश्वाशन दे के गए थे बिटिया की शादी में कुछ सहायता के लिए |
रामदास ने सर झुकाये हुए कहा |
अच्छा .... बुलाओ टीटू को अपनी सफ़ेद दाढ़ी पे हाथ फेरते हुए नेता ने एक मुस्टंडे से कहा |
जी हुजूर जाते है | थोड़ी देर में टीटू भी उपस्थित होजाते है | प्रणाम करते हुए टीटू बोले जी शाहब अपने याद किया | हाँ ये रामदास जी आये है |
हाँ आपको बताये थे न हम इनकी बिटिया के बारे में जिसकी शादी होने को है | अच्छा ये वही है - नेता जी ने याद करते हुए पूछा ?
तो कब की शादी - नेता जी ने रामदास से पूछा ?
२७ अप्रैल रामदास ने उत्तर में कहा |
नेता जी-- अरे ये तो चुनाव के बाद है |२० को चुनाव है |
टीटू - तभी तो सेवा का मौका माँगा है हमने चचा से , चचा के घर में १८ वोट हैं | चचा की कीमत बढ़ने बाली हैं |
अच्छा ठीक है |भिजवाते है आपको , हम खुद आएंगे बिटिया के मंडप पे चिंता न करो आप - नेता जी ने कहा |
रामदास हाथ जोड़ के बोला- मालिक फजीयत होजायेगी, भैया के कहने पे किया हमने नहीं तो हमारे हैसियत से बाहर था |
टीटू- चिंता न करो चचा पैसा आजायेगा | और शादी भी धूमधाम से होगी |
नेता जी ने एक मुस्टंडे से इसरा करते हुए कहा - रामदास जी के थोड़े से हाथ गरम करा दो |
जी हुजूर कहते हुए उसने रामदास को एक नोटों की गद्दी देदी |
रामदास ने अपना माथा नेता जी के चरणों में रखके कहा - हुजूर ध्यान रखना |
नेता जी बोले - ध्यान तो आपको रखना है २० को |
जी हुजूर उसकी चिंता न करो - रामदस चला आता है |
आज २० है रामदास ने अपने परिबार में सबको समझा कर नेता जी का खूब ध्यान रखा | सब ठीक चल रहा था |
कुछ दिन बाद ....
आज २७ बारात का दिन |
घर में भीड़ भाड़ का माहौल था | सभी रिस्तेदार और परिबारी जन अपने अपने काम में लगे थे | रसोई भी तैयार हो रही थी | घर भी सजा रखा था | रूपमती सज के बहुत ही सुन्दर दिख रही थी | उसकी आँखों में ख़ुशी के अंशु साफ साफ दिख रहे थे |उसकी सखिया उसके साथ बैठ के उससे हसी मजाक कर रही थी | ये सब चलते चलते कब शाम होगयी | कब ८ बज गए पता नहीं चला | बारात आने बाली होगी किसी ने कहा , तब तक अबाज आती है बारात तो आगयी |
सब लोग बारात देखने के लिए दौड़ पड़े |
राम राम जी कहते हुए नेता और उनके बहुत से आदमी घर आजाते है |
रामदास और कुछ परिबारी जन उनकी खुसामद में लग जाते है |
कुछ देर बाद राम राम जी राम कहते हुए नेता जी बापस चले जाते है |
रामदास के चेहरे की ख़ुशी सारी कहानी बता रही होती है |
एक तरफ बारात का स्वागत चल रहा होता है | दावत भी चल रही है |सारे लोग बाते कर रहे है |
एक तरफ कुछ महिलाओ का झुण्ड लगा है | बाते चल रही है | रामदास के पास तो कुछ था नहीं तो इतना सब कैसे कर लिया ? तरह तरह के बाते चल रही है | कोई कुछ बता रहा है , कोई कुछ बता रहा है,
कुछ कह रहे है , खेत बेच दिया होगा ,कोई कह रहा था चोरी की होगी कही |
शादी की रश्मे चलते चलते आधी रात गुजर गयी | रामदास और रज्जो कई दिनों बाद एक साथ बैठे थे | रज्जो की आँखों में खुसी के अंशु थे | बोल रही थी अपनी बेटी बहुत सुन्दर लग रही है | रामदास बोला - अपने देबेन्द्र भी काम नहीं लग रहे है | हाँ बो भी अच्छे लग रहे है|
चलो कुछ खा लेते है,
थोड़ी देर बाद चार बंदूकधारी आजाते है और रामदास को एकांत में लेजाते है | पता नहीं क्या बोलते है और ५ मिंट बाद बापस चले जाते है |
रामदास मायूस उदास रोता हुआ एक कोने में बैठ जाता है | थोड़ी देर में हड़कंप मच जाता है | चारो तरफ हर किसी के मुँह से एक ही शब्द निकल रहा था चोरी होगयी......चोरी होगयी |
उधर जनमासे में भी खबर आग की तरह फ़ैल गयी "चोरी हो गयी " |
लड़के के पिता ने रामदास को बुलाने को कहा | कुछ लोग गए और रामदास को आने को कहा गया |
रामदास आँखों में आशू लिए पहुँचता है | और जाते ही बोलता है जी चोरी हो गयी |
बीरपाल (लड़के के पिता )- हमारा पैसा ?
रामदास - बाबू जी जिन्दा रहूँगा तब तक देता रहूँगा
बीरपाल - अब ये शादी नहीं हो सकती |
मै मर जाऊंगा बाबू जी - रामदास ने गिड़गिड़ाते हुए कहा |
अगर जिन्दा रहना चाहते हो तो ३ लाख देदो |
अभी तो मेरे पास रोने के अलावा कुछ नहीं है बाबू जी मैं वादा करता हूँ आपका दहेज़ पूरा देदुगा |
बीरपाल ने अपने लोगो को बापस चलने आदेश देदिया | लोग तयारी करने लगे |
इधर रामदास ने चारपाई पकड़ ली | उसे दिल का दौरा पड़ने लगा | उसके आस पास लोगो की भीड़ लग गयी | कोई हवा करो , कोई पानी लादो ऐसी आवाजे लगने लगी |
रज्जो का रो रो के बुरा हाल हो रहा था | उसकी बहुत ज्यादा रोने की बजह से अबाज निकलना भी बंद होगयी थी | कुछ देर बाद रामदास को होश आया और बो अंतिम सांसे ले रहा था | उसकी आंखे लगातार पानी की अविरल नदिया वह रही थी | बहुत भीड़ भाड़ का माहौल होगया था | बाराती लोग भी वहा पहुंच गए थे |
रामदास- अब मेरी बेटी से कौन शादी करेगा | ये शब्द बार बार कह कह के रो रहा रहा था |
तभी एकाएक भीड़ से तेज स्वर में आबाज आती है,
"मै करुगा शादी "
चारो तरफ सन्नाटा , सब मुड़ के उसी की तरफ देखने लगे | लोग पूछने लग गए कौन है कौन है?
ये आबाज किसी और की नहीं ये अपने देवेंद्र की है -- रज्जों ने रामदास को उसका हाथ पकड़ते हुए बताया |
कुछ बाराती लोग बोले देवेंद्र पागल तो नहीं होगये | क्या कह रहे हो ? अपने पापा को जानते हो |
हा जनता हू | मेने जो कह दिया सो कह दिया |
तब तक किसी ने बीरपाल को खबर कर दी | तो बो भी मोके पे पहुंच गए |
आँखों में खून के डोरे थे | क्या बोला तू करेगा शादी बिना मेरी मर्जी के |
दहेज़ के नाम पे एक पैसा नहीं दे रहे ये लोग ऊपर से झूठ बोल रहे है वो अलग
ये शादी हरगिज नहीं हो सकती , बस |
मै यही शादी करुगा - धीरे से देवेंद्र बोला |
और दहेज़ के ३ लाख किस बात के |
क्या रामदास जी अपने यहां कर्ज लेने गए थे, या आपका बेटा कोई मुर्गा या बकरा या अन्य कोई जानबर है जो बेच रहे है | ये तो आपसी समझौता है |
आपको पता भी है ये तो वो धन दे रहे है जिसे इन्होने अपने सारे जीवन में एकत्र किया है |अपने संस्कारो से सींचा है | या ये कहे अपने सारे जीवन की कमाई दे रहे है |
चारो तरफ सन्नाटा था .. सब चुप थे |
बीरपाल जी सर झुकाये एक तरफ बैठे थे |और पंडित जी मंत्र उच्चारण कर रहे थे ... और शादी होरही थी |
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