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आज दोपहर १२ बजे (भाग ३ )...

Bhoot ki kahani

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         अब दीपक हद से ज्यादा डरा हुआ था | अपनी साँस लेने की आवाज भी उसे डरा रही थी | दिल की धड़कन जरुरत से ज्यादा तेज चल रही थी | उसने अपनी पुरानी साईकिल उठायी और अपना स्कूल का बेग ले के

स्कूल की और चल पड़ा | रस्ते भर उसके दिमाग में बीती हुई बाते ही चल रही थी | स्कूल पहुंच के अपनी क्लास में पंहुचा तो साथ बाले लड़के शरारते कर रहे थे | दीपक रोज से कुछ अलग तरह का व्यबहार कर रहा था | उसके चेहरे अब भी डर की लकीरे साफ साफ दिख रही थी | दीपक शांत बैठा रहा | चलो चलो भागो मजा आ गया जैसी अबाजे दीपक के कान में गई तो तो उसने मुड़ के देखा सारे बच्चे स्कूल बैग उठा के भाग रहे है | पता करने पे पता चला के किसी अकस्मात घटना होजाने की बजह से स्कूल की छुट्टी कर दी गयी है | अब दीपक ने भी अपना बैग उठाया और अनमना सा चल देता है |

  

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     आज जल्दी छुट्टी हो गयी है तो घर ही चलता हूँ | और दीपक घर की और साईकिल मोड़ देता है | गांव की और जाने वाली सड़क बहुत ही बेहाल होने के कारन साईकिल बहुत ही धीमे चलनी पड़ रही थी | लगभग आधा घंटा साईकिल चलने के बाद दीपक को प्यास महसूस हुई लेकिन आस पास कुछ नहीं था |

धूप बहुत ही तेज थी जिसके कारन व्याकुलता बढ़ती जा रही थी | सामने एक पेड़ था सोचा चलो थोड़ा ठंडी छाया में खड़ा होता हूँ | उसके बाद चलूँगा | थोड़ा सा वक्त बीता ही था के दीपक ने देखा एक औरत बगल में थैला लटकाये और एक थैला हाथ में पकड़े हुए आ रही है | पास आने पे उसने देखा ये तो मुन्नी चची है | जो बरसो पहले गायब हो गयी थी | छुटकन चाचा कितने परेशान रहे थे इनको ढूंढने के लिए | वो तो रोते रोते पागल से हो गए थे | और बाद में न जाने कहा चले गए थे | आज तक न पता चला जिन्दा है भी या नहीं | अब ये कहा से आ रही है | 

   सोच ही रहा था के वो औरत थोड़ा और आगे निकल चुकी थी | दीपक ने साईकिल उठायी और उसका पीछा किया | पास जाने पे बोला - मुन्नी चची |

कहाँ जा रही हो ? और कहाँ थी अब तक ? कितने सालो से सब आपको तलाश रहे है ?

 अरे दीपक तुम ?  कहाँ से आरहे हो ?

दीपक - मैं पास बाले शहर में पढ़ता हूँ | वही से आरहा हूँ | तुम कहाँ ?

मुन्नी चची - मैं तो घर जा रही हूँ | बाजार गयी थी कुछ सामान खरीद ने |

दीपक - कोनसे घर |

मुन्नी चाची- यही है पास के गांव में |

दीपक - और चाचा का कुछ पता है ? 

मुन्नी चाची - हाँ वो भी है न साथ में |

दीपक - वो तो पागल हो गए थे आपको ढूंढते ढूंढते |

मुन्नी चाची - हाँ अभी भी पागल ही तो है |

चलो मिलवाती हूँ | पास ही है |

जिज्ञासा बस दीपक ने उनके साथ जाने का निश्चय किया | और चाची को साईकिल पे बैठने को कहा और दोनों चल पड़ते है |


     आगे से दाये चलना है चाची ने बताया और फिर बाये से पतली बाली गली है न उसपे चलना है | चाची बताती गयी और दीपक साईकिल चलता गया |

दीपक - चाची यहाँ तो कुछ नहीं है बस खली खली खेत है | दूर दूर तक कुछ नहीं दिख रहा |

चाची - बस थोड़ी दूर और है फिर सब दिखने लग जायेगा | 

और थोड़ी दूर चलने के बाद ..............

दीपक - चाची ये धुआँ और आग क्यों जल रही है अलग अलग ?

चाची - कुछ नहीं ऐसे ही ये तो शमशान है न इसलिए |

दीपक के अब रोंगटे खड़े होने लगे और अब थोड़ा सा शक और बढ़ने लगा |

दीपक - चाची तो हम इधर क्यों जा रहे है ?

चाची - हमारे घर का रास्ता इधर से ही है | लो बस आने बाला है घर अपना | देखो वो रहा सामने अपना घर |

दीपक- लेकिन चची यह तो कोई घर नहीं है ? केबल एक ही झोपडी है | अपने ने तो बोला था गांव है ?

चची - वो है न पीछे २ किलो मीटर दूर गांव |

दीपक ने कुछ नहीं कहा | दीपक अब चुप था | 

 बगल में थोड़ी दूर एक पेड़ था जिस पे पीले पोशाक में एक सुन्दर जवान सी लड़की झूला झूल रही थी |

चची बो कौन है ? दीपक ने पूछा ? 

वो इमली है कहते हुए चची ने उसे अंदर आने को कहा |

दीपक - इमली ?

चची - हाँ अब ये मेरे साथ ही रहती है |

दीपक - कब से ?

चाची - तभी से |

दीपक - लेकिन ???

और प्रश्न करता उससे पहले ही उसके हाथ में एक ग्लास थमा दिया और पूछा इमली तुम्हे पसंद थी न ?

दीपक - थी का क्या मतलब पसंद है |

चाची मुस्कराने लगी | और बोली बो देखो तुम्हारे चाचा | 

दीपक - अरे ये क्या ये अभी भी बो ही फाटे हुए कपडे और बैसे ही बड़े बड़े बाल और दाढ़ी है | कटवाई क्यों नहीं है | और ये कल्लन ताऊ भी है यहां ? ये तो नदी में कूद गए थे ?

चाची - हाँ ये भी हमारे गले पड़ गए है | और यही मडराते रहते है | अब आगे आने पे देखता है की कुछ और लीग भी दिख रहे है जो बरसो पहले या तो खो गए थे या किसी दुर्घटना में गुम हो चुके थे ?

 दीपक सोच रहा था की ये कोनसी जगह है जहा सब गुमसुदा एक ही जगह पे इखट्टे हो चुके है ?

कुछ तो गड़बड़ है | और कोई भी मेरे पास नहीं आरहा है | 

मै यहां कहा आ गया हू ? कुलमिला के हालत पतली हो चुकी थी | शरीर थर थार कापने लगा था | पसीने से बदन नहा चुका था | अब वो वहाँ से भाग जाना चाह रहा था |..........     

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आगे की कहानी जारी रहेगी ........

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