Rochak kahaniyan in hindi - Rochak kahaniya - kuch rochak kahani - 10 रोचक कहानी इन हिंदी - वेब सीरीज - कॉल सेंटर (भाग 2)


वेब सीरीज - कॉल सेंटर (भाग 2)

Rochak kahaniyan in hindi




माया की सुबह आँख उसके मोबाइल में अलार्म बजने से खुली | माया फ़ोन उठाया और अलार्म बंद किया , टाइम देखा तो ६ बज चुके थे | उसके दिमाग में तुरंत आया की उसे ऑफिस भी जाना है | उसने फुर्ती से उठते हुए जाने की तयारी करने के बारे सोचा , लेकिन आज माया दूसरी बार कुछ अजीव सा दर्द महसूस कर रही थी | उसे ये दर्द पहली बार तब हुआ जब ........ माया अपने बाल संभालते हुए याद करने लगी |

जब माया ने कॉलेज करने के बाद पहली बार कॉल सेंटर की जॉब ज्वाइन किया था | आज माया का पहला दिन था और माया को बताया गया की उसे १० दिन की ट्रैंनिंग करनी होगी , जो की पेड होगी , उसे ट्रेनिंग का पैसा जोइनिंग के बाद दूसरे माह की सैलरी के साथ मिलेगा | माया स्कूल टाइम से ही आकर्षक दिखने वाली लड़की थी , अच्छा खासा लम्बा ऊँचा कद , मांसल गदराया हुआ शरीर , नैन कटीले , लम्बे काले घने बाल , उभरे हुए बक्ष , उसकी सुंदरता को चार चाँद लगा देते थे , जो भी देखता था देखता ही रह जाता था | माया जब ट्रेनिंग रूम में पहुंची तो देखा उसकी तरह ही ८ , १० कैंडिडेट पहले से रूम में ग्रुप बना के बैठे हुए है | उसने गेट खोलते हुए पूछा - एक्सक्यूज़्मी , क्या यही ट्रेनिंग रूम है ? यही ट्रेनिंग होने वाली है ? 

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यस , यू आर इन राइट प्लेस , आवाज पीछे बाली शीट पर बैठे हुए शख्स ने उत्तर दिया | ओके थैंक्स बोलते हुए माया भी कमरे में एंटर कर गयी और खली पड़ी चेयर पर बैठ गयी | लगभग सभी कैंडिडेट्स की नजर माया के चेहरे की और थी , अब थोड़ी देर बाद होड़ सी लग गयी की कोन माया से बात करेगा , सभी लोगो ने माया को घेर लिया था | फिर थोड़ी देर बाद एक सर अंदर आये , और सबको व्यबस्थित हो कर बैठने को कहा , और खुद का परिचय देते हुए सबको अपना अपना नाम बताने को कहा |

 अब सब बारी बारी से अपना नाम बताने लगे , चार पांच के बाद , सर माय नेम इज माया ,

सर ( अंकित ) ने टोकते हुए पूछा - ओनली माया ? सर नेम ?

माया - माया राठौर , 

अंकित - ओके , माया राठौर , nice  name  |

माया - थैंक्स सर |

अंकित - ऑलवेज वेलकम , माया को अंकित के वेलकम में एक स्वार्थ नजर आया , खैर उसने इग्नोर  किया |

ओके , इंट्रोडक्शन कम्पलीट हो गया है , चलो आज हम लोग डे वन की ट्रेनिंग कम्पलीट करते है |

ट्रेनिंग चलती रही , सभी लड़के किसी न किसी बहाने से माया के पास आना चाहते थे , लेकिन फ़िलहाल माया के मन में ऐसा कोई विचार नहीं था क्युकी उसे फ़िलहाल रोजी रोटी चलाने के बारे में सोचना था , अनजान शहर में माया के पास इतना ही पैसा था की वो किसी तरह दो महीने तक खाना पीने और पीजी का भुगतान कर सके , उसके बाद उसे रोड पर ही आजाना था | इसलिए इस तरह के विचार उसके मन में नहीं थे , हालाँकि कॉलेज टाइम पर माया बहुत चुलबुली लड़की रही थी |


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एक एक करके ट्रेनिंग के दिन निकलते जा रहे थे , ट्रेनर अंकित के द्वारा शिखाये गए कालिंग के गुर सबसे ज्यादा माया ही सीख रही थी , इसलिए माया को अंकित ने अपना फेवरिट स्टूडेंट करार दिया , हालाँकि उसके पीछे उसका स्वार्थ था | वो किसी न किसी बहाने से माया के आस पास रहना पसंद करता था | इस बात को माया भी भली भाती समझ रही थी , लेकिन माया को क्या , उसे इन सब के बारे में पहले से उसके पीजी मैट्स ने बता दिया था , तो बो उसे ज्यादा ध्यान नहीं देते थी |

लेकिन अंकित किसी न किसी बहाने से माया को अपने पास बुला ही लेता था | आज तो अंकित ने माया को साथ में लंच करने के लिए इनवाइट किया | अब माया ट्रेनर होने के नाते उसे माना नहीं कर पायी |

अंकित , माया को एक अच्छे से रेस्टोरेंट में ले कर गया , जहां पहले तो माया ने जाने से इंकार किया , सर इतने महंगी जगह जाने की क्या आवस्यकता है |

अंकित ने शैतानी मुस्कान लाते हुए कहा - स्पेशल लोगो को स्पेशल जगह ही लाया जाता है |

माया - थोड़ा सकुचाते हुए , बोली - स्पेशल , कौन स्पेशल है सर |

अंकित - आप और कौन ?

माया - नहीं मैं तो कोई स्पेशल नहीं हूँ |

अंकित - हमरे लिए तो स्पेशल हो , पता है ट्रैनिग में जितने भी लड़के है सब तुमसे दोस्ती करना चाहते है |

माया - हाँ पता है |

अंकित - चलो रेस्टोरेंट में अंदर चल कर बैठते है फिर बात करते है |

अंदर पहुंच कर एक टेबल पर दोनों बैठ जाते है , बातो बातो में माया ने पूछा - सर अब तो ट्रैंनिंग कम्पलीट हो जाएगी फिर , तो हम लोग कस्टमर्स को हेल्प करे लगेंगे ?

अंकित - पहले थोड़ा मुस्कराया , फिर बोला - हाँ , लेकिन उससे पहले एक आपका सर्टिफिकेशन होगा क्लाइंट की और से , अगर उसमे आप लोग पास हो गए तो , अगर फ़ैल हुए तो एक ५ दिन की ट्रेनिंग का दूसरा चांस मिलता है फिर भी पास नहीं कर पाया तो फिर सॉरी बोल दिया जाता है |

माया - मतलब सर अभी भी कुछ कन्फर्म नहीं है ,

अंकित ने माया को डराते हुए कहा - हाँ , क्लाइंट की और से ३०% कैंडिडेट्स ही पास किये जाते है |

अंकित एक ३६ बर्षीय सुडोल शरीर का मालिक और एक महत्वाकांक्षी व्यक्ति था | अक्सर वो इस ट्रिक को अपना कर अपने शिकार बनाया करता था , माया भी उसकी शिकार में से एक बनाने वाली थी |

अंकित ने कहा - हाँ अभी भी कुछ कहा नहीं जा सकता |

माया डर चुकी थी , उसे भय होने लगा , की पता नहीं उसकी जॉब सिक्योर होगी या नहीं |

माया - तो सर फिर कैसे होगा , मुझे इस जॉब की शक्त जरूरत है , अगर मेरे पास ये जॉब नहीं रहेगी तो ???

अंकित - तो क्या माया ?

माया - कुछ नहीं , और मायूस हो गयी |

अंकित - माया देखो पूरी बात बताओ , मैं हूँ न हेल्प करने के लिए , आखिर मैं भी तो तुम्हारी तरह ही इस शहर में नया आया था तो मैं समझ सकता हूँ |

माया - सर मेरे पास पैसे नहीं है , इस शहर में खुद को और रख पाने के लिए |

अंकित अब अपने चेहरे पर हाथ फेरते हुए, मैं समझ सकता हूँ माया , कुछ सालो पहले मेरे साथ भी यही हाल था , तुम टेंशन न लो , मैं हूँ न तुम्हारी हेल्प करने के लिए |

माया - वो बात तो सही है सर लेकिन , जॉब होगी तो दिक्कत नहीं आएगी |

अंकित ने पूछा - माया आपके पैरंट्स कहा है ?

माया ने तपाक से कहा - जहन्नुम  में |

अंकित - मतलब ?

माया - बहुत लम्बी कहानी है , फिर कभी फुर्सत में बताऊगी |

अंकित - ओह सॉरी |

अंकित ने बेटर बुला कर माया के पसंद का खाना आर्डर किया |

माया अब खामोस बैठी थी , खाने का इंतजार कर रही थी , अंकित ने टोकते हुए कहा - क्या हुआ शांत क्यों हो गयी हो तुम |

माया ने कहा - मुझे अब टेंशन हो रही है |

अंकित मुस्कराया और कहा - ये तो चलता ही रहता है , मैं तुम्हारा जुगाड़ करावा दूंगा |

माया के मायूस चेहरे पर एक उम्मीद की किरण झलकी तो उसने कहा कैसे ?

अंकित ने कहा - माया मैं यहाँ का ट्रेनर हूँ , मेरे क्लाइंट से जुगाड़ है , मेरे कहने पर ही वो कुछ कैंडिडेट्स को चूज करते है |

माया - मुस्कराते हुए बोली , फिर तो ठीक है सर ,आप मेरा तो सिलेक्शन करवा ही दोगे न |

अंकित - हाँ क्यों नहीं , लेकिन एक शर्त है |

माया के चेहरे आयी ख़ुशी बापस होते हुए , क्या शर्त है सर |

अंकित - जादुई मुस्कान के साथ , कुछ खास नहीं , आपको हमसे दोस्ती करनी पड़ेगी |

माया - ओहो सर आपने तो डरा ही दिया था , अरे हम दोस्त तो है ही तभी न एक साथ खाना खा रहे है |

अंकित - हाँ , लेकिन मैं इस दोस्ती को कुछ नाम देना चाहता हूँ |

माया - क्या ?

अंकित ने आपने जेब से रेड रोज निकला और सबके सामने माया को प्रोपोज़ करने लगा , और बोला माया मेरी गर्लफ्रेंड बन जाओ |

माया अब दुविधा में फस चुकी थी , अगर मना करती है तो शायद जॉब हाथ में न रहेगी , और जॉब हाथ में नहीं रहेगी तो उसका मकसद पूरा नहीं हो पायेगा | 

माया ने कांपते हुए हाथो से गुलाब के फूल को आपने हाथो में जकड़ लिया और उसने कुछ नहीं कहा , बाकी का अब जो कहना था वो उसकी आँखों ने कहा |

लंच ख़त्म हो चुका था , अंकित ने आज माया को रेस्ट करने के लिए कहा और उसे उसके पीजी के पास ड्राप करके आया , आते वक्त उसने माया को अपना ध्यान रखे और कॉल करने के लिए कहा |

अगले दिन संडे था , ऑफ था तो पीजी में माया के साथ तीन और लड़कियां , दीप्ति, सुमन और मोना भी रहती थी लेकिन वो तीनो एक्सपेरिएंस्ड थी , वो पहले से ही जॉब कर रही थी | आज सब मिल कर मस्ती करने के मूड में थी , लेकिन माया टेंशन में थी , वो जान रही थी की अंकित की दोस्ती का मतलब कुछ और ही है | वो सोच ही रही थी की उसका फोन रिंग करने लगा देखा तो अंकित का नंबर डिस्प्ले हो रहा था | 

हेलो सर !!

अंकित - माया वो न कल सर्टिफिकेशन है , तो बताने के लिए कॉल किया था |

माया - थोड़ी और नर्वस हो गयी , ओके सर |

अंकित - माया शाम को फ्री हो न ?

माया - हम्म |

अंकित - ठीक है , तो मुझे मिलना , सर्टिफिकेशन के बारे में कुछ बात करनी है |

माया - ओके |

शाम को अंकित माया के पीजी के बाहर लेने आगया | 

माया - हम कहा चल रहे है सर ?

अंकित - मेरे फ्लैट पर |

माया - पर क्यों ?

अंकित पहले तो कुछ नहीं बोला , जब माया ने दूसरी बात पूछा तो उसने कहा - तुम्हे सर्टिफिकेशन क्लियर नहीं करना |


अब माया समझ चुकी थी की आज वो हवसी दरिंदे की शिकार होने वाली है | वो चाहती तो वापस भी जा सकती थी , लेकिन उसने वही रास्ता चुना , क्युकी आज मजबूरी से बड़ा उसका भविष्य का मकसद था इसलिए वो  चुप चाप बैठी रही | अब मामला साफ था , अंकित उसे क्यों ले जा रहा था वो समझ चुकी थी , फ्लैट पर पहुंचे तो अंकित ने प्लान के मुताबिक माया को कहा अब तुम खुद समझदार हो इसलिए आप अपना गिफ्ट दो , कल मैं आपको उसका रेतुर्न गिफ्ट दूंगा | माया की आँखों में आंसू थे |

अब माया अपना टॉप और जींस उतरने लगी थी , और अपनी आंखे बंद करके बेड पर बैठ गयी , और अब बाकी का काम अंकित ने करना शुरू किया , अंकित के लिए ये पहली बार नहीं था , हाँ लेकिन शायद माया के लिए ये खेल नया था | लेकिन मजबूरी बस उसे ये सब करना था |


अंकित ने अपनी हवस अपनी तरीको से माया के जिस्म के साथ खेल कर मिटाई , लेकिन उसे नहीं पता था , की उसने अपनी हवस मिटने के बदले माया को कितने बड़े जख्म दिए है | अपनी ठरक शांत हो जाने के बाद अंकित बेड पर यू ही पड़ा रहा , माया भी निढाल , टूटे हुए बृक्ष के पत्तो की भाती निर्बस्त्र पड़ी थी , उसकी आँखों से अविरल पानी वह रहा था | उसके बक्ष स्थल पर उसे बड़ी जोर से दर्द महसूस हो रहा था उसने अपना एक हाथ वहां रखा ही था की तब तक उसे अपनी जांघो के बीच कुछ रिसाव महसूस हुआ , उसने एक हाथ से टटोल कर देखा तो मालूम हुआ की उसके गुप्तांग से रक्त स्राव हो रहा है , माया फुट फुट कर रोने लगी |


अब माया को दुवारा से होस आया , अरे यार मैं भी न कहा खो गयी थी , कितना लाते हो गयी , लगता है आज तो फिर से हाफ डे लग जायेगा और बॉस की सुनाने को मिलेगी | घड़ी में देखा तो पता चला ७:३० तो यही हो गए , अब पहुंच पाएगी तो उसने , अपना फोन लिया और एक मैसेज टाइप किया और 

और अपना हैंड बैग लिया , और कमरे से निकलने लगी , जाते जाते उसने मिस्टर डीके से कहा - मिस्टर डीके , मैं जा रही हूँ |

डीके - ओके बाय जाओ , हम अगले महीने फिर मिलेंगे , व्हाट अ प्लेज़र  यू हेव गिवेन मी !!!! 

थैंक यू !!!

माया आपने फ्लैट पर पहुंच जाती है और बिस्तर पर गिर जाती है |||




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