वेब सीरीज कॉल सेंटर हिंदी कहानी भाग -7 | Call Center - Hindi kahani Part - 7
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अब तक अपने इस हिंदी कहानी में पढ़ा की , नैना डेविड से मिल कर बापस अपने फ्लैट पर आ जाती है , और फिर उसने सुलेखा को बुला कर एक प्लान तैयार किया , अब आगे
सुलेखा और नैना दोनों वोडका पीकर सो चुकी थी , करीब दो तीन घंटे बाद , नैना की आँख खुली उसने अपना फ़ोन उठा कर देखा तो उसमे मिस्टर डेविड की मिस्ड कॉल पड़ी थी | उसने घड़ी की और देखा तो शाम के 8 बज चुके थे | अब उसे याद आया की आज तो उसे अपने पहले क्लाइंट के पास किसी को भेजने के लिए मैनेजिंग करनी थी , उसने तुरंत डेविड के नंबर पर कॉल किया | कॉल करते समय थोड़ा सा नर्बस थी , उसे लगा की कही डेविड उसे डांटेगा तो नहीं | डेविड ने कॉल रिसीव किया और कहा - देखो अगर तुम ये रेस्पोंसिब्लिटी नहीं ले पा रही हो तो मैं किसी और को मैनेज करने को बोल देता हूँ |
नैना ने बात को संभालते हुए डेविड को सॉरी बोला - और कहा की आज उसने अनजाने में ज्यादा वोडका पी ली थी इसलिए नींद आ गयी थी |
डेविड ने उसे एक बार फिर से हड़काते हुए कहा - ये तुम्हारा लास्ट चांस है देख लो नहीं तो मैं किसी और को ये जिम्मेदारी दे देता हूँ |
नैना ने पूरा अस्वासन देते हुए कहा - सर आप चिंता न करे , अब से सब ठीक से होगा |
फिर नैना ने पूछा - आज का अर्रेंज्मेंट हो गया क्या ?
डेविड ने कहा - हाँ अभी के लिए हो गया है , और अगर जरूरत पड़ी तो किसी को आना होगा , अब देख लो किसे भेजेगी ?
नैना - ठीक है सर मैं मैनेज कर लुंगी , आप बता देना |
अब नैना ने सुलेखा को जा कर देखा तो वो सो रही थी , उसने अपना फोन लिया और एक नंबर पर कॉल किया
हेलो , मैं नैना |
हेलो मेम , कैसे हो ?
नैना - मैं ठीक हूँ , फ्री हो न ?
हाँ मैं फ्री हूँ मेम , क्या कोई क्लाइंट है ?
नैना - हाँ तैयार रहना |
ओके में मेम
थोड़ी देर नैना बाहर सोफे पर बैठी कुछ सोचती रही और फिर उसने अपने गीले आँखों से आंसू साफ करते हुए अंदर जा कर सुलेखा को जगाया , और उसके साथ खाना खाने के लिए बहार जाने का प्लान बनाया |
सुलेखा उठी और सीधी वाशरूम चली गयी , बापस आने पर उसने अपना हैंड बैग उठाया और नैना के साथ चल दी | दोनों पास के ही एक रेस्टोरेंट में खाना खाने चली गयी | अपनी अपनी पसंद का खाना आर्डर किया और पेट भर कर खाना खाया | खाना खाने के बाद दोनों बहार आयी तो सुलेखा ने कहा नैना चलो पैदल चलते है पास ही तो है , थोड़ी सी बात भी कर लेंगे | अब दोनों पैदल चलने लगी |
aap pdh rhe hai kahani hindi me
सुलेखा ने नैना से कहा - एक बात पुछू ?
नैना ने कहा - हाँ जरूर , पूछो क्या जानना है ?
सुलेखा - मेने तो मजबूरी में इस घिनोने काम का सहारा लिया था , तुम तो एक भले घर की लड़की हो तुमने इस दलदल में क्यों अपने आप को धकेला है ?
नैना - बहन मेरी भी बहुत बड़ी मजबूरी है इस शहर और इस घिनोने काम में आने के पीछे |
सुलेखा - वो क्या है ? क्या मैं जान सकती हूँ ?
नैना ने सुलेखा का हाथ पकड़ा और उसे रोड के उस पार बाले पार्क में ले गई और एक शीट पर बैठते हुए कहा - सुलेखा बहुत लम्बी कहानी है , शायद रात न गुजर जाये बताते बताते |
सुलेखा ने मायूसी भरी नजरो से नैना की और देखा और कहा - बताओ आज मैं सब कुछ जान लेना चाहती हूँ |
नैना ने एक लम्बी साँस ली और कहा - बात तब की है जब मैं बारहवीं पास करके , ग्रेडुएशन में जाने बाली थी | पापा मम्मी में कुछ तना तानी रहने लगी थी | पापा अक्सर ऑफिस का बहाना करके बाहर रहने लगे थे , माँ ने मेरी और भाई की देखभाल और पढ़ाई के चलते जॉब छोड़ दी थी और पूरी तरह से हाउसवाइफ बन गयी थी | उसके पीछे भी कोई कहानी है जो मैं आज तक नहीं पता कर पायी हूँ | शायद उन्होंने जॉब करते हुए किसी तरह का उत्पीड़न सहा था इसलिए उनका जॉब और ऑफिस के लोगो से विस्वास उठ गया था , जिसे वो सिर्फ अपने छलकते आसुओ की सहारे ही वया करती थी उसके अलावा कोई नहीं जानता कि वो क्यों जॉब से खपा हो गयी थी | और माँ के जॉब छोड़ने के बाद उनके पास टाइम होता था , वो पापा के साथ टाइम स्पेंड करना चाहती थी लेकिन पापा का बहार किसी के साथ चक्कर चलने लगा था , वो जिसके साथ पापा का चक्कर था वो उनकी ऑफिस की एक क्लाइंट थी , तो पापा का उसके साथ अक्सर आना जाना रहता था , फिर पापा घर पर भी काम आने लगे थे , कभी कभी उसी के घर स्टे करने लगे थे |
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सुलेखा - उसका हस्बैंड या कोई और घर में नहीं होता था ?
नैना - उसका हस्बैंड एक बिजनेसमैन था , बिजनेस में घटा हो जाने से उसने बहुत ज्यादा शराब पीना
शुरू कर दिया था , उसकी एक बेटी थी , वो हॉस्टल में पढ़ती थी , फिर बाद में उसके हस्बैंड पैरालाइज्ड हो गए थे , एक कोने में पड़े रहते थे , और वो ( मीरा ) जो मन में अत मर्जिया करती थी , उसने पापा को भी फसा रखा था |
एक दिन पापा का शाम को कॉल आया की आज ऑफिस में काम ज्यादा है तो घर नहीं आएंगे | माँ को टेंशन होने लगी थी , शायद माँ समझ चुकी थी की कोनसी ऑफिस में काम है | माँ को गुस्सा ज्यादा आया तो माँ ने पापा के ऑफिस में कॉल किया तो पता चला की आज बसंत जी तो ऑफिस आये ही नहीं है |
माँ के पूछने पर बताया की उन्होंने आज कॉल किया था की उनकी तबियत ख़राब है इसलिए ऑफिस नहीं आ रहे है |
माँ का शक सही निकला , माँ समझ चुकी थी की पापा जरूर ही मीरा के साथ ही उसके घर या कही बाहर घूमने गए होंगे |
अब तो पापा का रोज का यही ड्रामा हो गया था के वो मीरा के साथ घूमते खाते पीते और मौज मस्ती करने लगे थे | मीरा इसी बहाने पापा की सैलरी का आधे से ज्यादा हिस्सा तो खर्च करा लेती बाकी का अपने खर्चे के लिए मांग लेती थी | अब पापा अपनी फॅमिली पर ध्यान देना बंद कर चुके थे और वो उस डायन मीरा के चंगुल में फस चुके थे |
हमारी पढ़ाई और घर खर्चे के नाम पर पापा सिर्फ माँ से झगड़ा और मार पीट ही करते थे | क्युकी उनके पास पैसा बचता ही नहीं था | फिर माँ ने धीरे धीरे खुद को पापा से अलग रखना ही सही समझने लगी थी , और अपनी बचायी हुयी सेविंग से हमारा घर खर्च चलाने लगी थी |
फिर कुछ दिनों बाद पापा और मीरा दोनों शराब के नशे में हमारे घर भी आने लगे थे , मम्मी को मजबूरन दोनों की सेवा करनी पड़ती थी | जब ये बात उसकी बेटी रिंकी को पता चला की उसकी माँ किसी और मर्द के साथ राते बिताने लगी है , तो उसने हॉस्टल छोड़ के आना सही नहीं समझा और अपनी माँ से रिस्ता तोड़ दिया |
माँ को पापा का ये व्यवहार जब हद से ज्यादा लगा तब माँ ने पापा से तलाक लेने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कई सालो तक केस चलने के बाद माँ आखिर पापा से अलग हो ही गयी |
इतने में नैना का कॉल आया कॉल मिस्टर डेविड का था , डेविड ने नैना से कहा कि आज एक नया क्लाइंट हाथ लगा है , तो उसे खुस करना है , किसी एक्सपीरियंस लड़की को ही भेजना |
ओके सर कह के नैना ने कॉल कट कर दिया |
सुलेखा - किसका फोन है ?
नैना - डेविड का |
सुलेखा - तो अब |
नैना - किसी एक्सपीरियंस लड़की को भेजने के लिए कहा है |
सुलेखा - रुको मैं चली जाती हूँ , वैसे भी मुझे आज कुछ नया ट्राई करना है |
नैना - शांत रही कुछ न कहा |
सुलेखा - बोलो |
नैना - ठीक है जाओ , और हाँ सुनो , और नैना ने अपना प्लान सुलेखा को समझाया |
सुलेखा ने कहा - चिंता न करो , मैं तुम्हारे साथ हूँ |
नैना - ठीक है , ध्यान से .........
और सुलेखा काम पर चली जाती है और नैना टहलती हुयी अपने फ्लैट पर आ जाती है ............
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