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वेब सीरीज कॉल सेंटर हिंदी कहानी भाग -8 | Call Center - Hindi kahani Part - 8


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Kahani Hindi Me :

अब तक अपने पढ़ा कि नैना और सुलेखा दोनों खाना खाने बाहर रेस्टोरेंट में गयी , और फिर एक पार्क में बैठ कर एक दूसरे की मजबूरिया क्या थी , पर चर्चा कर ही रही थी कि डेविड का कॉल आजाता है , और सुलेखा , नैना से कह कर क्लैट के पास चली जाती है |


अब आगे .....


सुलेखा के चले जाने के बाद नैना का मन एक बार फिर से अशांत हो गया , वो छत पता उठी , पार्क में चाँद की दूधिया रौशनी में चारो और नजरे दौड़ने लगी , तो देखा इतनी रात गए , पार्क के एक कोने में दो प्रेमी युगल एक दूसरे की बाहो में खुद को परोस रहे है | ये देख कर तो उसका मन और भी छटपटाने लगा | उसका अभी फ्लैट पर जाने का मन नहीं था , उसे खुले आसमान के नीचे बैठना आज न जाने क्यों अच्छा लग रहा था , शायद उस पर उसका अकेलापन भारी पड़ रहा था , उसे भी एक मजबूत कंधे की जरूरत महसूस हो रही थी , आखिर उसके भी तो कुछ सपने थे | उसकी भी एक अलग दुनिया बसाने की तमन्ना थी , पर शायद उन तमन्नाओ पर पानी फिर चुका था | सामने बैठे प्रेमी युगल को देख कर आज उसे हिमेश की याद आ गयी, और एक ख्वाब में खो गयी |



नैना जब पहले दिन अपने कॉलेज में गयी थी तो उसका पहले से वहां कोई दोस्त नहीं था , कुछ दिन गुजर जाने के बाद उसे पता चला की हिमेश उसे पसंद करने लगा है , लेकिन वो एक शांत स्वभाव का और अंदर से तेज लड़का था , वो किसी न किसी बहाने से नैना से बात करने की कोशिश करने लगा था , नैना को भी उसके साथ बात करना पसंद आने लगा था क्युकी वो बाकी लड़को से थोड़ा अलग था , ज्यादातर वक्त लाइब्रेरी में बिताता था | और मौका लगने पर नैना के साथ भी बैठ जाया करता था | उससे हसी मजाक बाली बाते कर लेता था | नैना और हिमेश की एक कॉमन बात ये थी की दोनों के ही कॉलेज में ज्यादा दोस्त नहीं थे , तो दोनों आपस में ही बाते करते रहते थे | बातो बाली दोस्ती अब थोड़ी आगे बढ़ने लगी थी , और ये दोस्ती सिर्फ एक तरफ से ही नहीं दोनों तरफ से बढ़ रही थी , आधा साल बीत जाने के बाद भी एक दूसरे को किसी ने प्रोपोज़ नहीं किया , लेकिन एक दूसरे के मन में क्या चल रहा है , दोनों ही जान रहे थे | और फिर एक दिन ऐसा भी आया की हिमेश ने नैना को आई लव यू बोल ही दिया |

और नैना ने मुस्कराते हुए हिमेश को गले लगते हुए कहा - इतनी देर क्यों लगा दी ?



नैना के नैन गीले हो चुके थे , क्युकी अब बो ख्वाव से बहार बाली दुनिया में साँस लेने लगी थी , उसने फिर से इधर उधर देखा तो कोई नहीं दिखाई दिया , उसे लगा की शायद इस पार्क में केबल वो ही अकेली है , अब उसे अपने फ्लैट पर चले जाना चाहिए | और वो अपने फ्लैट पर जाने लगी , धीरे धीरे चलती हुई अपने फ्लैट पर पहुंच जाती है और अलमीरा से वोडका निकल कर एक पेग बनाती है और सोफे पर बैठ कर धीरे धीरे सिप में पीने लगती है | एक दो पेग ख़त्म हो जाने के बाद फिर से उसने एक बड़ा से पेग बनाया और रोते रोते अपनी माँ और पापा की लड़ाई झगड़े वाली बाते याद करने लगी , सोचने लगी आखिर पापा क्यों दारू का सहारा लिया करते थे , ये तो मुझे अब एहसास हो रहा है , माँ नहीं समझती थी की पापा पेग लेने के बाद अपनी सारी समस्याओ को भूल जाया करते थे , और सिर्फ मस्ती में जीना चाहते थे , लेकिन माँ को कुछ और ही लगता था | और हाँ वो डायन मीरा भी तो पापा को उकसाती थी , पापा को मम्मी के साथ मारपीट करने के लिए ........


अब नैना ने पूरा गिलास एक साँस में ख़त्म करते हुए , गिलास को टेबल पर टिकते हुए , अपना फोन उठाया और आज उसने कई महीनो बाद अपना फेसबुक अकाउंट लॉगिन किया , तो  उसने देखा ,,,, की उसके फेसबुक पर फोटो है जिस पर बहुत सारे लाइक और कमैंट्स है , उसने बहुत देर देखा और फिर सिर्फ अपने मुँह से गाली ही निकाली , ये फोटो था उसके अजीज दोस्त और एक्स  बॉयफ्रेंड  और उसके पापा  की मासूका मीरा की जो की अब हिमेश के साथ दुबई में मजे ले रही थी |

उम्र भले ही मीरा की नैना के मुकाबले बहुत ज्यादा थी लेकिन उसकी त्वचा को देख कर कोई कह नहीं सकता था की मीरा की उम्र इतनी है , वो बहुत ख्याल रखती थी अपना , और न जाने क्या जादू था उसके अंदर पराये मर्दो को फ़साने में उसे देर नहीं लगती थी |

नैना ने वो फोटो अपने फोन में सेव किया और कुछ सोचते सोचते न जाने कब सो गयी पता ही नहीं चला |


नैना की आँख रोज की तरह लेट खुली , उसने देखा की ८ बज चुके है तो जल्दी से उसने दफ्तर जाने की तयारी शुरू कर दी | तैयार होते होते उसने सुलेखा को कॉल लगाया ,

हेलो 

गुड मॉर्निंग डिअर 

मॉर्निंग , कैसी हो , कैसी रही कल की रात

सुलेखा - हम्म ठीक ही रही , अपने प्लान की शुरुआत हो गयी है , तुम टेंशन न लो |

नैना - थैंक्स डिअर , और हस्ते हुए , कौन था बुड्ढा था या कोई नैजवान |

सुलेखा - न तो बुड्ढा था और न ही जवान , अपनी वीवी से परेशान था , इसलिए अपनी ठरक मिटाने चला आया था |

नैना मुस्करा दी , और बोली तो तुमने क्या नया try  किया ?

सुलेखा - जोर से हसने लगी , और बोली उसने करने नहीं दिया |

अच्छा चलो अब ऑफिस में मिलते है |

हाँ ठीक है , सुनो मैं थोड़ा लेट से आऊँगी |

ओके ठीक है ,, आ जाना |


नैना ने अपना जरुरी सामान लिया और ऑफिस के लिए निकल गयी , नैना जैसे ही ऑफिस पहुंची तो देखा की आज सूरज पूरब की जगह पश्चिम से निकला हुआ है , जो माया कभी सोमेश से बात भी करना ठीक नहीं समझती थी आज उसके साथ चाय पी रही है और हस हस के बतिया रही है , जरूर कोई षणयंत्र रचने की साजिश चल रही होगी उसके दिमाग में | देखती हूँ , क्या करती है ये आगे आगे |


नैना अपनी शीट पर बैठ गयी और उसने मिस्टर डेविड से कॉल किया -

गुड मॉर्निंग सर !

मॉर्निग डिअर ! कैसी हो ?

मैं ठीक हूँ सर आप बताओ |

मैं भी ठीक ही हूँ , क्या रहा रात का ?

सर सब ठीक रहा , क्लाइंट बहुत खुस होक गया है , दुवारा आएगा |


डेविड - वेल डन , डार्लिंग , सुबह सुबह खुस कर दिया |

अच्छा चलो बाद में बात करता हूँ |


थोड़ी देर काम करने के बाद , नैना ने एक मीटिंग के लिए कॉल किया , सारे ऑफिस स्टाफ को मीटिंग हॉल में बुलाया |

दिए हुए टाइम पर लगभग सब लोग पहुंच गए , लेकिन माया और सोमेश नहीं आये , थोड़ी देर वेट करने के बाद , नैना ने डेविड के दिए हुए इंटरैक्शन पर मीटिंग शुरू कर दी , और जरुरी जानकारी और सूचनाएं , एवं सैलरी इन्क्रीमेंट प्लान और इंसेंटिव प्लान शेयर कर दिए थे , माया और सोमेश को लगा था की उनके बिना नैना कोई मीटिंग या ऐसा काम कर नहीं पायेगी , तो उसे उन्हें खुद बुलाना पड़ेगा , परन्तु ऐसा बिलकुल नहीं हुआ ? माया और सोमेश की चाल उलटी पड़ गयी , ऑफिस स्टाफ को लगने लगा की सोमेश और माया की पोजीशन जा चुकी है और अब नैना  पावर में आ चुकी है , सब लोग नैना को सपोर्ट भी करने लगे थे |


माया अपनी एक और बेज्जती देख कर खुद को रोक नहीं पा रही थी , उसने तुरंत अपनी गाड़ी निकाली और सीधा सोमेश को लेकर ऑफिस से बहार चली गयी | कुछ जरुरी काम थे जो सिर्फ माया या सोमेश को ही राइट्स थे करने सो रुक गए , जिससे नैना के ऊपर प्रेसर आने लगा | नैना नहीं चाहती की इस बात को लेकर वो डिवीड के पास जाये सो वो खुद ही सुलझाना चाहती थी |

उसने माया को एक और कदम उठाने से पहले ही उसने सुलेखा को बोल कर एक डाटा निकला और सुलेखा को बोला कॉल करो और ऑफर दो , किसी भी तरह से इन क्लाइंट्स को बापस बुलाओ |


सुलेखा ने कॉल किया ?

हेलो - मिस्टर डीके 

यस , हु इस थिस ?

मैं सुलेखा , बात कर रही हूँ , सर आप कुछ दिन पहले हमारे यहाँ सर्विस के लिए आये थे , फीडबैक लेना था , कैसी रही हमारी  सर्विस

डीके - मच बेटर देन अदर्स 

सुलेखा - सो सर आपके लिए हमारे यहां एक ऑफर है , 

डीके - ऑफर सुनते ही डीके तैयार हो गया और उसने पूरा एक वीक के लिए बुकिंग लेली |



नैना की पहली चाल सफल हो चुकी थी , उसने तुरंत डेविड को पूरा हाल सुना दिया और कहा - सर डीके केवल माया मेम से  एक वीक के  

लिए सर्विस लेना चाहता है |

डेविड को क्या चाहिए था वो तो लालची था , उसने तुरंत हाँ बोल दिया |

और बुकिंग कन्फर्म कर दी गयी , 


सुलेखा और नैना ने चैन की साँस लेते हुए आज शाम को जश्न मनाने का प्लान बनाया दोनों ने बियर बार जाने का प्लान किया |

और दोनों शाम को बियर बार चली गयी , और एन्जॉय करने लगी , दोनों एन्जॉय करते करते , बियर पीते पीते और डांस करते करते जब थक गयी तो साइड में जा कर बैठ गयी और स्नैक्स खाने लगी , तभी नैना की नजर एक अधेड़ व्यक्ति पर पड़ी , नैना एक नजर में समझ गयी , और हस्ते हुए सुलेखा से बोली - सुन , सोमेश का भी हो गया काम ,

सुलेखा ने पूछा कैसे ?

नैना ने उसे कान में सब समझा दिया और दोनों ताली मर के हसने लगी |


नैना ने उस अधेड़ व्यक्ति से बात की और अपना कंपनी का कार्ड दे कर वहां से निकल गयी |

और घर पहुंची , दोनों आज पहली बार खुस थी काफी दिनों बाद |


नैना ने मेडम माया को कॉल किया |


नैना - हेलो गुड इवनिंग मेम !

माया - हाँ बोलो 

नैना - मेम नाराज हो , इवनिंग विश भी नहीं किया |

माया - अपने काम से काम रखो , बोलो क्या कहना है |

नैना - ओके मेम , आपके लिए खुस खबरी है |

माया - क्या ?

नैना - अपना एक चाहने वाला मिस्टर डीके आया है आपको याद कर रहा है |

माया - क्या , क्या कह रही हो ?

नैना - अपना पुराना क्लाइंट है ,

माया - होगा , लेकिन मैं अभी नहीं जा सकती हूँ , अब माया थोड़ी नरम पड़ी 

नैना - ओके मैं मना कर देती हूँ , डेविड सर को भी बोल देती हूँ |

अब माया के पास कोई जवाव नहीं था , वो डेविड के सामने मना नहीं कर सकती थी |

माया समझ चुकी थी की ये नैना की सोची समझी साजिस है | उस समय माया और सोमेश दोनों रेस्टोरेंट में खाना खा रहे थे |

माया ने पूरी बात सोमेश को बताई तो दोनों गुस्से तिलमिला उठे थे लेकिन कर क्या सकते थे ,,,,, दोनों डेविड के तलवे तले दबे हुए थे |

माया को जाना ही पड़ा न चाहते हुए भी ..

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