Motivational Thoughts in Hindi - दीपावली
एक कहावत "दीप तले अंधेरा" अर्थात जो दीया होता है वह ऊपरी छोर से तो प्रकाश देता है। पर उसके तलवे में अंधेरा होता है। यह सत्य है पर यह भी सत्य की अगर दूसरा दीया उसके करीब जला दिया जाए तो दोनों दीया का तलवे भी प्रकाशित हो जाता है। यानी अंधेरा को जाना ही है। दीपाली का तेव्हार भी इसी मानता पर आधारित है। इन्ही दीपो से, हर घर द्वार दीप की रौशनी में जगमगाता है और एक दूसरे के दीप से अंधेरा दूर करते है। घर की साफ सफाई, रंगाई पुताई से लेकर सजावट में भी कोई एक दूसरे से कम नही होता। मेहमानों मित्रो संगही समन्धि के स्वागत में मिठाई और फल फूल से करते है। मित्रो और संगही समन्धि के घरों तक भी प्यार से फल फूल को सलाम दुवा के साथ पहुचाते है।
Motivational Thoughts in Hindi: यह सब अपनी मन के गतिविधि पर निर्भर करता है। यह सब दिखावटी है मान अभिमान, रूआब, और हैसिवत का एक नजराना है। जो दुनिया के सामने रखते है। चाहे मन क्यो ना अनेक प्रकार के दुवेस, नफरत, बैर, ईर्षा, असहनशीलता, इतियादी को पालते हुए मन मे प्रदूषण ढेर लगा लेते है उसे स्वीकार नही। वह मानने को तैयार नही की यह प्रदुषण है। इसे सब से पहले साफ करना चाहिए। घर द्वार साफ सूत्रा हो शरीर पर नए वस्त्र भी है पर मन मे अगर वही प्रदूषण है तो ऐसे में माँ लश्मी कभी भी आप के घर नही आयेगी। प्रदूषण चाहे अंदर हो या बाहर साफ करना जरूरी है। बाहर तो दिखता है और साफ कर देते है। अंदर की प्रदूषण दिखता नही। यह खुद अनुभव करना पड़ता है। कमियां को स्वीकार करना पड़ता है। इसकी अएसास दिब्य ब्रह्मज्ञान की परम जोत से आंध्रुणिक प्रदूषण का अनुभव होता है यह विवेक ब्रह्मऋषि ब्रह्मज्ञानी के सम्पर्क में आने से प्राप्त होता। इस ज्ञान की जोत में खुद भी पावन होते है औरो को भी पवित्र पावन करते है। आप अपना धर्म रीति रिवाज इनको बदलने की जरूरत नही खुद का प्रदूषण जो मन मे है उसे ब्रह्मज्ञान के माध्यम से साफ करें। यही दीपाली है
प्यार से कहिए
🙏🏻धन निरंकार जी🙏🏻
0 Comments