कुसुम - एक अनसुलझी पहेली (भाग - 17)
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नोट - इस कहानी को समझने के लिए पिछले भाग पढ़ना आवश्यक है |
अब तक अपने पढ़ा कि कुसुम और भोलू के अफैर के झूठे चर्चे गांव के कुछ लोगो ने फैला रखा था , जिसकी बजह
से कुसुम के घर में अशांति एवं ग्रह कलेश फ़ैल चुका था , इसका सदमा कुसुम को लगा जिसके कारण उसे
हॉस्पिटल में भर्ती करवाना पड़ा था | अब आगे |
संदीप की टेंशन और भी बढ़ गयी थी क्युकी , उसे शाम को ही रोहित के घर से कॉल आया था , मिलने आने के
लिए | उसके दिमाग में अलग अलग बातें चलने लगी थी , कही उन्हें इस अफवाह के बारे में तो नहीं पता चल गया ,
जिसके कारण वो मुझे बुला रहे है |
अगली सुबह संदीप तैयार हो कर रोहित के घर के लिए निकल जाता है , अब हॉस्पिटल में कुसुम के पास केबल
उसकी भाभी सुनीता रह जाती है , डॉक्टर के मुताबिक उसकी कुछ टेस्ट करवाने होंगे , जिसमे ये साफ हो जायेगा
कि कुसुम की बेहोशी का कारण क्या है ?
डॉक्टर ने जो टेस्ट बताये उनके सैंपल भी ले लिए गए थे , बस अब रिपोर्ट आने का इंतजार था | कुसुम को अब
पहले से आराम तो था लेकिन अभी भी बहुत ज्यादा कमजोरी होने के कारण डॉक्टर ने एक दो दिन और हॉस्पिटल
में रखने को कहा था | अब कुसुम को पता चला की उसके भाई को रोहित के घर पर बुलाया गया है तो कुसुम की
घबराहट और भी बढ़ गयी थी , कुसुम को अभी तक ये नहीं पता चला था की रोहित के घर पर उसकी किसी
पुरानी गर्लफ्रेंड का लफड़ा चल रहा है |
अगली सुबह संदीप जल्दी ही रोहित के घर के लिए निकल गया था , और अस्पताल में कुसुम के पास अब उसकी
भाभी सुनीता ही थी | डॉक्टर ने कुसुम के कुछ टेस्ट लिखे थे जो करवाने थे | टेस्ट के सैंपल ले लिए गए थे उनकी
रिपोर्ट्स आनी बाकी थी | सुनीता और कुसुम दोनों आपस में बाते कर रही थी , और रिपोर्ट्स आने का इंतजार कर
रही थी , तभी अंजली की बाहर आवाज सुनाई दी | कुसुम समझ गयी की अंजली उससे मिलने आयी है , उसने
तुरंत भाभी को कहा - मुझे ऐसा लग रहा है की अंजली आयी है , आप एक बार जा कर देख लो , उसे पता नहीं
होगा की हम किस रूप नंबर में है | ठीक है तुम आराम करो मैं देखती हूँ कहते हुए सुनीता भाभी वहां बाहर की
और निकल गयी |
बाहर अंजली अपने हाथ में एक थैला लटकाये खड़ी थी और इधर उधर ताक झांक कर रही थी , तभी सामने से
सुनीता भाभी गुजरी , उसकी नजर सुनीता पर पड़ी तो उसने जोर चिल्लाया -- भाभी जी || सुनीता ने पलट के देखा
तो अंजली हाथो में कुछ लिए उसकी और आ रही है |
सुनीता - अरे अंजली तुम ? और कौन आया है साथ में ?
अंजली - और कौन आ सकता है ? हम ही है बस |
सुनीता - अच्छा ठीक है |
अंजली - कुसुम कैसी है अब ?
सुनीता - अब ठीक है बो |
अंजली - भाभी जी वैसे उसे हुआ क्या था ?
सुनीता - चुप हो गयी , फिर बोली , न जाने क्या हुआ था , अब ठीक है |
अंजली - कहाँ है वो , क्या मैं मिल सकती हु उसे ??
सुनीता - हाँ वो सामने वाले कमरे में है , जाओ मिल लो |
अब अंजली सीधा अंदर चली गयी , वहां कुसुम अंजली का पहले से ही इंतजार कर रही थी , क्युकी उसने अंजली
को उसकी आवाज से बाहर से ही पहिचान लिया था | कुसुम बेड पर बैठी थी , अंजली ने जाते ही कुसुम को गले
लगा लिया और कई मिंटो तक दोनों एक दूसरे के गले लगी रही , दोनों के आँखों से आँसू आ गए थे , दोनों आज पूरे
एक सप्ताह के बाद मिल रही थी , शायद ऐसा पहली बार हुआ था की दोनों एक दूसरे से एक सप्ताह तक न मिली
हो | ऐसा इसलिए हुआ था क्युकी कुसुम की भोलू के साथ अफैर की अफवाह फैलने से अंजली की माँ ने उसे
कुसुम से मिलने से इंकार कर दिया था | लेकिन आज वो सारी बंदिशे तोड़ कर चुप चाप बिना घर पर बताये कुसुम
से मिलने चली आयी |
अब दोनों एक दूसरे से अलग हुयी , और फिर एक दूसरे का हाल चाल पूछने लगी , कुसुम ने अंजली के कंधे पर
चपत लगाते हुए इठलाते हुए बोली - अरी ये बता घर पर मिलने क्यों नहीं आयी थी , कित्ते दिन होगये थे |
अंजली - मुस्कराते हुए , यार क्या बताये तुम्हे , बस नहीं आ पाए ,
कुसुम - आश्चर्य से , ऐसा क्या हुआ जो तुम न आ सकी हमारे पास |
अंजली - चहरे पर मायूसी लाते हुए .... कुसुम तुम नहीं जानती मुहल्ले में कितना थू थू करवा दिया है तुम्हारे लिए |
अब कुसुम के चहरे पर भी पीलापन आ गया था , गला सुख सा गया , फिर कुसुम ने हम्म कहते हुए अपने आंसू पौछने लगी |
अंजली ने अपनी चुन्नी को अपनी ऊगली से कुरेदते हुए कहा - एक बात और बोले ?
कुसुम - हम्म |
अंजली - हम घर पर बिना बताये हुए आये है तुमसे मिलने , न जाने अब माँ क्या कहेगी ?
कुसुम ने अंजली को डाँटते हुए कहा - पागल हो क्या तुम ? फोन पर बात कर लेती , क्या जरूरत थी आने की ? अब न जाने चाची क्या सोचेगी , और तुम्हे क्या सजा देंगी |
अंजली - चुप रहो तुम , अब जो होगा सो होगा , हमसे न रहा जा रहा था , इसलिए चले आये |
कुसुम - अंजली हम जानते है , तुम हमे चाहती हो , लेकिन इसका मतलब ये नहीं है की तुम हमारे लिए अपना नुकसान करो |
अंजली - अब बस करो , बहुत हो गया , लो देखो हम तुम्हारे लिए तुम्हारी पसंद के गोभी के पराठे बना के लाये है |
कुसुम के चेहरे पर मुस्कान बिखरने लगी , और उसने एक बार फिर से अंजली को गले लगा लिया |
कुसुम ने एक पराठा लिए और खाने लगी , तभी अंजली ने कहा - भोलू मिला था जब हम आ रहे थे तब |
कुसुम - हरामजादा अब और क्या चाहता है ? हमे तो बदनाम के साथ साथ बर्बाद कर ही दिया |
अंजली - पगलाया हुआ घूम रहा है , बस पता कर रहा है की ये अफवाह किसने फैलाई है , कत्ल कर देगा , बोल
रहा था , वो तो हमारे साथ ही अस्पताल आने की जिद कर रहा था , बड़ी मुश्किल से समझाये , कहा - तुम्हारा वहां
जाना अभी ठीक नहीं है , तुमसे मिलने के लिए बेताब है |
कुसुम - नहीं मिलना किसी भी गली के गुंडे से |
अंजली - हम समझ रहे है , लेकिन वो नहीं समझ रहा , उसके सर पर तो भूत सवार है , वो सच में गुस्से में है , कही
कोई कांड न करदे , हमे तो डर है |
कुसुम - हाँ यार , अब क्या करे हमारा तो जीना हराम है |
अंजली चल छोड़ क्यों टेंशन ले रही है , अब जो होगा सो होगा , तेरा उसका क्या हुआ ?
कुसुम - किसका ??
अंजली ने इधर उधर देखा और बोली अरे वही जो तुम कह रही थी की तुम्हारा इस महीने पीरियड्स नहीं आया है ?
कुसुम - हाँ यार मुझे तो उसका भी डर लग रहा है , यार नहीं आया
अंजली - लगे हाथ उसका भी कुछ परामर्श ले ले यहां लेडी डॉक्टर से |
कुसुम - हम कैसे बोले , हमें शर्म आएगी |
अंजली - अच्छा बेटा , और फिर जब कल को मटके की तरह पेट फुलाए घूमोगी तब शर्म नहीं आएगी ??
कुसुम - तुम न डराओ न हमें , हमारी यहाँ पहले से लगी हुयी है || अब क्या करे हम ??
अंजली - यार मैं सीरियसली बोल रही हूँ , क्या हम भाभी से बात करे ??
कुसुम - यार ..... क्या सोचेगी ? आलरेडी हमे भोलू को लेकर बदनाम किया गया है , फिर तो लोग सही समझेंगे |
अंजली ने कुसुम का हाथ पकड़ा और फिर बोली - कुसुम ऐसा कुछ नहीं है , कोई कुछ नहीं समझेगा , तुम न भाभी
जी से बात करो , और अगर ज्यादा दिन हो गए तो गड़बड़ हो जाएगी |
एक बात कहे कुसुम - हमे तो लग रहा है की तुम प्रेग्नेंट हो , क्युकी इतने दिन में तो एक बार पीरियड्स आजाता है |
इसबार कुसुम ने कुछ नहीं कहा और अपने पेट पर हाथ रख लिया | इतने में किसी के आने की आवाज आयी तो
कुसुम ने कहा , अभी कुछ न कहना | इतने में सुनीता भाभी अंदर आजाती है और फिर तीनो मिल कर पराठे खाने
लगे ........... और बाते होती रही |
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