दिल से आवाज आई खोई खोई खुशियां लौटआईं - Dil se aavaj aayi khushiyan laut aayi - Hindi Kahani

 दिल से  आवाज आई खोई खोई खुशियां लौटआईं - Hindi Kahani 


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यों तो  मुहब्बत से लगाव ही न पर पर जब उस से पहली बार देखा तो पलके ठहर सी गईं  ऐसा लगा यही है वो शख्स जिसका में आजतक इंतजार कर रही थी ।

नीली आँखों बाला सजीला नौजवान जिसको देखते ही दिल ठहर सा जाए

दिल वक्त से गुजारिश करने लगा वहीं ठहर जाने की पर वक्त कहाँ रुका किसी के लिए और वो अपने रास्ते हम अपने रास्ते।

पर दोनों के दिलों में मुहब्बत की  बहार भर चली थी नजरे आपसी ताल मेल कर चुकी थीं और प्यार परवान चढ़ रहा था।

जब भी वो सामने होता  हवायें तेज चलती सी लगती, मुरझाई कलियां खिलती सी लगती, धड़कने मचलती सी लगती,

छुपकर बस उसके ही दीदार की गुजारिश करती आँखे ,

अब बहुत मुश्किल से लगता एक भी पल उसके बिन ,रातें कटने लगी तारे  गिन गिन, और आहें भर भर के दिन।

आखिर कब तक तड़पा जाए चलो एकबार सब कुछ सुना दो बता दो अपनों को कोई मुश्किल भी कहाँ सब कुछ जायज है।

लड़का पढ़ालिखा खूबसूरत, सरकारी  नौकरी रिश्ता भी जायज है कहीं कुछ भी गलत  नहीं ।

एकदम परफेक्ट ,

सोंचते ही छम से आ बैठा दिल में  आँखे झुक गयीं ,गाल शर्म से गुलाबी 

और एहसास शबाबी हो गए।

और हल्के से मुस्कुराके बोला सही जा रही हो जाना बस एक कोशिश करो फिर मै और तुम हम होंगे।

उसने याब पक्का ठान लिया ।

फिर एक दिन उसने हिम्मत जुटाकर सारी बातें अपनी माँ से कहीं मां तैयार थी।

पर कोई बहुत अपना था जो उसकी खुशियों के आड़े आ गया।

कोई गैर नहीं बात उसकी सगी बहन के जीवन की थी ,

जो अपना हुआ न था जिससे कहा न था ,बस प्यार था अनकहा एहसास था उस एहसास के आगे खून का एहसास भारी पड़ गया।

और अपनों के आगे वो झुक गई  ।

और वह दोनों हमेशा के लिए जुदा हो गए।

उसके जाने के बाद उसका दूर दूर तक खुशियों से कोई वास्ता न रहा

एक बेजान वुत बनके रह गई मुस्कुराहटें उसके होठों का पता भूल गईं।

धीरे धीरे वक्त अपनी चाल चलने लगा।

और उसके लिए एक लड़का ढूढा न चाहते हुये भी  मन सब कुछ करने को बेबस था क्योंकि कोई भी दौर हो लड़की बिना शादी के नहीं रह सकती सबने अपना फर्ज निभा दिया पर क्या वह अपना फर्ज निभा पाएगी यही सबाल उसके मन पर हावी था।

आखिर बिदाई का समय आ गया जिस घर मे वह पली बड़ी वह एक पल में पराया हो गयाअरमान तो थे नही पर दुनिया के लिए आ गई अपने पिया की  गली सब खुश थे पर उसका मन से उदासियों के साये जाते ही न थे।

रस्मों रिवाजों के बाद उसे सजा कर बैठा दिया गया एक फूलों से सजे 

कमरे में  महकते फूल दिल की डिजाइन में जलती केंडिल

देखकर लगा मानों उसका दिल ही जलरहा है आँखे अश्कों से 

भर आईं  तभी दरवाजा खुलने की आवाज हुई उसने खुदको सँभाला

और घूँघट निकाल कर बैठ गई।

जैसे जैसे वो नजदीक आ रहा था धड़कने उछलती जा रहीं थी

वो आकर बिल्कुल नजदीक बैठ गया और अपना हाथ उठाकर हाथ पर

रखकर बोला इतना घूँघट आजकल कौन करता है और आहिस्ता से घूँघट उठा दिया  एकदम बेपरदा होते ही वह घबरा गई और जाने कब पलकें उठीं और उसकी नजरों से दो चार हो गईं।

फिर चन्द रस्मी बातें की उसने और उम्र भर साथ निभाने हर पल मेरा ख्याल रखने  और न जाने क्या क्या  मन को थोड़ी तसल्ली मिली

और वो खामोश सब सुनती रही तब उसे ध्यान आया बोला आप भी तो कुछ कहे 

उसने कहा या मुँह से निकल गया अब कहने को कुछ रहा ही नहीं

वह बोला आप क्या कहना चाहतीं हैं । 

वह समझ गई गलत बोल

दिया बात को सँभाला नही मेरा मतलब है सब कुछ आपने

ही कह दिया।

वो बड़ी बेतकल्लुफी से हँसा और वाहों में भरते हुए बोला 

हम दो नहीं एक ही तो हैं क्या फर्क तुम वादा करो या मै पर तुम्हरा कोई फरमान हो तो सुनाओ मेरी मलिका बन्दा हाजिर है।


तब पहली बार उसने उसे गौर से देखा काफी खूबसूरत स बन्दा 

सर झुकाये हाथ बढ़ाये खड़ा था मेरे दिल ने कहा इसका क्या कसूर

किसी की सजा किसी को क्यों दी जाए उस वक्त को याद करके आँसू बहाने से क्या फायदा जो कभी अपना था ही नहीं।

और मैने मुस्कुराते हुए उसका हाथ थाम लिया।

वर्षो बाद होठों पर मुस्कुराहट वापस लौटी थी अब वो उसे खोना नहीं चाहती थी।

और वो उसकी वाहों में सिमट गई

सुबह जल्दी उठकर  वो फ्रेश  होकर मेकअप करने के लिये 

आईने से रूबरू हुई खुदको देखकर मन मुस्कुरा उठा चेहरे पर वो ही चमक लौट आई जो सालों पहलेस खो गई थी।

तभी पीछे से आकर उसने गले लगाते हुए कहा नए जीवन की नई सुबह मुबारक हो  और  दोनों खिलखिलाकर हँस पड़े।


दिल से  आवाज आई खोई खोई खुशियां लौटआईं।🌹🌹

Writer - Anju Dexit


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