google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Suvichar Hindi me : suprabhat suvichar : कभी कभी छोटी से बात पर मेरा मन अटक जाता है

Suvichar Hindi me : suprabhat suvichar : कभी कभी छोटी से बात पर मेरा मन अटक जाता है



सुप्रभात सुविचार हिंदी में : कभी कभी छोटी से बात पर मेरा मन अटक जाता है


Suvichar Hindi me - suprabhat suvichar

    नमस्कार-धन निरंकार जी, कभी कभी छोटी से बात पर मेरा मन अटक जाता है। 

         किंतना सोंचने के बाद भी किसी निस्कर्स पर पहुच नही पाता हुई। इसी सोच में मन बेचैन होते ही, मेरी आदत है सी बन गई है कि कोई भी किताब या अखवार ले कर पढ़ने बैठ जाता हूँ। 

      तब कोई न कोई हल मिल जाता है। उस उलझन का। इसी तरह एक दृश्टान्त याद आया जो बहुत ही पुरानी है पर बात सोचने की है। हे मित्र इसे जरूर पढे कुछ तो गुड़ है। इस लिए इत्मीनान से पढे। आप को सोचने में मजबूर करदेगा।


       गरमी का मौसम था,  मैने सोचा काम पे जाने से पहले गन्ने का रस पीकर काम पर जाता हूँ।


       एक छोटे से गन्ने की रस की दुकान पर गया। वह काफी भीड-भाड का इलाका था, वहीं पर काफी छोटी-छोटी फूलो की, पूजा की सामग्री ऐसी और कुछ दुकानें थीं। और सामने ही एक बडा मंदिर भी था , इसलिए उस इलाके में हमेशा भीड रहती है।


        मैंने रस का आर्डर दिया , मेरी नजर पास में ही फूलों की दुकान पे गयी , वहीं पर एक तकरीबन  37-38 वर्षीय सज्जन व्यक्ति ने 500 रूपयों वाले फूलों के हार बनाने का आर्डर दिया , तभी  उस व्यक्ति के पिछे से एक 10 वर्षीय सायद उस से भी कम का एक गरीब बालक ने आकर हाथ लगाकर उसे रस की पिलाने की गुजारिश कीया । पहले उस व्यक्ति का बच्चे के तरफ ध्यान नहीं था , जब देखा, तब उस व्यक्ति ने उसे अपने से दुत्कात दिया फिर उसे दूर किया डांटते उस भगा दिया और अपना हाथ रूमाल से साफ करते हुए "चल हट ....पता नही कहा से आ से आजाते है, कहते हुए.......


      उस बच्चे ने भूख और प्यास का वास्ता दिया। वो भीख नहीं मांग रहा था, लेकिन उस व्यक्ति के दिल में दया नहीं आयी। बच्चे की आँखें कुछ भरी और सहमी हुई थी, भूख और प्यास से लाचार दिख रहा था।


    इतने में उस रस वाले ने  मेरा आर्डर दिया हुआ रस आ गया।


      मैंने और एक रस का आर्डर दिया उस बच्चे को पास बुलाकर उसे भी रस पिलाया। बच्चे ने रस पिया और मेरी तरफ बडे प्यार से देखा और मुस्कुराकर चला गया। उस की मुस्कान में मुझे भी खुशी और संतोष हुआ, लेकिन. ....वह व्यक्ति मेरी तरफ देख रहा था,  जैसे कि उसके अहम को चोट लगी हो।


       फिर मेरे करीब आकर कहा आप जैसे लोग ही इन भिखारियों को सिर चढाते है"।

सुप्रभात सुविचार हिंदी में :

     मैंने मुस्कराते हुए कहा, आपको मंदिर के अंदर इंसान के द्वारा बनाई पत्थर की मूर्ति में ईश्वर नजर आता है,  लेकिन ईश्वर द्वारा बनाए, इंसान के अंदर ईश्वर नजर नहीं आता है।


       मुझे नहीं पता आपके  500 रूपये के हार से आपका मंदिर का भगवान मुस्करायेगा या नहीं, लेकिन मेरे 10 रूपये के चढावे से मैंने भगवान को मुस्कराते हुए देखा और मुझे संतुष्टी भी देकर गया है।"


       भगवान की पूजा किसी खास पदार्थो के चढावे से नहीं होती। सच्चे मन और प्रेम से की गई प्रार्थना से होती है।


       तो हे मित्र, इन्शान की इस्थिति उसके नजरे बता देता। इस लिये आदमी आईना के सामने अपने को देखता है सवारने के लिये नही सच जानने के लिये। लाचारी, पता नही कब हमारे सामने आ खड़ी हो जाय....


🙏🏻नमस्कार धन निरंकार जी🙏🏻


सुप्रभात सुविचार हिंदी में >>>>>


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