google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Suvichar Hindi me - suprabhat suvichar -

Suvichar Hindi me - suprabhat suvichar -



Suvichar Hindi me - suprabhat suvichar - 


 Motivational Thoughts in hindi: अगर कभी कभार मन की उथल पुथल हो तो अपना दिल छोटा न करे। कभी ऐसा न सोचे की आप एक पल भी अकेले है या आपको अनदेखा किया जा रहा है या आपकी कोई देख रेख नहीं कर रहा है। ये निरंकार सदये आप के अंग संग है।

  आप को परमात्मा और गुरु की तरफ से हर सहायता मिल रही है। जैसे चलना, फिरना, बोलना, सुनना, सोना, जागना,

अपने आप को स्वस्थ रखना, घिरस्त जीवन मे जो संचार होता है उसका निधान होना। प्रतिदिन का कार्य को निपटाने। जिसकी आपको ज़रूरत है। वह पूरा हो।


        कभी कभी कर्मो का भार कुछ इतना ज़्यादा  होता है की  उसकी वजह से कभी हमारे शरीर में और मानसिक दुखो या बाहरी अन्य ज़्यादा तकलीफो से गुज़रना पड़ता है। पर यह यकीन मानिये सन्त जो जिन परिस्थितियों से आप गुज़र रहे है वही आपको सतगुरु के सत्संगह की तरफ जाने वाले रास्ता है और उनके सामने जा खड़ा करेगा। जो ज्ञानवान सन्त की आत्मा को सोना बनने के लिए आग की भटठी से गुज़रना पडता है। आप सन्त है जैसे फलदार वृक्ष की तरह। काट मार, तोड़ फोड़ सब सहना पड़ता है।


        अतः हे सन्त साहिब जी, कभी भी सतगुरु को अर्थात इस निरंकार को गलत ना समझे। वह निरंकार प्रभु परमात्मा भली भाँति जानता है की जीव कितना निर्बल है और किन मुसीबतो से गुजरना पर रहा है।

    अगर कोई सन्त माहापुरष का आत्मा दुखी है तो यह समझिए कि यह दुःख स्वयं इस सतगुरु का दुःख है।

      कृप्या अपनी ज़िंदगी का सामना हिम्मत से करे और परमात्मा में विश्वास रखे। हे सन्त जी, वक़्त बदलता रहता है। हर महापुरुष व आदमी इसी आशा से जी रहा है। कि आप किन परस्थितियो से गुज़र रहे है। यह सब जानता है। आप अपना कर्म करते रहे बाकी मालिक की इच्छा पर छोड़ दे। और  मालिक को दया मेहर के लिये अरदास यानी सदये प्राथना सुमिरण विनती किया करे। ये परमात्मा सब ठीक करेगा।


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