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हिंदी कहानी - भूत की कहानी हिंदी में - आज दोपहर १२ बजे भाग -15

हिंदी कहानी - भूत की कहानी हिंदी में - आज दोपहर १२ बजे भाग -15

सूबेदार बाबा की लाठी लगातार थर थर कांपे जा रही थी , बाकी के गांव बाले लोगों के भी दाँत बजने लगे थे , सामने खड़ी इमली और भी खूंखार लग रही थी , जितनी की अघोरी ने बताया था , इमली अपने असली रूप में बीच रास्ते में अड़ी खड़ी थी , उसने गांव बालो का रास्ता रोक के रखा हुआ था , उसके डरावने स्वरूप को देख कर लोगो के रोंगटे खड़े हो चुके थे , उनेक कुछ भी समझ नहीं आ रहा था , 

सब एक दूसरे की और देख कर घरबराये हुए चहरे के साथ घूरे जा रहे थे |


अब इमिली ने अपना खूंखार रुख अख्तियार करते  हुए हमला करना चाहा , उसके हमले बाला इरादा देखते हुए , सूबेदार बाबा ने थोड़ी सी समझदारी दिखते हुए  अघोरी द्वारा दी हुयी गुप्त भस्म निकली और इमली के ऊपर झिड़क दी , ऐसा करने से इमली की शक्ति थोड़ी देर के लिए कमजोर पड़ गयी थी , इमली को कमजोर होते देख सूबेदार बाबा ने बाकी के गांव बालो को वहाँ से आगे बढ़ने के कहा और सारे लोग वहाँ से भाग निकले |


इमिली एक हवस मिटाने वाली पिशाचिन थी , उसे अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए किसी को हवस का शिकार बनाना पड़ता था , इसके लिए सबसे ज्यादा वो दीपक का इस्तेमाल करती थी , उसने दीपक पर अपना ऐसा साया छोड़ रखा था की उसके चंगुल से निकलना मिस्किल ही नहीं नामुनकिन था |


अब इमली को अपनी शक्ति को बापस पाने के अपने शिकार की जरुरत थी , लेकिन गांव बालो के अंदर तो इतना भय आ चूका था की वो लगातार भागे जा रहे थे , और किसी की अबाज तक नहीं सुन रहे थे , सबसे बूढ़े सूबेदार जी थे , वो भी अपनी पूरी ऊर्जा के साथ कदम बढ़ाये जा रहे थे , इमली उन लोगो का फिर से पीछा करना चाह रही थी लेकिन उसे फिर से डर था की कही फिर सूबेदार उस पर उस भस्म का इस्तेमाल न करदे , अगर एक बार और उस पर उस भस्म का इस्तेमाल हुआ तो वो तीन दिन के लिए शक्ति विहीन हो जाएगी , इतने में वो अघोरी उसका शिकार बना लेगा , और फिर शादियों के लिए अपना बंदी बना कर किसी बोतले के अंदर बंद कर देगा | और इमली किसी भी कीमत पर अपनी शक्ति और स्वतंत्रता को खोना नहीं चाहती थी , इसलिए उसने फ़िलहाल शांत रहना और सही वक्त का इंतजार करना ही सही समझा |


आधी रात का वक्त था , दीपक की आँख खुली तो उसने देखा इमली उसके पास नहीं है , उसे बहुत गुस्सा आया , वो सोचने लगा इमली रोज रात को कहा चली जाती है , कही इसका किसी और के साथ तो कोई चक्कर नहीं चल रहा , इसकी पड़ताल करने के चक्कर में वो घर से बाहर निकल गया |

उसने अपने मोहल्ले के घरो में बाहर से झाकना शुरू किया , वो देखना चाह रहा था की आखिर इमिली किसके घर में जाने लगी है | काफी दूर तक घूम आने के बाद इमिली का कुछ पता नहीं चला तो दीपक फिर से बापस घर आने लगा तो , जब वो घर में घुसा तो देखा इमली उसके घर की छत पर टहल रही है 

जैसे ही दीपक ने उसे देखा तुरंत दौड़ा दौड़ा छत पर पंहुचा और इमली का हाथ पकड़ के जोर से डवटे हुए बोला - इमली तुम रोज रात को कहाँ चली जाती हो , मै तुम्हारा इंतजार करता रहता हूँ |

इमली ने कहा - कही तो नहीं , यही तो हूँ तुम्हारे सामने छत पर ही तो हूँ |

दीपक ने कहा - नहीं aaj ही नहीं बल्कि रोज रात को 

इमली ने कहा - कही नहीं दीपक मैं तो बस यही छत पर ही आ कर टहलने लगती हूँ 

दीपक ने कहा - लेकिन मुझे लगता है , तुम छत पर नहीं रहती हो |

इमली ने आंखे तरेरते हुए गुस्सा होते हुए कहा - अच्छा तो इतनी रात को मैं कहा जाऊगी | 

दीपक ने कहा - अब मैं कैसे कह सकता हूँ की तुम कहा जाती हो ?

इमली ने कहा - मुझे नहीं पता , जब कही गयी ही नहीं हूँ तो क्या बता सकती हूँ 

दीपक ने कहा - तब फिर कमरे में क्यों नहीं रहती हो 

इमली ने कहा - मुझे जब कमरे में अच्छा नहीं लगता है तो ऊपर चली आती हूँ |

दीपक ने कहा - इमली मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह पाता हूँ इसलिए बिना बताये मत आया करो  

इमली ने दीपक की आँखों में झाँका और उसके और करीब आते हुए कहा - मुझे पता है |

दीपक ने इमली को अपनी बाहो में कसते हुए उसे गले लगाया ओर उसके होठो पर चुम्बन करने लगा | इमली भी उसका साथ देने लगी क्युकी उसे अपनी शक्तिया बापस लाने के लिए ये आवश्यक लग रहा था |

दीपक लगातार उसे चूमे जा रहा था , उसे खुद पर कंट्रोल नहीं हो रहा था , वो इमली के कोमल बदन को बेतहासा चूमे जा रहा था | उसने कुछ ही पल में इमली को निरस्त्र कर दिया था , और इमली ने भी उसका कोई बिरोध नहीं किया | अब दीपक ने निर्वस्त्र  इमली के बदन के साथ खेलना शुरू कर दिया  

इमली ने दीपक को नीचे कमरे में चलने को कहा लेकिन दीपक की वासना का वेग इतना ज्यादा था था की उसने नीचे जाना भी ठीक नहीं  समझा ... दोनों ने खुद को घर की छत पर एक दूसरे के हवाले करते हुए कामक्रीड़ा में मग्न हो गए |


सुबह जब दीपक की आंख खुली तो उसने खुद को घर की छत पर सोता हुआ पाया , और उसे महसूस हुआ उसके घर के बहार लोगो की भीड़ लगी हुयी है , और उसके पापा उनके सबके साथ बैठे किसी मुद्दे पर चर्चा कर रहे है , वो जल्दी से उठ के वह से नीचे जाने लगा , उसने नीचे  अपने कमरे में जाकर देखा तो इमली गुस्से से लाल हो रही थी , उसने इमली से गुस्से की बजह पूछी तो उसने कुछ नहीं बताया | दीपक जल्दी से दौड़ के घर के बहार गया ,तो सब लोग उसे घोर के देखने लगे , जल्दी से सूबेदार बाबा उठे और भस्म का टीका उसके माथे पर लगा दिया | टीका लगते ही दीपक को चक्कर आने लगे और बो बेहोश हो कर वही गिर गया , बाकि लोग उसे संभालने लगे ..............


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