भूत की कहानी हिंदी में - आज दोपहर १२ बजे भाग -16 |Horror stories in hindi | Hindi kahaniya new

 हिंदी कहानी - कहानी हिंदी में  आज दोपहर १२ बजे (भाग - १६) डरावनी कहानी - भूत की कहानी 

Bhootiya Kahani hindi me
Horror stories in Hindi

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दीपक के सर पर भस्म का टीका लगते ही वो बेहोश हो गया , पास में बैठे कुछ लोग उसे संभालने लगे , और सभी लोग चिंतित हो कर उस अघोरी की और देखने लगे , सभी के चेहरे पर एक अलग ही डर और मनोभाव थे , सब लोग डर की बजह से दीपक के पास भी नहीं आ रहे थे |

सबके मन में एक ही कोतुहल चल रहा था की न जाने अब आगे क्या होगा इस मोहल्ले का , काले साये से बच भी पायेगा या नहीं , इसी तरह के सवाल हर किसी के मन में चल रहे थे |

तभी एकाएक पीछे से दांत कटकटाने की आबाज सुनाई दी ,

सभी ने एक साथ मुड़ कर देखा तो दृश्य हक्का बक्का कर देने वाला था , पीछे  डॉक्टर साहब पड़े है और हाथ पैर जमीन से रगड़ रहे है , उनके मुँह से झाग भी निकल रहा था और साथ में ठण्ड में काँपने जैसे दांतो से आवाज भी आ रही थी ,

अब लोग दीपक को छोड़ डॉक्टर की और भागे और कुछ डर की बजह से दीपक के घर से दूर भागने लगे |

अब कुछ लोग आंखे बंद किये बैठे अघोरी की और देखने लगे , वो लगातार श्मशान से लाये हुए इंसान की खोपड़ी पर भस्म डाल डाल के मंत्र उच्चारण किये जा रहा था , खोपड़ी से धुआँ निकल रहा था , जैसे जैसे खोपड़ी से धुआँ निकल रहा था , डॉक्टर का तड़पना लगातार बढ़ता जा रहा था |


डॉक्टर के पड़ोसी घबराते हुए हाथ जोड़ कर अघोरी के पास आया और बोला - बाबा इस गरीब को क्यों तड़पा रहे हो , इसको किस गुनाह की सजा मिल रही है , देखो बेचारा कैसे तड़प रहा है ?

अघोरी ने अपनी लाल लाल आंखे खोली और उस पड़ोसी की और घुरा ओर फिर से अपने मंत्र जाप करने लगा |

फिर कुछ लोगो ने उसे समझा कर बापस बैठ जाने को कहा , वो अपनी जगह पर बापस जा कर बैठ गया |

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अब अघोरी ने अपनी झोली खोली और उससे एक बोतल निकाली जिसमे खून भरा हुआ था , खून से भरी बोतल की शील खोलते हुए उसने खोपड़ी पर खून की बुँदे डाली , और फिर से मंत्र पढ़ने लगा |

थोड़ी देर मंत्र पढ़ने के बाद उसने दीपक की माँ को इमली बाले कमरे जाने के लिए कहा और बताया की इस खोपड़ी से थोड़ी सी राख ले जाओ और कमरे के चारो कोनो में रख के आओ , पहले तो दीपक की माँ डरने लगी , और डर से अपना सर हिलाने लगी , लेकिन बाद में अघोरी ने उसे शांत्वना दी और कहा - तुम जाओ तुम्हे अब कुछ नहीं हो सकता , तुम्हे कोई भी रूह या कोई प्रेतात्मा छू भी नहीं सकती |

अघोरी की सांत्वना के बाद दीपक की माँ घर में जाने लगी ,और बार बार पीछे मुड़ कर देखने लगी , अघोरी ने चिल्लाते हुए कहा - जल्दी जाओ अंदर पीछे मुड़ कर नहीं देखना अन्यथा अनर्थ हो जायेगा , उसकी शक्ति बढ़ जाएगी , जल्दी जा और अपना काम करके आ |


अब दीपक की माँ ने अपने कदम जल्दी जल्दी बढ़ाये , और जा पहुंची उसी कमरे में जहा इमली रहा करती थी , दीपक की माँ ने जल्दी जल्दी भस्म की राख कमरे के कोनो में रखना शुरू ही किया था की उसे मोती तेज डरावनी आवाज सुनायी दी , दीपक की माँ की चीख निकल गयी , बहार बैठे दीपक के घर वाले और पडोशी सभी के प्राण हलक में आ चुके थे , सभी को लगा अंदर दीपक की माँ का जरूर कोई अहित हो चुका है , सभी अब अघोरी की और देखने लगे | 


अघोरी ने हाथ ऊपर करते हुए कहा - डरने की कोई बात नहीं है , अब वो केबल डरा सकती है , पास नहीं आ सकती , इसलिए आप सभी चिंतित न हो |

दीपक के पापा ने अघोरी से विनती करते हुए कहा - तब भी बाबा जी आपको अकेले जाने के लिए नहीं कहना चाहिए था | अब क्या मैं अंदर जा सकता हूँ ?

अघोरी अब अपनी आंखे लाल पीली करते हुए कहा - देखो तुम लोग अगर मेरा साथ नहीं दोगे , मुझे मेरा काम नहीं करने दोगे तो इस पिशाचिनी का कुछ नहीं हो सकता , वो फिर अपना प्रकोप बढ़ती ही रहेगी |

फिर कुछ लोगो ने दीपक के पापा को समझते हुए कहा - इन्हे इनका काम करने दो , देखते है आगे क्या होता है |

अब अघोरी अपने काम में फिर से व्यस्त हो गया था ,

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बहुत देर हो जाने के बाद , जब दीपक की माँ बापस नहीं आयी तो , अघोरी ने किसी को अंदर जा कर देखने को कहा 

लेकिन कोई और अंदर जाने के लिए राजी नहीं हुआ , फिर अंत में अघोरी खुद अंदर जाने के लिए तैयार हुआ , उसने अपने चलने के लिया बोला |

दीपक के पापा और एक दो लोग और अंदर जाने के तैयार हो गए , जब अंदर जा कर देखा तो , भस्म बाली राख दीपक की माँ के पूरे बदन पर लगी पड़ी थी , और वो बेहोशी की अवस्था में पड़ी हुयी थी , 

सब लोग देख कर हैरान रह गए , 

अघोरी के मुँह से एक ही बात निकली , ये तो मेरे अंदाजे से कुछ ज्यादा ही खतरनाक है \

दीपक के पापा ने घबराते हुए पूछा - बाबा जी अब क्या होगा ??

अघोरी ने कहा - अब उसकी आत्मा इसके अंदर आ चुकी है , वो इसे मोहरा बना के आपको परेशान करेगी |


अब दीपक के पापा के आंसू थम नहीं रहे थे , रो रो कर कह रहे थे - बाहर मेरा बेटा पड़ा है , और अंदर मेरी पत्नी , आखिर ये पिशाचिनी चाहती क्या है ??

अघोरी ने उसे पकड़ के उठाया और कहा - तुम जल्दी से गांव के तालाब से पानी लेकर आओ , और इस काम में देरी नहीं होनी चाहिए , नहीं तो काम बिगड़ जायेगा 

 दीपक के पापा ने तुरंत जाने का फैसला किया और घर से मटका उठाया और दौड़ गए गांव के बाहर तलाव की ओर .....

ज्यो ज्यो , गांव का तलाव पास आता जा रहा था , उनके कदम धीमे पड़ते जा रहे थे , उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे उनके पैरो को कोई पकड़ के एक ही जगह रुक जाने को कह रहा हो ....

अब उनके पेट में डर पैदा हो चुका था , कही पिशाचिनी उनका भी काम तमाम तो नहीं करने वाली ..

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घर पर अघोरी पानी लाने का इंतजार कर रहा था , जब काफी देर हो जाने पर भी दीपक के पापा बापस नहीं आये तो कुछ लोग उन्हें देखने के लिए वहां पहुंचे , तो देखा जो मटका वो लेके गए थे वो तलाव के अंदर पानी में तैर रहा था , अब गांव बालो के डर का ठिकाना नहीं था , सब के सब खड़े खड़े कांपने लगे .........


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