Hindi kahaniya | Story in Hindi love : romantic story of love - Arrange Marriage Part - 63
Hindi kahaniya |
नायरा और कार्तिक में आर्गुमेंट चल रहा था , नायरा को लग रहा था की उसके और कार्तिक के बीच में ये सुहानी ही है , और सुहानी को लगता था की उसके और कार्तिक के बीच में अमन कौर है , और उधर अब नीलू को जरा सा तो लग ही रहा था की उसके और कार्तिक के बीच में कोई नायरा नाम की बला जरूर है , ये तो कार्तिक के लिए बहुत ही अजीब सी स्थिति बन गयी थी , अब उसे किसकी और ज्यादा झुकना चाहिए उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था , क्या उसे अब इस स्टेज पर गिर्ल्फ्रेंड्स बनानी चाहिए जब उसकी इंगेजमेंट हो गयी हो तब??
वो खुद से बार बार यही सवाल कर रहा था , लेकिन उसकी अंतरात्मा उसे कुछ भी कहने से डर रही थी | कार्तिक अब खुद के ही सवालों में ही उलझा हुआ था ||
तभी ओफ्फिसबॉय आया और बोला - कार्तिक सर आपको बड़े सर बुला रहा है , लैपटॉप के साथ
ओफ्फिसबॉय कह के चला गया , कार्तिक ने अपना लैपटॉप लिया और जाने लगा तभी नायरा ने कमेंट पास किया और कहा - जाओ जाओ आज तो खूब खबर ली जाएगी जनाब की ||
कार्तिक ने एक नजर घूम के उसकी और देखा और घूरते हुए चला गया ,
नायरा ने भी गुस्से से अपना मुँह फेर लिया और हुँह करते हुए अपना काम करने लगी
सर अपने मुझे बुलाया - कार्तिक ने ऑफिस का दरवाजा नोक करते हुए कहा
जीवन उस समय लैपटॉप में कुछ कर रहा था , उसने ऊपर की ओर देखते हुए कहा - हाँ जी आइये , याद किया था आपको
कार्तिक अंदर गया और जीवन के सामने बाली चेयर पर बैठ गया
जीवन ने पूछा - क्या बात है कार्तिक जॉब करने का मन नहीं है क्या ? या फिर मन नहीं लग रहा अब ऑफिस में ?
कार्तिक ने कहा - अब से मतलब मैं कुछ समझा नहीं ?
जीवन ने कहा - समझदार हो सब समझ आता है तुम्हे फिर भी बनाने की कोशिश में लगे हुए हो
कार्तिक बस उसे आश्चर्य से देखता ही रहा आखिर ये पागल इंसान कहना क्या चाहता है , मुझे तो ऐसा लगता है की इसे मनोचिकित्सक की जरूरत है |
जीवन ने फिर से कहा - क्या सोच रहे हो बोलो
कार्तिक ने कहा - नहीं कुछ नहीं सर , मैं आपका सवाल और जवाव समझ नहीं पाया तो वही सोच रहा था |
जीवन ने कहा - मैं कह रहा था की बिना बताये छुट्टिया और फिर टाइम पर रिपोर्ट्स न आना ये किसी अच्छे एम्प्लोयी के लक्षण नहीं होते ||
कार्तिक ने कहा - नहीं सर ऐसा नहीं है , वो क्या है की कल मेरी तबियत ख़राब हो गयी थी तो , दादी माँ ने मुझे ऑफिस आने ही नहीं दिया था |
जीवन - ओह्ह अच्छा तो फिर तुम्हारा फ़ोन भी लेलिया होगा और तुम्हे तुम्हारे कमरे में बंद कर दिया होगा , हाँ न ??
कार्तिक - exactly सर आपको कैसे पता चला , ऐसा ही हुआ था ||
जीवन ने अब आंखे निकलते हुए कहा - शट-अप , बेब्कुफ़ समझा है क्या मुझे
कार्तिक - नहीं सर , एक्चुली मेरे साथ ऐसा ही हुआ था
जीवन ने कहा - देखो , मेरे सामने ऐसी बाटे न करो तो ही ठीक रहेगा , और सुनो , ये जो नया प्रोजेक्ट आया है उसमे भी काम संभाल लो , नायरा से अकेले नहीं हो प् रहा है , उसे तुम्हारी जरूरत है , मेरा मतलब तुम्हारी हेल्प चाहिए उसे
कार्तिक सोचने लगा , साले को जरूर कोई नया प्लान सुझा होगा , इसीलिए कोई न कोई खुरापात इसने तैयार करी है |
"बोलो भी , हाँ या न " जीवन ने कहा
कार्तिक बोला - सर अभी तो मैं पुराने प्रोजेक्ट को ही फिनिश करने में लगा हूँ तो कैसे हो पायेगा
अब जीवन ने बॉस बाली आवाज में कहा - ये तुम्हारी प्रॉब्लम है न की मेरी खुद देखो , मुझे जो काम देना था देदिया
कार्तिक - लेकिन सर मुझे करना क्या होगा इस नई प्रोजेक्ट में , सारा तो नायरा हेड कर रही है
जीवन ने कहा - तुम भी हेड करोगे, मैंने सेगमेंट डिवाइड कर दिए है , मैं तुम्हे ईमेल कर दे रहा हूँ एक देख लो फिर आपस मिल कर करलो
कार्तिक ने कहा - ठीक है सर , मैं कोशिश करुगा अच्छा करने की
जीवन ने कहा - सिर्फ कोशिश से काम न चलेगा बेटा, काम करो , ओके
कार्तिक ने कहा - जी सर
जीवन - ठीक है एक बात और अब बिलकुल भी छुट्टी न मिलेगी तुम्हे
कार्तिक मन में कहने लगा , साले कमीने इसलिलिये तूने मुझे ये लॉलीपोल थमाया है मैं समझ गया ||
सर हिलाते हुए कार्तिक केबिन से बाहर निकल ही रहा था की उसकी दरवाजे पर नायरा से टक्कर हो गयी
"आउच , देख के नहीं चल सकते " नायरा ने अपने सीने को जोर से पकड़ के सहलाते हुए कहा
कार्तिक ने जल्दी से नायरा की गिरी हुई नोटबुक उठायी और सॉरी कहते हुए उसे पकड़ा दी
उसके सॉरी बोलने के बाद भी नायरा उसे नफरत भरी निगाहो से देखते ही रही
कार्तिक मुस्कराता हुआ वहां से चला गया , और नायरा कुछ बुदबुदाते हुए वहां से अंदर चली गयी ||
नायरा जब केबिन से बाहर आयी तो कार्तिक फिर से अपनी शीट पर नहीं था ,, नायरा को इस बार कार्तिक से काम के शिलशिले में कुछ बात करनी थी तो वो उसे खोजने लगी ||
उसने कार्तिक के नंबर पर कॉल लग दी , उसका नंबर बिजी जा रहा था ,
उसने कैंटीन की ओर जा कर देखा तो पाया की कार्तिक और सुहानी फिर से एक साथ एक ही टेबल पर आमने सामने बैठ कर कॉफ़ी पी रहे है ||
ये देख कर नायरा का मन कॉफ़ी की तरह ही कला होने लगा , नायरा का न जाने दिन भर में कितने बार दिल टूट जाया करता था , आज एक बार फिर से वही हो गया , अब नायरा जल्दी से वहां से तेजी से गयी और वाशरूम में जा कर खुद को आईने के सामने निहारने लगी , आगे पीची दाए बाए , सब देखने लगी , और दुखी हो कर , सोचने लगी आखिर कमी कहाँ है जो ये पागल कार्तिक का बच्चा उस मोटी, फैटी सुहानी के चंगुल में fas गया है ||
इसबार तो पता करके ही रहूगी , आखिर ऐसा क्या मिल रहा है उससे उसे ??
वो वाशरूम से बहार आयी और देखा की कार्तिक अपनी शीट पर अब आ चूका है तो चलो काम की बात कर ली जाये ||
0 Comments