google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Hindi kahaniya new | Story in Hindi love : romantic story of love - Arrange Marriage Part - 76

Hindi kahaniya new | Story in Hindi love : romantic story of love - Arrange Marriage Part - 76

Hindi kahaniya new | Story in Hindi love : romantic story of love - Arrange Marriage Part - 76

कार्तिक की जाने की तैयारी पूरी हो गयी थी , अब जाने के रेडी हो रहा था , उसने रिया को कहा जल्दी से उनलोगो को कॉल करदो की वो भी निकल जाये , मैं उनसे पहले ही स्टेशन पहुंच जाऊगा ||

रिया ने कहा तो खुद ही करदो न कॉल , और बता दो उन्हें कहाँ मिलना है ||

कार्तिक ने रिया की ओर घूरते हुए कहा "तुम तो कभी किसी के काम आ ही नहीं सकती हो , कर लूंगा मैं खुद मैनेज"

"हाँ तो करलो न सुना किसे रहे हो " रिया ने जबाब में कहा 

थोड़ी देर बाद कार्तिक की कैब आने बाली थी , वो अपने घर के बहार इंतजार कर रहा था साथ ही उसके पापा के प्रवचन भी चल रहे थे ||

उन्होंने कार्तिक को जाने तो दिया था लेकिन उनकी टेंशन और भी बढ़ चुकी थी , क्युकी वो कार्तिक को केबल उसके ऑफिस तक ही अकेला जाने दिया करते थे , बाकी अभी जगह उसे खुद अपने साथ ले जाया करते थे |

यहाँ तक की घर का राशन भी लेने के लिए भी उसके साथी मार्ट जाया करते थे |

उन्हें अभी भी ऐसा ही लगता था की उनका बेटा अभी छोटा है और उन्हें उसका साथ देना चाहिए |

हाँ सोचे भी क्यों न आखिर वो कार्तिक के पापा जो थे ||

कार्तिक भी अपने दोस्तों में हमेशा इसी चीज को लेकर मजाक पात्र बना रहता था की इसे तो अभी भी अपने पापा की जरूरत रहती है ||

कार्तिक को ये सब बुरा भी लगता था और कभी कभी अच्छा भी लगता था , आज वो जा तो रहा था लेकिन उसे अपने पापा के साथ न रहने का मलाल भी था , उसे आजादी के साथ साथ अकेला होने का एहसास भी हो रहा था |


कैब आ गयी , अब कार्तिक अपना सामान कार के अंदर रखने लगा , तभी कार्तिक ने पापा ने उसे हेल्प कराते बोले "जा तो रहे हो , लेकिन अपना ख्याल रखना , खाना बगैरा टाइम से और शुद्ध ही खाना , नहीं तो सफर में तबियत ख़राब हो सकती है "

कुछ सामान शीला जी ने देते हुए कहा "लो ये भी रखलो ये मावा के लड्डू है , subah नास्ते में दूध के साथ खा लिया करना , और हाँ नीलू को भी देना खाने के लिए "


कार्तिक ने माँ को गले लगते हुए कहा "ठीक है माँ तुम टेंशन न लो , मै खा लूंगा , और आप अपना ख्याल रखना " 

दादी माँ भी गेट पर खड़ी थी , कार्तिक उनके पास जाकर उनके पैर छुए और जल्दी ही बापस आने को कह कार कैब में बैठ गया ||


स्टेशन पर पहुंच कर उसने नीलू को कॉल किया , 

नीलू - हाँ जी हेलो 

कार्तिक - मैं तो स्टेशन पहुंच गया हूँ , तुम कहाँ हो ??

नीलू ने कहा - बस हम भी पहुंच गए , स्टेशन में एंटर कर रहे है ||

कार्तिक ने कहा - जल्दी आओ , ट्रैन का टाइम हो रहा है ||


कुछ देर बाद नीलू अपने पापा के साथ , स्टेशन पर अंदर आ जाती है ...

पास आने पर ओमकार जी कार्तिक को उसके बारे में पूछा , साथ ही थोड़ा मैडिटेशन करने को कहा 

  कुछ ही देर में ट्रैन आ गयी और नीलू और कार्तिक सामान लेकर अंदर चले गए , और अपनी शीट पर जा कर बैठ गए  ||

जब ट्रैन का टाइम हुआ तो ट्रैन चलने लगी ... ओमकार जी अभी भी ट्रैन की विंडो के पास खड़े थे , उन्होंने हाथ हिलाते हुए अपना ध्यान रखना कहते हुए बाय बोला ||

अब ट्रैन स्टेशन पीछे छोड़ चुकी थी , कार्तिक और नीलू दोनों पास में तो बैठे थे लेकिन बिलकुल एक दूसरे से अनजान बने हुए |

कार्तिक के सामने वाली बलि शीट पर एक कपल बैठा हुआ , जो की शायद और पीछे से चढ़ा होगा , दोनों एक दूसरे से चिपके हुए बैठे थे , 

और उनके ऊपर बाले बर्थ पर भी दो खूबसूरत सी लड़किया बैठी हुई थी , जिन्हे कार्तिक बार बार थोड़ी थोड़ी देर के लिए देख लिया करता था,  

ये पास में बैठी नीलू भी नोटिस कर रही थी , काफी देर ऐसे ही चलता रहा , लेकिन फिर नीलू ने ही बोलना शुरू किया 

नीलू ने कार्तिक से कहा "मुझे प्यास लग रही है , पानी देना उधर से "

कार्तिक ने नीलू की ओर देखा फिर कहा "दिमाग यही है या फिर कही ओर "

नीलू ने पूछा "क्यों यही है और कहाँ होना चाहिए "

कार्तिक ने कहा "यही है तो ये जो बोतल तुम्हारे हाथ में है इसमें क्या दूध भरा हुआ है "

नीलू ने आश्चर्य से कहा "ओह्ह हाँ , मैं तो भूल ही गयी थी "

कार्तिक ने कहा "हाँ दिख रहा है मुझे "

नीलू ने आंखे बड़ी बड़ी करते हुए कहा "दिख तो मुझे भी रहा है "

कार्तिक ने कहा "क्या दिख रहा है "

नीलू बोली "वही जो तुम देख रहे हो "

कार्तिक ने कहा - इसमें बुराई क्या है , सब देख रहे है तो क्या मैं नहीं देख सकता 

नीलू ने कहा "नहीं बिलकुल नहीं देख सकते , तुम जो देखना है इधर देखो "

कार्तिक ने कहा "यार तुम कितना बॉउंडेशन लगती हो , ऐसे कैसे चलेगा "

नीलू ने मुँह बनाया और कहा "अच्छा तो मैं अपनी ही सामने तुम्हे दूसरी लड़कियों को ताड़ने दू , न ऐसा तो बिलकुल भी नहीं होने दूंगी "

कार्तिक ने भी मुँह फुलाते हुए कहा "मुझे शौक नहीं है देखने का या ताड़ने का "

दोनों का झगड़ा शुरू हो चुका था , और सामने बैठे हुए लोग उन्हें ही घूरने लगे थे , ऐसा करता देख कार्तिक को शर्म महसूस होने लगी तो वो खुद ही शांत हो गया और अपना फ़ोन लेकर उसमे कुछ करने लगा ||


नीलू ने उसे फिर से झड़ते हुए कहा "अच्छा तो तुम मुझे ऐसे ही अकेला बैठने के लिए साथ लेके आये हो "

कार्तिक ने झुंझलाते हुए कहा "मैं नहीं लाया तुम खुद यहां मेरे साथ मेरा लगेज बन कर आयी हो "

नीलू को लगेज बाली बात बुरी लगी ..उसने कार्तिक को पूछा "तो मिस्टर जी आपको मैं आपका लगेज लगती हूँ "

कार्तिक अब स्पीचलेस हो गया .. दोनों शांत बैठे रहे ...........




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