Hindi Kahaniya | Story in Hindi love : romantic story of love - Arrange Marriage Part - 78
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कार्तिक नीलू के कहने पर उसके पास यानि बिलकुल चिपक के बैठ गया था ,
अब नीलू ने उसे एक स्माइल पास की और आंखे चुराते हुए पूछा "अब कैसा फील कर रहे हो "
कार्तिक ने नीलू की और देखा और कहा "क्यों अब क्या न्यू हो गया जो कुछ अलग फील आएगा "
नीलू को कार्तिक से ऐसे जवाव की एक्सपेक्टेशन्स नहीं थी , इसलिए उसने सड़ा सा फेस बनाया और कहा "रहने ही दो , तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता "
कार्तिक ने एक बार फिर से नीलू की ओर देखा और पूछा "क्यों , क्यों नहीं हो सकता मेरा "
नीलू ने कहा "अरे बुद्धू , बच्चे मत बनो , जवान हो सब समझ आना चाहिए तुम्हे"
कार्तिक ने कहा "हाँ तो सब समझाओ न तब समझ आएगा "
नीलू "हे भगवान इन्हे थोड़ी सी सद्बुद्धि दो "
नीलू अपना दुखड़ा अपने भगवान को सुना ही रही थी की एक बूढ़ा कपल उनके पास आया ,
दोनों अंकल और आंटी थे ,
आंटी ने नीलू के हाथ में टिकट थमते हुए पूछा "बेटा देखना ये ही हमारी शीट है न "
नीलू ने आंटी के हाथ से टिकिट लिया और नंबर मैच करने लगी और फिर कहा "आंटी जी आपकी बर्थ वो कार्नर बाली है , यही जो खाली है "
"अच्छा थैंक यू बेटा " कहते हुए वे दोनों बूढ़े लोग अपना सामान रखते हुए बैठने लगे |
थोड़े देर चलने के बाद ट्रैन रुक गयी , ये कोई स्टेशन था , स्टेशन पर ट्रैन रुकते ही , लोग अंदर बाहर होने लगे .
इधर कुछ चाय और कुछ चने और मूंगफली बेचने बाले आने जाने ..
नीलू ने कार्तिक को अपनी कुहनी से मारते हुए कहा "मुझे चाय पीनी है "
तब कार्तिक अपने फ़ोन में कुछ पढ़ रहा था ..
"ओके अभी मगाता हूँ , वैसे तो हमारा ब्रेकफास्ट आने वाला ही होगा , लेकिन कोई नहीं मैं बोलता हूँ " कार्तिक ने एक चाय बाले को एक चाय देने के लिए कहा
नीलू ने बड़े ही प्यार से कार्तिक को पूछा "तुम नहीं पियोगे "
कार्तिक ने कहा "नहीं अभी मेरा मन नहीं है पीने का , तुम पियो "
नीलू ने कहा "ओके , ठीक है , मुझे तो पीनी है "
चाय बाला एक चाय देके चला जाता है ||
चाय पीते पीते नीलू ने कार्तिक से पूछा "अच्छा हम जा कहाँ रहे है "
कार्तिक इधर उधर देखने लगा तो नीलू ने फिर से पूछा " क्या देख रहे हो ".
कार्तिक ने कहा "यार मैं न कोई दीवार बगैर देख रहा हूँ , मिल जाये तो अपना सर मार लू उसमे "
कार्तिक की बात सुन कर नीलू को हसी आ गयी , और हसी इतनी तेज थी की उसके मुँह से चाय चाय निकल गयी ,
सारे लोग उसे ही देखने लगे , ऐसा लग रहा था जैसे नीलू ने कोई कांड कर दिया हो , और सब लोग उसे ही पॉइंट आउट कर रहे हो ...
अब नीलू ने शर्मिंदा होते हुए टोबल लेकर सॉरी बोलते हुए अपने कपड़े साफ करने लगी थी ,,,
कार्तिक उसे गुस्से से घूर रहा था ||
सामने बैठी दोनों लड़कियां काफी देर तक नीलू और कार्तिक की ओर देख देख के हसती रही , नीलू और कार्तिक भी समझ रहे थे की सामने बाली लड़कियां हम दोनों पर ही हसे जा रही है | ये सब देख कर कार्तिक को गुस्सा तो आ ही रहा था साथ ही साथ शर्मिंदा भी हो रहा था ||
कार्तिक ने नीलू से पूछा "क्या हुआ , चाय ज्यादा गर्म थी क्या "
नीलू ने कहा "नहीं नहीं , वो मुझे न हसी आ गयी इसलिए "
कार्तिक ने थोड़ा सा झल्लाते हुए कहा "इधर जोक चल रहा था क्या "
नीलू को लगा की अब कुछ ज्यादा ही हो रहा है , कार्तिक उन सब के सामने डांट रहा था |
नीलू के आँखों में गुस्से की बजह से आंसू आ गए , और नीलू वहां से उठ कर वाशरूम की तरफ चली गयी ||
ये सारा नजारा बो अंकल और आंटी बैठे देख रहे थे , उन्हें ये सब अच्छा नहीं लगा ..
तो आंटी ने कार्तिक से कहा "बेटा , ये सब ठीक नहीं है , तुमने उसे नाराज कर दिया है "
कार्तिक को आंटी से इस तरह की कोई एक्सपेक्टेशन नहीं थी इसलिए कार्तिक कुछ झेप सा गया और बोला "सॉरी आंटी जी लेकिन मेरी कोई गलती नहीं है मेने कुछ नहीं कहा "
अंकल ने कहा "नो , its not fair , जाओ और जल्दी से उसे ले कर आओ "
कार्तिक को अंकल की बात फेयर लगी , कार्तिक अपनी शीट से उठा और नीलू के पास गया |
नीलू की आँखों में आंसू थे , उसे देख कर ऐसा लग रहा था जैसे वो सोच रही हो की कार्तिक के साथ आ कर उसने गलती करदी हो |
पहले तो कुछ देर कार्तिक पास खड़ा उसे देखता रहा , फिर कुछ देर बाद ,
कार्तिक "क्या मैं तुम्हारा हाथ पकड़ सकता हूँ "
नीलू ने अपने आँसू साफ किये और घूम के खड़ी हो गयी .
कार्तिक ने नीलू को पकड़ के अपने सामने करते हुए कहा "सॉरी यार , चलो , अपनी शीट पर बैठ जाओ "
नीलू ने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा "थैंक यू और अपनी शीट पर जा कर खुद बैठ जाओ "
कार्तिक ने कहा "सॉरी बाबा , चलो भी अब "
नीलू ने कहा "नो , मैं यही ठीक हूँ "
.कार्तिक ने कहा "क्या यार , तुम भी , तुम मेरी टेंशन कम कराने के लिए साथ में आयी हो या फिर टेंशन बढ़ाने के लिए "
नीलू ने ताना मारते हुए कहा "मैं तो तुम्हारी लगेज हूँ , मैं कैसे टेंशन घटा या बढ़ा सकती हूँ "
कार्तिक ने फिर से नीलू का हाथ पकड़ते हुए कहा "यार चलो , अच्छा नहीं लग रहा मुझे "
नीलू ने कहा "कार्तिक हाथ छोडो , लोग देख रहे है , गलत समझेंगे "
कार्तिक ने कहा "लेकिन रोती हुयी लड़की को देख कर भी तो लोग गलत ही समझेंगे न "
नीलू "समझने दो न तुम्हे इससे क्या फर्क पड़ता है "
"पड़ता है न फर्क , तभी तो तुम्हारा हाथ थामे खड़ा हूँ नहीं तो क्यों आता तुम्हारे पास " कार्तिक ने बड़े ही प्यार से कहा
नीलू ने कहा "ठीक है चलो मैं आती हूँ "
कार्तिक ने कहा "मेरे साथ ही चलो "
नीलू ने कहा "अरे मुझे सूसू करना है "
नीलू की बात सुनकर कार्तिक को हसी आ गयी और जोर से हसने लगा ....
कार्तिक ने हस्ते हस्ते कहा "बताओ भला कोई शू शू करने के लिए भी इतना रोता है "
कार्तिक हसी और रिएक्शन को देख कर नीलू के फेस पर भी मुस्कान और सुकून के भाव आ गए , उसे तसल्ली होने लगी की चलो मेरे एक ही तीर से दो दो निशाने लग ही रहे है |
एक तो चांदनी ने कहा था की स्पेशल फील करा वो काम कर रहा है , और उससे भी इम्पोर्टेन्ट ये की कार्तिक दिल से खुश हो रहा है , वो डिप्रेशन से बहार आ रहा है ||
नीलू ने मुस्कराते हुए कार्तिक के gaal पर हलके से थप्पड़ मारते हुए कहा "घणे बत्तमीज हो रहे हो "
कार्तिक ने भी बत्तमीजी का परिचय देते हुए कहा "जाओ जल्दी से नहीं तो तुम्हारे कपड़े गीले हो जायेगे"
नीलू ने अपना माथा ठोकते हुए कहा "तुम न सुधरोगे , और अंदर चली गयी "
कार्तिक और नीलू एक साथ ख़ुशी ख़ुशी बापस अपनी शीट पर आ गए , ये देख कर वो दोनों अंकल और आंटी भी खुश हो गए थे | दोनों शीट पर बैठ गए , तभी आंटी जी नीलू के पास आयी और बैठ कर बात करने लगी |
बातो ही बातो में उन्होंने पूछा "अच्छा बेटा आप लोग जा कहाँ रहे हो "
कार्तिक ने उन्हें बताया हम घूमने के लिए निकले है , फ़िलहाल तो शिमला और उसके आप पास के हिल स्टेशन पर घूमेंगे और फिर , decide करेंगे की कहाँ जाना है |
कार्तिक ने अपनी बात ख़तम भी नहीं की थी की नीलू ने कहा "मुझे ताजमहल देखना है "
कार्तिक ने कहा "क्या बोल रही हो , कहाँ शिमला , कहाँ आगरा "
नीलू ने कहा "तो क्या हुआ , ट्रेवलिंग ही तो करना है कर लेंगे "
कार्तिक ने कहा "ठीक है ,पहले जहाँ चल रहे है , वही चलो , फिर देखते है "
आंटी ने कहा "बेटा आपको आगरा भी जाना चाहिए , अगर नीलू का मन है ताजमहल देखने का तो दिखाना चाहिए "
कार्तिक ने कहा "आंटी जी उतना टाइम भी तो होना चाहिए "
अंकल जी कहा "क्या यार , जब घर से आउटिंग के लिए निकले ही हो टाइम तो अब तुम्हारा ही है"
कार्तिक मुस्कराया और बोला "हाँ ये तो है , देखते है पहले इधर घूमेंगे फिर जायेगे "
रात हो चुकी थी , कार्तिक के साथ बाले बर्थ पर सही लोग सो चुके थे , अंकल और आंटी भी एक दूसरे को बाहों में ले कर सो ही रहे थे ||
लोग सोने लगे इसलिए अंदर की लाइट्स लगभग बंद करदी गयी थी , हल्की हल्की , मंद मंद सी रोशनी आ रही थी , कार्तिक और नीलू अभी भी जगे हुए थे ,
कार्तिक ने नीलू को पूछा "नींद नहीं आ रही क्या "
नीलू ने मासूमियत से जवाव दिया "नहीं "
कार्तिक ने फिर से पूछा "क्यों , कितनी तो रात हो गई है "
नीलू ने कहा "नहीं आ रही न "
कार्तिक ने कहा "अच्छा ठीक है तुम बाहर का नजारा देखती रहो , मैं तो चला सोने "
नीलू ने कहा "ठीक है , अच्छा ये बताओ , हम कब तक पहुंच जायेगे "
कार्तिक ने घड़ी में देखते हुए बताया "मेडम अभी तो बहुत टाइम लगेगा , दस ही बजे है "
नीलू उसे सड़ा सा मुँह बना के देखती रही ...
"अरे तो आ कर सो क्यों नहीं जाती तुम " कार्तिक ने फिर से कहा
नीलू ने कहा "मुझे गोद में सर रख कर सोने की आदत है , माँ मुझे रोज ऐसे ही सुलाती है "
कार्तिक ने इधर उधर देखा और कहा "आजाओ मेरी गोद में सर कर सो जाओ "
नीलू ने एक बच्चे के तरह खुश होते हुए पूछा "पक्का न "
कार्तिक ने मुस्कान के साथ हाँ में सर हिलाया ...
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