google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Hindi Kahaniyan Reading | Hindi kahani - Kusum Part 39

Hindi Kahaniyan Reading | Hindi kahani - Kusum Part 39

Hindi Kahaniyan Reading | Hindi kahani - Kusum Part 39



रोहित से बात करने के बाद रोहित के इरादे तो नेक नहीं थे , ये बात कुसुम भी भली भाति समझ रही थी लेकिन उसकी कोख में रोहित का खून पल रहा था इसलिए उसने रोहित को कुछ और मौके देने का विचार किया , उसके सोचा अभी किसी तरह की कार्यबाही थोड़ी जल्दबाजी ही होगा , पहले हमे एक मुलाकात करनी ही होगी उसके बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचना चाहिए |


वैसे शीतल सच कह रही है या झूठ इसका पता तो रोहित से मिलने के बाद ही चलेगा , और जिस तरह से उसने हमे नीलम और उसके प्रेमी के अश्लील फोटोज और वीडियो दिखाया है उससे तो लग ही रहा है की वो कल्प्रिट है लेकिन हम उस घर की होने बली बहू होने के नाते उस सब को और आगे न फैलने देने की कोशिश करनी चाहिए , रही बात शीतल के प्रेगनेंसी की तो ये झूठ भी तो हो सकता है , हो सकता है ये कोई राजनितिक हातखंडा हो , हो सकता है ये रोहित के घर वालो के किसी विरोधी पार्टी बाले ने कोई गेम खेला हो ?


ये बात तो जगजाहिर है की इस बार के चुनाव में रोहित के पापा सबसे प्रबल दाबेदार माने जा रहे है , तो हों न हो ये कोई साजिश हो , सोच ही रही थी की उसके दिमाग में एक बात और आई , कही चुनाव के इस गंदे खेल में नीलम की तस्बीरे न लीक कर दी जाये , इससे पहले ही हमे कुछ करना होगा ...

इसी उधेड़बुन में कुसुम को देर रात तक नींद नहीं आयी , और दुसरी तरफ शीतल टाँगे फैलाये बिना किसी चिंता के सो रही थी ...


कुसुम सोच रही थी की अगर ये बात सही है की शीतल भी रोहित के बच्चे की ही माँ बनाने बाली है तो ईश्वर की कैसी अद्भुत लीला है , शादी होने से पहले ही दो शौतन एक ही बिस्तर पर बिना किसी द्वेष के एक साथ रात गुजार रही है , जबकि आम जिंदगी में ऐसा हो पाना सम्भव ही नहीं है , क्युकी जितना मैंने सुना है की दो शौतन एक साथ रात तो क्या एक दूसरे का चेहरा देखना तक पसंद नहीं करती है |

हे कान्हा जी , ये सब झूठ हो ,, और मेरा रोहित बिलकुल निर्दोष हो ... कान्हा जी , प्लीज मेरी इस बार तो सुन लो , मैंने आपसे कभी कुछ नहीं माँगा लेकिन इस बार मेरी इज्जत का सवाल है , अगर सब कुछ ऐसा ही निकला जैसे शीतल बोल रही है तो मैं बिबस हो जाऊगी अपने आने बाली संतान का इस दुनिया में आने से पहले ही गला घुटने के लिए | और ऐसा मैं हरगिज नहीं चाहती हूँ .. हे बंसी के बजईया मेरी बिनती सुन लो ...

कुसुम में आँखों से आसुओ की धारा बह रही थी .... कुसुम ने आंखे बंद की और न जाने कब सो गयी ... और अब उसकी आंख अगली सुबह ही खुली ...


वो अपने घर में सबसे पहले उठ गयी और नित्य क्रिया करने के बाद बाथरूम में स्नान कर के ही निकली और फिर से अपने कान्हा जी के मंदिर में पूजा कर के जल्दी से नास्ता तैयार करने में अपनी भाभी की मदद की और फिर अपने कॉलेज का बहाना कर जल्दी तैयार होने लगी ...


सुनीता ने कुसुम को पूछा "कुसुम तुम कहाँ जा रही हो इतनी जल्दी तैयार हो कर "

कुसुम अपने बात सही करते हुए बोली "भाभी जी मेरे फाइनल ईयर के लिए कॉलेज में फॉर्म भरे जा रहे है तो आज तो जाना ही पड़ेगा "


उसकी भाभी ने उसका झूठ पकड़ लिया था क्युकी शायद कुसुम ने उनसे पहली बार झूठ बोला होगा , उसे झूठ बोलने का बिलकुल भी तुजुर्बा नहीं था ,,,


सुनीता ने कहा "देखो कुसुम तुम जहाँ भी जा रही हो , ध्यान से जाना और अपना ख्याल रखना , और सुनो दुपट्टा थोड़ा ढंग से रखना , लोगो को शक न हो "


कुसुम शर्मिंदा होते हुए झुकी हुई नजरो से बोली "ठीक है भाभी जी "


"मेडम तो अभी उठी भी नहीं है , और तुम तो जाने लगी , उठा दू क्या उसे " सुनीता ने पूछा 

कुसुम आगे कुछ कहती तब तक शीतल अपनी आंखे मलते हुए दिखाई दे गयी ...

"मैं उठ गयी हूँ , माफ़ कीजिये थोड़ा लेट हो गयी उठने में आप लोग तो सब तैयार भी हो गए " शीतल ने आश्चर्य से कहा 


सुनीता ने हलकी सी मुस्कान देते हुए कहा "कोई बात नहीं मेडम जी , हमारी लाइफ तो ऐसी ही है जल्दी उठाने और जल्दी सो जाने की , आप फ्रेश हो जाइये , मैं आपके लिए नास्ता लाती हूँ "


शीतल ने भी स्माइल पास की और जाने लगी , जाते हुए उसने कुसुम से पूछ लिया "अरे तुम भी कही जा रही हो क्या "

कुसुम ने कहा "हाँ , वो मेरा कॉलेज है आज "


शीतल ने कहा "अच्छा ठीक है मैं आती हूँ अभी "


अब कुसुम अपने भाई के लिए लंच बॉक्स पैक करने लगी थी ... संदीप भी तैयार हो कर अपने काम पर जाने लगा था , उसने अपना लंच बॉक्स लिया और कुसुम के गालों पर हाथ फेरा कर उसे दिलाशा देता हुआ घर से बहार चला गया ,,, कुछ देर खड़ी कुसुम उसे देखती रही ... उसके साथ सुनीता भी खड़ी उसे ही देखती रही ...

फिर सुनीता ने कहा "क्या देख रही हो कुसुम , तुम्हारे भइया तो चले गए "

कुसुम ने बड़े ही शांत स्वर में कहा "भाभी जी कभी कभी मुझे भैया की बहुत फिक्र होती है "

सुनीता ने कुछ नहीं कहा , और कीची में जा कर अपने काम में लग गयी ..


कुसुम ने अंजली का नंबर लगाया , तो उसका नंबर स्विच ऑफ आ रहा था ...

अब क्या करे , अंजली का नंबर बंद है , उसके घर तो हम जा नहीं सकते , फिर क्या आज हमे अकेला ही जाना पड़ेगा क्या ?

चलो एक try और करते है शायद उठा ले ...

लेकिन फिर से उसका नंबर बंद था |


शीतल भी रेडी हो गयी थी , उसने कुसुम से कहा "चलो कुसुम मैं तुम्हे तुम्हारे कॉलेज तक ड्राप कर दूंगी "

कुसुम ने कुछ नहीं कहा , शीतल ने नास्ता किया और फिर सुनीता भाभी से गले लग कर बोली 

"भाभी जी अगर मुझसे कोई गलती हुई है तो मुझे माफ़ कर देना , वैसे तो मुझे आपके घर नहीं आना चाहिए था , लेकिन मुझे एक बार जरुरी लगा इसलिए मैं यहाँ आ गयी , अगर कुछ गलत लगा हो तो सॉरी "


सुनीता ने कहा "इसमें बुरा मानने बाली क्या बात है , आप भी हमारे लिए कुसुम जैसी ही हो , फिर आते रहना "

शीतल ने कहा "जी आपका प्यार मुझे यहाँ तक जरूर खींच लाएगा "

सुनीता ने शीतल से पूछ ही लिया आपके घर में आपके अलावा और कौन है 

शीतल ने कहा "माँ नहीं है , पापा एक अपनी ऑफिस की कुलीग से शादी करके बिदेश में रहने लगे है , वही से मुझे खर्चा देते रहते है "

सुनीता ने कहा "अच्छा , ठीक है फिर कभी आना "


शीतल ने कुसुम को साथ चलने को कहा तो कुसुम ने बहाना लगा दिया की मेरी फ्रेंड भी जाएगी मैं उसके साथ चली जाऊगी .. 

शीतल वहां से चली गयी ...

फिर कुसुम ने भी अपना बैग लिया और घर से निकल गयी ...

आज पहली बार था की कुसुम अकेली बिना अंजली के कॉलेज जा रही है .. ये बात सुनीता को भी चुभ रही थी ...

उस पता था की आज कॉलेज तो नहीं है ...


कुसुम बस स्टैंड तक पैदल पहुंच गयी थी , वो स्टैंड पर खड़ी बस का इंतजार करने लगी ..

तभी एकाएक उसके कान में एक आवाज आयी ... कुसुम 

उसने पीछे मुड़ कर देखा तो उसके होश उड़ गए , वो डर गयी .....


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