Hindi Kahaniyan Reading | Hindi kahani - Kusum Part 41

Hindi Kahaniyan Reading | Hindi kahani - Kusum Part 41

जब विवेक कुसुम के पास आ कर खड़ा हुआ तो कुसुम कॉल कर रही थी |

रोहित ने उसे थोड़ी देर में पहुंचने के लिए कहा और कुसुम ने कॉल डिसकनेक्ट कर दिया 

कॉल डिस्कनेक्ट करते ही कुसुम की नजर विवेक पर पड़ी , विवेक ने भी भी कुसुम को मुस्कराते हुए हेलो कहा 

कुसुम ने भी उसे हेलो कहा 

फिर विवेक ने उसे यहां खड़े रहने का कारण पूछा तो उसने बताया की यहाँ वो किसी से मिलने के लिए खड़ी है , वेट कर रही है |

फिर विवेक ने पूछा कौन आ रहा है मिलने "वही आपका होने बाला "

तो कुसुम ने मुस्कराते हुए स्माइल पास की ...


विवेक जिस तरह से कुसुम को देख रहा था कुसुम भी अब तो फील करने लगी थी की लोग उसे अब नोटिस करने ही लगेंगे ... हालाँकि दोनों में से ऐसा कुछ भी नहीं कहा 


फिर कुसुम ने पूछा "एक बात पुछू , सच बताना "

विवेक ने कहा "हाँ पूछो "

कुसुम बोली "क्या अंजली सच में तुम्हे पसंद नहीं है "

विवेक हस्ते हुए बोला "ये कैसा सवाल है "

कुसुम ने कहा - विवेक हसो मत , जो पूछ रहे है वो बताओ 

विवेक ने कहा "बहुत पसंद है "

कुसुम ने फिर पूछा "तो फिर ऐसा क्या हुआ की तुमने अंजली से बात करना बंद कर दिया "

विवेक बोला "शायद आपको गलतफैमी होगयी है , बात करना मैंने नहीं बल्कि उसने बंद की है कॉल भी रिसीव नहीं करती है "

कुसुम ने लम्बी साँस लेटे हुए कहा "विवेक इतने भोले मत बनो ठीक है , अगर कोई प्रॉब्लम हुई है तो सॉल्व करलो "

विवेक अपना माथा ठोकते हुए बोला "यार तुम क्या बात कह रही हो मेरी समझ नहीं आ रहा है "

कुसुम ने कहा "अच्छा समझ नहीं आ रहा है , याद दिलाती हूँ ट्रिप तो याद होगी ज्यादा दिन भी नहीं हुए है "

विवेक ने कहा "हाँ याद है , अभी कुछ महीने पहले तो गए ही थी हम सब "

फिर कुसुम ने उसे एक बात और याद दिला दी कहा "फिर तो होटल के रूम में तुम दोनों ने जो टाइम स्पेंड किया था अकेले में वो तो याद होगा ही न , देखिये विवेक जी अगर कोई लड़की अपने कपडे किसी लड़के के सामने अपनी मर्जी से उतार देती है न तो इसका मतलब वो तुम्हे दिल और जान दोनों से चाहती है , न की इसका मतलब सिर्फ कुछ पल बिताने और मस्ती लूटने के लिए "

विवेक अब शर्मिंदा हो रहा था , और अपनी नजरे झुका के खड़ा था ... 


कुसुम ने एक बार और कही "देखिये विवेक जी हमे माफ़ कर देना हमे ऐसा बोलना पड़ा , लेकिन हम अंजली को भलीभांति जानते है इसलिए ऐसा कह रहे है प्लीज उसे बात करलो "

विवेक ने कहा "कुसुम मैं बात करती हूँ लेकिन वो खुद ही नहीं बात करती है "

कुसुम ने उसे अपना नंबर देते हुए कहा "कल कॉल करना हम बात करायेगे "


विवेक ने पूछा "क्या हुआ है आज कल तुम लोग कॉलेज नहीं आ रहे हो "

कुसुम ने फैमिली इश्यूज बता कर बात को यही रफा दफा कर दिया |


कुसुम का कॉल फिर से आया .. ये रोहित का ही था 

हेलो किधर हो मैं चाय की दुकान के सामने खड़ा हूँ 

कुसुम ने कहा - ठीक है रुको हम आते है 

फिर कुसुम ने विवेक को बाय कहा और वहां से चली गयी ....


विवेक बेचारा अपना सा मुँह लिए खड़ा ही रह गया ... उसे कुसुम ने इतना डांट जो दिया था |


कुसुम इधर उधर देखते हुए वहां पहुंची जहाँ रोहित अपनी गाड़ी लिए खड़ा था |

जैसे ही कुसुम ने रोहित को देखा तो एक दो पल के लिए सिर्फ और सिर्फ रोहित को ही देखते रही ... उसकी आँखों में आंसू छलक आये थे |


रोहित ने स्माइल पास करते हुए अपनी गाड़ी का शीशा नीचे किया और अंदर आने के लिए खिड़की खोली और कहा अंदर आजाओ 


कुसुम ने गुस्से बाला फेस बनाया और फिर गाड़ी में अंदर आ कर बैठ गयी ...


कुसुम के बैठ जाने के बाद रोहित ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे की ओर जाने लगा |

कुसुम ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पूछा "इतने बिजी होगये हो की एक कॉल करके एक बात मेरी तबियत के बारे में भी नहीं पूछ सकते "


रोहित उदास और शर्मिंदगी बाला फेस लिए चुप ही बैठा गाड़ी चलता रहा ... 

फिर एक बार कुसुक की ओर देख कर बोला "तुम कितनी कमजोर हो गयी हो कुछ खाती पीती नहीं हो क्या "


कुसुम ने गुस्से में कहा "ये हमारे सवाल का जवाव नहीं है " 

रोहित ने फिर से कुसुम की ओर देखा और बोला "आया न तुमसे मिलने "

कुसुम ने कहा "प्रेग्नेंट करने के पूरे चार महीन के बाद "

रोहित ने कहा "यार तुम्हे तो पता ही न कितना बिजी शेडूल हो चुका है पापा के बीमार हो जाने के बाद से "

कुसुम का गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ था वो अंदर से भरी बैठी थी ... उसने पूछा अब कहा ले जा रहे हो 


रोहित ने कहा "मैंने होटल में रूम बुक कराया है आराम से बैठ के बात करेंगे , ऐसे पब्लिक प्लेस पर ठीक नहीं है , वैसे भी मीडिया बाले पॉलिटिशंस के पीछे ही पड़ गए है "


कुसुम ने फिर से गुस्सा करते हुए कहा "हाँ हाँ ले चलो एक बार प्रेग्नेंट हो गयी अब दुवारा तो हो नहीं सकती "

रोहित ने एक दम से तेज ब्रेक लगाए , कुसुम का सर जा कर आगे गाड़ी के शीशे में जाकर लगा , कुसुम को चोट लगी लेकिन हलकी ...कुसुम ने अपना सर पकड़े पकड़े पूछा "ये क्या था रोहित "


रोहित उसे घूर रहा था ...फिर बोला "प्रेग्नेंट करने का मेरे पास कोई मंत्र नहीं है जो मैंने पढ़ दिया था , तुम भी बराबर की शरीक थी इस घटना में "

रोहित की ये बात कुसुम को इतनी बुरी लगी थी की जितना तो चार महीने का इंतजार भी बुरा न लगा था |

कुसुम की आँखों से उसका दर्द छलकने लगा था , उसके सफ़ेद फेस पर दर्द के भाव साफ साफ नजर आ रहे थे लेकिन उसे समझने बाला ही उस पर आरोप और प्रत्यारोप लगा रहा था |

अब कार को साइड में खड़ी कर रोहित ने पहले तो बहार उतर कर ठंडी हवा ली और फिर कुसुम से कहा , बाहर आजाओ हवा अच्छी चाल रही है तुम्हे अच्छा लगेगा |


कुसुम ने नफरतभरी निगाहो से देखते हुए कहा "तो आपको कब से मेरे अच्छे और बुरे की चिंता होने लगी ..."

रोहित ने कहा "प्लीज यार , come on , छोडो भी अब , आओ बहार आओ "

फिर रोहित ने कुसुम को अपना हाथ देकर बहार निकला |

कुसुम उसे देखती रही और रोहित भी उसे देखता ही रहा ...जब तक कुसुम बाहर न निकल आयी ..


बाहर आकर कुसुम ने रोहित से पूछा "क्या हुआ तुम्हारी होटल की बुकिंग का चलो यहाँ तो मीडिया बाले परेशान करेंगे तुम्हे "

रोहित का गुस्सा बढ़ रहा था ...

रोहित ने कहा तुमने ही तो मना किया , 

कुसुम ने कहा "ठीक है चलो , बहुत से राज से पर्दाफास करना है तुम्हारे  इसलिए खुले और पब्लिक प्लेस पर ठीक नहीं रहेगा "

अब रोहित के फ्यूज उड़ चुके थे.... परेशान होने लगा था ...

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