Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Kusum - Ek Paheli (Part 45)

Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Kusum - Ek Paheli (Part 45)



story in hindi best:

कुसुम अपने स्टैंड पर उतरी और अपन  घर की ओर जा ही रही थी की उसे एक अबाज सुनाई दी |

कुसुम समझ गयी थी क्युकी ये आबाज उसकी पहली की सुनी हुई थी , ये भोलू था , कुसुम ने पीछे मुद के देखा तो भोलू उसे बुलाता हुआ उसकी ओर आ रहा था |


कुसुम को अब भोलू से डर लगना बंद हो चुका था कुसुम अब रुक गयी और भोलू को अपने पास आने का इंतजार किया |

भोलू अब उसके पास आ चुका था , कुसुम ने उसे पूछा "हाँ जी भोलू जी बताइये क्या परेशानी है अब आपको "

भोलू ने कहा "आज तुम्हारी कॉलेज कुछ ज्यादा टाइम नहीं चली , पहले की अपेक्षा तुम आज ज्यादा लेट आयी हो मैं बहुत देर से इंतजार कर रहा था "

कुसुम थोड़ा हसी और बोली "भोलू एक बात बताये , मत किया करो इंतजार "

भोलू कुछ देर चुप कुसुम की ओर देखता रहा और बोला "अभी तो हम इंतजार ही कर सकते है "

कुसुम ने कहा "वो भी मत किया करो , बहुत जल्द हम यहाँ से चले जायेगे नहीं मिला करेंगे तुम्हे "

भोलू ने एक बेचारे बाली स्माइल पास की और बोला "तुम कही नहीं जाने बाली "

कुसुम ने स्माइल पास की और कहा "क्यों तुम्हे ऐसा क्यों लगता है की हम कही नहीं जाने बाले "

भोलू ने कहा "वो हम न कल एक पिक्चर देख रहे थे उसमे हीरो कहता है की अगर आपका प्यार सच्चा है तो आपकी जीत होके ही रहेगी "

भोलू की बात सुन कर पहले तो कुसुम कुछ शांत रही फिर हस्ते हुए बोली "हाँ ये तो है लेकिन प्यार दोनों ओर से होना चाहिए , तब न जीतोगे तुम , ओर वैसे कोनसी फिल्म देख ली तुमने "

भोलू सर खुजाता हुआ याद करने लगा और बोला "अरे साला नाम याद नहीं आ रहा "


कुसुम ने भोलू से पूछा "अच्छा भोलू एक बात बताओ आज तुम पान भी नहीं चबा रहे और न ही तुम्हारे अब साथी दिखते "

भोलू ने कहा "वो क्या हाँ न की अब हम सुधरने की कोशिश कर रहे है "

कुसुम ने कहा "ये तो अच्छी बात है , लोगो को परेशान करना और ये उलटे काम करना बंद करो और एक नेक इंसान बन जाओ तो कितना अच्छा रहेगा "


भोलू ने स्माइल पास की और कुसुम को लेट न आने के लिए कहा |

तो कुसुम  ने ओके जी कहते हुए घर की ओर जाने लगी , तो भोलू ने उसे फिर से पुकारा जब कुसुम से मुड़ कर देखा और इशारे में पूछा अब क्या है |


तो भोलू अपनी पॉकेट में हाथ डालते हुए कुछ निकालते हुए कुसुम की ओर बढ़ा ..

वो कुसुम के पास पहुंचा तो उसके हाथ में एक छोटी सी चॉकलेट थी , भोलू ने बड़ी ही उम्मीद के साथ वो चॉकलेट कुसुम की ओर बढ़ा दी ..

कुसुम ने स्माइल के साथ पूछा ये क्या है भोलू जी ...

"ये हमारी तरफ से एक छोटा सा तोहफा समझ लीजिये " भोलू ने इधर उधर देखते हुए कहा 


ये देखते हुए कुसुम को बड़ा अचरज हुआ जो इंसान कल तक किसी की परवाह नहीं  किया करता था आज उसे किसी की परवाह हो रही है , की कही कोई देख तो नहीं रहा ??


कुसुम ने कहा "क्या हुआ आज चॉकलेट देते हुए तुम डर क्यों रहे हो "

भोलू ने कहा "मैं अपने लिए नहीं डर रहा ,  मैं तो आपके लिए डर रहा हूँ कही किसी ने देखा तो फिर हमे वही पुराने अपने अंजदाज में आने के लिए मजबूर होना पड़ेगा "


कुसुम ने कहा "देखिये भोलू जी अभी हम आपकी चॉकलेट तो नहीं ले सकते है "

भोलू ने पूछा "क्यों , "

तो कुसुम ने कहा "क्युकी हम आपकी प्रेमिका नहीं है , हाँ दोस्त समझ के दो तो जरूर ले सकते है "

भोलू ने कुछ सोचा और कहा "ठीक है दोस्त ही सही "

कुसुम चॉकलेट ली और थैंक यू बोल के जाने लगी , भोलू उसे देखता ही रहा |


कुसुम घर पहुंची तो उसकी भाभी बोली "ओह्ह आ गयी तुम हम तुम्हे ही कॉल कर रहे थे , तुमने कॉल भी नहीं उठाया "


कुसुम ने अपना बैग रखते हुए कहा "वो रास्ते में सुनाई नहीं दिया था भाभी जी "

सुनीता "चलो कोई नहीं हमे तो तुम्हारी चिंता हो रही थी , इसलिए कर रहे थे कॉल "

कुसुम "भाभी अब हम कोई बच्ची तो है नहीं जो आप इतना चिंता करते हो "

सुनीता "हाँ बच्ची तो नहीं हो लेकिन बचपना कर देती हो न कभी कभी इसलिए "

कुसुम "हम्म "

सुनीता "अच्छा तो आज की क्लास कैसी रही तुम्हारी "

कुसुम ने कहा "अच्छी रही , शायद निकट भविष्य में बहुत काम आएगी आज की क्लास "

सुनीता ठीक है जाओ अब कुछ खा के आराम कर लो , क्युकी तुम्हे आराम की बहुत जरूरत है |


ठीक है भाभी जी , कह के कुसुम किचन में गयी और खाना ले कर अपने रूम में चली गयी और खाना खाने लगी ..

खाना खाते खाते उसे रोहित की चोट और रोहित का उसके लिए नदी के किनारे परेशान होना याद आ रहा था |

तभी उसका काल आया , कॉल अंजली कर रही थी |


उसने कॉल रिसीव किया |

अंजली - कहाँ हो ?

कुसुम - घर पे ही है आजाओ तुमसे कुछ बात करनी थी |

अंजली ने कहा - ठीक है थोड़ी देर में काम निपटा के आते है |

ठीक है आओ |


इधर रोहित ने शीतल को कॉल लगाया , 

शीतल "हेलो जी , आज हम कैसे याद आ गये "

रोहित "तुम ने ठीक नहीं कर रही हो , बहुत पछताओगी शीतल "

शीतल "अब क्या कर दिया हमने "

रोहित "हमने तुमसे मामल सिलटने को कहा था न की बढ़ाने को "

शीतल "देखिये जी हमे हमारी जगह देदो , मामला अपने आप सिलट जायेगा "

रोहित "कोनसी जगह "

शीतल "ससम्मान हमे अपने घर की बहू बना लो "

रोहित "मेरे घर बाले नहीं मानेगे , और प्रग्नेंट लड़की को तो अपनी बहू बना ही नहीं सकते इसलिए पहले ये बच्चा गिराओ "

शीतल ने कहा "क्या अपने यही शर्त कुसुम से भी रखी है "

रोहित ने कहा "देखो , तुम इस सब के चक्कर में न पड़ो और अपना रास्ता अलग करलो "

शीतल "ठीक है देखते अब हम रास्ता अलग करेंगे या नया रास्ता बनायेगे "

रोहित "पहले हमे एक बार मिलो , तब बात करते है "

शीतल "आजाओ होटल रेडिशन ब्लू "

ओके |

Reactions

Post a Comment

0 Comments