Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Arrange Marriage Part - 181
कार्तिक के चले जाने के बाद नीलू का दिमाग और भी ज्यादा गरम तो हो ही रहा था साथ ही उसे टेंशन भी होने लगी थी की कही उसके ऐसे बीहेव की बजह से कार्तिक उससे हमेशा के लिए न दूरियां बना ले क्युकी अभी तो हमारा रिलेशन शुरू ही नहीं हुआ है , इसलिए अभी से इतनी शख्ती बरतना ठीक नहीं है , लेकिन मेरी इसमें गलती ही क्या है , सब कुछ तो उसका ही पागलपन चलता रहा , कभी फोन पर नायरा तो कभी बल्किन में शिवानी ये इंसान है या फिर लड़कियों से खेलना बाला शिकारी है ??
ओमकार जी और उनके परिबार के मेंबर्स सहित राजेश जी और उनका परिबार केबल कार्तिक को छोड़ कर बाकी सभी कान्हा जी की मंदिर में प्रार्थना कर रहा था , सभी लोग अपनी अपनी आंखे बंद किये अपनी अपनी कामनाये और इच्छाएं भगबान के सामने रख रहे थे , नीलू भी अपने आंखे बंद किये अपने हाथ जोड़े हुए कान्हा जी से अपने होने बाले जीवन साथी के मन बुद्धि और चरित्र को लेकर प्रार्थना कर रही थी |
कान्हा जी के दर्शन इत्यादि के बाद सब लोग मंदिर परिसर के बिश्राम एरिया में बैठ कर बाते कर रहे थे तो ओमकार जी ने कहा " कार्तिक को ऐसे नहीं जाना चाहिए था , आखिर उन्ही के लिए तो ये सब लोग इकट्ठा हुए थे और वो ही बिना कोई प्लान बताये चले गए ??
राजेश जी ने कहा " हाँ उसे कुछ जरुरी काम आ गया था ऑफिस से और वैसे भी वो कुछ कम्फर्ट सा फील नहीं कर रहा था इधर तो मैंने ही कह दिया की अगर मन न लग रहा हो तो अपने घर जा सकते हो , और वैसे भी उसे कल मॉर्निंग में ऑफिस जाना होगा तो यहां से कैसे मैनेज करता "
रजनी ने पूछा " अब रात का खाना कर फिर सुबह नास्ता और ऑफिस के लिए लंच कैसे मैनेज होगा उनके लिए ?"
शीला जी ने कहा " अब हम लोग तो यही है , खुद से ही मैनेज करना पड़ेगा उसे , रात को तो कुछ न कुछ बहार खा के सो जायेगा , कल हो सकता लंच भी बहार से ही आर्डर कर लेगा , वैसे भी स्विग्गी और जमेटो कब काम आएंगे ?"
शीला जी ने थोड़ा सा माहौल खुशनुमा सा बना दिया था लेकिन सबसे पीछे बैठी नीलू को कार्तिक की फ़िक्र होने लगी थी , पूरे दोनों टाइम उसके लिए खाने की टेंशन रहेगी ... रात को न जाने कही भूखा ही न सो जाये .. ऐसा ही लगता है वो मुझे .... यार इतना भी क्या गुस्सा की बिना बताये ही चला गया यहाँ से
अपने पास बैठी रिया से नीलू ने पूछा ' तुम्हारे भाई को कुछ बनाना आता है ?? "
रिया ने मुस्कराते हुए कहा " आता है न "
नीलू ने भी स्माइल पास की और पूछ दिया " क्या "
रिया ने कहा " उसे फूल बनाना अच्छे से आता है और किचन की बात करो तो उसे दूध गर्म करना भी नहीं आता , उसमे भी इतने उबाल लगा देता है की दूध दूध नहीं बल्कि रबड़ी बन जाता है "
"गर्मियों में भला चाय में कोई काली मिर्च डालता है , हमरा भाई उसमे काली मिर्च डाल कर तीखा बना देता है और कहता है ये रही मेरी स्पेशल कड़क चाय "
नीलू ' हे भगवान , चाय तो आज के ज़माने में हर किसी को आती है बाना "
पायल ने नीलू से कहा " नीलू मैं लेट हो रही हूँ , माँ इंतजार कर ही होगी , ज्यादा लेट हुयी तो मुझे बहुत सुना देगी ... इसलिए मैं चलती हूँ "
नीलू " ठीक है , लेकिन यहाँ से कैसे जाएगी ... रिक्सा भी नहीं मिलेगा '
पायल ने आंख मारते हुए कहा " पागल है क्या रिक्से की किसे जरूरत है , आदित्य कब काम आएगा ..."
नीलू ने चेहरे के एक्सप्रेशन चेंज करते हुए बड़ी बड़ी आंखे करते हुए पूछा " तूने उसे बुलालिया है क्या "
पायल " नहीं नहीं , उसे इधर कुछ काम था सो वो इधर ही आया हुआ है , तो मुझे घर की ओर ड्राप कर देगा "
नीलू ने कहा " तो उसे भी अंदर बुला लिया होता , मैं भी मिल लेती ..."
पायल ने कहा " तुझे मिलना है तो चल बाहर गेट पर ही है मिल लेना , अंदर ठीक नहीं है "
नीलू ने अपनी माँ से कहा " माँ पायल जा रही है , इसे लेट हो जायेगा , तो मैं इसे गेट तक ड्राप कर देती हूँ '
पायल " नमस्ते आंटी , माँ इंतजार कर रही होगी , इसलिए मैं चलती हूँ , फिर आती हूँ किसी दिन आपसे और भी रेसिपी सीखनी है "
रजनी जी ने ओमकार जी की ओर देखते हुए कहा " देखो जी बिटिया अकेली जा रही है , छोड़ देते इसे घर तक "
पायल " अरे नहीं नहीं आंटी जी मैं रिक्सा लेलूँगी , आप क्यों परेशान होंगे , मैं चली जाऊगी "
ओमकार जी " कोई नहीं बेटा , मैं अभी छोड़ देता हूँ तुम्हे , कितना टाइम लगेगा , जब तक ये लोग मंदिर घूमेंगे "
"ओह नो यार , ये क्या .. मेरा तो प्लान ही ख़राब हो जायेगा , अगर अंकल जी मुझे ड्राप करने गए तो , आदित्य भी गुस्सा करेगा .... हे कान्हा जी कोई तो बहाना बनाओ , इन्हे रोक लो ... " पायल सोचते हुए नीलू की ओर देखने लगी ...
यह भी पढ़े : पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी के रिश्ते का सच
नीलू " पापा जी रहने ही दीजिये , बोल रही है तो चली जाएगी... इसे थोड़ा मंडी में भी काम है , ये कुछ बुक्स बगैर भी लेने के लिए कह रही है "
"कोई बात नहीं , हमें ख़रीदबादेन्गे बुक्स , वैसे भी मेरे जानने बाले है उधर " ओमकार जी ने खड़े होते हुए कहा
" जा मर , अब मैं कुछ नहीं कर सकती ..." नीलू ने धीरे से बुदबुदाते हुए कहा
पायल का चेहरा अब देखने लायक हो चुका था, अब वो मना भी नहीं कर पा रही थी ... ओमकार जी ने कहा चलो बेटा ... छोड़ देता हूँ आपको .. और हाँ मुझे बैसे भी आपके पापा को कुछ खास संदेश देना है इसी बहाने में उनको बोल भी आउगा ||
रोते हुए चेहरे के साथ पायल ने सबको बाय कहा और ओमकार जी के पीछे पीछे हो ली ....
बाहर आदित्य अपनी गाड़ी लिए खड़ा था , और पायल का मंदिर के गेट से बाहर आने का इंतजार कर रहा था ...
उसने देखा ये क्या ... पायल तो किसी अंकल के साथ आ रही है , कही ये ही तो नीलू के पापा तो नहीं है ??
ओमकार जी बहार आ कर अपने बाइक चालू करने लगे ... तभी मौका पा कर पायल ने आदित्य को इशारे में बताया की तुम्हे अब यही से बापस जाना पड़ेगा ....
आदित्य ने आंखे निकली और गुस्सा करते हुए गाड़ी स्टार्ट करके वहां से जाने लगा ..... पायल ओमकार जी की बाइक पर बैठ कर उसके घर की ओर चली गयी ....
अब खामखा इसे भी मानाने में दो दिन लग जायेगे ... अंकल जी क्या जरूरत थी आपको कबाब में हड्डी बनाने की ??
यह भी पढ़े : पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी के रिश्ते का सच
यह भी पढ़े : बजन कम करने के घरेलु एक्सरसाइज और उपाय
यह भी पढ़े : बजन कम करने के घरेलु एक्सरसाइज और उपाय
0 Comments