google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 10 Motivational Story for Students in Hindi - शिक्षाप्रद कहानियां

10 Motivational Story for Students in Hindi - शिक्षाप्रद कहानियां

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मोटिवेशनल स्टोरी फॉर स्टूंडेंट्स इन हिंदी | वीर बालक भील दद्दा

Motivational story for Students in Hindi


ये बात है अकबर और महाराणा प्रताप के बीच चल रही जंग के दौरान की , महाराणा प्रताप की सेना ख़तम हो चुकी थी , लेकिन फिर भी आत्मसमर्पण न करने का विचार करके राणा जी ने छुप छुप कर जीवन यापन और फिर से अपनी सेना का गठन करने के इरादे से बे जंगलो में चले गए | वे गुगाओ में छुप छुप कर रहने लगे थे , तभी एकबार वे एक जंगलों में रहने बाली भील बस्ती में पहुंच गए थे , जब वहां के लोगो को पता चला के ये तो राणा जी है तो उन्हें उनके रहने और खाने की वियबस्था की .. वे एक एक करके हर एक घर से रोज उनके लिए खाना पहुंचाया करते थे |

एक दिन दद्दा के घर की बारी आई आज उन्हें राणा जी के लिए खाना पहुंचना था , आज उसके घर खाने के लिए कुछ भी नहीं था , फिर भी उसकी माँ ने पड़ोस के घर से कुछ अन्न उधार लिया और महारणा प्रताप के लिए भोजन की विवस्था की , खाना बनाने के बाद एक पोटली में रख कर उसकी माँ ने दद्दा से कहा " जाओ ये खाना राणा जी तक हर हाल में पहुंचना है , चाहे कोई भी संकट आये लेकिन तुम्हे पीछे नहीं हटाना |

उस बालक ने खाने की पोटली अपने हाथ में पकड़ी और उत्सुकता से अपनी माँ से पूछा " माँ हम इतना जोखिम उठा कर , शहंशाह अकबर की सेना से बचते बचाते हुए क्यों राणा जी को खाना भेजते है , अगर हम पकड़े गए तो हमे हमारे परिबार के साथ जिन्दा जला दिया जायेगा "

बच्चे की उत्सुकता भरे सवाल को सुनकर माँ ने उसे अपने गले से लगाया और उसे राणा जी के बारे में कुछ बाते बताई ..." 

माँ की बात सुनकर बालक के अंदर जोश उमड़ पड़ा और वो पोटली उठा कर जाने लगा और बोला " माँ चाहे कुछ भी हो जाए मैं खाना पहुंचा के ही आउगा .."

दद्दा नाम का बालक घर से निकल जाता है , और कुछ आगे चलने पर उसे अकबर की सेना के कुछ आदमी दिखते है फिर भी बो निडर हो कर चलता रहा , जब उन्होंने उस बालको रोकने की कोशिश की तो वो दौड़ने लगा , सैनिक उसका पीछा करते रहे , वो फिर भी नहीं रुका और लगातार छुप छुप कर भागता ही रहा , लेकिन सैनिक भी उसका पीछा करते ही जा रहे थे , पीछा करने के दौरान उसके हाथ में सैनिक की तलबार से घाव तक हो गया था , लेकिन दद्दा नहीं रुका , उसके हाथ से रक्त बहता रहा , और उसे कमजोरी महसूस होने लगी , और वो भागते भागते गिर गया |

लेकिन अचानक से फिर से शक्ति एकत्रित कर फिर से दौड़ने लगा , और इतना डूडा की अकबर के सैनिक उसे पकड़ भी नहीं सके | 

जिस गुफा में राणा जी रह रहे थे उसके पास पहुंच कर सामने पड़े पथ्थर पर बैठ कर वो जोर से चिल्लाया " राणा जी आपका भोजन "
आवाज सुनकर महाराणा प्रताप जी बाहर आये और उस बालको को जो लगभग बेहोश हो रहा था , उन्होंने पानी पिलाया और अपने साथ अंदर ले जा के लिटाया |

जब वो बालक होस में आया तो राणा जी ने पूछा " क्या जरूरत थी तुम्हे अपनी जान जोखिम में डालने की ? "
बो बालक उठा और राणा जी की गोद में बैठते हुए बोला " राणा जी माँ ने बताया की अगर आप चाहते तो अकबर के दरबार में माफ़ी मांग कर आराम और सुकून की जिंदगी जी सकते थे , लेकिन आपने गुलामी मंजूर नहीं की , आपको जंगलो में घास की रोटी खानी पड़ी लेकिन आपने अपने गुरुर और अपने समाज को नीचा नहीं दिखाया , जब आप अपने जीवन में इतना बड़ा त्याग दे सकते है तो मेरा त्याग तो कुछ भी नहीं था "

बच्चे की बहादुरी भरी बाते सुनके राणा जी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी , उन्हें ऐसा लगा जैसे उन्हें अपने भले की तेज धार मिल गयी हो !! उन्होंने उस बच्चे को ख़ुशी से गले लगा लिया |

शिक्षा - हमे इस घटना से सीखने को मिलता है की किसी भी परिश्थिति में हमे अपना धैर्य और अपना लक्ष्य कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए लगातार प्रयत्न करते रहना चाहिए , क्युकी मेहनत का अंत हमेशा सुखद और आनंदपूर्ण होता है |





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