google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Motivational story for Students in Hindi

Motivational story for Students in Hindi

 Motivational story for Students in Hindi | Baal Kahaniyan | बाल कहानियां 

Story In Hindi
Motivational story for Students 


जिंदगी एक घटनाओ का संग्रह है, आय दिन कोई न कोई घटना होती ही रहती है, और हमे हर एक घटना से कुछ न कुछ अनुभब होता है , और कुछ न कुछ सीख लेनी चाहिए,

 

ऐसी ही ही एक घटना थी , हमारे मोहल्ले में एक कुत्ता था , उसके किसी ने पता नहीं कुछ मार दिया था जिससे उसके कमर में बहुत चोट थी जिस बजह से उसे चलने में भी दिक्कत थी , और बो एक ही जगह पे घंटो भूखा प्यासा पड़ा रहता था , और कोई उस पे ज्यादा ध्यान भी नहीं दे रहा था, एक दिन वो मेरे घर के आगे आ के बैठ गया , किसी ने उस पे कोई ध्यान नहीं दिया , सब खाने पीने में मस्त थे,बो भूखा था, मेरे भाई का बेटा जो ५ साल का है, मेने देखा वो दो बार रसोई से २ रोटियां ले के जा चुका है, घर पे सब लोगो सोचा ये तो एक रोटी भी नहीं खाता आज चार रोटी  ?

फिर मेने उसका पीछा किया तो देखा वो उस कुत्ते को बड़े प्यार से रोटी खिला रहा था, और उससे कुछ बाते भी कर रहा था जैसे मनो कुत्ता उसकी बाते समझ रहा हो,

  घर के सब लोग ये घटना देख रहे थे और उसकी हरकतों पे हसी भी आ रही थी, लेकिन हम सबने उस घटना से सीखा के इंसानियत के नाते हमे सिर्फ इंसानो से ही नहीं , इस प्रकृति के सभी जीवो और इस प्रकृति से भी प्यार करना चाहिए |


Motivational story for Students in Hindi | Baal Kahaniyan | बाल कहानियां 

उस रात किसी ने दरवाजे पे दस्तक दी |

 यह पहली मर्तवा नहीं था , कभी कभी मेरा भ्रम भी होता था | और बैसे भी जाने वाले कभी लौट कर नहीं आते | आती है तो सिर्फ उनकी यादें | ऐसा सोचने लगी थी | बेटा और बेटी दोनों सो चुके थे | छोटा सा घर था एक कमरे और छोटा बरामदा | ठंडी हवाएं चलने के कारन ठण्ड बाद गयी थी | लेकिन रजाई तो सुखाई नहीं , चलो चादर से ही काम चलाना पड़ेगा | बेटा और बेटी को चादर उढ़ा रखी थी उसी में थोड़ा सा कोना ओढ़ के लेटी | आंख लगने ही बाली थी कि दरबाजा खटखटाने की फिर से आवाज आयी | इतनी रात कौन होगा ? कोई जंगली जानबर तो नहीं | तब तक फिर से अबाज आयी | उठी और उठ के आवाज लगाई कौन है ? कौन है ? मै हूँ | कौन मै कहते हुए दरवाजा खोला | जी कौन ? 

  जी मै लक्ष्मी , एक बूढी मैले और फटे हुए कपडे , बगल में एक थैला , और हाथ में लाठी लिए एक ,महिला |

जी मैने पहिचाना नहीं |

हाँ आज कल किसी को पहिचान में आ नहीं रही हूँ | 

 मै कुछ समझी नहीं आप क्या कहना चाहती हो ?

कहना तो कुछ नहीं बस रात गुजारने की गुजारिश कर रही हूँ | उस औरत ने कहा |

 अंदर आ जाओ , कहते हुए एक टूटी सी चारपाई जो हमेश एक कोने में खड़ी रहती थी |

बिछाते हुए बैठने को कहा | घर में ज्यादा कपड़े तो थे नहीं लेकिन एक पुरानी उनके समय की दरी थी, उसे बिछते हुए पूछा आप कौन है ? बच्चे नहीं है आपके?

 हाँ है न , समृद्दि बेटी है वैभव नाम का बेटा है | 

क्या करते है आपके बच्चे ?

 बेटा समाज सेवा करता है |

कैसी सेवा बड़ी उत्सुकता से मेने पूछा ?

वो बूढ़े माँ बाप को घर में रहने का अधिकार  और बृद्धाश्रम की समाज सेवा करता है , उस महिला ने नज़ारे झुकाते हुए उत्तर दिया ,

 मेने चूल्हे पे माता जी के खाने के लिए चावल चढ़ाते हुए कहा - जी माता जी सब समझ आगया |

 और बाते चलती रही .................. ||

Motivational story for Students in Hindi | Baal Kahaniyan | बाल कहानियां 


दिवाली की मिठाई - हिंदी कहानी हिंदी कहानियाँ 
  
 शाम को जल्दी अजाना आज , ऑफिस जा रहे अमजद से उसकी वीवी फरीन ने कहा |
 हाँ जी आजाएगे | जल्दी क्यों ? कहो तो नहीं जाते आज दफ्तर |
लेकिन जल्दी बुलाने की बजह जान सकता हूँ अमजद ने फरीन को बहो में भरते हुए पूछा ?
 फरीन ने खुद को छुड़ाते हुए कहा - ६० पार कर चुके हो , अब तो कुछ कम करदो अपना ये शायराना अंदाज , जब देखो छेड़ने लग जानते हो | 
 क्या करू तुम हो ही इतनी हसीन |
 अच्छा अब जाओ और जल्दी अजाना | ठीक है कहता हुआ अमजद चला जाता है |
   शाम होती है और फरीन और अमजद बाजार के लिए निकल जाते है |
बाजार में फरीन ने कुछ दिए और एक महगे बाला मिठाई का डव्वा खरीदा | अमजद ये सब देख के कुछ बोला तो नहीं , लेकिन मन में सोच रहा था ये सब क्यों खरीदा है इसने ? 
 तुमने ये दीये और ये मिठाई क्यों खरीदे है ? तुम्हे पता है न हम दोनों को मधुमेह है | हकीम ने हमे मिठाई छूने तक को मना किया है | सुन भी रही हो कुछ , अमजद स्कूटर चलते चलते ये सब बोले जा रहा था | और ये दीये किस लिए और क्यों लिए है ? तुम्हारे घर की बिजली काट दी गयी है क्या ?
या फिर कुछ और ? क्या मैं पागल हूँ बोले जा रहा हूँ ?  
कल दिवाली है - फरीन ने कहा  | 
 ये सुनते ही स्कूटर रोक लिया और फरीन को उतरने को कहा | 
क्या कहा तुमने , हम दिवाली कब से मानाने लगे बताना जरा ? 
फरीन शांत रही | वो जान चुकी थी अमजद को गुस्सा आचुका था |
 ब्रादरी के लोग निकल देंगे , बल्कि काट देंगे | 
हम ईद मनाते है न के दिवाली |
 हम ईद ही मनाएंगे - फरीन ने कहा | 
तो फिर ये सब तामझाम क्यों खरीदी है |
चलो कहते हुए फरीन स्कूटर पे बैठ गयी और चलने को कहा |
अब दोनों शांत थे | अमजद गुस्से से तमतमा रहा था | 
 कुछ देर कुछ सोचने के बाद फरीन अमजद के पास गयी और बोली |
अगर हम ये दीये उन घरो में जला दे जहाँ वर्षो से अँधेरा है , और ये मिठाई वह बाँट दे जहाँ वर्षो से कड़वाहट है | 
 क्या कहना चाहती हो - अमजद ने पूछा ?
मैं चाहती हूँ के हम ये दीये और मिठाई राजेश्वर जी को भेट करके आये |
 ये सुन कर अमजद लम्बी साँस भरते हुए १५ साल पुरानी याद में खो जाता है |
१५ साल पहले राजेश्वर जी का इकलोता बेटा धार्मिक हिंसा के चलते दो धर्मो की भेट चढ़ गया था | राजेश्वर उस घटना के बाद से इतने आहत हुए कि उन्होंने अपनी और अमजद की बचपन दोस्ती परवान चढ़ा दी | चन्द बुरे लोगो कि बजह से उन्होंने अमजद से भी बुराई मन ली |
 सोचते सोचते अमजद बोला क्या राजेश्वर अब मान जायेगा ?
 फरीन ने कहा एक प्रयास तो करना चाहिए | 
 और अगले दिन ये प्रयास सफल रहा | सब खुस थे | सबने मिल के दीपोत्सव मनाया |

दोस्तों हम सब को काम से काम एक प्रयास तो करना चाहिए इस दिवाली पे , जितने भी रिस्तो में कड़वाहट आ चुकी है , तो आइये सब मिल के उन रिस्तो में मिठास घोलने का प्रयास किया जाये |
अगर सहमत हो तो समीक्षा में बताइये ||

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