Classmate se Pyar - सहपाठी से प्यार| Hindi Kahaniyan | Kahani In Hindi | Story In Hindi

Classmate se Pyar - सहपाठी से प्यार| Hindi Kahaniyan | Kahani In Hindi | Story In Hindi

Hindi kahani
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साहिल अपनी क्लास का मेधावी छात्र होने के साथ-साथ बेहद ही शांत और समझदार लड़का था। वो क्लास में न तो ज्यादा शोर मचाता था और न ही अपनी होशियारी का दिखावा करता। ज्यादातर समय उसकी दुनिया किताबों और नोट्स तक सीमित थी, लेकिन दिल के एक कोने में एक अनजानी सी हलचल भी थी—सरिता।

सरिता उसकी ही क्लास की सबसे चुप और रहस्यमयी लड़की थी। उसकी आँखों में एक अनकही कहानी थी, जिसकी ओर साहिल बरबस खिंचता चला गया। साहिल ने कभी उससे बात करने की हिम्मत नहीं जुटाई, लेकिन उसकी हर छोटी-बड़ी बात पर नजर रखना उसकी आदत बन गई थी।

एक दिन मौसम अचानक बिगड़ गया। आसमान में काले बादल घिर आए, बिजली गरजने लगी और तेज बारिश शुरू हो गई। स्कूल में अनाउंसमेंट हुआ कि कुछ समय के लिए क्लासेस बंद कर दी जाएंगी। बच्चे अपनी मस्ती में लग गए, पर साहिल के लिए ये एक सुनहरा मौका था।

उसने अपने पुराने नोटबुक का एक पेज फाड़ा, थोड़ी हिचकिचाहट के बाद उस पर लिखा—

"तुम बहुत प्यारी लगती हो... दोस्ती करोगी?"

उसने धीरे से आगे बैठे लड़के के हाथ में वो पर्ची थमा दी और सरिता तक पहुँचाने का इशारा किया।

सरिता ने जैसे ही वो कागज खोला, उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान तैर गई। थोड़ी देर तक वो कागज को देखती रही, फिर अपनी पेन निकाली और उसी कागज के पीछे जवाब लिखा—

"पहले प्रूफ दो कि तुम झूठे नहीं हो!"

साहिल ने जवाब पढ़ते ही मुस्कुरा दिया। अब ये खेल और दिलचस्प हो गया था।

अगले दिन साहिल ने सोचा कि उसे अपनी सच्चाई साबित करनी होगी। उसे याद आया कि सरिता को किताबें बेहद पसंद हैं। वो लाइब्रेरी में जाकर उसकी पसंदीदा लेखिका की एक नई किताब खोज लाया और उसके पहले पन्ने पर लिखा—

"तुम्हारे लिए।" क्लास में उसने वो किताब सरिता को दी। सरिता ने किताब खोली तो उसमें एक और नोट छिपा हुआ था—

"ये मेरी पसंदीदा लेखिका की नई किताब है। क्या तुम इसे मेरे साथ पढ़ोगी?"

सरिता की आँखें चमक उठीं। उसने धीरे से सिर हिलाया और कहा—

"हाँ।" इसके बाद दोनों की दोस्ती गहराने लगी। वो साथ में किताबें पढ़ते, नोट्स शेयर करते और धीरे-धीरे एक-दूसरे के बारे में बातें करने लगे। उनकी दोस्ती एक खूबसूरत अहसास में बदलने लगी थी।

एक शाम, जब सूरज ढल रहा था और हवा में हल्की ठंडक थी, साहिल ने हिम्मत जुटाकर पूछा—

"तुमने मुझसे वो सवाल क्यों पूछा था कि मैं झूठा तो नहीं हूँ?"

सरिता ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया—

"क्योंकि मैं जानना चाहती थी कि तुम सिर्फ मुझे इम्प्रेस करने की कोशिश कर रहे हो या सच में मुझमें दिलचस्पी रखते हो।"

साहिल ने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा—

"मैंने तुम्हें सच में पसंद किया है, तुम्हारी सादगी और तुम्हारी आँखों ने मेरा दिल जीत लिया था।"

सरिता ने शरमाते हुए कहा—

"मुझे भी तुम अच्छे लगे। तुम्हारी सच्चाई और तुम्हारी हिम्मत ने मुझे तुम्हारी तरफ खींच लिया।"

उस दिन के बाद उनकी दोस्ती एक नए मुकाम पर पहुँच गई। वो दोनों अक्सर साथ समय बिताने लगे, एक-दूसरे के ख्यालों में खोए रहते। वो अब सिर्फ क्लास के दो साथी नहीं थे, बल्कि दो दिल थे जो एक-दूसरे की धड़कनों को सुन सकते थे।

बारिश के उस अजीब मौसम में शुरू हुई उनकी कहानी अब एक खूबसूरत सफर में बदल चुकी थी—जहाँ रोमांच भी था और रोमांस भी।


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