KALA ISHAQ - काला इश्क़ | Hindi Kahaniyan | Kahani In Hindi | Story In Hindi
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वो कत्थई जोड़े में लिपटी थी ,, होंठ सुर्ख लाल,, माथे पर बड़ी सी बिंदी,, गहरी कत्थई कलर का सिंदूर जो कि उसके मांग मोती से कभी दिखते थे और कभी छिपते थे,,
बहुत ही खूबसूरत और बड़ी-बड़ी आंखें,,,नाक पर खूबसूरत नथ,, बड़े-बड़े झुमके उसकी सुंदरता पर चार चांद लगा रहे थे,,
सुहागरात की सेज पर बैठी हुई,,, वैदेही बड़ी ही शिद्दत से अपने पति वैराग्य का इंतजार कर रही है। ।
उसके सीने की धड़कन हर छण तेज हो रही है हाथों में कंपन ,,होठों में नाजुक सी हंसी लेकर वह हल्के हल्के से शर्मा कर अपने सुखद सुहागरात की कल्पना में विलीन है। । वह अपने ही चुनरी को हाथों से कभी मोड़ने की कोशिश करती थी ,,तो कभी उसे अपने ही दांतों से चबा जाती ,
न जाने कितने ही अरमान उसने अपने नाजुक और खूबसूरत आंखों में संजोकर रखे हैं जो कि आज पूरे होने वाले हैं।
वह बार-बार दरवाजे पर नजर दौड़ा कर देख रही है की वैराग्य आएगा और उसे अपनी बाहों में लेकर ,,, उस पर जमाने भर की खुशियां लुटा देगा पर ,,,
करीबन 1 घंटे के इंतजार के बाद भी वैराग्य नहीं आया तब,,,
वैदेही आराम करने लग गई और आराम करते करते वह दो दिन पहले हुए उसे हादसे के बारे में सोचने लगी।।
दो दिन पहले,,
उसने वैराग्य के बारे में अपने घर पर बताया था तो वैदेही के पापा ने साफ इस रिश्ते से मना कर दिया,,
वैदेही के पापा कौशल__मैं उस लड़के से मिल चुका हूं!!
ना उसकी शक्ल है और ना ही उसके कपड़े सही होते हैं,,
कहीं से मुझे तुम्हारी बराबरी का नहीं लगता,,
और कौन सा इंटरव्यू देने वाला था ??
वो,,सेल्समेन का ,,
पूरी जिंदगी तो उसकी टारगेट अचीव करने में निकल जाएगी।।
और तुम्हारे लिए वह कुछ भी नहीं कर पाएगा,,
मेरी बात मानो बेटा ।।
तुम्हारी जिंदगी नरक बन जाएगी ।।
उसके साथ
और वह उसकी मां,,
उसकी भी नियत तुम पर सही नहीं है बेटा ,,
वह तुम्हारे पैसों से प्यार करती है क्योंकि उसे पता है कि तुम जीती जागती मशीन हो पैसे कमाने की,,
बैंक में जॉब करती हो तुम,,
लाखों की कमाई है तुम्हारी बस इसीलिए तुम्हारे साथ रहने रहना चाहते हैं वह दोनों ताकि उन्हें कुछ मत करना पड़े और आराम से जिंदगी जिए,,
वैदेही___पापा मैं बस इतना जानती हूं कि मैं वैराग्य की हो चुकी हूं अब,,मेरी जिंदगी नर्क बने चाहे स्वर्ग बने,,
पर मेरी जिंदगी निकलेगी तो सिर्फ और सिर्फ वैराग्य के साथ,,
पापा___अगर अपनी जिद्दी चलाना चाहती हो तो चलाओ ,,
अपनी जिद पर,,
निकल जाओ मेरे घर से,,
पर याद रखना जिस दिन तुम इस घर से निकली,,
मैं भूल जाऊंगा कि तुम मेरी इकलौती बेटी हो और हां घर का एक चीज भी तुम्हारे साथ नहीं जाएगी,,
वैदेही गुस्से से___बस यही फर्क है आपने और वैराग्य में आपका रिश्ता सिर्फ पैसे तक सीमित है लेकिन उसका रिश्ता प्यार पर,,,
गुस्से से वैसे ही अपने कमरे में आ जाती है और तुरंत वैराग्य को फोन करती है __तो क्या सोचा है तुमने?? बात हुई तुम्हारी मां से।
वैराग्य___ पता है तुम्हें मां ने देखते ही हां कह दिया शादी के लिए।
वैदेही___पर मेरे घर में थोड़ी प्रॉब्लम है।
वैराग्य __&देखो वैदेही अगर तुम्हारे घर में कोई प्रॉब्लम है तो हम कुछ दिन और वेट कर सकते हैं शादी के लिए।
वैदेही___ नहीं बिल्कुल नहीं अब वेट करने की कोई जरूरत नहीं !!
हमारी शादी आज ही होगी और हम कोर्ट मैरिज करेंगे।
वैराग्य__लेकिन वैदेही बाकी अरेंजमेंट कैसे करेंगे ??
वैदेही___उसकी चिंता तुम बिल्कुल मत करो ,,
सब मुझ पर छोड़ दो कोर्ट मैरिज के लिए दो लोगों की जरूरत होती है एक मैं ले आऊंगी और एक तुम ले आना,,,
वैराग्य अपनी सुहागरात के दिन कहां था??
और वैदेही ने इतनी जल्दबाजी में उससे शादी क्यों की थी??
और क्या सच में वैराग्य उसके पैसों के पीछे पड़ा था ??
इन सारे सवालों के जवाब जाने के लिए जुड़े रहिए कहानी के अगले अंक के साथ,,
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