Suvichar Hindi Kahaniyan - Suvichar kahani in Hindi | Suvichar Suprabhat
Moral Story Hindi language
प्रकृति ने हम मानव जाती को मुक्ति का रास्ता दिखाने के लिए कितने सारे जीते जागते उधारण सेट किये हुए है , आइये प्रकृति का एक जीता जागता उदाहरण देखते है , जो हम अक्सर अपनी रोज मर्रा की जिंदगी में सुनते और देखते भी है |
एक पुरानी कहाबत है " गोबर का कीड़ा हमेशा गोबर में ही रहता है फिर चाहे उसे आलीशान घर में ही क्यों न रख दे "
दरअसल इसके पीछे भी एक बड़ी दिलचस्प कहानी है , गोबर का कीड़ा जो होता है वो सूर्य उदय होने के साथ ही अपने रहने के स्थान से निकल कर गोबर की खोज में चला जाता है , और पूरे दिन मेहनत करके गोबर की खोज करता रहता है , और जब उसे कोई जानबर का गोबर मिल जाता है तो फिर बो अथक प्रयासों से उस गोबर से कुछ हिस्सा निकाल कर उसे गोल गोल करके एक बड़े गोलाकार बिन्दु का आकर देदेता और फिर अपना पूरा बल लगा कर उस गोले को अपने बिल तक घसीट घसीट कर लाता है !! उसे ये काम करने में कई बार पूरा दिन भी लग जाता है , लेकिन जब वक्त आता है वो उस गोले को लाख प्रयास करने के बाबजूद भी अपने बिल के अंदर नहीं ले जा सकता है | अंत में उसे उस गोले को यु ही बाहर नष्ट हो जाने के लिए छोड़ देना पड़ता है | और फिर से उसी काम में लग जाता है और फिर वही पुनराबृत्ति दुहराता रहता है ||
मोरल ऑफ़ द स्टोरी - हम बचपन से सुनते आये है की इंसान खाली हाथ आया है और अंत समय आने पर खाली हाथ ही इस दुनिया से चला जाएगा !! फिर भी बिना कुछ सोचे समझे उस गोबर के कीड़े की तरह थोड़ा और थोड़ा और कमाने के चक्कर में कई बार गलत तरीको और गलत रास्तो पर भी चला जाता है || जो कि एक सच्चे और अच्छे इंसान की निशानी नहीं होती है || हमें कभी भी अपने लिए धन अर्जित करने के लिए किसी भी गलत तरीको का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए , और न ही कभी किसी को दुःख पंहुचा के पैसा कमाने की कोशिश करनी चाहिए |
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