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Hindi kahani - षणयंत्र भाग - 2


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     मनप्रीत को पहले से ही शक था कि आज कल गीत कुछ अलग ही उखड़ी उखड़ी हुयी रहती है | अपने फ़ोन का पासवर्ड भी बदल दिया है और किसी को फ़ोन छूने भी नहीं देती है | और ज्यादा उससे बात भी नहीं करती है हमेशा उसकी शिकायत रहती है कि मनप्रीत उसे खुस नहीं रखता | तो मनप्रीत को अचानक आज गीत के लिए प्यार  उमड़ा और उसने आज गीत के साथ कुछ वक्त गुजरने का सोचा | उसने आज ऑफिस से जल्दी छुट्टी लेली और घर के लिए निकल गया | रस्ते में जाते समय उसने गीत के पसंद की कुछ चॉकलेट और स्नक्स लिए और घर के लिए रवाना हो गया |

     मनप्रीत की दोनों बहने दिन में कॉलेज चली जाती थी जो की फिर शाम को ही घर बापस आती थी | और मनप्रीत की माँ धार्मिक प्रवर्ति की थी इसलिए दिन में ज्यादातर धार्मिक कार्यो हेतु या तो सतसंग में चली जाती थी या फिर किसी गुरूद्वारे  में चली जाती थी | दिन  में गीत को पूरा पूरा टाइम मिल जाता था अपनी आशिक़ी करने के लिए दिन में कम से कम चार से पांच घंटे उसे खाली रहना होता था | 
रोज की तरह आज भी राज के पास फोन आया की हमारे घर का केबल ख़राब हो गया है , कृपया ठीक कर जाइये |
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       राज गीत के घर पहुंचा तो गीत उसका इंतजार ही कर रही थी |
राज - मुस्कराते हुए तो आज आपके टीवी में क्या खराबी आयी है |
गीत - आँख मारते हुए मैकेनिक साहब खुद देख लो , पता नहीं सुबह से सही काम ही नहीं कर रही है |
राज ने गीत के स्तनों को टटोलते हुए - यहां से तो कोई प्रॉब्लम लग नहीं रही |
गीत ने आंखे बंद करते हुए - सिसकारी लेते हुए , साहब ठीक से चेक करो ,
राज ने अब दूसरा हाथ गीत के नितम्बो पर रखते हुए सहलाया और बोला - यहां से कुछ फॉल्ट लग रहा है |
गीत के मुँह से आह निकल गई और बोली - हाँ , देखो जरा ढंग से ठीक कीजियेगा आज |
राज - मोहतरमा आज आप निश्चिंत रहिये , कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी |
गीत ने मादकता भरी आवाज में कहा - मेकेनिक शाहब अभी तो आपका प्रोडक्ट वारंटी में है न |
राज - मेडम आप चिंता न कीजिये हमारा ये प्रोडक्ट सही करने के जिम्मेदारी हमारी है और इसका कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं लगेगा |
   गीत - तभी तो हम अब आपसे ही सर्विस लेने का इरादा बना चुके है |
राज ने अब तक गीत के बदन से लगभग सारे कपडे निकल दिए थे , अब गीत अर्ध नग्न अवस्था में थी, राज अपने होठ गीत के बक्ष स्थल के पास लेजा कर बोला पहले यहाँ की रिपेरिंग करनी पड़ेगी |
गीत - आप जो करना चाहते है करो , हमे सेटिस्फैशन चाहिए |
राज ने भी आश्वासन दिया फ़िक्र न करे यहां सब हो जायेगा | 
दोनों की उत्तेजना लगभग चरम पर थी , तभी राज के फोन की घंटी बजी , उसने फ़ोन पर बात की और गीत से बोला - मुझे जाना होगा |
बहुत जरुरी है | गीत ने उसे कस के पकड़ा और कहा - ऐसे स्थिति में छोड़ के कैसे जा सकते हो , मैं आग में तप रही हूँ |
    राज - डिअर इट्स अर्जेंट प्लीज |
गीत का अब दिमाग घूम गया और बोली गेट लॉस्ट फ्रॉम हेअर | राज वहां से चला जाता है |
गीत का गुस्सा सातवे आसमान पर था , उसे अब कुछ सूझ नहीं रहा था | उसे रह रह कर गुस्सा आरहा था | कुछ देर बाद गीत कमरे से बाहर आयी तो उसके होश ही उड़ गए , ये क्या घर के बरामदे में राज खून से लथ पथ पड़ा अंतिम सांसे गिन रहा था | उसके सर से खून की नदियां बह रही थी, अगर उसे दो चार मिंट और अस्पताल न लेजाया गया तो उसका दम ही निकलने वाला था | 
गीत ने आनन् फानन में उसे पानी दिया और उसे पूछने लगी किसने मारा है तुम्हे | कुछ तो बोलो साथ ही साथ अब वो डरने लगी | क्युकी उसे लगा के अब वो पुलिस केस में फसने वाली है | लेकिन राज अब बोलने की स्थिति में नहीं था | गीत  ने फिरसे दुहराया किसने किया ये सब ?
मैंने किया है ये आवाज गीत के कानो में गयी - तुरंत उसने सर ऊपर करके देखा | 
गीत - तुममम , दीप , तुम कैसे कर सकते हो ? तुम तो बहुत अच्छे दोस्त थे |
दीप - हाँ था कमीना दोस्त साला , दोस्ती के नाम पर कलंक था |
गीत- क्यों , ऐसा क्या किया इसने ? ये सीधा साधा इंसान था |
दीप - सीधा कह रही हो तुम इसे , कमीना था , मैं जिसे भी पसंद करता था उसे ही अपना शिकार बना लेता था |
गीत - मतलब ?
दीप - गिड़गिड़ाता हुआ ,गीत बुरा मत मानना , मैं तुम्हे बहुत पसंद करता हूँ | और मेने ही तुम्हारे बारे में राज को बताया था , तभी से साले ने तुम्हे मुझसे अलग किया , और तो और मेरी बहन को भी नहीं छोड़ा , यही हाल होना चाहिए था |
गीत - क्या कहे जारहे हो , मेरे कुछ भी समझ नहीं आ रहा है |
दीप - गीत समझने की कोशिश करो |
गीत - प्लीज इसे यहां से हटवाओ , बरना हम सब बुरी तरह फस जायेगे |
दीप - हाँ , तुम मेरी हेल्प करो मैं इसे अभी ठिकाने लगा दूंगा |
गीत - जो भी करो जल्दी करो ( घबराते हुए )
दीप - घबराओ नहीं सब हो जायेगा , लेकिन तुम्हे मेरे लिए कुछ करना होगा |
गीत - क्या ?
दीप - जो काम राज ने अधूरा छोड़ा उसे पूरा करने दोगी|
गीत - अभी ये बात करने का सही वक्त नहीं है |
दीप - ठीक है , और दोनों लगभग  जिन्दा राज को ठिकाने लगाने की कसमकस में लग गए |
मनप्रीत  के घर के पीची झाड़ ही झाड़ थे , दोनों ने दीवार कूद कर उन्ही झाड़ियों में राज का दफन कर दिया |
अब दीप ने गीत को उस बात को किसी को न बताने के लिए कहा | गीत ने भी हामी भर दी | फिर दीप ने गीत से चाय की मांग की | गीत ने दीप को चाय बना के दी | दीप ने गीत से उस अधूरे काम के बारे में बात की तो गीत ने कल आने को कहा आज मेरा अब मूड नहीं है का बहाना बना दिया | अब दीप चला जाता है |

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    अब गीत जल्दी से कपडे पहन कर गुरूद्वारे में पहुंच जाती है जहाँ उसकी सास पहले से ही उपस्थित थी , गीत की उपस्थिति देख उसकी सास मन में बहुत प्र्शन्न हो जाती है | और उससे पूछती है बेटा तुम कब आ गयी |
गीत - मैं तो बहुत देर से यही हूँ , कब से लंगर भी कर लिया | अच्छा है ठीक से घूमो | गीत का गुरूद्वारे जाने का उद्देश्य पूरा हो चुका था |
मनप्रीत घर पहुंचा तो देखा घर में कोई नहीं है , वो गीत को ढूंढ़ने लगा , जब नहीं दिखी तो उसने कॉल किया |
कहाँ हो ? गीत मैं तो माँ के साथ यहाँ हूँ |
ओह्ह , फिर ठीक है मैं भी आता हूँ | और मनप्रीत भी वही पहुंच गया | और सब लोग एक साथ हो गए |

       इधर रात भर दिव्या घर न आने पर उसका घर पर बबाल मच गया था | उसे उसके भाई बंटी ने खूब लताड़ा , किसे पूछ कर रुकी थी तू वहां बगैर इस तरह का सोशल ड्रामा हो रहा था | वो बैठी रो रही थी , यादराम ने फिर दोनों को समझाया और मामला शांत किया | दोपहर का समय था , यादराम ने कहा आज इतना टाइम हो गया ये राज अभी तक खाना खाने नहीं आया ? 
बंटी - आएगा कैसे बाहर मुँह मारने से फुरसत हो तब न |
यादराम - लगता है अब इसका व्याह करना पड़ेगा , लड़का बड़ा हो गया है || और पारिवारिक बातो में व्यस्त हो गए |
















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