google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Rochak kahaniyan - कुसुम - एक अनसुलझी पहेली (भाग १) - Hindi kahaniyan

Rochak kahaniyan - कुसुम - एक अनसुलझी पहेली (भाग १) - Hindi kahaniyan



कुसुम एक अनसुलझी पहेली (भाग १)

Desi kahani, romantic story

Hindi kahaniyan 


कुसुम कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रही थी , तभी सुनीता भाभी ने पूछा कुसुम कॉलेज जा रही हो ? हाँ भाभी जी 

सुनीता - तो आज जल्दी अजाना मुस्कराकर कुसुम को चोटी बनाने लगी |
कुसुम - क्यों भाभी जी ? मै तो वैसे भी समय से आ जाती हूँ |
सुनीता - हाँ पता है तुम समय से आजाती हो फिर भी जितनी जल्दी आ सको आ जाना |
कुसुम - ठीक है भाभी जी , लेकिन आज क्या है पहले बताओ तो सही |
सुनीता - होठो पर मुस्कराहट लाते हुए , आज का दिन तुम्हारे लिए खास है , तुम्हे लड़के बाले देखने आ रहे है |
कुसुम - कौन लड़के वाले भाभी जी |
सुनीता - ठीक सब अभी जानोगी तो कालेज के लिए लेट हो जाओगी |
कुसुम भी होठो पर मुस्कराहट लिए शांत रह गई | तब तक अंजली ने आवाज लगा दी | भाभी जी कुसुम तैयार नहीं हुयी क्या ?
सुनीता - आजाओ अंदर आजाओ कुसुम तैयार हो रही है |
अंजली कुसुम की बचपन की सहेली थी , वो अपने सारे दुःख दर्द , ख़ुशी और गम सब कुछ उसके साथ साझा कर लेती है |
यही अंजली के साथ भी ऐसा ही है | अब अंजली अंदर आजाती है |

अरे तू अभी तक तैयार नहीं हुयी , देख घड़ी में लेट हो रहे है | चल जल्दी कर | और दोनों एक साथ घर कॉलेज के लिए निकल जाती है |
घर से थोड़ा पैदल चलने के बाद उन्हें बस में जाना होता है कॉलेज के लिए | रस्ते में अंजली ने कुसुम से पूछा क्या हुआ आज कुछ बोल नहीं रही है ?
कुछ हुआ है क्या ? 
कुसुम - कुछ नहीं 
अंजली - तो फिर रोज की जैसे नहीं लग रही ?
कुसुम - हम्म 
अंजली - तो बता क्या हुआ ?
कुसुम - आज मुझे लड़के बाले देखने आरहे है |
अंजली - ओह्ह्ह्हू तो इसी लिए छुपा रही थी | ठीक है हमें क्यों बताएगी तू ? ( टांग खींचते हुए )
कुसुम - अभी भी भाबुक थी और कहा यार मै अभी तैयार नहीं हूँ |
अंजली - किस लिए तैयार नहीं है री |
कुसुम - शादी के लिए |
अंजली - अच्छा ,तो क्या हुआ देख ले तू भी उसे और बॉयफ्रेंड बना लेना |
कुसुम - यार हर वक्त मजाक अच्छा नहीं लगता |
अंजलि - मै भी मजाक नहीं कर रही , मेरा मतलब है देख ले पहले एक दूसरे को जानो फिर शादी के लिए हाँ बोलो |
कुसुम - तुझे लगता है मेरे भैया ऐसा करने देंगे |
अंजली - ये तो तुझे करना है न के तेरे भाई को |
बात कर ही रही थी तब तक सामने भोलू अपने दोस्तों के साथ बस अड्डे पर खड़ा दिखा | कुसुम तो एक दम डर ही गयी थी |
क्योंकी भोलू कुसुम को ही ज्यादा परेसान करता था , वैसे तो वो स्त्री जाती का दुसमन ही था , उसे जहाँ भी लड़कियां दिखी नहीं के उसने अपना काम करना चालू किया | वो एक लफडे , मवाली टाइप का लड़का था | हमेशां उसके साथ चार छे लड़के झुण्ड बना के खड़े ही मिलते थे और भोलू के इशारो पर नाचते थे |
भोलू का कॉलेज में भी आय दिन कोई न कोई लफड़ा चलता ही रहता था | उससे तो कॉलेज के टीचर भी बचते दिखते थे |
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अब भोलू को देख कर अंजलि और कुसुम वही रुक गई | और डरने लगी कही भोलू उस दिन की तरह आज भी तो न छेड़ने लग जाये | 
कुसुम ने अंजली से कहा - चल बापस चलते नहीं तो ये कुत्ता आज फिर हमे परेशान करेगा |
अंजली - यार ऐसे हम कब तक डरेंगे , हमारा तो कॉलेज जाना ही बंद हो जायेगा |
कुसुम - फिर भी इसके मुँह कौन लगेगा , ये तो लफंगा है |
अंजली - चल बस आने बाली होगी , नहीं तो लेट हो जायेगे |
दोनों डर के साथ अपने अपने किताबे और बास्ते अपने सीने से चिपकाये आगे बढ़ती रही |
जैसे जैसे वो आगे बढ़ रही थी उनका डर भी बढ़ता जा रहा था | तथा उधर भोलू के साथियो ने दोनों लड़कियों को आता देखा तो तुरंत अपने सरगना को सूचित किया | भाई वो देखो आपका शिकार आ रहा है | भोलू उस समय मुँह में मसाला चवा रहा था , उसके दाँत पहले से ही लाल और बदबू मारते रहते थे | टपोरियों बली शक्ल बना के रहता था | जैसे ही उसके कानो में आवाज गई गुरु आपके शिकार चुके है तो उसने त्वरित प्रभाव से पलट कर देखा और अपने होठो पर जीभ फेरने लगा | अपनी बाहे हवा में उठा के अगड़ाई लेते हुए बोला - आओ मेरी जान कब से तुम्हारा इंतजार है | दोनों लड़कियां अब समझ चुकी थीं कि आज जरूर कुछ होने वाला है | दोनों शाहमी से आगे जाकर खड़ी हो गई और बस का इंतजार करने लगी |

अब भोलू एन्ड गैंग उनके पीछे पीछे चले उनके पीछे खड़े हो गए और अपने ही भाषा में टीका टिप्पड़ी काने लगे | बैसे तो आस पास और भी लोग बस का इंतजार कर रहे थे लेकिन वो सब भोलू की आदत से वाकिफ थे इसलिए सब बचते दिखे | और भोलू और उसके साथियो की बत्तमीजी बढ़ती गई और अब तो भोलू ने कुसुम का दुपट्टा खींचने लगा | इस पर कुसुम और और अंजली ने विरोध किया |
अंजली - ये क्या बत्तमीजी है भैया ?
भोलू - बहन होंगे तुम अपने भाई की , हमारी तो मासूका हो |
कुसुम - शर्म आनी चाहिए तुम्हे राह में चलती हर लड़की को छेड़ते हो |
भोलू - छेड़ता नहीं प्यार करता हूँ , क्यों भाइयो ?
हा हा हा करते हुए बाकी सहयोगियो ने हाँ में सर हिलाया |
इतने में बस आ गयी तो दोनों सहेलियां बस में चढ़ गई | तब जाकर थोड़ी रहत की साँस ली | जैसे तैसे बो कॉलेज पहुंची |

आज कॉलेज में कुसुम का मन नहीं लग रहा था | एक तो उसका जी पहले ही बस स्टैंड पर ख़राब हो चुका था आज उसके साथ कुछ ज्यादा ही बत्तमीजी हो गई थी तो उसका दिमाग ठीक नहीं था| दूसरा आज सुबह ही भाभी जी ने कुछ ऐसा बता दिया था उसकी बजह से भी उसका मन एक जगह स्थिर नहीं था | क्या पढ़ाया जारहा है उसे कुछ नहीं पता था | इसलिए उसने अंजली से कहा - यार आज जल्दी चल कही वो कमीना फिर न मिल जाये इसलिए जल्दी चलते है | और बैसे भी भाभी ने जल्दी आने को कहा था |
अंजली ने कहा - लेकिन अभी तो और भी क्लास बाकी है उनका क्या होगा | 
कुसुम - सब देखा जायेगा , चल चलते है |
अंजली - चल तेरी बात तो माननी पड़ेगी ही |
अब दोनों जल्दी से अपना बैग लेकर निकल जाती है | और दोपहर बली बस भी टाइम से मिल गई तो आज सही समय से घर पहुंच जाती है |
जब कुसुम घर पहुंची तो सब लोग उसी का इंतजार कर रहे थे | भाभी जी भी दौड़ी दौड़ी चली आई ,, आगयी कुसुम चलो आओ मेरे साथ तुम्हे तैयार कर देती हूँ |
कुसुम - पर मै तो पहले से ही तैयार हूँ 
सुनीता - चलो तो सही बहन |
और हाथ पकड़ के जल्दी से अपने कमरे में ले कर गई उसके पीछे पीछे अंजली भी चली गई |
अब वहां पर अंजली और सुनीता ने मिल कर कुसुम को साड़ी पहनना और सारे श्रृंगार करना शुरू कर दिए |

नीचे से आवाज आरही थे जल्दी करना , वो लोग पहुंचने बाले है | घर में सब खुस थे क्युकी आज कुसुम को देखने वाले आरहे थे | सुना है लड़का बाहर नौकरी करता है | ऐसे एकाद बात सुनाने को कुसुम को मिली | अगर ऐसे बात कोई भी लड़की सुने तो खुस तो होना उसका अधिकार है | क्योंकी कुसुम ने ऐसा कभी सोचा ही नहीं था कि उसकी शादी शहर में नौकरी करने वाले से होगी | कुसुम सब सुन रही थी लेकिन शांत बैठी रही और उसे तैयार करते रहे |

थोड़ी देर बाद नीचे से आवाज आई सुनीता नीचे आजाओ चाय बगैर तैयार करवाओ , इसका मतलब वो लोग आ चुके है | सब लोग नीचे आगये और कुसुम अकेली ऊपर वाले कमरे में रह गई | और अपने कल्पना के सागर में डूबने लगी |..................

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आगे की कहानी जल्द आएगी .................
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