वेब सीरीज कॉल सेंटर हिंदी कहानी भाग -5 | Call Center - Hindi kahani Part - 5

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नोट - इस हिंदी कहानी के पिछले भाग भी पढ़ना आवश्यक है , तभी आपको कहानी के सभी पहलू समझ आएंगे |
अब तक इस हिंदी कहानी में आपने पढ़ा के नैना अपनी मजबूरियों और अपने अंदर जल रही बदले की आग के आगे उसने अपने आप को डेविड के सामने परोस दिया था , इसमें उसने ये सब अपनी मन मार्जियो से नहीं किया लेकिन कही न कही उसने ये सब करने के लिए अपनी आप को पहले से ही तैयार कर ही लिया था | वो समझ तो पहले ही रही थी की माया उससे ये सब करवा के ही रहेगी | अब जो होना था उसकी शुरुआत तो हो ही चुकी थी , नैना ने अब अपने आँसू पोछते हुए अपने आप को कठोर ह्रदय और स्वार्थी बनाने के लिए प्रेरित किया | और खुद को अब एक सशक्त नारी बनाने के लिए तैयार किया |
नैना को बिस्तर पड़े हुए लगभग आधे घंटे से ज्यादा हो चला था , डेविड भी अपनी ठरक मिटाने के बाद एक तरफ मुँह करके निढाल पड़ा था | नैना ने अब उठने की कोशिश की लेकिन उसके परास्त शरीर ने उसका साथ देने से मना कर दिया | उसके शरीर का रोम रोम दर्द से कराह रहा था , क्युकी आज जो उसके साथ हुआ था वो पहले कभी नहीं हुआ था और साथ ही ठरकी डेविड राक्षस प्रबर्ती का इंसान तो उसने निर्दयी हो कर बिना कुछ विचार किये अपना काम किया तो इस बजह से भी नैना को दर्द हो रहा था | उसके शरीर की मासपेशियां शिथिल से पड़ चुकी थी , उसकी टांगे भी जवाव दे रही थी तो उसने सोचा अब तो उसे और भी आराम को जरुरत है नहीं तो उसकी तबियत ख़राब हो जाएगी |
कुछ ही देर बाद दरवाजा खटखटाने की आवाज आयी लेकिन नैना के अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी की दरवाजा खोल सके , उसने हलकी से द्वी हुयी आवाज में कहा - कौन ?
बाहर से आवाज आयी - मैं , माया
नैना - ओके मेम , अब नैना ने जोर लगा कर खुद को अपनी टांगों पर खड़ा किया और एक सकारात्मकता के साथ दरवाजा खोलने के लिए आगे बढ़ी |
दरवाजा खोलने के बाद माया ने पूछा - क्या मै अंदर आ सकती हूँ ?
नैना ने बदले हुए तेबर में कहा - हाँ क्यों नहीं , अजाइये , आपको साहब तो उलटे मुँह पड़े है |
माया नैना का जवाव सुन कर कुछ आश्चर्यचकित हुयी और सोचने लगी , क्या नैना इसके लिए पहले से ही तैयार थी ??
माया - डेविड सर कब से सो रही है ?
नैना - जब उनका काम हो गया , तभी से |
माया - नैना तुम कैसे जवाव दे रही हो ? मुझे कुछ अजीब लग रहे है |
नैना - जोर से हसने लगी और बोली - सब कुछ जानने के बाद भी ऐसे क्यों पूछ रही हो ?
माया - नैना क्या जानने के बाद भी ?
नैना - मेम यही जो डेविड ने मेरे साथ किया है , आपको तो सब पता था न , फिर भी अपने मुझे इस दलदल में धकेल दिया ,आखिर क्यों , अब नैना के नैन नम हो चुके थे |
माया ने बात संभालने की कोशिश की और भावनात्मक होते हुए बोली - तुम्हारे पास कोई और चारा था क्या नैना ?
नैना - अब चुप रह गयी |
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माया - चलो अब चलते है मैं तुम्हे तुम्हारे फ्लैट पर छोड़ देती हूँ ,
नैना अब अपना सामान समेटने लगी तभी माया ने डेविड को जागते हुए जाने के लिए कहा |
डेविड आँखे मलता हुआ उठा और बोला माया तुम कब आयी ?
माया - अभी थोड़ी देर पहले |
डेविड - थैंक यू माया |
माया - पलके झुकाते हुए , वेलकम सर
डेविड - जा रहे हो , जाओ , नैना को ड्राप कर देना , फिर कल मिलते है साइट पर |
माया - ओके सर कल ऑफिस में मिलते है |
डेविड - और हाँ लो ये उस लड़की का नंबर है उसे भी कल से ऑफिस बुलाना है |
माया - ओके सर |
नैना जाने के लिए तैयार हो चुकी थी , उसने चलते समय डेविड से पूछा सर काम क्या करना होगा अब मुझे कल से ?
डेविड नैना के इस चतुराई भरे सवाल को समझ न सका और बोला , डिअर जो तुम करना चाहो |
नैना - सर मुझे लगता है मैच क्लाइंट हेंडलिंग कर सकती हूँ |
डेविड - ओके , तो कल देखते है तुम अपना पहला क्लाइंट कैसे हेंडिल करती हो |
नैना - थैंक यू सर |
अब माया और नैना कार से घर जाने लगी थी , कार चलते हुए माया को अभी भी नैना का डेविड से इस तरह काम मांगने का तरीका खटक रहा था , उसे अब डर सताने लगा की कही ये लड़की उसकी जगह न लेले , अब माया के लिए दो दो तलवारे लटकने लगी थी | एक तो नेहा की और दूसरी नैना नाम की |
नैना भी समझ रही थी की माया क्या सोच रही होगी इसलिए उसने चुप्पी के सन्नाटे को ख़तम करते हुए कहा - मेम , चुप क्यों हो ? क्या हुआ ?
कुछ नहीं नैना - माया ने कहा |
नैना - ओके ,
नैना सोचने लगी , रुको मेडम कुछ दिन तुम्हे सबसे पहले रोड पर ले कर आउंगी , तुमने जो मेरे साथ किया है , अगर ये बात सोच सोच कर तुम रो नहीं पायी तो मेरा नाम भी नैना नहीं |
मेम यही रोक दो मेरा घर आ गया है , मैं यही से चली जाऊगी , नैना कार से उतर कर थोड़ा पैदल चली और रात की रौशनी में खुद को अकेला कही किसी शांत स्थान पर थोड़ा देर बैठना चाहती थी |
वही पास में एक बड़ा सा पत्थर पड़ा था उसी पर नैना बैठ गयी और अपने अतीत के बारे में सोचने लगी
सोचा क्या था और किस राह पर निकल पड़ी हूँ | एक समय होता था अगर कोई मुझे टच भी कर देता था जाने या अनजाने में तो उसकी क्या हालत कर देती थी , सोच कर उसके आँखों से आंसुओ की धार बहने लगी थी, आज देखो उस पापी डेविड ने कहाँ कहाँ टच नहीं किया ?? अब नैना अपने अलग अलग अपने शरीर के दुखते अंगो को छू छू कर रोने लगी | आज नैना एक बार फिर अपनी माँ को याद कर रो रही थी | माँ तुम कहा हो मुझे तुम्हारे पास आना है , तुम्हारे गले लग कर जी भर के रोना है | माँ ........... और नैना एक ख्वाव में खो गयी |
वसंत (नैना के पापा) - अरे कहा हो ? मुझे ऑफिस के लिए लेट हो रहा है , और हाँ आज हो सकता है शाम को लेट आउ या फिर न भी आ पाऊ |
मालती ( नैना की माँ ) - जल्दी से टिफिन टेबल पर रखते हुए वसंत की टाई सही करते हुए - क्यों आज ऐसा क्या है जो लेट या आओगे ही नहीं ?
वसंत - आज ऑफिस में बॉस का जन्म दिन है तो हो सकता है उनके घर पर पार्टी में जाये और फिर न भी आये ( वसंत ने रंगीले मिजाज में उत्तर दिया )
मालती - देखो जी जाओ जहा भी जाना है , लेकिन पार्टी में शराब मत पीना , पी कर तुम फ़ैल हो जाते हो और इधर उधर गिरते फिरते हो |
वसंत ने मुस्कराते हुए आंख मारी और कहा - मालती तुम भी न नैना के सामने कुछ भी बोल देती हो ?
मालती - अच्छा बाबा आगे से ध्यान रखूगी |
और वसंत ऑफिस के लिए निकल जाता है , शाम को वसंत का कॉल आता है की मैं आज नहीं आ रहा गेट अच्छे से बंद कर लेना और सो जाना |
मालती फोन कट जाने के बाद सोच में पड़ जाती है और चिंतित लगने लगती है |
नैना - ने माँ से पूछा - क्या हुआ माँ ? पापा कब तब आएंगे ?
मालती - बेटा , आज वो नहीं आएंगे , अपने किसी दोस्त के यहां पार्टी मना रहे है |
चलो तुम अपने कमरे जाओ और सो जाओ |
मैं अपने कमरे में सो गयी , लेकिन माँ नहीं सोई , वो रात भर रोती रही |
उसी दिन से माँ और पापा के प्यार में दरार पड़ने लगी थी , उसी रात के बाद से ही पापा मम्मी में झगड़े शुरू हो गए थे | बो आगे सोच ही रही थी की सोसिटी के गार्ड ने आ कर उसे अंदर जाने के लिए कहा | नैना को अब अंदर जाना पड़ा |
अंदर अब नैना अपने फ्लॅट पर पहुंच गयी और उसने अलमारी से वोडका निकली और तीन चार पैक यु ही गटक गयी , पैक अंदर जाते ही नैना अपनी सुद बुद खो कर लगभग बेहोशी की अबस्था में बिस्तर पर गिर गयी |
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