google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 दिवाली की मिठाई - हिंदी कहानी | Deewali Ki Mithayi - Hindi Kahani | Rochak kahani , kahani in hindi

दिवाली की मिठाई - हिंदी कहानी | Deewali Ki Mithayi - Hindi Kahani | Rochak kahani , kahani in hindi

 


दिवाली की मिठाई - हिंदी कहानी

  

 शाम को जल्दी अजाना आज , ऑफिस जा रहे अमजद से उसकी वीवी फरीन ने कहा |

 हाँ जी आजाएगे | जल्दी क्यों ? कहो तो नहीं जाते आज दफ्तर |

लेकिन जल्दी बुलाने की बजह जान सकता हूँ अमजद ने फरीन को बहो में भरते हुए पूछा ?

 फरीन ने खुद को छुड़ाते हुए कहा - ६० पार कर चुके हो , अब तो कुछ कम करदो अपना ये शायराना अंदाज , जब देखो छेड़ने लग जानते हो | 

 क्या करू तुम हो ही इतनी हसीन |

 अच्छा अब जाओ और जल्दी अजाना | ठीक है कहता हुआ अमजद चला जाता है |

   शाम होती है और फरीन और अमजद बाजार के लिए निकल जाते है |

बाजार में फरीन ने कुछ दिए और एक महगे बाला मिठाई का डव्वा खरीदा | अमजद ये सब देख के कुछ बोला तो नहीं , लेकिन मन में सोच रहा था ये सब क्यों खरीदा है इसने ? 

 तुमने ये दीये और ये मिठाई क्यों खरीदे है ? तुम्हे पता है न हम दोनों को मधुमेह है | हकीम ने हमे मिठाई छूने तक को मना किया है | सुन भी रही हो कुछ , अमजद स्कूटर चलते चलते ये सब बोले जा रहा था | और ये दीये किस लिए और क्यों लिए है ? तुम्हारे घर की बिजली काट दी गयी है क्या ?

या फिर कुछ और ? क्या मैं पागल हूँ बोले जा रहा हूँ ?  

कल दिवाली है - फरीन ने कहा  | 

 ये सुनते ही स्कूटर रोक लिया और फरीन को उतरने को कहा | 

क्या कहा तुमने , हम दिवाली कब से मानाने लगे बताना जरा ? 

फरीन शांत रही | वो जान चुकी थी अमजद को गुस्सा आचुका था |

 ब्रादरी के लोग निकल देंगे , बल्कि काट देंगे | 

हम ईद मनाते है न के दिवाली |

 हम ईद ही मनाएंगे - फरीन ने कहा | 

तो फिर ये सब तामझाम क्यों खरीदी है |

चलो कहते हुए फरीन स्कूटर पे बैठ गयी और चलने को कहा |

अब दोनों शांत थे | अमजद गुस्से से तमतमा रहा था | 

 कुछ देर कुछ सोचने के बाद फरीन अमजद के पास गयी और बोली |

अगर हम ये दीये उन घरो में जला दे जहाँ वर्षो से अँधेरा है , और ये मिठाई वह बाँट दे जहाँ वर्षो से कड़वाहट है | 

 क्या कहना चाहती हो - अमजद ने पूछा ?

मैं चाहती हूँ के हम ये दीये और मिठाई राजेश्वर जी को भेट करके आये |

 ये सुन कर अमजद लम्बी साँस भरते हुए १५ साल पुरानी याद में खो जाता है |

१५ साल पहले राजेश्वर जी का इकलोता बेटा धार्मिक हिंसा के चलते दो धर्मो की भेट चढ़ गया था | राजेश्वर उस घटना के बाद से इतने आहत हुए कि उन्होंने अपनी और अमजद की बचपन दोस्ती परवान चढ़ा दी | चन्द बुरे लोगो कि बजह से उन्होंने अमजद से भी बुराई मन ली |

 सोचते सोचते अमजद बोला क्या राजेश्वर अब मान जायेगा ?

 फरीन ने कहा एक प्रयास तो करना चाहिए | 

 और अगले दिन ये प्रयास सफल रहा | सब खुस थे | सबने मिल के दीपोत्सव मनाया |


दोस्तों हम सब को काम से काम एक प्रयास तो करना चाहिए इस दिवाली पे , जितने भी रिस्तो में कड़वाहट आ चुकी है , तो आइये सब मिल के उन रिस्तो में मिठास घोलने का प्रयास किया जाये |

अगर सहमत हो तो समीक्षा में बताइये ||

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2 Comments

  1. सच्च मे बहुत प्यारी कहानी है राहुल.
    From 👉 mauryamotivation

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  2. सच्च मे बहुत प्यारी कहानी है राहुल.
    From 👉 mauryamotivation

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