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Hindi Shayari Image : Hindi Shayari English | mirza ghalib shayari

 

Hindi Shayari New : Romantic Hindi shayari


mirza ghalib shayari


कल गए थे बाजार हम भी , सोचके
शायद फिर से एक  मुलाकात हो जाये 
छतरी भी थी थैले में उस घडी के लिए 
न जाने फिर से  फिर से वही बरसात हो जाये |

मिन्नतें करते रहे रस्ते भर रब से 
फिर से वही नफरत न हो जाये 
देखा था न उन्हें पिछली बार उसके साथ 
कही वही बेहूदा हरकत न हो जाये ||

चाय पीते रहे , गिलास गिराते रहे 
सफर जरा लम्बा था, कही थकाबट न हो जाये | 
खुद को उसकी खाताये गिनाते रहे 
सोच के की फिर से कही मुहब्बत न हो जाये ||

शहर होने को आयी , खुद को बेकरार करते रहे 
घडी तो चल रही थी , लगा कही रात न हो जाये 
वो हतास मायुश , सामने खिड़की पे आयी 
मत पूछो यारो , खुद को कितना रोका की कही कोई शरारत न हो जाये |

 नजर न घुमाई जान के उन्हें फिर से देखभर लेने को 
डर था कही फिर से कोई आफत न हो जाये 
सारे गुनाह भूल गया था , डर तो बस इतना सा था 
कही फिर से मुहब्बत न हो जाये 


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कुछ लफ्ज यूं खामोश हो गए 

बोलते बोलते हम यूं चुप हो गए 

कहने को तो अब भी इन खामोशियो में 

कुछ बाते अनकही है 

पर तेरे पास वक्त हो 

कहाँ हम अब इतने जरुरी रह गए 


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मेरे जिस्म जान में 

बस तुम्हारा नाम है 

आज अगर मैं खुश हूँ तो

ये एहसास भी तुम्हारा है 

थमा हुआ है हाथ मेरा अपने 

यह मुझको मालूम है 

हर पल हर लम्हे में 

सिर्फ प्यार तुम्हारा है ||

mirza ghalib shayari


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तुम कितनी खूबसूरत हो 
क्या तुम्हे एहसास भी है|
कल तुमने कहा था 
एक बंदा है और वो बड़ा ख़ास भी है ||
 ऐसे न दुपट्टा हवा में उडाया करो 
तुम्हे नहीं पता आज वो बहुत उदास भी है ||


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अच्छा लगता है |
मुझे मेरी पवित्र गीता अच्छी लगती है 
मुझे ये कुरान भी अच्छा लगता है 
ये रब और रहमान भी है मेरे दिल में  
मुझे तो मेरा भगवान भी अच्छा लगता है 


कश्मीर में भी है मेरी धरती 
मुझे कन्याकुमारी भी अच्छा लगता है 
कुरुक्षेत्र से लेकर आसाम सब है मेरे दिल में 
सच कहु तो मुझे तो समूचा हिंदुस्तान अच्छा लगता है |

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करते है लोग दिखावा अपने हुनर का 

लोगो के बीच बने रहने के लिए 

उतर देते है कपड़े कुछ चहरे 

इस्तिहार में छपे रहने के लिए 


मुहब्बत तो दो लोगो के बीच का नशा है 

जिसे पहले होश आजाये , बो बेवफा है |


मेरे जिस्म जान में 

बस तुम्हारा नाम है 

आज अगर मैं खुश हूँ तो

ये एहसास भी तुम्हारा है 

थमा हुआ है हाथ मेरा अपने 

यह मुझको मालूम है 

हर पल हर लम्हे में 

सिर्फ प्यार तुम्हारा है ||


आज थोड़ा प्यार जता दू क्या 

तुम मेरे हो सबको बता दू क्या ||


कल गए थे बाजार हम भी , सोचके

शायद फिर से एक  मुलाकात हो जाये 

छतरी भी थी थैले में उस घडी के लिए 

न जाने फिर से  फिर से वही बरसात हो जाये |


मिन्नतें करते रहे रस्ते भर रब से 

फिर से वही नफरत न हो जाये 

देखा था न उन्हें पिछली बार उसके साथ 

कही वही बेहूदा हरकत न हो जाये ||


चाय पीते रहे , गिलास गिराते रहे 

सफर जरा लम्बा था, कही थकाबट न हो जाये | 

खुद को उसकी खाताये गिनाते रहे 

सोच के की फिर से कही मुहब्बत न हो जाये ||


शहर होने को आयी , खुद को बेकरार करते रहे 

घडी तो चल रही थी , लगा कही रात न हो जाये 

वो हतास मायुश , सामने खिड़की पे आयी 

मत पूछो यारो , खुद को कितना रोका की कही कोई शरारत न हो जाये |


 नजर न घुमाई जान के उन्हें फिर से देखभर लेने को 

डर था कही फिर से कोई आफत न हो जाये 

सारे गुनाह भूल गया था , डर तो बस इतना सा था 

कही फिर से मुहब्बत न हो जाये 


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इतनी सी ख़ुशी पूरी हो जाये 

हाथो में तेरा हाथ और 

दूर तलक  देखा हर ख्वाव 

मुकम्मल हो जाये |


अजीब से कश्मकश होती है जिंदगी में 

अक्सर सुलझी हुयी पहेलियाँ भी उलझ जाती है 

हाथो की लकीरो में |


यु तो कहने को काफी कुछ है 

पर शायद वक्त कम पड़ जाये 

जब कभी हमारा दौर चले 

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मुलाकात कर लिया करो

यू न दूरिया रखो 

ना जाने कोनसी 

बात आखिरी हो 


डायरी के हर एक पन्ने पर तुम्हारा किरदार लिखती गयी 

तुम मिले नहीं कभी ,बस वही अधूरी मुलाकाते लिखते गयी |


क्यों ये तन्हाई का आलम है 

क्यों हर मोड़ पर अधूरापन है  

माना गलती खुद की है 

फिर क्यों खता - ए - दिल तुमसे है 


मेरे इवादत ए इश्क़ की यही इम्तिहा है 

तेरे सजदे में सर झुके यही रब से दुआ है 


आँखों में जो ख्वाव है 

दूर तलक तेरा इंतजार है 

सपने कभी हकीकत में तब्दील हो 

इस दिल की चाहत यही है |


कतरा कतरा जोड़ कर देखे जो ख्वाव 

हो मुकम्मल वो सारे ख्वाव 

दिल में रहे न कोई अरमान अधूरे 

कुछ ऐसे सजे जन्मदिन से सजा हर लम्हा 


मेहदी जो मैंने अपने हाथो में रचाई है 

तेरे इश्क़ में महकी फिजाये है 

हीना का रंग कुछ यू निखार जाये 

दूर रह कर भी तू मेरे सबसे करीब आ जाये 


मुहब्बत तो दो लोगो के बीच का नशा है 

जिसे पहले होश आजाये , बो बेवफा है |



आज थोड़ा प्यार जता दू क्या 

तुम मेरे हो सबको बता दू क्या ||


होठो पर हसी ,

आँखों में नमी थी 

कुछ कहानी अनकही थी ||


सवाल कुछ भी हो 

जवाव तुम ही हो 

रास्ता कोई भी हो 

मंजिल तुम ही हो

दुःख कितना भी हो 

ख़ुशी तुम ही हो

अरमान कितना भी हो

आरजू तुम ही हो 

गुस्सा कितना भी हो 

प्यार तुम ही हो 

ख्वाव कोई भी हो 

तकदीर तुम ही हो 

फसाद कोई भी हो 

फसाद जी जड़ तुम ही हो ||

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