Hindi Shayari New : Romantic Hindi shayari
mirza ghalib shayari
कुछ लफ्ज यूं खामोश हो गए
बोलते बोलते हम यूं चुप हो गए
कहने को तो अब भी इन खामोशियो में
कुछ बाते अनकही है
पर तेरे पास वक्त हो
कहाँ हम अब इतने जरुरी रह गए
मेरे जिस्म जान में
बस तुम्हारा नाम है
आज अगर मैं खुश हूँ तो
ये एहसास भी तुम्हारा है
थमा हुआ है हाथ मेरा अपने
यह मुझको मालूम है
हर पल हर लम्हे में
सिर्फ प्यार तुम्हारा है ||
mirza ghalib shayari
mirza ghalib shayari
करते है लोग दिखावा अपने हुनर का
लोगो के बीच बने रहने के लिए
उतर देते है कपड़े कुछ चहरे
इस्तिहार में छपे रहने के लिए
मुहब्बत तो दो लोगो के बीच का नशा है
जिसे पहले होश आजाये , बो बेवफा है |
मेरे जिस्म जान में
बस तुम्हारा नाम है
आज अगर मैं खुश हूँ तो
ये एहसास भी तुम्हारा है
थमा हुआ है हाथ मेरा अपने
यह मुझको मालूम है
हर पल हर लम्हे में
सिर्फ प्यार तुम्हारा है ||
आज थोड़ा प्यार जता दू क्या
तुम मेरे हो सबको बता दू क्या ||
कल गए थे बाजार हम भी , सोचके
शायद फिर से एक मुलाकात हो जाये
छतरी भी थी थैले में उस घडी के लिए
न जाने फिर से फिर से वही बरसात हो जाये |
मिन्नतें करते रहे रस्ते भर रब से
फिर से वही नफरत न हो जाये
देखा था न उन्हें पिछली बार उसके साथ
कही वही बेहूदा हरकत न हो जाये ||
चाय पीते रहे , गिलास गिराते रहे
सफर जरा लम्बा था, कही थकाबट न हो जाये |
खुद को उसकी खाताये गिनाते रहे
सोच के की फिर से कही मुहब्बत न हो जाये ||
शहर होने को आयी , खुद को बेकरार करते रहे
घडी तो चल रही थी , लगा कही रात न हो जाये
वो हतास मायुश , सामने खिड़की पे आयी
मत पूछो यारो , खुद को कितना रोका की कही कोई शरारत न हो जाये |
नजर न घुमाई जान के उन्हें फिर से देखभर लेने को
डर था कही फिर से कोई आफत न हो जाये
सारे गुनाह भूल गया था , डर तो बस इतना सा था
कही फिर से मुहब्बत न हो जाये
Hindi Shayari Image
Hindi Shayari Image
Hindi Shayari Image
Hindi Shayari Image
Hindi Shayari Image
इतनी सी ख़ुशी पूरी हो जाये
हाथो में तेरा हाथ और
दूर तलक देखा हर ख्वाव
मुकम्मल हो जाये |
अजीब से कश्मकश होती है जिंदगी में
अक्सर सुलझी हुयी पहेलियाँ भी उलझ जाती है
हाथो की लकीरो में |
यु तो कहने को काफी कुछ है
पर शायद वक्त कम पड़ जाये
जब कभी हमारा दौर चले
mirza ghalib shayari
मुलाकात कर लिया करो
यू न दूरिया रखो
ना जाने कोनसी
बात आखिरी हो
डायरी के हर एक पन्ने पर तुम्हारा किरदार लिखती गयी
तुम मिले नहीं कभी ,बस वही अधूरी मुलाकाते लिखते गयी |
क्यों ये तन्हाई का आलम है
क्यों हर मोड़ पर अधूरापन है
माना गलती खुद की है
फिर क्यों खता - ए - दिल तुमसे है
मेरे इवादत ए इश्क़ की यही इम्तिहा है
तेरे सजदे में सर झुके यही रब से दुआ है
आँखों में जो ख्वाव है
दूर तलक तेरा इंतजार है
सपने कभी हकीकत में तब्दील हो
इस दिल की चाहत यही है |
कतरा कतरा जोड़ कर देखे जो ख्वाव
हो मुकम्मल वो सारे ख्वाव
दिल में रहे न कोई अरमान अधूरे
कुछ ऐसे सजे जन्मदिन से सजा हर लम्हा
मेहदी जो मैंने अपने हाथो में रचाई है
तेरे इश्क़ में महकी फिजाये है
हीना का रंग कुछ यू निखार जाये
दूर रह कर भी तू मेरे सबसे करीब आ जाये
मुहब्बत तो दो लोगो के बीच का नशा है
जिसे पहले होश आजाये , बो बेवफा है |
आज थोड़ा प्यार जता दू क्या
तुम मेरे हो सबको बता दू क्या ||
होठो पर हसी ,
आँखों में नमी थी
कुछ कहानी अनकही थी ||
सवाल कुछ भी हो
जवाव तुम ही हो
रास्ता कोई भी हो
मंजिल तुम ही हो
दुःख कितना भी हो
ख़ुशी तुम ही हो
अरमान कितना भी हो
आरजू तुम ही हो
गुस्सा कितना भी हो
प्यार तुम ही हो
ख्वाव कोई भी हो
तकदीर तुम ही हो
फसाद कोई भी हो
फसाद जी जड़ तुम ही हो ||
0 Comments