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Love Story Hindi : Hindi Love Story : romantic story of love - Arrange Marriage Part - 52

Love Story Hindi : Hindi Love Story : romantic story of love - Arrange Marriage Part - 52

कार्तिक अपने कमरे में चला गया था , शीला जी और राजेश जी बैठे रह गए थे , दोनों आपस में बात करने लगे 

शीला जी ने राजेश जी से पूछा "कार्तिक कुछ परेशान सा नहीं लग रहा आपको "

राजेश जी ने कहा "हाँ लग तो रहा है , वैसे कभी अपनी ओर से शादी की बात भी नहीं करता था , आज कुछ तो बात है "

शीला ने कहा "हाँ मुझे भी लगा , नहीं तो मेरा बेटा ऐसी बात बोलता ही नहीं है "

राजेश जी ने चिंता जताते हुए कहा "इसका कोई कही लड़की बाला चक्कर तो नहीं है "

शीला जी राजेश जी पर चढ़ती हुयी बोली "हे भगवान जरा इन्हे सद्बुद्धि दो , इन्हे तो हमेश ही गलत लगता रहता है "

शीला जी की बात सुन कर राजेश जी झल्ला गए और बोले "तुमसे तो बात करना ही बेकार है , बाप हूँ उसका , सब समझता हूँ "

"हाँ तो माँ हूँ मैं भी उसकी , सब जानती हूँ बेटे की अंदर बहार की बाते " शीला जी ने भी अपनी बात जोर देते हुए कहा 

रिया ने मम्मी पापा का झगड़ा बढ़ता हुआ देखा तो बीच में बोलने लगी "अरे पापा , मम्मी बस करो अब "

आप लोग क्यों झगड़ा कर रहे हो , चलो मम्मी मेरे बालो में ऑइल लगा दो , पापा आप अंकल जी से बात करलो अगर कल रेडी है तो दिक्कत क्या है चलते है कल ही ||


राजेश जी ने कुछ नहीं कहा और वहां से चले गए , शीला जी भी रिया के साथ उसके कमरे में चली गयी |

कार्तिक भी अपने कमरे था , उसने नीलू को कॉल किया 

हेलो , कैसे हो ??

कार्तिक - मैं ठीक हूँ अपना बताओ

नीलू - मैं भी ठीक हूँ , और रिया कैसी है

कार्तिक - सब अच्छे है |

नीलू - अच्छा तो बताइये , खाना खाया या नहीं अभी तक 

कार्तिक ने कहा - हाँ खा लिया ,

नीलू - तो क्या कर रहे थे 

कार्तिक - कुछ नहीं सोने जा रहा था , सोचा बता दू की कल हम लोग आ रहे है तुम्हारे घर 

नीलू आश्चर्य से उछल पड़ी और बोली - क्या , इतनी जल्दी , मेरा मतलब बिना प्लानिंग के 

कार्तिक - वो मेरा कल ऑफिस जाने का मन नहीं है तो सोचा कल ये काम ही निपटा लू 

नीलू - तो साहब जी , आपके घर वालो को पता है की तुम आ रहे हो 

कार्तिक - मेडम जी हम घर वालो के साथी ही आने को सोच रहा हूँ 

नीलू - ओह्ह , मुझे लगा आप अकेले ही 

कार्तिक - नहीं यार , 

नीलू - तो कब तक पहुंच जाओगे यहाँ तक , फिर मैं माँ को बता दू 

कार्तिक - अभी तुम्हे सब पता चल जायेगा  पापा शायद बात करेंगे तुम्हारे पापा से 

नीलू - अच्छा तो मैं कहाँ थी तब से , मुझे तो ऐसा कुछ पता ही नहीं है 

कार्तिक - तो अब तो पता चल गया न 

नीलू - हम्म साहब जी 

कार्तिक - तो कल तैयार रहना 

नीलू -  हम्म , वो तो मुझे रहना ही पड़ेगा न 

कार्तिक - क्या पहनोगी कल 

नीलू - आप बता दो वही पहन लुंगी , वैसे मुझे तो पिंक पसंद है 

कार्तिक - ठीक है , लेकिन मुझे तो नेवी ब्लू पसंद है 

नीलू ने बच्चो जैसी आवाज निकलते हुए कहा - लेकिन मेरे पास तो एक भी नेवी ब्लू ड्रेस नहीं है 

कार्तिक - ओह्ह तब तो कुछ नहीं हो सकता है 

नीलू - हम्म , चलो देखते है , रुको माँ बुला रही है 

कार्तिक कॉल कट कर देता है ....


शीला जी के कहने पर राजेश जी ने ओमकार जी को कॉल किया 

हेलो भाई शाहब नमस्कार 

ओमकार जी - नमस्कार जी , कैसे है आप सब

राजेश जी - हम सब कुशलमंगल है अपना सुनाओ

ओमकार जी - जी कृपा है बाकेबिहारी जी की 

राजेश जी - और कैसा चल रहा है आपका काम धंधा 

ओमकार जी - सब ठीक ही चल रहा है , आप का हाल जानना है 

राजेश जी - अपना भी ठीक ही है , बस सोचा के आप लोगो के दर्शन कर लिए जाये 

ओमकार जी ख़ुशी से झूमते हुए - ओह्ह्ह  अहो भाग्यम , आओ आओ कब पधार रहे हो फिर , कबसे इंतजार था आपके दर्शनों के लिए 

राजेश जी हसते हुए "कल ही आने का सोच रहे है बच्चे लोग "

ओमकार जी "बिलकुल जी स्वागत है आइये , हम आपका तहे दिल से इंतजार में रहेंगे "

राजेश जी "जी शुक्रिया आपका जो आपने हमारा मान रखने के लिए समय निकल रहे है "

ओमकार जी "ये तो हमारा सौभाग्य है जो आपकी खिदमत करने का मौका मिल रहा है वरना आप क्यों आते है हमारे यहाँ "

राजेश जी "ठीक है फिर कल आते है हम लोग "

ओमकार जी "जी नमस्कार जी "


"जी बड़े चहक रहे हो , कौन है किससे बड़े प्यार से शरबत की तरह घुले जा रहे हो " ओमकार जी की पत्नी मीना जी ने पूछा 

ओमकार जी "अच्छा तो तुम भी यही हो , कान लगाने की आदत अभी गयी नहीं है तुम्हारी "

मीना जी "नहीं नहीं जी , हम तो खाने के लिए तुम्हे बुलाने आये थे फिर देखा की तुम तो चहक रहे हो तो सुनाने लगे "

ओमकार जी "अरे यार , कल बहुत जरुरी काम था दफ्तर के शिलशिले में और कल ही हमारे यहाँ राजेश जी और उनके बच्चे लोग अपने यहां आने के लिए कह रहे है , क्या करे "

मीना जी "एक दम अचानक से , वो भी बिना प्लानिंग के "

ओमकार जी ने कहा "हाँ , अचानक से अभी कॉल कर रहे है , अब ना कैसे बोलू , मैंने भी हाँ कह दिया "

 मीना जी "ठीक किया , आने दो , ये काम भी निपट ही जाने दो , लड़की जवान हो रही है , आ ही जाने दो "

ओमकार जी ने हम्म कहते हुए अपना फ़ोन उठाया और किसी को कॉल लगाने लगे 


अपने मम्मी पापा की बाते नीलू खड़ी सुन रही थी , पापा के मुँह से कन्फर्मेशन सुनते ही नीलू की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा , आखिर कल उसकी जिंदगी में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ जायेगा ,

अरे यार तेरा कल इंगेजमेंट है , ये तो बहुत ही ख़ुशी की बात है , तुझे तो आज खूब सारी मस्ती कर लेनी चाहिए कल से तू एक बंधन में बढ़ाने बाली है , 

चल हट पगली ये कोई बंधन थोड़े है , ये जिंदगी का एक अहम हिस्सा है , अहम पल है जिसे जीने का हर किसी को हक़ है और जीने चाहिए |

नीलू ऐसा सोचते सोचते अपने कमरे में जा रही थी की जल्दबाज़ी के चक्कर में उसकी टक्कर प्रिया से हो गयी , टकराव इतना जोर का था की प्रिया सर नीलू के होठो पर जा लगा , उसके दन्त होठ में लगने से उसके होठो से रक्त बहने लगा , उसके लिप्स पर घाव हो गए |..

प्रिया - ओह सॉरी दी , मैंने देखा नहीं , लेकिन देखा तुमने भी नहीं , इतनी ख़ुशी में झूमते हुए कहाँ जा रही थी ||

नीलू को अब कल की टेंशन हो रही थी , क्या ये कल तक ठीक हो पायेगा ..... सोचते सोचते रो पड़ी .........


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