google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Hindi kahaniya | Story in Hindi love : romantic story of love - Arrange Marriage Part - 58

Hindi kahaniya | Story in Hindi love : romantic story of love - Arrange Marriage Part - 58

 

Story in Hindi love : romantic story of love - Arrange Marriage Part - 58

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नीलू बाहर जा कर अपनी माँ के पास बैठ गयी और थोड़ी देर बाद कार्तिक भी बाहर आया और अपनी चेयर पर बैठ गया ||
कार्तिक ने नोटिस किया की सबके चेहरे पर मुस्कान सी बिखरी हुई है , सब उसे ही नोटिस कर रहे है |
कार्तिक ने एक एक करके सबकी ओर देखा , लेकिन माजरा उसे समझ नहीं आ रहा था |
शीला जी ने कार्तिक से पूछा "कार्तिक , हो गयी बात , कैसा लगा बात करके "
कार्तिक ने धीरे से कहा "क्या मां आप भी न , ऐसे कौन पूछता है "
शीला जी ने कहा "क्यों ऐसा क्या पूछ दिया मैंने , क्यों कार्तिक के पापा मैंने कुछ गलत पूछा क्या कार्तिक को "
राजेश जी ने भी शीला जी की बात का समर्थन करते हुए कहा "हाँ सही तो पूछा है , आज कल जमाना बदल चुका है , हमारे टाइम में तो फोटो से ही काम चलना पड़ता था , आज कल तो लाइव मिलवा दिया जाता है "
कार्तिक ने कहा "पापा तो इसमें मेरी क्या गलती है जो आपको नहीं मिलवाया गया था , मैं क्या करू , मुझे क्यों टारगेट कर रहे हो आप लोग "
"बेटा ऐसा है न जलन होती है जलन , समझे " रहेश जी ने कहा 
कार्तिक ने कहा "हे भगवान ऐसे भी पापा होते है जो अपने ही बच्चों से जलन करते है "
राजेश जी ने कहा "बेटा बच्चो से नहीं ज़माने से करता हूँ "
ये हसी मजाक इसलिए चल रही थी की क्युकी अभी टेबल पर केबल राजेश जी और उनके फॅमिली मेंबर्स थे , बाकी ओमकार जी के फॅमिली मेंबर्स अभी अंदर जा चुके थे || और वो लोग खाने पीने की तयारी कर रहे थे |
दादी माँ ने मजाक को रोकते हुए कहा "अच्छा ठीक है बहुत हो गया मजाक , अब मुद्दे की बात करलो , देखो मुझे तो लड़की बहुत पसंद आयी है , बाकी लोग भी अपनी राय देदो "

दादी की राय मांगने पर कार्तिक ने कहा "दादी माँ जैसा आप कहोगी वैसा ही होगा , मुझे लड़की पसंद है "
दादी माँ खुश होते हुए बोली "मुझे मेरे पोते पर पूरा भरोषा था "
रहेश जी ने भी मुस्कराते हुए धीरे से कहा "पसंद कैसे नहीं आएगी , आखिर पसंद किसकी थी पहले "
शीला जी ने नाम फूलते हुए कहा "तुम्हे बहु के बारे में बात करते हुए शर्म नहीं आती "
रहेश जी ने कहा "शर्म किस बात की , आखिर हम नए ज़माने में जी रहे है "
शीला जी ने कहा ''इतनी भी नए ज़माने में नहीं जिओ समझे , और बच्चों के साथ ऐसे बात मत  किया करो "
रहेश जी ने शीला जी के तेबर देखे तो खुद को शांत रखना ही सही समझा , और दूसरी और ध्यान लगाने लगे |
इतने में ओमकार जी और मीना जी अंदर से चले आये, उनके चेहरे पर ख़ुशी के हाव् भाव दिख रहे थे 
उन्होंने आ कर पूछा तो अब आगे की कार्यबाही की जाये ?
राजेश जी ने भी हाँ कह दिया |
ओमकार जी ने खुश हो कर मिठाई उठाई और राजेश जी को खिलाते हुए उन्हें बधाई दी और कहा "मुबारक हो आज से अपने इस रिश्ते को और भी मजबूती मिलेगी  " 
राजेश जी ने भी ओमकार जी को गले लगाया और बधाई दी और उन्हें भी मिठाई खिलाई ||
इधर मीने जी ने नीलू को बुलाया और रिंग सेरेमनी का प्रोग्राम करने के लिए सबको कहा |
प्रिया और उसकी दोस्त और नीलू उसकी दोस्त सब उत्साह से भर रहे थे , कार्तिक थोड़ा सा नर्बस सा हो रहा था क्युकी उसे इस समय अमन की याद जो आ गयी थी ||
उसका ध्यान थोड़ा सा भांग हो चुका था लेकिन उसने फिर से नीलू की सुंदरता देखी और उस पर मोहित होने की कामयाब कोशिश करने लगा |

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कार्तिक की दादी माँ ने उसे के अनमोल महगी सी रिंग निकाल के दी और कहा "ये लो बेटा और पहना दो नीलू को , बना लो अपना उसे "
 कार्तिक ने दादी माँ की और मुस्करा के देखा और रिंग अपने हाथ में लेली ,अब कार्तिक नीलू की और देखने लगा 
नीलू ने भी अपनी गर्दन ऊँची की और कार्तिक को प्यार से देखने लगी ...
ओमकार जी ने कहा "अरे कोई फोटो तो खींच लो और हाँ तुम तिलक करने के लिए थाली ले आओ "
मीना जी ने मुस्कराते हुए कहा "जी ठीक है मैं थाली ले कर आती हूँ "
प्रिया ने नीलू को कहा "दीदी अब आप खड़ी हो जाओ और जीजू आप भी खड़े हो कर सामने इधर आजाओ इधर फोटा अच्छा आ रहा है "
अब नीलू और कार्तिक दोनों एक साथ में आकर खड़े हो गए थे | लोग अपने अपने फ़ोन में फोटो उतरने में लग चुके थे |
दादी माँ ने नजर उतरने को पैसे देते हुए कहा "कितने सुन्दर लग रहे है दोनों बच्चे , भगवन इन्हे किसी की नजर न लगे "
इतने में मीना जी तिलक करने के लिए थाली और उसके कुछ मिठाई और तिलक करने का सामान ले कर आयी |

नीलू ने सबका ध्यान आकर्षित करते हुए धीरे से कहा "अगर आप सब लोग बुरा न माने तो हम एक बात कहे "
सब लोग एक दूसरे के चेहरे की ओर देखने लगे , असमंजस बाली स्थिति बन गयी थी ||
फिर थोड़ी देर बाद शीला जी ने कहा "हाँ बेटा कहो ,तुम्हे भी पूरा हक़ है अपनी बात रखने का "
फिर नीलू ने एक बार कार्तिक की ओर देखा और फिर शीला जी से कहा "हम दोनों ने अभी बात की थी की हमे थोड़ा और टाइम चाहिए एक दूसरे को जानने का "
शीला जी ने कार्तिक की बिषमय हो कर देखा और कहा "कार्तिक मैं कुछ समझी नहीं "
तो कार्तिक ने कहा "माँ वो नीलू का कहने का मतलब है की रिंग सेरेमनी के बाद भी इसे कुछ टाइम चाहिए , एक दूसरे से मिलने और जानने के लिए , ये शादी को लेकर थोड़ा जल्दबाज़ी में नहीं है "
शीला जी ने कहा "तो कोई बात नहीं , हम भी जल्दी में नहीं है , तुम दोनों जैसा चाहो वैसा करलो "
राजेश जी ने भी कहा "हाँ चाहो तो कुछ दिन और ले सकते हो "
ओमकार जी ने बात को संभालते हुए कहा "ऐसा तो कुछ सीरियस नहीं है , ये तो नार्मल है , शादी को वैसे भी ६ महीने लग ही जाने है "
शीला जी ने कहा "तो क्या हुआ कोई बात नहीं , जब दोनों बच्चे तैयार होंगे तब शादी हो जाएगी "
चलो अंगूठी तो पहना दो बेटा - दादी माँ ने कहा 
अब अंगूठी पहनने का समय आ चुका था ...............
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