Hindi kahaniya new | Story in Hindi love : romantic story of love - Arrange Marriage Part - 72
कार्तिक और नीलू का रिस्ता कुछ जम नहीं पा रहा था , वो सब इसलिए था क्युकी दोनों एक दूसरे को समझ नहीं पा रहे थे और जितना टाइम देना चाहिए था दे नहीं पा रहे थे ||
इसलिए नीलू को लगता था की अब दोनों को एक मुलाकात तो करनी ही चाहिए नहीं तो ये नजदीकियां कब दूरियां बन जाएगी कुछ पता ही नहीं चलेगा |
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कार्तिक भी अपने रिश्ते को लेकर थोड़ा गंभीर होना चाहता था लेकिन उसका शांत और महिलाओ के प्रति सम्बेदंशील होने के कारण अपने आप को उस परिस्थिति के अनुकूल नहीं बना पा हा था | कभी उसका झुकाव नायरा की और तो कभी अमन कौर तो कभी सुहानी की ओर हो चलता था |
फाइनली आज उसने नीलू से मिलने का इरादा बना ही लिया था , उसने नीलू को एक मूवी देखने के लिए कहा
पहले तो नीलू ने अपने नखरे दिखते हुए न कहा लेकिन बाद में मान गयी और दोनों saturday को मिलने बाले थे |
कार्तिक अपने घर पर खाने के लिए टेबल पर बाकी सभी फॅमिली मेम्बर्स के साथ वेट कर ही रहा था , तभी उसकी माँ शीला ने उसे खाना परोसते हुए पूछा "बेटा तुम्हारी बात होती है या नहीं , मेरा मतलब नीलू से "
कार्तिक ने खाने की थाली अपनी और खींचते हुए कहा "हाँ , कल तो हुई थी बात , क्यों माँ क्या हुआ "
अब बाकी लोग टेबल पर बैठे थे सब के सब कार्तिक की ओर देखने लगे ....
सब लोग उसे ही देख रहे है , क्या हुआ मैंने क्या कुछ गलत बोल दिया या फिर कुछ गलत कर दिया जो सब के सब मुझे भूखे शेर की तरह घूरे जा रहे है .....
शीला जी ने कहा "बो क्या है की मुझे लगा शायद नहीं होती होगी बात , क्युकी मेरे से नहीं न होती इसलिए "
कार्तिक अब खाना खाने लगा था , उसने कहा "तो आप कर लिया करो उसे कॉल , उसका नंबर तो होगा ही आपके पास "
शीला जी ने कहा "हाँ है न , देखती तो रहती हूँ सारे दिन व्हाट्सअप पर उसके रोने धोने जैसी शक्ल बाले स्टेटस "
इतने में रिया बोल पड़ी " क्या माँ आप भी न शादी तो अभी हुई नहीं आप तो अभी से टिपिकल सास बाले कारनामे करने लगी "
"हम्म्म क्या , क्या कह रही है तुझे पता भी है , मैंने कब ऐसा कुछ कह दिया जो सास बाली बात हो गयी " शीला जी ने अपने हस्बैंड राजेश जी की ओर देखते हुए कहा
"मैं इन सब चक्करो में नहीं पड़ता , मुझे खाना खाने दो " राजेश जी ने खाने पर ध्यान देते हुए कहा
"अब होने बाली बहू है तो स्टेटस तो देख ही सकती हूँ न " शीला जी ने कहा
रिया ने कहा "तो ऐसे बोलो न रोने धोने जैसा जोड़ने की क्या जरूरत है "
शीला जी ने कहा "तू न ज्यादा मत बोला कर , आज कल तू भी बिगड़ रही है , देख रही हूँ तेरी हरकते मैं काफी दिनों से "
"हाँ माँ , ये न अब अपनी औकाद से बहार होती जा रही है " कार्तिक ने भी मौका देखते हुए रिया को आड़े हाथो ले ही लिया
रिया का चेहरा अब लाल हो चला था , झेपते हुए बोली "अब मैंने क्या कर दिया "
"तुमने कुछ नहीं किया तुम अपने खाने पर ध्यान दो और जा कर अपना होमवर्क करो " राजेश जी ने रिया का बचाव करते हुए कहा
शीला जी ने कहा "असली जड़ तो ये ही है , ये ही तो इसे बिगड़े दे रहे है , जरा ध्यान दे लो इस पर नहीं तो , इसकी ससुराल बालो की ही सुनते रहना रोज "
कार्तिक ने भी कहा "हाँ पापा इसके ज्यादा पर निकल आये है , कॉलेज में बहुत मस्ती करती है ये , बहुत दोस्त है इसके वहां "
राजेश जी ने पूछा "रिया ये तुम्हारी इतनी शिकायते क्यों मिल रही है "
रिया ने अपना बचाव करते हुए कहा "पापा जी ऐसा कुछ नहीं है , ये सब न मुझे मिल कर फसा रहे है "
कार्तिक ने कहा "हम क्यों फसायेगे , पापा इससे न आप फ़ोन लेलो , इसे क्या जरूरत है फ़ोन की "
रिया ने कार्तिक को आंखे दिखते हुए कहा "भाई तू तो बोल मत नहीं तो सारी पोल खोल दूंगी तेरी "
"मेरी पोल , कैसी पोल क्या पोल बोल " कार्तिक ने भी सीना चौड़ा किया पापा के सामने
राजेश जी ने कहा "बता क्या है इसकी पोल "
रिया ने कहा "पापा एक बार मेरे एक दोस्त ने इसे बियर बार में एक लड़की के साथ देखा था और ये उससे किस मांग रहा था "
"तू पागल हो गयी है और शायद तेरे अबरा दोस्त भी , खुद तो रोज जाते होंगे बार में , मुझे कहाँ से देख लिया , देखा पापा कैसे कैसे दोस्त है इसके .. छी " कार्तिक ने पूरा ड्रामा सेट करते हुए कहा |
"अच्छा ऐसी बात है , तो तूने किश कर पायी या नहीं " शीला जी बिनोद भरे भाव से पूछा
"क्या माँ आप भी न , मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ , वो कोई ओर होगा " कार्तिक ने मासूमियत से जवाव दिया
शीला जी ने राजेश जी की ओर देखा और कहा "हाँ मुझे भी ऐसी ही उम्मीद थी , आखिर तुम अपने पापा के ही बेटे हो न "
राजेश जी शीला का इसारा समझ रहे थे , उन्होंने आँखों ही आँखों में शीला जी से कहा "तुम टेंशन न लो थोड़ी देर में हम आपकी खबर लेंगे "
डिनर ओवर हो चुका था , जूठे बर्तन उठाने में रिया ने अपनी माँ की हेल्प की , और किचन में चली गयी |
कार्तिक भी खाने के बाद वाक पर घर से बहार चला गया , राजेश जी भी अपने कमरे में अपना कुछ हिसाब किताब लगाने में ब्यस्त हो गए ||
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कार्तिक घर से बहार आया ही था की उसका फ़ोन बजा , उसने देखा तो नायरा उसे कॉल कर रही थी ||
हेलो कार्तिक
कार्तिक - हाँ हेलो , क्या हुआ ??
नायरा - कुछ नहीं बस ऐसे ही कॉल कर लिया , क्या नहीं कर सकती ?
कार्तिक - हम्म कर सकती हो ,
नायरा - और खाना हो गया ?
कार्तिक - अभी अभी हुआ , बस वॉक पर ही आया हूँ डिनर के बाद
नायरा - ओह्ह अच्छा ,
कार्तिक - तुमने khaya खाना
नायरा - हाँ बस अभी अभी मैं भी finish की हूँ |
कार्तिक - good , लगता है साथ में ही किया है तुमने भी
नायरा - नहीं अलग अलग लेकिन एक ही टाइम पर
कार्तिक - हाँ वही ...
"कार्तिक एक बात बोलू , पता नहीं मैं ठीक कर भी रही हूँ या नहीं मुझे नहीं पता , लेकिन तुमसे बात करके सुकून सा मिल जाता है इसलिए कर लेती हूँ " नायरा ने बड़े सरल शब्दों में अपने दिल का हाल कार्तिक के सामने एक बार फिर से रख दिया था ||
कार्तिक ने कहा "ये तो मुझे भी नहीं पता की हम कब तक और एक दूसरे से बात कर सकते है , क्युकी कोई भी लड़की अपने हस्बैंड को किसी और लड़की से बात करते हुए नहीं देख सकती "
नायरा "कार्तिक जब से तुमने अपनी इंगेजमेंट की खबर दी है तब से ही मन उजड़ा सा उखड़ा सा ही लगता रहता है , हालाँकि हमारे बीच ऐसा बैसा तो कुछ भी नहीं था न "
कार्तिक "यार अब मैं कैसे बताऊ , तुमने जरा सी देर कर दी अब ये सब कहने में "
नायरा रोते हुए " मुझे नहीं पता था की तुम ये सब इतनी jaldi कर लोगे "
कार्तिक "यार अब देखो रोना धोना तो प्लीज मत करो "
नायरा "तो क्या करू , अब तो बस ये ही कर सकती हूँ "
कार्तिक "हम अच्छे दोस्त है और दोस्त बने रहेंगे "
नायरा " एक बात बोलू "
कार्तिक "हाँ बोलो "
नायरा ने एक छोटा सा पॉस लिया और फिर कहा "मेरी बहुत दिनों से ख्वाहिश थी की मैं और तुम किसी ऊँचे झरने के नीचे अकेले भीगते भीगते हाथो में हाथ ले कर घंटो बैठे रहे "
कहते कहते नायरा का कॉल कट हो गया .....
कार्तिक "हेलो , हेलो , नायरा ..."
क्या हुआ कॉल क्यों काट दिया ....
कहानी अभी जारी रहेगी .....
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