Hindi kahaniya | Story in Hindi love : romantic story of love - Arrange Marriage Part - 68
कार्तिक नायरा के घर से चला गया था , लेकिन फिर भी नायरा अभी भी अपने घर के मैन दरवाजे के सहारे उससे सट के खड़ी हुई थी | हालाँकि नायरा ने कभी भी कार्तिक को अपना बेस्ट फ्रेंड से ज्यादा नहीं समझा था , लेकिन फिर भी न जाने उसे आज ऐसा क्यों लग रहा था की उसका कोई अपना जिससे उसे बहुत उम्मीदे थी , वो उससे दूर चला जा रहा है | नायरा की आंखे सजल थी , और सूखने का नाम नहीं ले रही थी,, उसे अभी भी भरोषा नहीं हो रहा था की कार्तिक ने इंगेजमेंट कर ली है , उसे हमेशा की तरह कार्तिक के द्वारा की हुई कोई मजाक लग रहा था , उसका मैंने को तैयरा ही नहीं था की ये एक सच था ||
बहुत देर खड़े रहने के बाद , नायरा अंदर चली गयी और अपनी माँ और बहन के सेवा में लग गयी ||
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कार्तिक भी अपनी बाइक को स्पीड दिए जा रहा था , वैसे तो शाम को उसे अमन कौर से मिलने जाना था लेकिन सयोग ऐसा बना की उसे नायरा की बास्तविकता से रूबरू होना पड़ा ||
कार्तिक को भी नायरा की स्थिति पर विस्वास नहीं हो रहा था लेकिन उसने सच अपनी आँखों से देख लिया था , आखिर उसे भरोषा तो जीवन की करतूत पर नहीं हो रहा था की एक बंदे ने कैसे किसी एक मजबूर लड़की की अश्मिता से खेला है , मैन इस कमीने को बकसुगा नहीं, बस एक मौका ऐसा मिल जाये , साले पर ऐसा हाथ साफ करुगा की किसी को मुँह दिखने के लायक नहीं रहेगा ||
इसकी भी माँ बहन और वीबी है , फिर इसने ऐसा घिनोना काम करने का सोच कैसे लिया ,
एक होता है मार्जियो से करना एक जबरजस्ती या फिर मजबूरियो का फायदा उठाना , वो किया है इसने .. सोचते सोचते न जाने कब कार्तिक घर के दरवाजे तक पहुंच गया ,, उसे रास्ता का पता ही नहीं चला जल्दी से घर पहुंच गया ||
घर पर उसका सब इंतजार कर रहे थे , अभी तक किसी ने dinner नहीं किया था | कार्तिक ने बाइक park की और अंदर पहुंच गया ||
माँ ने चिंता जताते हुए कहा - बेटा टाइम क्या हुआ , जरा घडी की ओर भी देख लिया करो , सब परेशान थे , न तो तुम फ़ोन उठा रहे थे और न ही कर रहे थे , इतना लेट तो पहली बार हुए थे |
कार्तिक ने माँ को गले लगते हुए कहा - माँ आज बहुत जरुरी काम था तो लेट हो गया , आगे से ध्यान रखूँगा
सामने सोफे पर राजेश जी और दादी माँ बैठे हुए थे ,
रोज की तरह राजेश जी ने कार्तिक को बहुत सारे प्रश्न नहीं किये , बस चेहरे पर उदासी लिए बैठे रहे ...
बस दादी माँ ने एक बार कहा - बेटा टाइम का ख्याल रखो , घर में सब को चिंता हो गयी थी , देर हो गयी थी तो एक बार एक फोन ही कर देना चाहिए था |
कार्तिक ने अपना बाइक का हेलमेट सामने रखी टेबल पर रखा और दादी माँ के पास बैठते हुए कहा - दादी माँ मुझसे गलती हो गयी ,मुझे याद ही नहीं रहा , आज ऑफिस में मुझे और भी काम दे दिया है , तो उसी का डिस्कशन होता रहा और फिर एक दोस्त को चोट लगी थी तो उसने कहा मुझे ड्राप करदो तो मै उसे छोड़ता हुआ घर आया ||
इतना सब होजाने के बाद भी राजेश जी नहीं बोले कुछ भी , वास्तब में समझे तो बो ही थे , उन्होंने कार्तिक के चेहरे पर मायूसी और थके हुए से कंधे देख कर उसे और भी टेंशन नहीं देना चाह रहे थे , अब समझ चुके थे की बेटा सच में बड़ा हो गया है , अपने फैसले अब खुद ही ले सकता है , और वैसे भी कहते है न बेटा जब कंधो के बराबर हो जाये तो उसे बेटा नहीं दोस्त समझना चाहिए , सो वही करने की कोशिश कर रहे थे ||
आज पापा को शांत बैठा देख , पहले तो कार्तिक ने पापा की ओर देखा और फिर दादी माँ से पूछा - दादी माँ आज पापा को क्या हुआ ??
कुछ बोल नहीं रहे है , डांटा भी नहीं मुझे आज ...
बेटे की बात सुन कर राजेश जी एक दो लम्बी सांसे ली और किचन की ओर देखने लगे ...
शीला जी समझ चुकी थी की अब इन्हे भूख सता रही है इसलिए ...
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दादी माँ ने कहा - बेटा जब बराबर का हो जाता है तो बाप कुछ कहने लायक नहीं रह जाता ,
अब कार्तिक को थोड़ा अजीब सा फील हुआ , आश्चर्य से पापा की ओर देखने लगा
कार्तिक ने फिर पापा से पूछा - पापा क्या हुआ आप मुझसे नाराज है क्या ??
राजेश जी ने कहा - नहीं यार , हमारे नाराज होने से भी क्या हो जायेगा ... तुम्हे अपने मन की ही करनी है तो क्या फायदा जी ..
"अजी तू जल्दी से खाना लगाओ ... भूख लगी हुई है " राजेश जी ने शीला जी की ओर देख कर कहा
आज कार्तिक को ज्यादा बुरा लगा , जब पापा उसे दो चार खरी खोटी सुनते थे तो उसे इतना बुरा नहीं लगता था , आज उसे एहसास हो रहा था की पापा बास्तब में आज नाराज हुए है , पहले तो बो प्यार से सिर्फ डांटा ही करते थे | उसने एक चीज और नोटिस की रिया ने भी उसे चिढ़ाने या बात करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही है |
उसने सोफे पर बैठी रिया के सर पर हाथ फेरा और कहा - अब तुझे क्या हुआ ?? तू क्यों सुन्न बैठी है ??
"क्या भैया तुम भी न हद करते हो , कितने फ़ोन किये , देखते भी नहीं हो , पता है पापा कितने परेशान थे "
"चलो चलो जल्दी से हाथ दो कर आओ खाना तैयार है " शीला जी ने आवाज लगाई ..
कार्तिक अपने कमरे में चेंज करने चला गया .. थोड़ी देर बाद मुँह हाथ धो कर और कपड़े बदल कर आया तो सभी लोग उसका टेबल पर इंतजार कर रहे थे ... फिर सबने डिनर किया और रोज की तरह सब नार्मल हो गया था ||
खाना खा कर कार्तिक छत पर टहलने चला गया था .. अब उसने नीलू की चिंता करते हुए उसे कॉल lgaya ||
थोड़ा देर रिंग सुनाने के बाद नीलू ने कॉल रिसीव किया ||
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हेलो ,
कार्तिक - हेलो , कैसी हो ??
नीलू - ठीक ही है ,
कार्तिक - सोचा बता दू घर पहुंच गया हूँ |
नीलू - ये बताओ बिजी कहाँ थे जो एक कॉल या मेसेज भी न कर सके
कार्तिक - यार , ऑफिस में नया प्रोजेक्ट आया है तो उसी के चलते सब कुछ हो रहा था ||
नीलू - अच्छा , झूठ तो नहीं बोल रहे , कही गर्लफ्रेंड के साथ तो नहीं थे
कार्तिक - आज मैं आज मजाक के मूड में नहीं हूँ , थोड़ा टेन्स हूँ , सो प्लीज डोंट जोक
नीलू ने कहा - मैं भी सीरियस हूँ , मजाक नहीं कर रही
कार्तिक - क्या मतलब ?
नीलू - मेरा मतलब तुम्हारी ऑफिस की लड़की नायरा से है
कार्तिक नायरा का नाम सुन कर शॉक्ड रह गया
कार्तिक ने कहा - तो नायरा से क्या लेना देना
नीलू - मैं आज तुम्हारी बहुत सारी बातें सुनी है , जिन्हे सुन कर किसी को भी शक होगा ||
कार्तिक ने कहा - देखो ऐसा कुछ नहीं है ,
सुनो ..मुझे न पापा बुला रहे है , मैं बाद में बात करता हूँ ..
कार्तिक ने जानबूझ कर झूठ बोल दिया और कॉल डिसकनेक्ट करदी
आज कार्तिक बहुत ही टेंशन में था ....
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