google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Hindi Kahaniya | Story in Hindi love : romantic story of love - मजहबी इश्क़ - अनोखी दास्तान 2

Hindi Kahaniya | Story in Hindi love : romantic story of love - मजहबी इश्क़ - अनोखी दास्तान 2

 

Hindi Kahaniya | Story in Hindi love : romantic story of love - मजहबी इश्क़  - अनोखी दास्तान



मजहबी इश्क़  - अनोखी दास्तान - भाग -2


छुपते छुपते सलमा अपने घर के पीछे बाले रास्ते से अंदर घुस चुकी थी | उसके अब्बू और अम्मी दोनों टेंशन में मैं गेट पर खड़े थे , और आपस में सलमा की सलामती की ही दुआ कर रहे थे |

जफ़र अली अपनी बेगम साहिबा शबनम बानो से कहा "तुम्हारी लापरबाही हमारी जान ही लेके रहेगी , ये लड़की का कोई आता पता नहीं है कही , मजहब के नाम पर देश के गली कूचों में दंगे भड़के हुए है , खुदा न करे अगर हमारी बेटी के साथ कोई ऊंच नीच हो गई तो खानदान में क्या मुँह दिखाऊगा " 


शबनम ने अल्लाह का बस्ता देते हुए कहा "ऊपर बाला हमारे साथ है , और आप ये बेरुखी सी कैसी बाते कर रहे है , हमने कोई जानबूझ के थोड़े जाने के लिए कहा था , न जाने कब दबे पाँव चली गयी है , आने दो आज इस कम्बख्तखोर को "


जैफी साहब ने कहा "अरे दहशतगर्दों से बचेगी तो न आएगी घर"

"लो जी बो देखो उधर आ कर खड़ी है " शबनम ने अपनी शौहर को बताया और साथ ही चौके से जा कर छुरी उठा कर सलमा की ओर लपकी |


 तभी बीच में सलमा की बड़ी बहन फरीन ने उसे बचाने की कोशिश की , 

"अम्मी क्या कर रही हो , मर जाएगी वो " फरीन ने छुरी अम्मी के हाथ से छींटे हुए कहा 

सलमा सिटपिटाती हुए फरीन की ओट में छिपी हुई खड़ी थी ,

शबनम ने सलमा को आखिर पकड़ ही लिया और चार पांच थप्पड़ मारते हुए पूछा "हरामजादी कहाँ गयी थी "

सलमा ने अपना पक्ष रखते हुए कहा "यही तो पिछली बाली गली में अपनी दोस्त चारु से मिलने गयी थी "


शबनम ने आंखे निकलते हुए पूछा "क्या रखा है चारु के पास , उसके बाप और भाई मिल कर तेरा कत्ल कर देंगे , खून सवार किये घूम रहे है मोहल्ले में , हम लोगो की जान के दुश्मन बने हुए घूम रहे है "

सलमा ने गुस्साते हुए कहा "ऐसी तो कोई बात नहीं है उनके घर , सब तो ढंग में बात किये थे हमसे "

"ज्यादा जवान न चलाओ सलमा तुम अपनी हद में रहो" फरीन ने माँ का पक्ष लेते हुए सलमा को डांटा 

अब सलमा रोती हुई अपने कमरे की ओर जाने लगी ...


घर में इतना सब ड्रामा चल रहा था , ज़ईफ़ी साहब सब दरवाजे पर खड़े गुस्से से जलाते हुए देख रहे थे |

उन्होंने आज तक कभी भी सलमा पर हाथ नहीं उठाया था , और आगे उठाना भी नहीं चाहते थे |

सलमा उनके जयादा करीब इसलिए थी क्युकी वो बाकी अपने भाई बहनो में अकेली मैट्रिक पास की हुई थी , वो ही उनके सारे धंधे पानी का हिसाब किताब रखती थी , साथ ही सबसे खूबसूरत भी थी |

अपने अब्बू जान के करीब होने का करना उसकी ख़ूबसूरती नहीं बल्कि उसका तेज दिमाग और उसकी इंटेलिजेंस थी |


सलमा के अलावा उसके घर में एक उसकी बड़ी बहन और एक छोटी बहन और सबसे छोटा एक भाई भी था , सलमा और सागर दोनों एक साथ स्कूल में मेट्रिक में थे , तभी से दोनों एक दूसरे के करीब और करीब आते चले गए थे | भले ही दोनों अलग अलग मजहब से ताल्लुक रखते थे , लेकिन उनके मन में कभी ये नहीं आया था की बे दोनों अलग अलग धर्मो से है तो उनका कुछ नहीं हो सकता | बे दोनों एक दूसरे को बेइंतहा प्यार करते थे |

ये प्यार ही तो था की सलमा अपनी जान जोखिम में डाल कर अपने प्रेमी सागर से मिलने चली गयी थी |


 जब सलमा अपने रूम में जा कर अपने बेड पर उलटी लेट कर तकिये पर मुँह रख कर जोर जोर से रो रही थी , तो उसकी बड़ी बहन उसके पास पहुंची ..


फरीन ने सलमा की पीठ पर हाथ रखते हुए उसे पूछा "क्या हुआ , मुलाकात हुयी या नहीं "

सलमा ने बिना पलटे ही हाँ में सर हिलाते हुए कहा "हम्म हुई" 

 फरीन "तब रो क्यों रही हो , फिर तो खुश होना चाहिए तुम्हे तुम्हारी मुहब्बत से मिलने का कम से कम मौका तो मिला , अब उसके लिए ये मार पीट तो सहनी ही पड़ेगी न "


सलमा ने पीछे मुड़ते हुए कहा "फरीन हम पीटने के लिए नहीं रो रहे "

फरीन "तो फिर क्यों रो रही हो "

सलमा "अब हम शायद मिल नहीं पाएंगे , उसे देशभक्ति का भूत सवार है , और आंदोलनों में हिस्सा ले रहा है , और ये बात अब्बू को पता चलेगी तो वो हमे मिलने तो क्या उसकी शक्ल भी नहीं देखने देंगे "

फरीन ने मायूशियत से कहा "तो तुमने उसे समझाया नहीं .. तुम्हारे लिए ये सब तो छोड़ ही सकता है न "

"हमने उसे बोला था लेकिन उसने मिटटी हाथ में लेते हुए हमारी मांग भरदी और कहा की मेरे लिए पहले ये मिट्टी है फिर तुम हो "


फरीन ने चिंता जताते हुए कहा "आखिर अपने इस मुल्क में चल क्या रहा है , ये गोरे क्या करवा के मानेगे , पहले तो पूरा का पूरा लूट लिया और अब इन्हे क्या चाहिए , घर भी क्यों छीनना चाहते है हमारे "

सलमा ने फरीन को देश की बर्तमान हालात से अबगत कराते हुए कहा "गोरे देश छोड़ कर जाने के लिए राजी हो गए है , लेकिन उससे पहले यहां अंतरिम सरकार बनाने का प्रस्ताब रखा गया है , अब दिक्कत ये आ रही है की देश की जनता दो गुटों में बट गयी है , कुछ कांग्रेस को सपोर्ट कर रहे है और कुछ मुस्लिम लीग को " 


फरीन ने कहा "अब ये क्या नई बला है "


सलमा ने बताया "ज्यादातर मुसलमान लोग मुस्लिम लीग में है और वो एक अलग आज़ाद मुल्क की मांग कर रहे है , या फिर जिन्ना साहब को देश का पहला प्रधान मंत्री बनाने की मांग है "


फरीन ने कहा "तो इसमें हर्ज ही क्या है , बनाना चाहिए , उन्होंने कितनी कुर्बानियां दी है देश के लिए और पढ़े  लिखे भी है "


सलमा ने कहा "हर्ज ये है की कांग्रेस और गाँधी जी नेहरू को आगे कर रहे है तो तकरार यही है "


वो आगे कुछ बात करती की सलमा को उसके अब्बू ने उसे बहार आने के  लिए पुकारा 


सलमा "फरीन अब हमे डर लग रहा है कही अब्बू को पता न चल गया हो "

फरीन "पहले जा कर तो देखो .... "


सलमा ने कहा "अब्बू की कड़क आवाज सुन के तो यही लग रहा है ...."


Reactions

Post a Comment

0 Comments