google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Story in Hindi love : romantic story of love - Arrange Marriage Part - 89

Story in Hindi love : romantic story of love - Arrange Marriage Part - 89

Story in Hindi love : romantic story of love - Arrange Marriage Part - 89


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cahnnel name - 23.1 FM

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नीलू कॉल कट करके जब अंदर कैंप में पहुंची तो देखा की कार्तिक अकेला बिस्तर ठीक करने में लगा है , कार्तिक को अकेला काम करते देख नीलू को उस पर और भी ज्यादा प्यार आने लगा |

नीलू खड़ी खड़ी कार्तिक को काम करते हुए निहारती रही , और मन ही मन सोच रही थी कार्तिक तुम काम करते हुए कितने अच्छे लगते हो ||

करीब दो मिंट की मेहनत के बाद बिस्तर सही से बिछाने के बाद जब कार्तिक ने पीछे मुड़ के देखा तो उसे नीलू मुस्करती हुई अपनी बाहे फैलाये हुए खड़ी दिखी 

मौके और नजाकत को समझते हुए कार्तिक ने भी नीलू को मुस्कराते हुए गले लगा लिया , और उसके सर पर हाथ से सहलाता रहा |


कुछ देर गले लगे रहते हुए ही नीलू ने कार्तिक से कहा "कार्तिक तुम काम करते हुए कितने अच्छे लगते हो "

कार्तिक मुस्कराया और बोला "अच्छा तो ये जादू की झप्पी मेरे काम करने की इनाम है "

नीलू ने अपने होठ कार्तिक के कान के पास ले जाते हुए धीरे से कहा "जी नहीं जनाब ये तो हमे ठण्ड लग रही थी इसलिए था "

कार्तिक की हसी गायब सी हो गयी , उसका तो दिल ही टूट गया , मतलब अब इंसान गले भी अपने फायदे के लिए लगाने लगे है |

ये क्या बात हुई , मतलब सामने बाले की फीलिंग का तो फालूदा ही बना दिया , अरे यार झूठ ही सही पर किसी के चेहरे की ख़ुशी बन जाने के लिए बोल देना चाहिए ,,, खैर ....

कार्तिक ने सड़ा सा मुँह बनाते हुए कहा "ओके ठीक है , कम से कम मैं हीटर का काम तो कर ही रहा हूँ तुम्हारे लिए "

नीलू "ओह्हो बिलकुल ही बुद्धू बन जाते हो तुम तो ..  अब थोड़े न कहुगी की तुम्हे गले लगाने का मन था इसलिए लगा लिया , आखिर लड़की हूँ , लड़की होने की मर्यादा तो रखनी पड़ेगी न , बोलो हाँ न "


"धत्त तुम्हारे मूड का तो कुछ पता ही नहीं चलता है , पल में रोने लगती हो , पल में कुछ और कह के बात बदल देती हो " कार्तिक ने शिकायत करते हुए कहा 


नीलू "अरे बाबा , मेने कब बाते बदली अपनी , मैं तो कह ही रही हूँ की मन किया तो लगा लिया गले "

कार्तिक ने बड़ा तगड़ा जवाब देते हुए कहा "देख लो अगर मेरा मन कर गया न तो भरी पड़ जायेगा तुम्हे , आखिर लड़का हूँ , लड़का होने का एहसास दिलाना ही पड़ेगा न बोलो हाँ न "


नीलू कार्तिक से अलग होते हुए तिरछी नजरो से देखते हुए बोली "अच्छा तो अब तुम एक मासूम और अकेली लड़की को अपनी मर्दानगी दिखाओगे "


कार्तिक ने एक कम्बल उठाया और ओढ़ कर लेटते हुए बोला "नहीं यार , अकेली और मासूम लड़की को क्या मर्दानगी दिखाना , मर्दानगी तो हॉट और कमसिन कली को दिखाना चाहिए "


नीलू ने वही खड़े रहते हुए पूछा "तो क्या मैं हॉट और कमसिन , हसीन और किलर नहीं हूँ "

नीलू की बात सुन कर कार्तिक सोच में पड़ गया की क्या ये नीलू की नादानी है या फिर indirectly इनविटेशन है , और भी करीब आने और इंटिमेट होने का ??


नीलू ने फिर से चुटकी की आवाज करते हुए कार्तिक का ध्यान भंग करते हुए पूछा "मैंने आपसे कुछ पूछा हैं न की शांत रहने को कहा "


कार्तिक ने कहा "अरे यार क्या बोलू अब , आजाओ कम्बल में बहुत ठण्ड है बाहर ,नहीं तो बीमार पड़ जाओगी "

"नहीं पहले बताओ , तभी आउंगी कम्बल में " नीलू ने कहा 


कार्तिक ने कहा "यार दुनिया जानती है , तुम बहुत ही स्मार्ट और हॉट साथ ही साथ कमसिन हसीन और दिलकश हो , तुम्हे देखते ही दुनिया का कोई भी लड़का मोहित हो जायेगा "


"ओह थैंक यू गोड़ , तुमने मुझे इस लायक बनाया " कह कर नीलू कार्तिक के पास आकर बैठ जाती है |

कार्तिक मन ही मन हसने लगता है , क्या पागल लड़की है , बताओ भला कोई अपनी ही तारीफ जबरजस्ती करबाता है क्या ?


बाकई में यार बहुत शर्दी है , और ये खाने पीने का क्या सीन है , मिलेगा या नहीं , कहते हुए नीलू ने भी कंबल उठाया और ओढ़ कर बैठ गयी ...


कार्तिक अपने फ़ोन में आज ली हुई फोटोज और वीडियोस देख रहा था , और नीलू को भी देखने को कहा 

अब दोनों अपनी पूरे दिन की एक्टिविटीज को याद करके डिस्कशन करने लगे ,,, बातो बातो में ही न जाने कब दोनों एक ही कंबल में लेट गए पता ही नहीं चला |


नीलू "कार्तिक यार तुम्हारी कुहनी मुझे चुभ रही है "

कार्तिक ने कहा "ओह्हो यार इतना छोटा सा विस्तर दिया है , जगह ही नहीं है किधर जाऊ मैं , थोड़ा और खिसकूगा तो निचे गिर जाउगा "


नीलू "आउच , रहने दो मैं ही एडजेस्ट कर लेती हूँ "

एडजेस्ट करने के नाम पर नीलू कार्तिक के और भी करीब आ जाती है , अब दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेट चुके थे |

अब ये इसलिए भी था की विस्तर छोटा था , और दूसरा ठण्ड अधिक थी , बहार बर्फ गिर रही थी , शीतल ठंडी रूह कपा देने बाली हवा वह रही थी , तो ये तो लाजमी था की शरीर को गर्मी चाहिए थी |

और ऐसा करके लेटने से एक दूसरे से किसी को भी एतराज भी नहीं हो रहा था तो सब कुछ ठीक ही था |


ज्यादा पास होने की बजह से स्त्री पुरुष आकर्षण तो स्वभाबिक प्रक्रिया है सो इसका होना तो अनिवार्य ही था , ऊपर से दोनों एडल्ट और अकेले थे तो ....

नीलू बार बार अपने करवट बदल रही थी , लेकिन कह पाना अभी उसके लिए संभव नहीं था |

ऐसा ही हाल , कार्तिक का भी था , लेकिन मान मर्यादा उन्हें लाइन क्रॉस करने की अनुमति नहीं दे रही थी |


तभी बाहर से किसी ने आवाज दी , सर अपना खाना लेलेजिये .. अभी गर्म है , नहीं तो ठंडा हो जायेगा ..

जल्दी कीजिये |


कार्तिक और नीलू दोनों एक दूसरे की और देखने लगे और बेमन से उठ कर खाने के लिए तयारी करने लगे...

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