Ek Farz Esa Bhi - एक फर्ज ऐसा भी | Hindi Kahaniyan | Kahani In Hindi | Story In Hindi

 Ek Farz Esa Bhi - एक फर्ज ऐसा भी | Hindi Kahaniyan | Kahani In Hindi | Story In Hindi


शहर की सबसे मशहूर आई सर्जन डॉक्टर कविता वर्मा, अपने हॉस्पिटल में दाखिल होती है की तभी रिसेप्शन पर खड़े डॉक्टर हर्ष और तानिया दौड़ कर उसके पाए !!  

" मेम कोई सख्स अपने पिता को पांच दिन पहले यहाँ एडमिट करवा के गया था तब से अभी तक उसने पलट के कोई भी खबर नहीं ली है ! " 

डॉक्टर कविता ने आगे बढ़ते हुए आश्चर्य करते हुए कहा " कैसे कैसे लोग रहते है इस शहर में , बताओ भला अपने पापा की कोई चिंता ही नहीं , उसने अपना कोई नंबर या एड्रेस तो नोट कराया होगा , एडमिट करते टाइम " 

हर्ष ने कुछ फाइल पलटते हुए बताया " मेम उसने जो नाम , नंबर और एड्रेस नोट कराया था वो सब गलत है , हमने फ़ोन करके कांटेक्ट करने की काफी कोशिश की पर कुछ भी पता नहीं चल सका , अब प्रॉब्लम ये है न तो हम उन्हें यहाँ ज्यादा दिन रख सकते है और न ही कही सिफ़्त कर सकते है "

डॉक्टर कविता ने हर्ष की ओर देखकर पूछा " अरे भाई तो पेसेंट से कन्फर्म कर लो , आँखों में ही तो प्रॉब्लम होगी , पता या फिर अपने घर का पता या फिर किसी के बारे में कुछ तो बता सकता है "

अब तानिया ने आगे आ कर बताया " मेम वो काफी बुजुर्ग है , कुछ भी बताने में असमर्थ है , बस बीच बीच में कुछ बड़बड़ाते रहते है , बोलते है तुम सब नकली डॉक्टर हो , मेरी गुड़िया बनेगी असली डॉक्टर !! "

तानिया की बात सुनते ही डॉक्टर कविता को अपने बचपन की घटनाये याद आने लगी , वो बाकी सारे पेसेंट को छोड़ कर , दौड़ती हुई सीधा उसी बैड के पास पहुंची जहाँ बो बुजुर्ग सख्स लेते हुए थे !! 

कमजोर जर्जर शरीर , माथे पर शिकन , चेहरे पर झुर्रिया , आंखे गहरे गड्ढे में , शरीर लगभग पहले से आधा !! " अरे ये तो मेरे ही काका है ?? हाँ मेरे ही काका " 

डॉक्टर कविता ने धीरे से अपना हाथ बढ़ाया काका के सर पर फेरते हुए कंपते स्वर में बोली " काका "

काका ने एक सेकंड गवाए बिना ही मुस्कराते हुए कहा " गुड़िया तू आ गयी ... देखा मैंने कहा था न एक दिन तू बड़ी डॉक्टर बनेगी और दुनियाभर के अंधे लोगो की आंखे बनेगी " 

कविता के आँखों से आंसू झलक आये !! " काका तुमने मुझे बिना आँखों के कैसे पहिचान लिया "

काका मुस्कराये और बोले " पहिचाना तो उसे जाता है जिसे भुला दिया गया हो , तुम्हारी यादे तो हमारे दिल में है , और मेरी आंखे ही तो गयी है , दिल तो अभी भी धड़क रहा है , इतनी सी थी तुम जब मैंने तुम्हे पहली बार उठा के दिल से लगाया था , मैं सब कुछ भूल सकता हूँ पर तुम्हारी वो पहली मुस्कान नहीं भूल सकता "

देश की सबसे मशहूर डॉक्टर कविता की आँखों से आंसू क्यों बह रहे है अभी तक किसी को भी समझ नहीं आ रहा था ! डॉक्टर हर्ष और तानिया दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे |

तभी उन्होंने देखा , कविता मेम उस बुजुर्ग काका के गले से लगी हुई फफक कर रो रही है !!

" काका , तुम बिलकुल भी चिंता मत करो , मैं बापस आ गयी हूँ , अब आप इस सुन्दर सी दुनिया को अपनी इन खूबसूरत आँखों से देखोगे !! " 

काका के जर्जर चेहरे पर अभी एक संतोषजनक मुस्कान देखी जा सकती थी !! 

अब डॉक्टर कविता ने हर्ष और तानिया को ऑपरेशन थियेटर रेडी रखने के लिए कहा , तो हर्ष ने आश्चर्यचकित होकर पूछा " पर मेम , इनके फेमिली मेंबर की परमिशन के बगैर हम ऑपरेट कैसे कर सकते है ?? "

" ये मेंबर ही नहीं बल्कि मेरी दुनिया है , इसलिए इनकी परमिसन हम देंगे !! " अब डॉक्टर कविता ने ऑपरेशन करने की तैयारी करने लगी !! अगले दिन आँखों का सफल ऑपरेशन करने के बाद जब डॉक्टर कविता थियेटर से बाहर आई तो तानिया ने पूछा 

" मेम हमने पहले भी आपको बहुत से ऑपरेशन्स करते हुए देखा है पर , आज आपके चेहरे पर जो मुस्कान है वो कभी नहीं देखी ? इसके पीछे का राज क्या है ? "    

कविता ने तानिया की ओर देखा और आँखों में आंसू लाते हुए कहा " मैं चार साल की थी तब मुझे अनाथालय लाया गया था , मैं बेहद ही दुबली पलती और आँखों से भी कमजोर थी , तब काका ही वो सख्स थे जिन्होंने मेरी ऊगली थाम कर मेरी परिबरिस के साथ साथ मुझे और मेरे जीवन को आंखे दी , ,मेरी पढाई में मदद की , मैं पढ़ने में काफी अच्छी थी , मुझे सरकारी स्कूल में दाखिला मिल गया था , आगे की पढाई के लिए कॉलेज और बाद में मेडिकल कॉलेज , में पढाई करने के दौरान में एक शहर से दूसरे शहर में जाती रही , जिसकी बजह से मेरी धीरे धीरे काका से दूरी बनती चली गयी !! 

मैं एक बार छुट्टियों में काका से मिलने आई तो पता चला काका का बेटा इन्हे लेकर हमेशा के लिए गांव में चला गया , और मेरे पास गांव का कोई एड्रेस नहीं था , मुझे ऐसा लगा काका मेरी जिंदगी से दूर चले गए , अब मैं कभी काका के एहसनों का बदला नहीं चुका पाउगी , काका के गले लग के कभी अपनी ख़ुशी नहीं बाँट पाउगी , किश्मत का खेल देखो तानिया , आज फिर से काका मेरी जिंदगी में बापस आ गए है , अब मैं इन्हे कभी भी अपने से दूर नहीं जाने दूंगी .. मेरे मंम्मी पापा कौन है और इस वक्त कहाँ और किस हालत में है ये तो मैं नहीं जानती पर पर काका ही इस वक्त मेरे लिए सब कुछ है ||

डॉक्टर कविता की आपबीती सुन के तानिया के आँखों में भी आंसू थे , धन्य हो मेम आप , एंटी बड़ी डॉक्टर बनाने के बाद भी आप अपना फर्ज ऐडा करना नहीं भूली , वास्तव में अभी भी इंसानियत इस दुनिया में जिन्दा है ... " 

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