Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Arrange Marriage Part - 139
वीडियो : सुहागरात की कहानी ......
कार्तिक नीलू और शिवानी के निकल जाने के बाद कार्तिक के पापा और उसकी मम्मी शीला दोनों लोग छुपते छुपाते पार्किंग में खड़े अपने स्कूटर तक पहुंच जाते हैं। राजेश जी जल्दी से अपना स्कूटर स्टार्ट कर शिला जी को उस पर बैठने के लिए कहते हैं ।शीला ने कहा - इतनी भी क्या जल्दी है बैठ रही हूं ना स्कूटर ही है ट्रेन थोड़े जो 2 मिनट ही रुकेगी ।
राजेश जी ने शीला जी का मूड भापते हुए कहा -अरे डार्लिंग बात वह नहीं है दरअसल तुम्हारे प्यारे लाडले भी यहीं कहीं घूम रहे होंगे अगर वह देखेंगे कि मम्मी पापा इस उमर में गलियों में रोमांस करते हुए घूम रहे हैं तो तुम्हें कैसा लगेगा।
शीला जी ने अपने चेहरे पर मुस्कान बिखेरी और कहा - जब इतना ही डर भरा पड़ा है तुमारे अंदर तो क्यों निकल आए।
बिलबिलाने देते अपने रोमांस के कीड़ों को , क्यों बाहर लेकर आए।
राजेश ने कहा कीड़े तो हमारे हमेशा ही बिलबिलाते रहते हैं कभी अपने कीड़ों की भी बात कर लिया करो ।
अगर हम ना रहेंगे तो तुम्हारे कीड़ों को कौन मारेगा इसलिए प्यार से हमारे पीछे चिपक कर बैठ जाओ और फिर चलते हैं कहीं एकांत में , आज तुम्हारे रोमांस के कीड़ों को ही मार देते हैं ।
शीला जी जोर से हंसने लगी और बोली रहने दीजिए तुम्हारे बस का वह भी नहीं है ,तुमसे ना हो पाएगा ।
राजेश जी ने मुस्कराते हुए कहा - अजी बैठो तो सही है आज देखो हम तुम्हारे रोमांस के कीड़े कैसे कैसे मारते हैं।
शीला ने राजेश के कंधे पर हाथ रखा और उनसे चिपक कर बैठ गई राजेश जी ने अपना स्कूटर स्टार्ट किया और भगाना शुरू कर दिया , लगभग आधे घंटे भगाने के बाद एक ऐसी जगह पहुंचे जहां का दृश्य बहुत ही सुंदर लग रहा था । वह नदी के किनारे पहुंचे , नदी का किनारा बहुत ही हरा भरा और मनोरम लग रहा था नदी के किनारे घने बड़े-बड़े पेड़ और पौधे थे , पेड़ों पर फूल लग रहे थे जिनसे मादक खुशबू आ रही थी , वहां पर आसपास कुछ लोग बैठे थे । ज्यादातर प्रेमी और प्रेमिका ही वहां पर थे , कोई अपने प्रेमी के साथ बाहों में बाहें डाले बैठे थे, तो कोई अपने प्रेमी की गोद में सर रखकर लेटा हुआ था , कुछ लोग हाथ पकड़कर टहल रहे थे और कुछ लोग पेड़ों की ओट में प्रेम प्रसंग में डूबे हुए चुंबन कर रहे थे।
जैसे ही शीला ने इस जगह को देखा उनके चेहरे पर खुशी के भाव आ गए उन्होंने राजेश की ओर आश्चर्य से देखते हुए पूछा "आपको इस जगह के बारे में कैसे मालूम पहले तो कभी तुम हमें ऐसी जगह पर लेकर ही नहीं आए थे देखो कितना सुंदर नजारा है कितना शीतल और ठंडा पानी बह रहा है मन कर रहा है नदी के किनारे जाकर पानी में पैर डालकर बैठ जाऊं और कोई मेरे सर में मसाज करें और मेरे बाल बनाए।"
राजेश जी अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान लाते हुए बोले - डार्लिंग ऐसी जगहों पर हम अपने स्कूल और कॉलेज के टाइम में आया करते थे तब हम अपने दोस्तों के साथ खूब सारी मस्तियां करने आते थे, तो आज सोचा फिर से हम कॉलेज वाली लाइफ जीले , जब घर से निकले ही हैं तो क्यों ना पुराने दिनों की याद ताजा करके ही घर वापस जाएं।
शीला जी बहुत खुश दिखाई दे रही थी उन्होंने हमेशा की तरह राजेश जी को चिढ़ाते हुए कहा " कॉलेज के टाइम में तो तुम्हारी गर्लफ्रेंड हुआ करती होगी तब तुम उसके साथ हैं मस्ती करने आया करते थे , लेकिन अब किसके साथ मस्ती करोगे "
राजेश जी मुस्कुराए और बोले " डार्लिंग अब तो तुम ही हमारी गर्लफ्रेंड हो, हमसफर हो ,जीवनसंगिनी हो ,और पता नहीं क्या-क्या हो "
और राजेश सिंह शीला जी का हाथ पकड़ते हुए उन्हें अपनी ओर खींच लिया।
जैसे ही राजेश ने शीला को अपनी ओर खींचा तो शीला राजेश के ऊपर जा गिरी , राजेश ने शीला को अपनी बांहों में भरते हुए अपने गले लगा लिया और इधर उधर देखते हुए शीला की गर्दन के पास अपने होठों से किस कर दिया, गर्दन के पास होठों को महसूस करते ही शीला जी को मदहोशी छाने लगी उन्होंने अपनी आंखें बंद कर ली और राजेश जी को अपनी बाहों में भर लिया।
अब राजेश ने एक सही जगह देखते हुए शीला से कहा , चलो वहां चल कर बैठते हैं कितना सुंदर लग रहा है , थोड़ी देर बैठ कर बात करेंगे फिर यहां से चलेंगे।
शीला जी को यह जगह अच्छी लग रही थी इसलिए उनका मन जाने का कर ही नहीं रहा था क्योंकि न जाने कितने दिनों बाद शीला और राजेश दोनों एक साथ मन में रोमांस लेकर निकले थे ऐसा अक्सर उन्होंने शादी की एक 2 सालों तक तो खूब किया था उसके बाद कार्तिक ने जन्म लिया उसके बाद से तो शीला और राजेश कभी एक साथ घूमने या फिर मस्ती करने कभी कहीं गए ही नहीं इसलिए पिछले दिनों की भरपाई शीला आज ही कर लेना चाहती थी, शीला ने राजेश को अभी भी नहीं छोड़ा था और उनसे से चिपकी हुई थी और राजेश से कह रही थी मुझे कहीं नहीं जाना।
राजेश ने कहा- मैं कहीं जाने के लिए नहीं कह रहा हूं वहां देखो ना उस पेड़ के पास जगह है बैठने की और वहां हमें कोई नहीं देखेगा वहां हम कुछ भी कर सकते हैं ।
कुछ भी का नाम सुनते ही शीला चौक गई और बोली " क्या मतलब है तुम्हारा यहां इस खुली जगह में क्या करना चाहते हो कुछ नहीं करना समझे सिर्फ बैठेंगे।"
राजेश जी जोर से हंसने लगे और बोले "अरे यार तुम भी ना मैं वो सब करने के लिए नहीं कह रहा हूं मैं तो बस प्यार करने के लिए कह रहा था "
शीला जी मुस्कुराई और उनकी आंखों में देखने लगी और दोनों लोग जाकर उस पेड़ की घनी छाया के नीचे बैठ गए और एक दूसरे का हाथ पकड़ कर मुस्कुराने लगे।
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