google.com, pub-3595068494202383, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Arrange Marriage Part - 144

Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Arrange Marriage Part - 144

 

Story in Hindi to read - Story in Hindi love : Arrange Marriage Part - 144

वीडियो : सुहागरात की कहानी ......

वीडियो :: यक्षिणी का प्रकोप...


जब से नीलू कार्तिक से मिलने के बाद घर आई थी तभी से बेचैन और बेमनसी लेटी हुई थी रोज की तरह एनर्जेटिक नहीं दिखाई दे रही थी , उसे ना जाने किस बात की टेंशन हो रही थी , न तो नीलू मां से बात कर रही थी और नहीं अपनी बहन प्रिया से बिल्कुल वैसे ही शिवानी भी अपने बिस्तर में लेटी हुई थी।

 डिनर का टाइम हो चुका था नीलू की मां ने डिनर तैयार करने के बाद सारे बच्चों को खाने के लिए बुलाया । डिनर करते हुए नीलू की मा ने नोटिस किया की नीलू रोज की तरह नहीं दिखाई दे रही है । खाना खाने के बाद आज नीलू की मां ने ओमकार जी से बात करने के लिए सोचा और सोच।

 वो रही थी नीलू की सगाई हुई बहुत दिन हो चुके हैं वैसे भी उनकी सारी फ्रेंड्स हर बार यही वो पूछती हैं नीलू की शादी कब होने वाली है । वैसे भी रिश्ता तय होने के बाद जल्दी ही शादी हो जानी चाहिए नहीं तो बाद में रास्ते में दिक्कतें आती हैं।

 

सारे बच्चे खाना खाने के बाद अपने अपने रुम में चले गए उसके बाद नीलू की मां भी अपने पति के साथ कमरे में पहुंच कर टेबल पर बैठकर कुछ पढ़ रहे थे।


तभी नीलू की मां ने उनसे पूछा अगर आप बिजी ना हो तो मैं कुछ जरूरी बात करना चाहती हूं।

 ओमकार जी ने कहा -- हां बोलो मैं फ्री हूं बस कुछ पढ़ रहा था नीलू की मां ने कहा-- देखो जी अपनी नीलू की सगाई हुए भी लगभग दो-तीन महीने तो हो ही गए इसलिए मुझे लगता है अब हमें कार्तिक के घरवालों से बात कर लेनी चाहिए ।

कल मेरी फ्रेंड बता रही थी कि उसके दूर की रिश्तेदारी में किसी की बेटी की रिश्ते की बात हो गई थी और 6 महीने तक शादी नहीं की फिर बाद में पता चला कि लड़की ने किसी और से शादी कर ली वह भी बिना घर वालों को बताएं , इससे बिरादरी और रिश्तेदारों में बहुत ही बेज्जती हुई है। इसलिए मुझे भी ऐसा लग रहा है कि अब हमें उनसे बात कर लेनी चाहिए और शादी कर देनी चाहिए ,वैसे भी सब कुछ तो हो ही चुका है । वह भी राजी हैं हम भी राजी हैं बस बेटी को विदा करना है और शुभ काम करने में ज्यादा देरी नहीं होनी चाहिए।


ओमकार जी ने अपने आंखों से चश्मा उतारते हुए मेज पर रखा और हल्की सी मुस्कान के साथ कहा --आज फिर तुम लगता है उस वह याद किट्टी पार्टी में गई होगी जहां पर मोहल्ले की सारी ठलुआ औरतें आती हैं और उनके पास कोई काम तो होता नहीं है बस यही कि उनकी रिश्तेदारी में यह हो गया, हमारे पड़ोसी के यहां पर यह हो गया।


रजनी जी को ओमकार जी की बात अच्छी नहीं लगी उन्होंने मुंह बनाते हुए कहा "आप तो रहने दो हमेशा मुझे नीचा दिखाने की ही बात करते रहते हो वैसे भी बेटी जवान है बात भी कर लिया शादी की कर देनी चाहिए ना कब तक रिश्ते पर दूर तक डालते रहोगे।"


उनका जी मुस्कुराए और उठकर रजनी जी के बिल्कुल बगल में आकर बैठ गए और उन्हें अपनी बाहों में कसते हुए बोले " कैसी बात कर रही हो , मैं तुम्हें भला नीचा क्यों दिखाऊंगा , तुम तो मेरी पत्नी हो और अपनी धर्मपत्नी को कोई नीचा क्यों दिखाएगा हां बस कभी कबार समझाने के लिए 2,4 शब्द इधर उधर से उठाने पड़ते हैं।


जी आप तो रहने दो हमेशा ऐसे ही बोलते रहते हो, आप ही बताओ राजेश भाई साहब और उनकी फैमिली नीलू के पैर की चोट देखने के लिए आने वाले थे यह तो आप ही बता रहे थे लेकिन उसके बाद से तो लगभग महीना होने जा रहा है अभी तक फोन करके भी नहीं पूछा उन्होंने , इसलिए बोल रही हूं उन पर शादी के लिए दवाब डालिए और शादी की तारीख निकल बालों।



राजेश जी ने बड़े ही प्यार से रजनी जी के माथे पर चुम्बन देते हुए कहा "देखो मुझे राजेश जी पर पूरा भरोसा है वह एक बहुत ही अच्छे और नेक दिल इंसान हैं उनके मन में ऐसा वैसा कुछ भी नहीं है, हो सकता है वह अपने काम में व्यस्त होंगे इसकी वजह से नहीं आ सके और रही बात शादी की डेट निकलवाने की तो अभी तो हमारी बेटी बच्ची है, कर देंगे शादी क्यों परेशान हो अभी तो उसके खेलने कूदने के दिन है और वैसे भी मुझे मेरी बेटी भारी नहीं पड़ रही है।"


रजनी जी ने थोड़े से तेवर बदलते हुए कहा " तो फिर ठीक है मत करो शादी बेटी को घर पर ही क्यों नहीं बनाए रखते , फिर क्यो रिश्ते की बात कर रहे हो आपकी बेटी है आपके घर पर रह सकती है जिंदगी भर।"


ओमकार जी ने बड़े ही सरल स्वभाव से अपने चेहरे पर मुस्कान बिखेरी और कहा "देखो अगर जमाने की ऐसी रीत होती कि बेटी को जिंदगी भर अपने घर पर रखा जा सके तो मैं अपनी बेटी की कभी भी शादी नहीं करता मैं तो यहां तक सोचता हूं कि घर जमाई मिल सके तो वही कर लू, क्योंकि मैं अपने जिगर के टुकड़े को अपने दिल से दूर नहीं कर सकता अब क्या करूं मजबूर हूं एक पिता हूं बेटी की शादी कर उसे अपने घर भेजना ही पड़ता है नहीं तो मैं अपनी बेटी को कभी भी अपने से दूर ना जाने दू।"



ओमकार जी की बात सुन के रजनी जी के चेहरे पर मुस्कान आ गई और बोली "दुनिया के हर एक पिता की यही इच्छा होती है लेकिन एक ना एक दिन उन्हें अपनी बेटी को विदा करना ही पड़ता है और यह सत्य है आपको भी करनी ही पड़ेगी इसलिए शुभ काम करने में देरी ना करें, बेटी की उम्र शादी की है और सही समय पर शादी हो जाना ही ठीक होता है उसके बाद हमारी दूसरी बेटी भी है हमें उसके बारे में भी सोचना है।"



ओमकार जी हो रजनी जी की आंखों में प्रेम पूर्वक देखते हुए बोले जब सोचना होगा तो सोच लेंगे फिलहाल तो मैं कुछ और ही सोच रहा हूं

रजनी जी ने देखा ओमकार जी उनकी आंखों में कुछ ढूंढ रहे हैं तो वो शरमाते हुए बोली अजी रहने दीजिए अब इस साल की उम्र नहीं रही है बेटियों के बारे में सोचो।


शंकर जी ने अपनी पकड़ और मजबूत करते हुए रजनी को अपने से चिपका लिया और उनके होठों पर चुंबन करते हुए बोले प्रेम करने की कोई उम्र नहीं होती बस मन और दिल में जगह होनी चाहिए। रजनी जी ने ओंकार को कस कर पकड़ लिया और फिर वे दोनों बिस्तर पर लेट गए।।


अगली सुबह कार्तिक की आंख उसके फोन की आहट के साथ खुली उसने देखा उसे नीलू कॉल कर रही है । उसने तो अपने फोन को साइलेंट कर दिया । उठ कर बैठ गया अपना फोन निकालकर को कॉल लगा दिया 


नीलू -- हेलो जी कैसे हो, good morning

कार्तिक" वेरी गुड मॉर्निंग मैं ठीक हूं तुम बताओ क्या हाल-चाल है क्या चल रहा है तुम्हारा "

नीलू -- ठीक है, मैं तो काफी देर कि जाग रही हूं तो सोचा तुम्हें भी जगा दूं , कॉल तो बहुत देर पहले करना चाहती थी लेकिन फिर सोचा कि तुम तो उठोगे ही नहीं आज मेरा फोन बढ़ता रहेगा इसलिए नहीं किया अब देखो पूरे 8:00 बजने वाले हैं उठ जाओ तैयार हो जाओ नाश्ता कर लो और ऑफिस चले जाओ।


कार्तिक -- बस भी करो एक सांस में इतने सारे काम के ना दिए जय सारे काम से जल्दी कैसे कर सकता हूं मैं उठूंगा फ्रेश होऊंगा फिर नहाने जाऊंगा फिर नाश्ता करूंगा फिर ऑफिस जाऊंगा इतना सारा करने में कम से कम एक घंटा तो लगने वाला है और तुमने एक सेकंड में बोल दिया।


नीलू -- हां तो ठीक तो है कम से कम एक घंटा पहले से उठोगे तो सही भरना तुम तो 9:00 ही उठो । ऑफिस 9:30 बजे पहुंचना होता है फिर बाइक भागते हो, थोड़ा जल्दी उठा करो यार।


कार्तिक ने कहा "यह सब तो तभी पॉसिबल हो पाएगा जब तुम मेरे साथ मेरे कमरे में मेरे बिस्तर में सोया करोगी और सुबह जल्दी उठाया करोगी।"


नीलू के चेहरे पर मुस्कान बिखर गई और बोली" ठीक है बाबा वह तो मेरा काम ही है उठाना तुम अपना बताओ तुम क्या क्या करोगे।"


कार्तिक हंसते हुए इधर-उधर देखने लगा और फिर बोला " मैं क्या करूंगा वह तो मैं तुम्हें एग्जांपल के साथ ही बताऊंगा अब फोन पर रोज-रोज बार-बार बताना ठीक नहीं है।"


कार्तिक की बात सुनकर नीलू को शर्म आ गई और उसने सिर्फ एक शब्द बोल कर फोन कट कर दिया उसने कहा ओके बबाए ऑफिस चले जाओ।

कार्तिक कार्तिक बैठा अपने फोन को देख कर मुस्कुराते ही रहा।


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